01 August, 2009

ये गज़ल स,बलबीर सैनी जी की है जो उन्हों नेनंगल मे पिछेले दिनोंहुये साहित्यक प्रोग्राम मे सुनाई ये गज़ल पंजाबी मे है मगर हिन्दी प्रेमियों के लिये उसका अनुवाद साथ मे दे रही हूँ जो कि गज़ल के रूप मे नहीं हैइस गज़ल को भी हिन्दी मे टाईप करने से शायद इस मे मात्राओं का संयोजन सही ना हो पाये मगर पंजाबी मे ये एक मुकम्मल गज़ल है।

मैथों हसिया नहीं जाणा, मैथों रोया वी नहीं जाणा
हँजू पलकाँ ते आया ताँ लकोईया वी नहीं जाणा
अर्थात
{मुझ से हंसा भी नहीं जायेगा, मुझ से रोया भी नहीं जायेगा
आँसू पलकों पे आया तो छुपाया भे नहीं जायेगा}

जद किते रसते च ओहदे नाल हो गया जे सामणा
ओहनू मिल वी नहीं होणा ,पासे होईया वी नहीं जाणा
अर्थात
{ागर कही कभी रास्ते मे उससे सामना हो गया
उस से मिला भी नहीं जायेगा,परे हुया भी नहीं जायेगा}

साडी गली विच ,साडे घर मुहरे,मिल पिया जे ओह्
आजा कह वी नहीं होणा,बूहा ढोया वी नहीं जाणा
अर्थात
{ अगर हमारी गली मे मेरे घर के आगे वो मिल भी गया
आजा कहा भी नहीं जायेगा दरवाज़ा बन्द किया भी नहीं जायेगा}

ओहदा चन्दरा विछोडा,जिवें जढाँ वाला फोडा
ओहने जीण नहीं देणा, साथों मरिया वी नहीं जाणा
अर्थात
{उसका वियोग दुखदायी है जैसे जद वाला फोडा
उसने जीने भी नहीं देना और हम से मरा भी नहीं जायेगा}

ओहदे दीद वाला लोभ ते साडी लगणी नहीं अख
ओहतों आ वी नहीं होणा साथों जाया वी नहीं जाणा
अर्थात
{उसके दिदार के लोभ मे हमे नीन्द नहीं आयेगी
उससे आया नहीं जायेगा और हमसे जाया नहीं जायेगा}

खुशी आण दी तों वीवध झट जाण वाला दुख्
हौके भरने बरूहाँ म तेल चोया वी नहीं जाणा
अर्थात
{ने की खुशी से उसके जाने का गम अधिक होगा
दहलीज आहें भरेगी तेल चोया भी नहीं जायेगा}

26 comments:

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

bahut khoobsoorat hai, aapne jo tajurma kar diya to aur achchha lag raha hai.

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत भावपूर्ण गज़ल प्रेषित की है।आभार।

मैथों हसिया नहीं जाणा, मैथों रोया वी नहीं जाणा
हँजू पलकाँ ते आया ताँ लकोईया वी नहीं जाणा

विनोद कुमार पांडेय said...

अत्यन्त भावपूर्ण ग़ज़ल..
धन्यवाद सैनी जी..
और आप को भी जो इतने सुंदर ग़ज़ल को हिन्दी मे प्रस्तुत किया..

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

मैथों हसिया नहीं जाणा, मैथों रोया वी नहीं जाणा
हँजू पलकाँ ते आया ताँ लकोईया वी नहीं जाणा।।

बहुत सुन्दर गजल......स.बलबीर सैनी जी को बधाई और आपको धन्यवाद्!!!!

सदा said...

आजा कहा भी नहीं जाएगा, दरवाजा बन्‍द किया भी नहीं जाएगा, बहुत ही सुन्‍दर रचना और उससे भी बड़ी बात है जो अपने इसका हिन्‍दी अनुवाद करते हुये हमें पढ़ने का अवसर दिया बहुत बहुत आभार्

सतपाल ख़याल said...

balbir saini ji de ik dost shayar talware bhi rahnde see,,sh. deepak mahindpouree..

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बलबीर सैनी जी की गजल का
आपने बड़े मन से बढ़िया अनुवाद
प्रस्तुत किया है।
बधाई।

vandana gupta said...

bahut hi badhiya gazal padhvayi hai aaj.........waah.

दर्पण साह said...

मैथों हसिया नहीं जाणा, मैथों रोया वी नहीं जाणा
हँजू पलकाँ ते आया ताँ लकोईया वी नहीं जाणा


...wah kitni bqadhiya abjhi vyakti hai...

ओम आर्य said...

bahut hi sundar gazal se ru ba ru karawayi aapane ......atisundar

डॉ. मनोज मिश्र said...

मैथों हसिया नहीं जाणा, मैथों रोया वी नहीं जाणा
हँजू पलकाँ ते आया ताँ लकोईया वी नहीं जाणा।।

बहुत सुन्दर गजल.

रंजना said...

बहुत भावपूर्ण गज़ल प्रेषित की है।आभार।

admin said...

Are waah, do do bhashaaon ki gazal. Shukriya.
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

"अर्श" said...

आदरणीय बलबीर सैनी जी के इस ग़ज़ल के बारे में कुछ भी कहना मुमकिन नहीं है .. बहोत खूबसूरती से उन्होंने कहें हैं हर अश'आर .. सारे ही शे'र कमाल के हैं.. दर्द को जिस बारीकी से उन्होंने पिरोया है शे'रों में पढ़ते ही बनता है और उस पे से आपका उसे हिंदी में अनुवाद करना .... अगर आप इसे हिंदी में अनुवाद नहीं करती तो समझ पाना नामुमकिन था और एक उम्दा ग़ज़ल का आनंद लेने से महरूम रह जाता ...यह ग़ज़ल पूरी तरह से गाई जाने वाली है...बहोत बहोत बधाई इस ग़ज़ल को पढ़वाने के लिए.... सादर प्रणाम


अर्श

Vinay said...

बहुत ख़ूबसूरत रचना है
---
· चाँद, बादल और शाम

दिनेशराय द्विवेदी said...

इतनी सुंदर रचना से रूबरू कराने के लिए धन्यवाद!

Unknown said...

e ghazal vaaste bahot bahot vadhaaiyanji saini saaheb !

o tussi taan kamaal kar ditta j ek ek she'r ch
gal haigi...............

rab di saun anand aa gaya....
enni sohni rachna layi lakh lakh mubaaraqaanji........

दिगम्बर नासवा said...

पञ्जाबी की इतनी लाजवाब, खूबसूरत ग़ज़ल.......... इसको आपकी पुरानी पोस्ट में भी मैंने पढा था......... आज पूरी पढ़ कर आत्मा प्रसन्न हो गई..........गज़ब का लिखा है.......

अमिताभ मीत said...

बहुत बढ़िया ग़ज़ल. शुक्रिया.

सुधीर राघव said...

bahut achchi gazal apne hum logon ke liye blog par rakhi. us kavi sammelan mein jaye bina bhi, uska aanand mil gaya. aaj chandigarh mein bhi sahity akadami ka karykram hai. badi hastiyan aai hain. ho saka to blog par sajha karoonga

IMAGE PHOTOGRAPHY said...

खुबसुरत गजल

Akshitaa (Pakhi) said...

Happy Friendship day.....!! !!!!

पाखी के ब्लॉग पर इस बार देखें महाकालेश्वर, उज्जैन में पाखी !!

विवेक सिंह said...

बहुत भावपूर्ण !

Asha Joglekar said...

कमाल की गज़ल । और आपका आपका अनुवाद समझना सुगम कर गया ।
इस गज़ल को हमारे साथ बाँटने का बहुत आभार ।

आप मेरे ब्लॉग पर आयीं और हौसला अफजाई की बहुत शुक्रिया ।

Urmi said...

वाह अत्यन्त सुंदर! इस शानदार ग़ज़ल के लिए बधाई!

gazalkbahane said...

पहली गज़ल...बधाई
आगाज़ बहुत अच्छा है जारी रखें
श्याम सखा श्याम

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