आजकल छुट्यों मे मेरी बेटी और नाती आये हुये हैं उनके साथ मस्त और व्यस्त हूँ कुछ नया लिख नहीं पा रही फिर उपर से नाती की सिफारश कि नानी मेरे लिये कुछ लिखो ना 1 तो अपने प्यारे से नाती के लिये एक कविता जो कई साल पहले लिखी थी प्रस्तुत कर रही हूँ1
मेरा बचपन वापिस लाओ ना (कविता )
मेरा बचपन वापिस लाओ ना (कविता )
मम्मी से सुनी उसके बचपन की कहानी
सुन कर हुई बडी हैरानी
क्या होता है बचपन ऐसा
उडती फिरती तितली जैसा
मेरे कागज़ की तितली मे
तुम ही रँग भर जाओ ना
नानी जल्दी आओ न
अपने हाथों से मुझे झुलाना
बाग बगीचे पेड दिखाना
सूरज कैसे उगता है
कैसे चाँद पिघलता है
परियाँ कहाँ से आती हैं
कैसे गीत सुनाती हैं
मुझ को भी समझाओ ना
नानी जल्दी आओ न
लोरी दे कर मुझे सुलाना
गोदी मे ले मुझे खिलाना
नित नये पकवान बनाना
अच्छी अच्छी कथा सुनाना
अपने हाथ की बनी खीर का
मुझ को भी स्वाद चखाओ ना
नानी जल्दी आओ ना
खेल कूद का समय नहीं है
मुझ को दुनिया की समझ नही है
बस्ते का भार उठा नहीं सकता
पढाई का बोझ बता नहीं सकता
मम्मी पापा रहते परेशान
मैं छोटा सा बच्चा नादान
उनका प्यार भी लगता झूठा है
मेरा बचपन क्यों रूठा है
तुम मुझ को समझाओ ना
मेरी नानी प्यारी नानी
मा जैसा बचपन वापिस लाओ ना
नानी जल्दी आओ ना