25 March, 2009


( कुछ मन की )

बहुत दिन बाद कुछ समय निकाल पायी हूँ आप लोगों के
बीच आने का इतने दिन आप सब के बीच न होने से लगता था
जेसे कहीं कुछ अधूरा सा है1पारिवारिक व्यस्तताओं के बीच कुछ
भी दिमाग मे नहीं रहा कि क्या लिखूं इस लिये सब से पहले आप
सब का धन्यवाद करना चाहती हूँ कि आपने मुझे जीने की एक राह
दिखा दी है जहँ मै किसी भी दुख को आप सब के स्नेह से भूल
सकती हू मन कुछ परेशान है मेरे पतीदेव ने मुझे जबर्दस्ती नेट पर्
बिठा दियाहै मैने कहा कि मेरा दिमाग कुछ काम नहीं कर रहा क्या लिखूं
वो कहने लगे चाहे कुछ भी ना लिखो सब की पोस्ट पढो तो अपने आप
दिमाग चलने लगेगा अगर सच कहूं तो जो कुछ भी मै लिख पाती हूं वो
उनकी प्रेरणा से ही लिख पाती हूं1वो हर मुश्किल अपने उपर ले लेते हैं
वो चाहते हैं कि मै बस लिखने मे ही व्यस्त रहूँ1ये सच है कि वो मुझ से
स्ट्रांग हैं1हाँ तो मै कह रही थी कि आप लोगों ने जो मुझे स्नेह और उत्साह
दिया है वो अनमोल् है और मेरे लिये जीने का सहारा है1मेरा ये नया परिवार
सदा फलता फूलता रहे1आपस मे प्रेम और भाईचारा बना रहे इसी कामना के
साथ आप सब को नमन करती हूं
हां इस बीच एक सुखद घटना आपको बताना चाहती हूं कि मुझे एक ऐसे
सरकारी विभाग मे जाने का अवसर मिला जहां मुझे बहुत अच्छे लोग तो मिले
ही वहाँ बिना पैसा दिये हर काम सहज ढंग से हो गया मै प्रसार भारती मे
एक् कहानी की रिकार्डिंग के लिये अकाशवाणी जालंधर् गयी थी हैरानी की बात
ये है कि बिना किसी सिफारिश के मुझे बुलाया गया था वहां की इंचार्ज डा़ . रश्मि
खुराना जी ने बहुत ही प्यार से हमारा काम करवाया बाकी सभी करमचारी भी
बोलचाल मे अच्छे थे1 ये सब इस लिये लिख रही हूं कि पंजाब मे ये पहला विभाग है
जहां पैसे और सिफरिश के बिना काम होता है1बुराई की निन्दा करना अगर जरुरी है
तो अच्छाई का जिक्र भी करना चाहिये1खुशी है कि अच्छाई अभी जिन्दा है

11 comments:

अनिल कान्त said...

बात तो सही कही आपने अच्छाई का जिक्र भी जरूरी है

मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति

mamta said...

ब्लॉगिंग परिवार की यही तो खासियत है । :)

बस अब आप नियमित रूप से लेखन शुरू कर दीजिये ।

"अर्श" said...

NIRMALA JI NAMASKAAR,
MAIN BHI ITNE DIN SE PARESHAAN THA KE AAP KAHAN HAIN AUR KIS HAALAAT ME HAI.. KYUN KE BAHOT DINO SE MERE GHAR PE AAPKA AANA NAHI HUA... MAIN PARESHAN CHUKI AAPKA KOI CONTACT NO...? NAHI THA TO CALL NAHI KAR PAAYA... JAHAN TAK ACHHE LOGON KI BAAT HAI TO WO TO ABHI BHI HAI AUR YE KAHUN KE SIRF UNHI KUCHH ACHHE LOGON SE YE DUNIYA CHAL RAHI HAI TO GALAT NA HOGA... AUR YE BHI MAANTA HUN KE UNHE CHND ACHHE LOGON ME AAP BAHI HAI ... AAPKI KUSHALATA KI KAAMANA KARTA HUN..

ARSH

शोभित जैन said...

bahut khushi hui apko kafi dino baad phir se padhkar ... par iska shrey apke patidev ko bhi jata hai... unhe bhi hum sabhi bloggers ki aur se shukriya.... (Abhi abhi shefali ji ki post padhi hai isliye aaj ka comment apke patidev ke naam kar diya...aap bhi padhen http://shefalipande.blogspot.com/2009/03/blog-post_24.html )

Vinay said...

ख़ुशामदीद!

---
चाँद, बादल और शाम
गुलाबी कोंपलें

Yogesh Verma Swapn said...

bilkul sahi kaha aapne

achhai ki tareef honi hi chahiye.

P.N. Subramanian said...

हम लोग सौभाग्यशाली हैं. सबसे बड़ी बात यह की आपने लिखना पुनः प्रारंभ कर ही दिया. शुभकामनायें.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

दुनिया में हैं बुरे बहुत,

पर बाकी अब भी सच्चे हैं।

काँटों की फुलवारी मे,

खिलते कुछ गुल भी अच्छे हैं।

राज भाटिय़ा said...

बहुत सुंदर लगा आप क लेख, बाकी दुनिया मै अच्छे लोग भी है मुझे भी कई बहुत अच्छे लोग मिले, जिन की अच्छाई से मेने अपनी गलतिया दुर की, ओर जो गलत लोग मिले उन्हे भूलता गया.
अगर आप को कोई ऎसी सोच है जिसे बांट कर दिल का बॊझ हलका हो सकता हो तो उसे अपने पति देव की सलाह से यहां लिख दे... क्योकि ज्यादा सोचने से परेशानी कम नही होती.बांट लेने से परेशानी तो कम नही हो सकती लेकिन दिल का बोझ थोडा कम हो जाता है, ओर कभी कभी कोई राह भी दिखा देता है.
धन्यवाद
धन्यवाद

hem pandey said...

'ये पहला विभाग है
जहां पैसे और सिफरिश के बिना काम होता है1बुराई की निन्दा करना अगर जरुरी है
तो अच्छाई का जिक्र भी करना चाहिये1खुशी है कि अच्छाई अभी जिन्दा है'

-ऐसे टापू भी कभी कभार मिल जाते हैं. जरूरत है ऐसे मैदानों की.

पूनम श्रीवास्तव said...

Adarneeya Nirmala ji,
kafee dinon bad apka blog padhne ko mila ..ek achchhai ke jikra ke sath ..bahut achchha laga.
Poonam

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