18 March, 2011

महमान -- हास्य कविता

होली पर एक हास्य कविता

महमान
होली पर जब कभी
महमान घर आते
 पत्नी खुश होती
 पति मुँह फुलाते
पत्नी को उनका रुख
 कभी न भाया
 एक दिन उसने
 पति को समझाया
 एजी! अगर आप यूँ
 मुँह फुलायोगे तो
 मेरी होली कैसे मन पायेगी?
 मेरी सहेलियों मे
मेरी इज्जत क्या रह जायेगी?
होली पर महमान
 होते हैं भगवान
उन्हें देख मुँह नही फुलाते हैं
 बल्कि हंस कर गले लगाते हैं
ये सुन पति मुस्कुराये
" रानी तेरा हुक्म बजाउँगा"
जब आयेगी तेरी सहेली
उसको गले लगाऊँगा
पर जब आयेगी मेरी माँ
 तुझ से भी यही करवाऊँगा
 होली की आप सब को हार्दिक शुभकामनायें।

पोस्ट ई मेल से प्रप्त करें}

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner