29 May, 2009

फर्श से अर्श तक

मुझे उन लोगोँ के बारे मे पढना सुनना और लिखना बहुत अच्छा लगता है जो विपरीत परिस्थितियों मे भी अपनी राहें तलाश लेते हैं1 अपनी मेहनत लगन और इमानदारी से अपनी मँज़िल हासिल कर लेते हैं1 महान विभूतियों को तो हम पुस्तकों पत्र पत्रिकायों अदि मे पढते रहते हैं1 मुझे लगता है जो उभरती हुयी प्रतिभायें हैं जिन्हे हम अपने आस पास देखते है1 हमे उनकी उपलब्धियों को भी समाज के सामने लाना चाहिये तकि लोगों की प्रेरणा पा कर वो उत्साह से आगे बढ सकें इसी प्रयास मे मेरा एक लेख बातचीत की कला पहले भी मेरे ब्लोग पर आ चुका है 1
आज जिस प्रतिभा से आपका परिचय करवाने जा रही हूँ उसका नाम है प्रकाश सिंह जिसे आप सब लोग अर्श के नाम से अपने ब्लोग पर टिप्पणी देते देखते हैंएक बार मै नेट्पर कुछ सर्च कर रही थी कि एक लिस्ट् पर मेरी नज़र पडी मैने सरसरी नज़र डाली तो वो एक लिस्ट थी ब्लोगर्ज़् लिस्ट उसमे लगभग पाँच हजार के करीब ब्लोगर्ज़् थे और सभी विदेशी थे एक दो प्रतिशत भारतीय थे1
तभी मेरी नज़र एक प्रोफाइल पर रुक गयी अरे -- ये तो अपना अर्श है इसका नाम ढेड सौ लोगों मे था
मैने उसी समय उसे बधाई दी और उसे लिस्ट की कापी मेल कर दी तब पता चला कि ये सिर्फ हमारे लिये ही नही बल्कि दुनिया के लिये भी खास है इसने विपरीत परिस्थितियों मे ये मुकाम हसिल किया है इस जेसे और भी बहुत से लोग होंगे मगर हम जान नहीं पाते और इस तरह अच्छे लोग देखने मे कम आते हैं 1
इसका जन्म बिहार के एक छोटे से गाँव खनानी कलां जिला आराह (भोजपुर मे हुआ था1
जहाँ आज तक भी बिजली नहीं है चार कि.मी. तक सडक नहीं है केवल एक नहर है जिसके कारण लोग खेतीबाडी कर अपनी आजीविका चलाते है1अर्श का बचपन उसी गाँव मे बीता1जब इनके घर का बंटवारा हुआ तो दादा के हिस्से मे केवल एक बैल आया था इसके दादा पहलवानी करते थे उन्होंने मेहनत की और अपनी प्रतिभा से पोलिस मे पहलवानी के आधार पर नौकरी पा ली और अपने परिवार क पेट पालने लगे अर्श के पिता भी पढने मे होश्यार थे उन्होंने भी बहुत कठिन परिश्रम् किया और उन्हें भी एक बैंक मे नौकरी मिल गयी जिस कारण उन्हें गाँव से बाहर जाना पडा1 उनकी ट्राँस्फरेबल जाब थी इस लिये अर्श गाँव मे ही अपने दादा की छत्रछाया मे पलने बढ्ने लगा1
अर्श ने प्राथमिक शिक्षा झारखँड और इन्टर और स्नातक की डिगरी एल एस कालेज मुजफ्फरपुर से ली उसके दादा पहलवान थेऔर इसे भी पहलवानी सिखाया करते थे1मगर अर्श की रुची संगीत मे थी स्कूल मे भी वो हर प्रतियोगिता मे भाग लेता था1 ये संगीतकार बनना चाहता था मगर इसके पिताजी नहीं माने1स्नातक की डिगरी के बाद इसने देहली मे एम बी ऎ मे दाखिला ले लिया1वहां इसने ठुमरी दादरा और सैमीक्लासिकल महारत हासिल कर ली 1
लेकिन इसे सीखने के लिये उसने कहीं भी दाखिला नहीं लिया बस अपनी संगीत मे रुची के कारण खुद ही अभ्यास कर कर के सीखा1 युनिवर्सिटी मे संगीत के लिये जाना जाता था इसने उत्तरी भारत की प्रतिस्पर्धाओं मे भाग लिया और अपने कालेज का नाम रोशन किया1 घर मे संगीत्त का कोई महौल ना होते हुये भी इसने इस क्षेत्र मे अपनी पहचान बनाई 1ये बालीबाल का भी बहुत अच्छा खिलाडी है1 aaaaएम बी ऎ करने के बाद अब ईँडिया बुल नामक कम्पनी मे सीनियर मैनेजर के पद पर काम कर रहा है1 मगर अब तक भी अपने गाँव के उस दालान से जुडा है जहाँ इसके बचपन की कुछ यादें ताज़ा करने जाता रहता है और अपने दादा को शर्द्धाँजली देना नहीं भूलता1अपनी माँ से बहुत प्यार करता है1 उसे माँ की एक खासियत बहुत अच्छी लगती है कि वो उधडे रिश्तों को तुरपाई करना बहुत अच्छी तरह जानती है शायद उसने भी माँ से ये गुण पाया है1
एक दिन मै उससे बात कर रही थी तो मैने पूछा कि तुम्हारी आवाज़ नही निकल रही क्या खाना नही खाया तो इसने कहा कि आज खाना नहीं खाऊँगा आज मेरे गुरूजी मुझ से नाराज़ हो गये हैं जब तक उनकी नाराज़गी दूर नही कर् लेता खाना नही खाऊँगा वो गुरू को भगवान के बराबर मानता है1
अगले दिन अपने गुरु र्जी को मना कर खाना खाया1 इतनी सँवेदनशीलता और अपनों के प्रति प्रतिबद्ध्ता है इसमे1 भविष्य मे साहित्य के प्रति समर्पित होना चाहता है1 गज़ल गीत कविता के बद समीक्षा और कहानी लेखन मे भी अपको इसकी रचनायें पढने को मिलेंगी
और एक दिन आप इसकी गज़लें इसी की आवाज़ मे सुनेंगे इसके अतिरिक्त समाज सेवा मे भी काम करना चाहता है1 उसकी लगन और सहित्य के प्रति लगाव देख कर मुझे लगता है कि एक दिन सहित्य जगत मे भी इसका नाम होगा
इसके पिता श्री हरी शंकरजी अपनी मेहनत से आज बैँक मैनेजर हैं1 इसका और एक भाई है उसको भी इसका संरक्षण और मार्गदर्शन प्राप्त है1 वो एम बी ए करने के बाद एक कम्पनी मे कार्यरत है1 अर्श अपने गाँव का पहला लडका है जिसने एम़ बी़ ए किया है इसलिये इसकी सफलता गाँव के बाकी बच्चों के लिये मार्गदर्शक ह सब से बडी बात कि इसमे अपने गाँव के लिये कुछ करने क जज़्वा है1 aअगर आज कल की युवा पीढी ऐसे सोचने लगे तो भारत जरूर दुनिय का सिरमौर होगा 1इसलिये ऐसे व्यक्तित्व को उत्साह मिलना चाहिये जो देश के लिये कुछ करने की तमन्ना रखते हैं1मुझे यकीन है आप सब इस काम मे कँजूसी नही करेंगे
इसी कडी मे अगला लेख एक और ऐसे ही व्यक्तित्व के बारे मे लिखूँगी1 मेरी सभी ब्लोगर्ज़ से ये प्रार्थना है कि वो अधिक से अधिक अच्छे लोगों के बारे मे लिखें ताकि बाकी लोगों को उनके जीवन से प्रेरणा मिल सके और हम एक अच्छे समाज की संरचना मे अपनी कलम का सार्थक प्रयोग कर सकें1 अर्श की सफलता के लिये भगवान से दुआ करती हूँ 1

28 comments:

Udan Tashtari said...

अर्श तो हमारे प्रिय हैं. इनके बारे में इतना कुछ जानना बहुत सुखकर रहा. आपका बहुत आभार और अर्श को अनेक शुभकामनाऐं.

P.N. Subramanian said...

अर्श जी ने अपनी टिप्पणियों से हमें सम्मोहीय कर लिया था. उनके बारे इतना सारा जानने को मिला. आपका आभार.

रंजू भाटिया said...

अर्श जी के बारे में इतना कुछ जान कर बहुत अच्छा लगा ..अभी तक सिर्फ उनको उनकी गजलों की वजह से ही अधिक जानती थी ,पर आज बहुत कुछ पता चला उनके बारे में . अदभुत प्रतिभा हैं उन में तो ..बहुत बहुत शुक्रिया उनके बारे में इतना कुछ बताने का ..

vijay kumar sappatti said...

nirmala ji .

abhi abhi arsh se aapke baar me hi baaten ho rahi thi . wo aap ko maa kah kar sambodit karta hai ye jaan kar man bahut bheeg gaya hai .. hum blogeer hi ek dusare ke sacche mitr aur hamdam hai..

Meri prarthana hia iswar se ki wo aapko aur arsh ko saari khushiyan deve....

vijay

संगीता पुरी said...

जब से ब्‍लाग जगत में आयी हूं .. न तो किसी ब्‍लागर का नाम नया होता है और न उसकी पहचान .. क्‍यूंकि आलेख और टिप्‍पणियों के माध्‍यम से व्‍यक्तित्‍व के बारे में थोडी पहचान तो मिल ही जाती है .. पर सबों के बारे में अधिक जानकारी भी नहीं है .. अर्श जी के बारे में जानकर बहुत अच्‍छा लगा।

vandana gupta said...

arsh ke bare mein jankari aapne di .........jo nhi pata tha wo bhi bata diya.vaise unki rachnayein to hoti hi lajawab hain.aabhar.

पंकज सुबीर said...

अर्श के साथ एक पूरा दिन मैंने दिल्‍ली में बिताया है और मैंने ये जाना कि अर्श ब्‍लाग पर जितनी मुखर टिप्‍पणियां करता है उतना मुखर वैसे नहीं है । मितभाषी और सौम्‍य अर्श पहली ही बार मिलने पर ऐसा लगा कि बरसों से मिलते आ रहे हैं । अर्श में एक बात जो सबसे अच्‍छी मुझे लगी वो ये कि उसे आदर देना खूब आता है । और यही वो गुण है जो उसे दूसरों से अलग करता है । जहां तक अर्श के लेखन का सवाल है तो दिनों दिन उत्‍तरोत्‍तर प्रगति साफ दिखाई दे रही है । दरअसल में साहित्‍य में भी ग्राफ होता है, और मायने तभी होते हैं जब आपका ग्राफ आपकी रचनाओं के स्‍तर का ग्राफ दिनों दिन ऊपर की ओर जा रहा हो । साहित्‍य में रातों रात कुछ नहीं होता । यहां पर एक धीमी प्रक्रिया है जो चलती तो बहुत धीमी गति से हैं किन्‍तु रुकती नहीं है । यदि आप ईमानदारी से कार्य कर रहे हैं तो आपका ग्राफ ऊपर की ओर जायेगा ही । अर्श एक संवेदनशील प्राणी है और छोटी छोटी बातों को संवेदना के स्‍तर पर देख्‍ता है । संवेदनशील होना साहित्‍य का पहला गुण होता है । अर्श की ग़ज़लों में जो अचानक कुछ चौंकाने वाले शेर आ जाते हैं वो इसी संवेदना की उपज होते हैं । अर्श की ग़ज़लें एक अलग दुनिया के भाव लेकर आती हैं । वो दुनिया जहां पर एक नितांत अकेला व्‍यक्ति सन्‍नाटे में बैठा अपने लिये निर्धारित स्‍पेस के शून्‍य को देख रहा है । कुछ ध्‍वनियां ऐसी भी हैं जो उस क्षेत्र को रिप्रसेंट करती हैं जहां से अर्श है । हालंकि अर्श की ग़ज़लों में या कविताओं में वहां के स्‍वर बहुत मद्धम हैं जो उसकी मातृभूमि है । सीखने की एक उत्‍कट ललक मैंने अर्श में देखी है । वस्‍तुत: ये ललक ही होती है जो हमें उत्‍तरोत्‍त्‍र आगे रखती है । एक प्रक्रिया है जो आजीवन चलती है जिसको सीखना कहते हैं । जिस दिन हम सीखना बंद कर देते हैं उस दिन हम ठहर जाते हैं या मैं जिसे अक्‍सर कहता हूं कि जिस दिन हम सीखना बंद कर देते हैं उस दिन हम मर जाते हैं । क्‍योंकि उसी दिन से हम संचित कोष पर जीना प्रारंभ कर देते है । अर्श में सीखने को लेकर जो उत्‍साह है वो मुझे बहुत प्रभावित करता है 1 जिस घटना का आपने जिक्र किया है उस घटना का मैं भी साक्षी रहा हूं और मेरे लिये वो एक अलग ही अनुभव था मुझे गांधी जी का सत्‍याग्रह याद आ गया था । विनम्रता, सौजन्‍यता ऐसे गुण हैं जो आजकल बाजार में बहुत महंगे दामों पर मिलते हैं या मिलते ही नहीं है, मेरे विचार में अर्श को इन गुणों की दुकान खोलनी चाहिये क्‍योंकि उसके पास तो इन गुणों का अच्‍छा खासा स्‍टाक है । मेरी शुभकामनाएं इस नौजवान के प्रति हैं । ये साहित्‍य में ऊंचा मकाम बनाये और आसमान को छुए । अर्श को शुभकामनाएं और आपका आभार इतनी अच्‍छी जानकारी देने के लिये ।

निर्मला कपिला said...

सुबीरजी आपका बहुत बहुत धन्यवा्द मै कोई सहित्यकार नहीं हूँ इस लिये मुझे लग रहा था कि उसके बारे मे बहुत कुछ कहना रह गया है इसे आप्ने पूरा करके मुझ पर उपकार किया है यही एक अच्छे गुरू की पहचान है कि अपने शिष्य को उत्साह और प्यार दे आपका बहुत बहुत धन्यवाद्

कंचन सिंह चौहान said...

अर्श को जानती तो थी मगर पहचाना इस पोस्ट के माध्यम से...! बहुत बहुत धन्यवाद आपाका...! और अर्श के उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाए..!

राज भाटिय़ा said...

बहुत सुंदर लगा अर्श के बारे पढ कर, गजले तो हम ने पढी, ओर टिपण्णीयां भी बहुत आती है, ओर इन सब से ही जाना कि अर्श बहुत प्यारा दोस्त है, लेकिन आज आप ने जब उस के बारे लिखा तो मेने उसे अपने दिल के ओर भी करीब पाया, उम्र मै मेरे से छोटा है, लेकिन गुणो की खान है, अब जरुर मिलूगां .
आप का धन्यवाद

रविकांत पाण्डेय said...

अर्श के बारे में विस्तार से जानना सुखद अनुभव है। अर्श की सबसे बड़ी खासियत है कि बात करते ही आपको अपनत्व का अनुभव होता है।

रंजना said...

आपने सच कहा,विपरीत परिस्थितियों में अपने हिम्मत और मेहनत के बल पर सफलता के मार्ग पर चलने वालों के जीवन चरित्र बहुत ही उत्साह और हौसला देते हैं..

बड़ा अच्छा लगा अर्श जी के बारे में जानकार....बहुत दुआएं निकली उनके लिए...

आपका प्रयास सराहनीय है.

रंजन (Ranjan) said...

्बहुत अच्छा लगा अर्श के बारें में जानकर.. उन्हे शुभकामनाऐं..

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

अर्श जी के बारे में जानना वाकई में बहुत सुखद रहा.....किसी ने बिल्कुल ठीक कहा है कि "प्रतिभा संसाधनों की मोहताज नहीं होती" और इन्होने सचमुच इस वाक्य को सच सिद्ध कर दिखाया है. इनके बारे में बताने के लिए आपका भी बहुत धन्यवाद.

hem pandey said...

अर्श जी को पढ़ना, अर्श की टिप्पणि पढ़ना तो सुखद था ही आज अर्श के बारे में पढ़ना भी सुखद रहा.

Yogesh Verma Swapn said...

nirmala ji arsh mere se bhi chat karta rahta hai, itni jaankari to mujhe bhi nahin hai, han ek baat hai bete ke baare men man nahin janegi to kaun janega. jaankari ke liye sadhuwaad. aur arsh ke liye dheron shubh kaamnaayen, may god bless him .

"अर्श" said...

मैं इस कदर तो नहीं के कुछ कह पाऊँ , ना ही ऐसी कोई विशेषता है मेरे में ..
हाँ मैं एक साल से ही इस ब्लॉग जगत में हूँ और इस ब्लॉग ने मुझे इतना कुछ दिया है के इस का एहसान टा-उमरा नहीं चुका सकता , सही कहा है विजय जी ने , हाँ इस ब्लॉग ने मुझे एक माँ दिया है और आज अपने आपको मैं दुनिया का सबसे खुशनसीब इंसान समझता हूँ के मेरे पास दो माएं है जो मुझे खुद से जिदाह प्यार करती है ..इन दोनों का आर्शीवाद है मेरे पास सबसे ताकतवर इंसान हूँ आज मैं..
इन दोनों का प्यार और आर्शीवाद संभाल सकूँ यही इश्वर से प्रार्थना करता हूँ , ये दुआ के ऊपर वाला इनको लम्बी ऊपर और स्वस्थ दे ...
ब्लॉग में मुझे मेरा साहित्य मिला मेरी ग़ज़ल मेली और सच कहूँ तो शयद मैं खुद को धुंध पाया मेरे परम श्रधेय गुरु देव श्री पंकज सुबीर जी को ,...
आज अगर मैं कुछ कह पाटा हूँ अपने ग़ज़लों के जरिये तो ये सारा का सारा श्रेय गुरु जी को ही जाता है ... उनके आर्शीवाद से ही फलीभूत हुआ हूँ .... और उमरा भर सिखने की इक्षा रखता हूँ ... मेरे तो धन्य भाग के उनसे मेरी मुलाक़ात भी हुई एक बारी देल्ली में ही जब उन्हें साहित्य का ज्ञानपीठ पुरस्कार से नवाजा जा रहा था... उनसे मुलाक़ात कराने का श्रेय मेरे गुरु भाई वीनस जी को जाता है फिर तो और भी मेरे गुरु भाई मिले जैसे गौतम जी , रवि कान्त जी और एक गुरु बहन भी जो मानसी जी है ...
भाटिया जी , रश्मि जी , रंजना जी, सुब्रमनियम जी,संगीता जी , वन्दना जी,रंजन जी , वत्स साहिब,हेम पाण्डेय साहिब,और ब्लॉग में ही मिले मेरे तऊ जी श्री स्वप्न जी ,और समीर लाल जी आप सभी का धन्यवाद क्या करूँ और कैसे करूँ ये समझ नहीं आ रहा है ... अंत में माँ को और गुरु देव को सादर चरण स्पर्श करता हूँ और के कामना करता हूँ के इनका हाथ हमेशा मेरे सर पे रहे ... और इनकी कुशलता की हमेशा ही कामना करता हूँ...

आप सभी का

अर्श

शेफाली पाण्डे said...

jankaree dene ka shukriya...

दिगम्बर नासवा said...

ब्लोगिंग जगत में अर्श जी को कोई नहीं जनता होगा.....ऐसा लगता नहीं...........अच्छे लोग और उनकी अच्छाई हमेशा फैलती है.......भगवान् उन्हें नयी से नयी ऊंचाई दें ............ऐसी दुआ है हमारी

manu said...

अर्श भाई के बारे में और और ज्याद जाना आपके ब्लॉग के जरिये....बड़ा ही अच्छा लगा

उनके गाँव के बारे में तो मालूम ही था पर और इतनी नयी नयी बातों का पता लगा ....
अक्सर ही बात होती है पर ये मालूम नहीं था के इन्हें संगीत का भी ज्ञान है....और सबसे बड़ी बात के जन्मजात ज्ञान है....
ब्लॉग पर ही बॉडी स्ट्रक्चर से इनकी फिटनेस का तो अंदाजा था ....
पर बाकायदा पहलवान हैं ..ये आज ही मालूम हुआ..... ( एक बार थोडा डर भी लगा था..)
फिर अपनी सभी पुरानी टिप्पणिया याद की हमने....तो पाया के इन्होने हमेशा अच्छा ही लिखा है...और हमने हमेशा अच्छी ही टिपण्णी दी है इन्हें....
अतः मिलने में कोई डर वाली बात नहीं है....
साथ ही ये भी सोचा के क्या मिलकर इस शर्मीले इंसान को हम राजी कर सकेंगे अपनी गजल सुनाने के लिए.....
पर इसमें दो राय नहीं है के इस तरह से संघर्ष कर न केवल इतना आगे आना, बल्कि हर किसी का दुलारा बन जाना...अर्श के ही बस की बात है,,,
विनम्रता , जो आज कल के वक्त में एक गैर जरूरी बात समझी जा रहहि है...अर्श की सबसे बड़ी खासियत लगती है...
इस प्रेरक लेख के लिए धन्यवाद निर्मला जी,,,,,,

प्रिया said...

blogging ki duniya mein aisa logon se mulakaat hogi.. socha bhi nahi tha..... Jab first time arsh ke blog par gai... tab unki gazlon ne bahut prabhavit kiya... itni kam age mein itni achchi gazal likhte hain.... jaise koi behad experience vyakti.... Shayad lucky hoon ki blogger bananey ke baad buddijiviyon ke samooh se hi vasta pad gaya.... Hats off you " Arsh". May god give you health, happiness, success, love, peace and prosperity

pran sharma said...

ARSH JEE KAA JAESA VYAKTITV HAI
VAESAA HEE KRITITV.UNMEIN GAZAL
KAHNNE KEE LAGAN HAI.MUJHE KHUSHEE
HOTEE HAI JAB MAIN DEKHTA HOON KI
SHRI PANKAJ SUBEER JEE KE MARG-
DARSHAN MEIN ARSH JEE NE SHER KAHNE
MEIN BAHUT ZIADA UNNTI KEE HAI.SAB
KE PRATI UNKAA AADARBHAAV BHEE
ULLEKHNIY HAI.ISEELIYE HAR EK KEE
RACHNAA PAR COMMENTS DENE MEIN
KANJOOSEE NAHIN KARTE HAIN.
MAIN SHREE ARSH JEE KE UJJWAL
BHAVISHYA KEE KAAMNAA KARTAA HOON.
RACHNAAKAARON KO PRAKASH MEIN
LAANE KAA KARYA PRASHANSIY HAI.
AAPKO NAMAN.

Prakash Badal said...
This comment has been removed by the author.
Prakash Badal said...

जिसका नाम पहले प्रकाश हो और बाद में अर्श तो भला वो व्यक्ति कैसे तरक्की नहीं करेगा। प्रकाश तो दूसरों को रोशनी देता है और अर्श हमेशा ऊँचे उठने वाली चीज़ ही हो सकती है। आपने अर्श जी के बारे में विस्तार से बताया आपका आभार! अर्श भाई को मेरा भी सलाम!

गौतम राजऋषि said...

अर्श जी को इतने करीब से जानना...अहा!
इस संवेदनशील शायर की जिद और ग़ज़ल पे अद्‍भुत पकड़ का तो शुरू से कायल रहा हूँ मैं। आज इतना कुछ जानने को मिला...निर्मला जी आपने हम पर बड़ा उपकार किया, जिसके लिये हम ऋणि हो गये आपके।
एक बार की बात याद आती है...अर्श भाई की ग़ज़ल के एक काफ़िये पर मैंने कुछ प्रश्न खड़े किये तो जवाब में अर्श भाई ने इतने नामचीन शायरों की ग़ज़लें उदाहारणस्वरूप प्रस्तुत कर दिया कि मैं तो हैरान रह गया...
और फिर उस अनशन वाली बात का तो मैं भी गवाह हूँ। अर्श भाई को इतना भावुक देखकर मैंने गुरू जी के पाँव पकड़ लिये।
इस ब्लौग-जगत की बदौलत सचमुच कुछ बहुत ही अच्छे लोगों से रिश्‍ता जुड़ गया और अर्श-अपना भाई ऐसा ही है, जिसके खुदा तुझे शुक्रिया,,,

तुम्हें बहुत-बहुत शुभकामनायें अर्श...!!!!

नीरज गोस्वामी said...

निर्मला जी आपने हम सब पर बहुत उपकार किया है जो अर्श के उस पक्ष से रूबरू करवा दिया जो अब तक अनजाना था...अर्श शुरू से ही मेरा बहुत प्रिय रहा है...उसकी स्नेह सिक्त टिप्पणिया मेरी हर रचना की शोभा बढाती रहीं है...उसका ग़ज़ल प्रेम अनुकरणीय है...अब उसके बारे में पढ़ कर उसके प्रति आदर और भी बढ़ गया है...फर्श से अर्श तक की उसकी ये कहानी सबके लिए प्रेरणा का स्तोत्र है...
इश्वर से प्रार्थना है की उसे वो सबकुछ मिले जिसकी उसे चाह है...वो खूब लिखे और बहुत नाम कमाए...आमीन...
नीरज

Alpana Verma said...

प्रकाश जी के बारे में उनकी टिप्पणियों के ज़रिये ब्लॉग जगत में लगभग हर कोई जनता है,लेकिन उनके बारे में और अधिक आप के ज़रिये आज मालूम हुआ.आप का आभार.
अर्श जी को भी बधाई और शुभकामनायें जिन्होंने इन सभी मुश्किलों में भी अपना एक मुकाम बना पाने के लिए.बेशक उनके पिताजी ही उनके आदर्श रहे होंगे.
उनकी ग़ज़लों में कई ख्याल नए और अद्भुत मिले हैं जिनसे उनकी संवेदनशीलता और रचनात्मकता का परिचय मिलता है.संगीत में उनकी रूची है यह मालूम था मगर उनकी उपलब्धियों का पता नहीं था.गायकी के टिप्स देते हुए मेरा भी कई बार उन्होंने मार्गदर्शन किया है.उनकी आवाज़ में उनकी ग़ज़लों /गीतों को जरुर सुनना चाहेंगे.वह साहित्य जगत में भी अपना खूब नाम करें.ब्लॉगजगत के इस होनहार ब्लॉगर को मेरी शुभकामनायें.

Anonymous said...

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