ग़ज़ल - प्राण शर्मा
घर में किसी के धूम मचाती है ज़िन्दगी
जब पहली बार रूप दिखाती है ज़िन्दगी
रोती है कभी हँसती - हँसाती है ज़िन्दगी
क्या - क्या तमाशे जग को दिखाती है ज़िन्दगी
कोई भले ही कोसे उसे दुःख में बार - बार
हर शख्स को ए दोस्तो भाती है ज़िन्दगी
दुःख का पहाड़ उस पे न टूटे ए राम जी
इन्सां की जान रोज़ ही खाती है ज़िन्दगी
खुशियो , न जाओ छोड़के उसको कभी भी तुम
घर - घर में हाहाकार मचाती है ज़िन्दगी
हमने हज़ार मिन्नतें माँगी तो ये मिली
मुश्किल से कभी हाथ में आती है ज़िन्दगी
ए " प्राण " कितना खाली सा लगता है आसपास
जब आदमी को छोड़के जाती है ज़िन्दगी
घर में किसी के धूम मचाती है ज़िन्दगी
जब पहली बार रूप दिखाती है ज़िन्दगी
रोती है कभी हँसती - हँसाती है ज़िन्दगी
क्या - क्या तमाशे जग को दिखाती है ज़िन्दगी
कोई भले ही कोसे उसे दुःख में बार - बार
हर शख्स को ए दोस्तो भाती है ज़िन्दगी
दुःख का पहाड़ उस पे न टूटे ए राम जी
इन्सां की जान रोज़ ही खाती है ज़िन्दगी
खुशियो , न जाओ छोड़के उसको कभी भी तुम
घर - घर में हाहाकार मचाती है ज़िन्दगी
हमने हज़ार मिन्नतें माँगी तो ये मिली
मुश्किल से कभी हाथ में आती है ज़िन्दगी
ए " प्राण " कितना खाली सा लगता है आसपास
जब आदमी को छोड़के जाती है ज़िन्दगी
कुछ लोगों ने मुझसे हाइकु के बारे मे पूछा है। मैं खुद को अभी इस काबिल नही मानती कि हाईकु का व्याकरण बता सकूँ लेकिन आप इस विषय पर यहाँ सम्पर्क कर सकते हैं__--
http://hindihaiku.wordpress.com/author/rkamboj/hindihaiku@gmail.com
rdkamboj@gmail.com
60 comments:
नमस्ते आंटी जी!
वाकी में जीवन का सच दिखाती ये ज़िन्दगी!
बहुत ही सोणी रचना लिखी है!
.
इस जिन्दगी की ग़ज़ल में प्राणों का संचार करती रचना. बहुत करीब आकर इस ग़ज़ल ने अपने भीतर समेट लिया ज़िंदगी का सबकुछ.
.
जीवन बना रहे और उसका उत्साह भी।
जिंदगी पर दार्शनिक मनोभावों के साथ उम्दा ग़ज़ल . आभार.
प्राण साहब की बेहतरीन गजल पढ़ाने के लिए आभार.
शानदार ग़ज़ल!
ऐ प्राण कितना खाली सा लगता है आसपास,
जब आदमी को छोड़ के जाती है ज़िंदगी।
शायर के तख़ल्लुस ‘प्राण‘ शब्द ने शेर के भाव को द्विगुणित कर दिया है।
ज़िदगी के विविध रंगों से परिचय कराती अच्छी ग़ज़ल।
जीवन की अहमियत और उसके अंतिम सत्य म्रत्यु की भावपूर्ण प्रस्तुति... बहुत सुन्दर रचना..
zindagi ko chitrit karti gazal... pran sharma ji ko badhaai
भावपूर्ण प्रस्तुति... बहुत सुन्दर रचना..
अच्छी ग़ज़ल पढवाने के लिए आभार आपका !
बहुत ही सुन्दर भावमय करते शब्द ।
जीवन की वास्तविकताओं से रुबरु करवाती सार्थक अभिव्यक्ति ...शुक्रिया आपका
बेहतरीन गजल पढ़ाने के लिए आभार.
Di ek nayee film ka naam yaad aa gaya
"ye saali jindagi".......:)
सुंदर भावपुर्ण रचना के लिए आभार
काई भले ही कोसे उसे दुःख में बार बार
हर शख्स को ए दोस्तो भाती है जिन्दगी।
शानदार गजल। आभार।
आम जिन्दगी का सही खाका है.
प्राण जी की यह गज़ल बहुत अच्छी लगी.
बहुत सुंदर..!!
अत्यंत भावपूर्ण और सशक्त गजल. शुभकामनाएं.
रामराम.
जिंदगी का पाठ पढ़ाती , सुन्दर ग़ज़ल ।
बेहतरीन गजल !
बेहतरीन और भावपूर्ण गजल.
बहुत सुन्दर अहसास आपकी इस रचना में मौजूद है । आभार...
जिंदगी के सभी रंगो की छ्टा बिखेरती, खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
सादर,
डोरोथी.
बहुत खूब ग़ज़ल.
sundar gazal...
बेहतरीन गजल
बहुत ही खूबसूरत और गहरे अहसासात से भरी एक निहायत ही उम्दा गज़ल ! वसन्त पंचमी की आपको हार्दिक शुभकामनायें !
बहुत सुंदर लगी यह गजल धन्यवाद
बहुत सुन्दर.....प्रेरणा देती कविता.
बेहतरीन ग़ज़ल.....
बहुत सुंदर लगी यह गजल धन्यवाद|
वसन्त पंचमी की आपको हार्दिक शुभकामनायें|
बहुत खूबसूरत गजल..
प्राण भाई साहब की गज़ल हमेशा ही लाजबाब होती है...हम तो बस पढ़कर लुत्फ लेते हैं.
बहुत आभार आपका.
जिन्दगी पर लिखे गए सारे ही शेर नायाब हैं, बधाई।
बहुत सुन्दर गज़ल है. गज़ल के विषय में प्राण जी का कोई जवाब ही नहीं.
रूपसिंह चन्देल
आपको वसंत पंचमी की ढेरों शुभकामनाएं!
सादर,
डोरोथी.
मतले से मकते तक ज़िन्दगी के बेहतरीन रंग दिखाती हुई गुरुदेव प्राण शर्मा जी की ये ग़ज़ल अद्भुत है. ऐसी कमाल की ग़ज़ल उस्ताद ही लिख सकते हैं...
नीरज
हर पंक्ति में जीवन दर्शन है । प्राण जी की गजलें बेमिसाल हैं।
आभार।
ज़िंदगी के ये इम्तिहान मानो ज़रूरी हैं ज़िंदगी के लिए!
aadarniy mam
bahut hi sateek aur jidgi ki bharpur vykhya karti gazal bahut hi behatreen lagi.
idhar kafi aswasthta ke karan bahut dino se net par na aa saki .abhi bhi puri tarah theek nahi hun. koshish karungi ki thpdi himmat juta kar aap safke pass pahunch sakun.
dhanyvaad----
poonam
एक अच्छी ग़ज़ल पढ़वाने के लिए धन्यवाद।
बहुत ही सुंदर प्रस्तुति....
आपको वसंत पंचमी की ढेरों शुभकामनाएं!
बहुत उम्दा गजल!
बसन्तपञ्चमी की शुभकामनाएँ!
आदरणीय प्राण जी की ग़ज़ल पढ़वाने के लिए
आदरणीया निर्मला मौसीजी आपका हृदय से आभार !
बहुत श्रेष्ठ ग़ज़ल है … एक एक शे'र काबिले-तारीफ़ है ।
बसंत पंचमी की हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
अत्यंत भावपूर्ण और सशक्त गजल.
एक अच्छी ग़ज़ल पढ़वाने के लिए धन्यवाद।
Behatrin Gazal Mata ji,
bahut-2 badhai.
कल है तेदीिवेय्र डे मुबारक हो आपको एक दिन पहले
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Happy Teddy Vear Day
वसन्तोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ.
प्राण जी बहुत अच्छी ग़ज़लें कहते हैं. यह ग़ज़ल भी सुंदर है.
मुश्किल से कभी हाथ आती है जिंदगी ...
वाह जिंदगी !
बहुत अच्छी गजल जिंदगी की पढने को मिली ..माँ जी आपका आभार
बहुत सुन्दर रचना...
वाह रे ज़िंदगी...
बहुत अच्छी गज़ल
हाइकू जापानी भाषा का एक छन्द है.......................सबसे छोटी३्
कविता
मैं वृक्ष हूँ। वही वृक्ष, जो मार्ग की शोभा बढ़ाता है, पथिकों को गर्मी से राहत देता है तथा सभी प्राणियों के लिये प्राणवायु का संचार करता है। वर्तमान में हमारे समक्ष अस्तित्व का संकट उपस्थित है। हमारी अनेक प्रजातियाँ लुप्त हो चुकी हैं तथा अनेक लुप्त होने के कगार पर हैं। दैनंदिन हमारी संख्या घटती जा रही है। हम मानवता के अभिन्न मित्र हैं। मात्र मानव ही नहीं अपितु समस्त पर्यावरण प्रत्यक्षतः अथवा परोक्षतः मुझसे सम्बद्ध है। चूंकि आप मानव हैं, इस धरा पर अवस्थित सबसे बुद्धिमान् प्राणी हैं, अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि हमारी रक्षा के लिये, हमारी प्रजातियों के संवर्द्धन, पुष्पन, पल्लवन एवं संरक्षण के लिये एक कदम बढ़ायें। वृक्षारोपण करें। प्रत्येक मांगलिक अवसर यथा जन्मदिन, विवाह, सन्तानप्राप्ति आदि पर एक वृक्ष अवश्य रोपें तथा उसकी देखभाल करें। एक-एक पग से मार्ग बनता है, एक-एक वृक्ष से वन, एक-एक बिन्दु से सागर, अतः आपका एक कदम हमारे संरक्षण के लिये अति महत्त्वपूर्ण है।
निर्मला कपिला जी ! बहुत सुन्दर गज़ल शेयर की आपने... आपका आभार...
khubsurat abhivyakti k liye badhai
nice take on zindagi
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