20 December, 2009

कविता
आज एक छोटी सी कविता जो पहले भी शायद कुछ लोगों ने पढी है। आजकल घर की व्यस्ततायों के चलते कुछ नया लिख नहीं पा रही। इसे ही झेल लीजिये।
छोटी सी बात

कई बार
जब हो जाते हैं
हम
मैं और तू
छोटी छौटी बातों पर
कर देते हैं रिश्ते
कचरा कचरा
तर्क---वितर्क
तकरारें--
आरोप--प्रत्यारोप
छिड जाता है
महाँसंग्राम
अतीत की डोर से
कटने लगती है
भविश्य की पतंग
और खडा रह जाता है
वर्तमान
मौन, निशब्द
पसर जाता है
एक सन्नाटा
उस सन्नाटे मे
कराहते हैं
छटपटाते हैं
और दम तोड देते हैं
जीवन के मायने
ओह!
रह जाते हैं
इन छोटी- छोटी  बातों मे
जीने से
जीवन के बडे बडे पल


42 comments:

M VERMA said...

हम का मैं और तुम हो जाना ही तो छिन्न भिन्न कर जाता है जीवन जीने की ललसा की डोर --
बहुत सुन्दर रचना

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

ज़िन्दगी के सच को बयां करती आपकी रचना सोचने पर मजबूर करती है...
सच ये मैं और तू के भाव सुखद पलों को हर लेते हैं....खूबसूरत रचना के लिए बधाई

दिनेशराय द्विवेदी said...

कविता का उपसंहार ...

इस सब के बाद
फिर से मिल कर
हम हो जाना
आना चाहिए।

बहुत सुंदर रचना, बधाई!

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

सुंदर रचना-आभार

Mithilesh dubey said...

माँ जी चरण स्पर्श

बेहतरिन व लाजवाब । बहुत-बहुत बधाई

डॉ महेश सिन्हा said...

भावों का सुंदर चित्रण

रवि कुमार, रावतभाटा said...

बेहतर...

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

मोंम.... बहुत सुंदर कविता....

सुरेन्द्र "मुल्हिद" said...

bahut he sundar kavita likhi hai aapne nirmala ji....

jeevan ki sachchai bayaan karti...

विवेक रस्तोगी said...

जीवन के बड़े बड़े पल..

बहुत ही खूबसूरत शब्द और भावनाएँ

डॉ टी एस दराल said...

अंतिम पंक्तियों में जीवन की सच्चाई छुपी है।
सुन्दर रचना।

Yogesh Verma Swapn said...

jeevan ka sach bayan karti umda rachna.

Kusum Thakur said...

बहुत अच्छी रचना , शुभकामनाएं और बधाई !

Asha Joglekar said...

अतीत की डोर से
कटने लगती है भविष्य की पतंग
और स्तब्ध रह जाता है वर्तमान .
क्या खूब लिखा है निर्मला जी बहुत ही सुंदर ।

दिगम्बर नासवा said...

जीवन की गहरी, कड़वी सचाई को दर्शा रही है आपकी रचना ......... कई बार छोटे छोटे अहम जीने नही देते .........

राज भाटिय़ा said...

बहुत सुंदर कविता

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

बहुत ही बढिया लगी कविता....
धन्यवाद्!

डा0 हेमंत कुमार ♠ Dr Hemant Kumar said...

बहुत सुन्दर रचना --कम शब्दों में बेहतरीन अभिव्यक्ति।
हेमन्त कुमार

Khushdeep Sehgal said...

अगर तुम ही तुम हो तो क्या तुम हो
अगर हम ही हम हैं तो क्या हम हैं
मिल कर साथ चलने में ही दम है
जय हिंद...

अजय कुमार said...

इस छोटी सी बात में बहुत बड़ा संदेश है

vandana gupta said...

bahut hi sarthak kavita.

hem pandey said...

सच है -
रह जाते हैं इन छोटी छोटी बातों में
जीने से
जीवन के बड़े बड़े पल

जबलपुर-ब्रिगेड said...

adbhut
abhar

RAKESH VERMA said...

Bahut ach'i kavita.....

दीपक 'मशाल' said...

ab main kya aur kaise kahoon... bas jaldi hi aapki charan dhooli lene aa raha hoon Maasi..
Jai Hind...

मनोज कुमार said...

न जाने क्यूं होता है जिन्दगी के साथ
ये छोटी-छोटी सी बात
सार्थक रचना।

IMAGE PHOTOGRAPHY said...

माँ जी को प्रणाम।
सुन्दर रचना।

अन्तर सोहिल said...

रह जाते हैं इन छोटी बातों में जीने से
जीवन के बडे पल

बहुत सुन्दर

प्रणाम स्वीकार करें

rashmi ravija said...

बहुत सुन्दर लिखा है... अतीत की डोर से बंधी भविष्य की पतंग...और दोनों के बीच..झूलता वर्तमान...बहुत सुन्दर

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

जीवन के सत्य को बडी सहजता से बयां कर दिया आपने।
------------------
इसे आप पहचान पाएंगे? कोशिश तो करिए।
सन 2070 में मानवता के नाम लिखा एक पत्र।

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

बहुत खूब.

सदा said...

बहुत ही सुन्‍दर शब्‍दों के साथ बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।

अर्चना तिवारी said...

भावों का सुंदर चित्रण...सार्थक रचना...बधाई !

देवेन्द्र पाण्डेय said...

यह कविता मैने तो पहली बार पढ़ी
बड़ी खूबसूरती से आपने समझा दिया है कि हम छोटी-छोटी बातों से जीवन के बड़े-बड़े पल नष्ट कर देते हैं।

विनोद कुमार पांडेय said...

जीवन के हर पल को यदि खुशी और मुस्कुरा कर जीना चाहते है तो मैं को अपने मन से निकलना ही पड़ेगा मैं और तू एक होने नही देते और लोग प्रेम की एकजुटता में बँध नही पाते..बहुत बढ़िया रचना..बधाई

वाणी गीत said...

छोटी छोटी बाते कई बड़े पलो को सन्नाटे में बदल देती हैं ....
बहुत गहरे अर्थ लिए कविता .....!!

Unknown said...

"उस सन्नाटे में
कराहते हैं
छटपटाते हैं
और दम तोड़ देते हैं
जीवन के मायने"


सुन्दर अभिव्यक्ति!

रंजना said...

Jeevan ka yatharth samete yah adbhut rachna jitni baar bhi padhi jaay purani nahi lagegi...

Kavita ke maadhyam se jo sundar sandesh aapne diya hai,wah yadi log apna len jeevan me to fir kya kahna....

Ashish (Ashu) said...

मन को छूती रचना.हर शब्‍द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

संजय भास्‍कर said...

bahut he sundar kavita hai

Sadhana Vaid said...

इस छोटी सी कविता में जीवन के बड़े ही गूढ़ रहस्य को बखूबी जतला दिया है आपने निर्मला दी ! सोचने, समझने एवं आत्मसात करने लायक बहुत ही प्रेरक कविता ! साभार !

Dorothy said...

दिल की गहराईयों को छूने वाली एक खूबसूरत, संवेदनशील और मर्मस्पर्शी प्रस्तुति. आभार.
सादर,
डोरोथी.

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