25 July, 2011

गज़ल


गज़ल

 कुछ पा लिया कुछ खो लिया
 फिर बेतहाशा रो लिया
आंखों से जब आंसू गिरे
तो ज़ख्म दिल का धो लिया

फिर भी हुयी मुश्किल अगर
आँचल मे माँ की सो लिया

दुश्वारियों का बोझ भी
 जैसे हुया बस ढो लिया

जिसने बुलाया प्यार से
 मै तो उसी का हो लिया

बेकार कर दी ज़िन्दगी
बस खा लिया और सो लिया


करते मुहब्बत सब  मुझे
जो प्यार बाँटा वो लिया

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