गज़ल
आज फिर से ब्लाग पर आते हुये खुशी सी महसूस हो रही है\ मै तो उमीद छोड बैठी थी कि अब शायद ऊँगली काटनी ही पडेगी । लेकिन एक दिन श्रीमति संगीता पुरी जी , [गत्यात्मक ज्योतिश वाले ]से अपनी तकलीफ कही तो उन्होंने आश्वासन दिया कि ऐसा गम्भीर कुछ नही है आप जल्दी ठीक हो जायेंगी । उनके आश्वासन से मै फिर से डाक्तर के पास जाने से रुक गयी और एक देसी इलाज शुरू किया, डरी इस लिये भी थी कि पहले एक अंगूठे मे इसी प्राब्लम के चलते उसका टेंडर कटवाना पडा था।उस देसी दवा से ही ठीक हुयी हूँ लेकिन कुछ दिन स्प्लिन्ट जरूर बान्धना पडा। बेशक ज्योतिश आपकी समस्या हल नही कर देता लेकिन कई बार ऐसे आश्वासन से आशा सी बन जाती है और आशा ही जीवन है। इतने दिनो पढा सब को लेकिन कुछ कह नही पाई लिख नही पाई। अब भी अधिक देर लिखने से अँगुली दुखने लगती है लेकिन ये भी ठीक हो जायेगी कुछ दिन मे । तो चलिये आज एक गज़ल पढिये----
1 गज़ल
न वो इकरार करता है न तो इन्कार करता है
मुझे कैसे यकीं आये, वो मुझसे प्यार करता है)
फ़लक पे झूम जाती हैं घटाएं भी मुहब्बत से
मुहब्बत का वो मुझसे जब कभी इज़हार करता है
मिठास उसकी ज़ुबां में अब तलक देखी नहीं मैंने
वो जब मिलता है तो शब्दों की बस बौछार करता है
खलायें रोज देती हैं सदा बीते हुये कल को
यही माज़ी तो बस दिल पर हमेशा वार करता है
उड़ाये ख़्वाब सारे बाप के बेटे ने एबों में
नहीं जो बाप कर पाया वो बरखुरदार करता है
नहीं क्यों सीखता कुछ तजरुबों से अपने ये इन्सां
जो पहले कर चुका वो गल्तियां हर बार करता है
उसी परमात्मा ने तो रचा ये खेल सारा है
वही धरती की हर इक शै: का खुद सिंगार करता है
अभी तक जान पाया कौन है उसकी रज़ा का सच
नहीं इन्सान करता कुछ भी, सब करतार करता है
कहां है खो गई संवेदना, क्यों बढ़ गया लालच
मिलावट के बिना कोई नही व्यापार करता है
बडे बूढ़े अकेले हो गये हैं किस क़दर निर्मल
नहीं परवाह कुछ भी उनका ही परिवार करता है )
आज फिर से ब्लाग पर आते हुये खुशी सी महसूस हो रही है\ मै तो उमीद छोड बैठी थी कि अब शायद ऊँगली काटनी ही पडेगी । लेकिन एक दिन श्रीमति संगीता पुरी जी , [गत्यात्मक ज्योतिश वाले ]से अपनी तकलीफ कही तो उन्होंने आश्वासन दिया कि ऐसा गम्भीर कुछ नही है आप जल्दी ठीक हो जायेंगी । उनके आश्वासन से मै फिर से डाक्तर के पास जाने से रुक गयी और एक देसी इलाज शुरू किया, डरी इस लिये भी थी कि पहले एक अंगूठे मे इसी प्राब्लम के चलते उसका टेंडर कटवाना पडा था।उस देसी दवा से ही ठीक हुयी हूँ लेकिन कुछ दिन स्प्लिन्ट जरूर बान्धना पडा। बेशक ज्योतिश आपकी समस्या हल नही कर देता लेकिन कई बार ऐसे आश्वासन से आशा सी बन जाती है और आशा ही जीवन है। इतने दिनो पढा सब को लेकिन कुछ कह नही पाई लिख नही पाई। अब भी अधिक देर लिखने से अँगुली दुखने लगती है लेकिन ये भी ठीक हो जायेगी कुछ दिन मे । तो चलिये आज एक गज़ल पढिये----
1 गज़ल
न वो इकरार करता है न तो इन्कार करता है
मुझे कैसे यकीं आये, वो मुझसे प्यार करता है)
फ़लक पे झूम जाती हैं घटाएं भी मुहब्बत से
मुहब्बत का वो मुझसे जब कभी इज़हार करता है
मिठास उसकी ज़ुबां में अब तलक देखी नहीं मैंने
वो जब मिलता है तो शब्दों की बस बौछार करता है
खलायें रोज देती हैं सदा बीते हुये कल को
यही माज़ी तो बस दिल पर हमेशा वार करता है
उड़ाये ख़्वाब सारे बाप के बेटे ने एबों में
नहीं जो बाप कर पाया वो बरखुरदार करता है
नहीं क्यों सीखता कुछ तजरुबों से अपने ये इन्सां
जो पहले कर चुका वो गल्तियां हर बार करता है
उसी परमात्मा ने तो रचा ये खेल सारा है
वही धरती की हर इक शै: का खुद सिंगार करता है
अभी तक जान पाया कौन है उसकी रज़ा का सच
नहीं इन्सान करता कुछ भी, सब करतार करता है
कहां है खो गई संवेदना, क्यों बढ़ गया लालच
मिलावट के बिना कोई नही व्यापार करता है
बडे बूढ़े अकेले हो गये हैं किस क़दर निर्मल
नहीं परवाह कुछ भी उनका ही परिवार करता है )
78 comments:
बहुत खुबसूरत ग़ज़ल कही है आपने मगर ग़ज़ल का मकता आपकी निराशा वादी सोंच को दर्शा रहा यही नहीं होना चाहिए रक शेर याद आ गया है अर्ज किया
दिल दे तो इस मिजाज का परवर दीगर दे,
जो रंज की घड़ी भी ख़ुशी से गुजर दे |
हर पंक्ति में गहरा अर्थ भर दिया है आपने .....सच्चाई को सामने लाती अभिव्यक्ति ....आपका आभार
दीदी नमस्कार
हमें वाकई चिंता हो रही थी
काफी दिनों से आप के दर्शन नहीं हो रहे थे| हालांकि बीच बीच में कहीं कहीं झलकें मिल तो रही थीं, पर आज आप के बारे में पढ़ कर अच्छा लगा|
आप ने क्या ग़ज़ल पेश की है, बस ये समझो कि मज़ा आ गया| 'करतार' वाली बात हो या ' मक़्ते का शेर, हर जगह आप ने कमाल किया है| प्रणाम दीदी|
निर्मला जी , ब्लड सुगर टेस्ट करवाइए ।
सुन्दर ग़ज़ल के साथ वापसी अच्छी लगी ।
निर्मला जी आप स्वस्थ होकर वापस सब के बीच है, खुशी का विषय है।
बहुत ही खूबसूरत.... बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल है... हर एक शे'अर में अलग ही बात है...
खुदा से आप के जल्द से जल ठीक होने की दुआ करता हूँ....
ab aap thik hain ... aur dua hai hamesha thik rahiye aur apni achhi achhi gazlon se hamen jodiye
निर्मला कपिला जी!
अंतर्जाल में आपकी लगातार अनुपस्थिति से ऐसा लग रहा था कि आप कुछ स्वास्थ्य संबंधी समस्या में होंगी. अब स्पष्ट हो गया. आपसे आग्रह है कि जबतक पूरी तरह स्वस्थ न महसूस करें उंगलियों पर कम से कम जोर दें. संगीता पूरी जी की विद्या ने आपको राहत दी यह अच्छी बात है. कभी-कभी ज्योतिष विद्या बहुत बड़ा संबल बन जाती है. हमारे पास विद्या नहीं लेकिन आपके लिए दुआयें ज़रूर कर सकते हैं. आप जल्द स्वस्थ और सक्रिय हो जायें यही कामना है.
ग़ज़ल अच्छी है. शेर जानदार हैं.
नहीं क्यों सीखता कुछ तजर्बों से अपने ये इन्सां
जो पहले कर चुका वो गल्तियां हरबार करता है.
यह प्रश्न मेरे मन में भी उठता रहा है. इस विषय पर अपने दो शेर सुनाना चाहूंगा
................................................................
इक ईमारत खुद बनाई और खुद ढाई गयी.
फिर वही पिछले दिनों की भूल दुहराई गयी.
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हर कोई दुहरा रहा था अहदे-माजी की खताएं
ताक पर अगले जमने का सबक रक्खा हुआ था.
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आपके स्वास्थ्य लाभ की कामनाओं के साथ....
---------देवेंद्र गौतम
तभी मैं सोच रहा था कि दिल्ली के बाद अचानक आप दिखाई क्यों नहीं दे रही हैं, एक दिन नंगल से गुजरते हुए फोन लगाने का मन हुआ था. फिर सोचा कि कहीं शादी ब्याह में वयस्त होंगी. ज्योतिष ने आपके अन्दर आशा जगाई और उसका परिणाम सुखद ही निकला. संगीता जी को शुभकामनाएं एवं आप अपना ख्याल रखे.
आपका पुनः स्वागत है।
हम तो सोच बैठे थे की आप परिवार के बाल गोपालों के साथ मगन है ,
हाथ ठीक है अब आपका , और ठीक हो जाएगा जल्दी ही ...
आखिरी पंक्ति निराशावादी ही सही , कुछ हकीकत तो है बहुत से परिवारों की ...
ईश्वर आपको शीघ्र पूर्ण स्वास्थ्य प्रदान करे !
आपको स्वस्थ देखकर अच्छा लगा .. आपने मुझसे सलाह लिया .. इसे ब्लॉग में स्वीकार किया .. यह बहुत बडी बात है .. क्यूंकि अधिकांश लोग स्वीकार करते हुए भी इस तरह की चर्चा करके पिछडों की श्रेणी में नहीं आना चाहते .. आपने गजल भी अच्छी पोस्ट की है .. एक बार फिर से अच्छे स्वास्थ्य के लिए आपको शुभकामनाएं !!
आपके ब्लाग जगत से दूर होने का एहसास निरंतर महसूस होता रहा है ... यही दुआ है आप स्वस्थ्य रहें और हमें अपनी रचनाएं पढ़ने का अवसर देती रहें ..शुभकामनाएं ।
bade dinaa baad aaye ho tussi te aandeyaan hee kamaal kar taa....
sohni gazal likhi hai jee..
अपना ख्याल रखियेगा हम तो सोच रहे थे कि घर मे बिज़ी होंगी आप मगर ये पढ्ने पर पता चला कि क्या से क्या हो गया…………वैसे गज़ल बहुत ही शानदार लिखी है मोहब्बत से शुरु करके ज़िन्दगी पर खत्म की है…………बहुत अच्छी लगी।
आप की अच्छी सेहत के लिये दुआ करता हूँ |
एहसास से भरी हुई रचना ! मैं आप जैसे शब्दों का मालिक तो नही पर अपने सरल शब्दों में मैंने भी कुछ लिखा है , समय मिलने पर जरूर देखें धन्यावाद !
बुढ़ापा
आप के लिये स्नेह ...
यहाँ
सारे गजल लाजवाब..बहुत सुंदर।
nat mastak hoon aapki naayaab gazal ke samma me...
har she'r apne aap me ek mukammal gazal hai
waah !
kya bat hai !
मिठास उसकी ज़ुबाँ में अब तलक दिखी नहीं मैंने
वो जब मिलता है तो शब्दों की बस बौछार करता है
पूरी ग़ज़ल सुंदर है परंतु ये पंक्तियाँ मुझे भरपूर संप्रेषित हुई हैं.
खूबसूरत ग़ज़ल।
आप के अंगूठे में हुआ क्या था? निस्सन्देह ज्योतिषी की काउंसलर वाली भूमिका अच्छी है। लेकिन अब ज्योतिषियों में काउंसलर कितने रह गये हैं? अधिकांश केवल पैसा बनाने का काम कर रहे हैं।
यही मांजी तो दिल पर ... बहुत ही लाजवाब शेर है ... अक्सर बीती बातें ही परेशान करती हैं उम्र भर ... लाजवाब ग़ज़ल है ... अपना ख्याल रखिए ... ..
निर्मला जी ! आशा और सकारात्मकता हमारा काफी रोग दूर कर देती है.आप जल्दी ही पूर्ण स्वस्थ हो जाएँगी.
गज़ल भी बहुत अच्छी लगी.
आप स्वस्थ रहें,यही कामना है....
ग़ज़ल की तो क्या कहूँ...लाजवाब है...
swasth rahiye aur aise hi kamaal kee rachana likhate rahiye
जीवन के यथार्थ से परिपूर्ण इन खुबसूरत गजलों के साथ ही आपकी सुखद वापसी और बेहतर स्वास्थ्य के लिये शुभकामनाओं सहित...
गज़ल रुमानियत, अध्यात्म और वर्तमान परिदृश्य पर नजर सब एक साथ समेटे हुये है। सूफ़ियाना टच लिये हुये लगी। माहिर नहीं हूँ लेकिन मुझे पहले दोनों शेर थोड़े से conflicting लगे, शायद मैं ठीक से समझ नहीं पाया।(बुरा तो नहीं मानेंगी न आप?)
स्वास्थ्य लाभ हेतु बधाई और संगीता जी तक भी हमारा धन्यवाद पहुंचे जिन्होंने आशा, विश्वास बढ़ाने में भूमिका निभाई।
बहुत ही सुन्दर गज़ल है, आप स्वास्थ्य लाभ शीघ्र करें।
उम्मीद पर दुनिया कायम है,
आप शीघ्र स्वस्थ हो मेरी यही प्रार्थना है,
आपका स्नेह बना रहे, हम पर सब पर,
आपकी उंगली जल्दी ठीक हो और आप ऐसी ही अन्य सुन्दर गजलें लिखें..
bahut sundar gazal. aapko waapas dekhkar bahut achchha laga.
बेहतरीन ग़ज़ल के साथ वापसी अच्छी लगी....... कृपया अपना ख्याल रखे स्वास्थ्य लाभ करें .....
सम्पूर्ण जीवन दर्शन है आपकी यह ग़ज़ल.... लम्बी प्रतीक्षा के बाद आपकी वापसी पर बधाई. ईश्वर करे आप सदैव swasth रहे. शुभकामनायें.
यह निश्चय ही एक कोमल रचना है.
निम्मो दी!
आज आपकी गज़लसे दो बड़ी हस्तियों की याद आयी,जिनका ज़िक्र इसमें नहीं.. पहला भाई प्राण साहब का जिनका ज़िक्र हमेशा आपकी ग़ज़लों में होता है.. और दूसरा समीर लाल जी का क्योंकि इसी मतले पर उनकी भी एक गज़ल है!!
बाकी तो आपकी तरह ही प्यारी है गज़ल..
अपना ख्याल रखिये.. मैं भी लाचार चल रहा हूँ इन दिनों!!
बहुत खूबसूरत गज़ल लायीं हैं आप ... जल्दी ही आप स्वस्थ हों यही कामना है .
बाकी सब सपने होते हैं...
अपने तो अपने होते हैं...
(आप के साथ इतने अपनों की दुआएं हैं. आपके साथ नाइंसाफ़ी भला कैसे हो सकती है...)
जय हिंद...
बहुत ही खूबसूरत.... बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल. हर शेर लाजवाब. ब्लॉग पर पुन्ह आगमन पर स्वागत.
बहुत सुन्दर गजल ....ओह तभी आप कई दिन से नहीं दिख रही थी ...आप निराशा में अच्छी नहीं लगती ..जल्दी ही ठीक हो जाए यही दुआ है ..
बहुत दिनों के बाद इतनी बेहतरीन गज़ल के साथ ब्लॉग पर आपकी आमद बेहद सुखद लग रही है निर्मला दी ! आपके हाथ में तकलीफ थी यह समाचार चिंतित कर गया ! आप जल्दी स्वस्थ हो जायें और अपने बहुमूल्य सुझावों से हमें उपकृत करती रहें यही अभिलाषा है ! अपने स्वास्थ्य का ध्यान ज़रूर रखें !
बड़ी सुन्दर ग़ज़ल कही है
आप जल्दी से अच्छी हो जाएँ और अपना ख्याल रखिए...शुभकामनाएं
स्वास्थ्य का भरपूर ध्यान भी रखिये और आशा भी। रचना अच्छी लगी।
bahut sundar gazal..vaah nirmala ji yah bhi maine naya hee dekha... aapki tippaani mere blog par achhi lagi... aapne kuch sujaav bhi diya tahedil shukriya...
क्या बात है!
इस गज़ल को सुनना और भी सुकूनदायी होता
आभार!
bahut hi sundar gazal
बढ़िया ग़ज़ल है.सभी शेर अच्छे हैं.
बेहतरीन ग़ज़ल ,मतला और मक्ता बेहद ख़ास लगे , निर्मला जी को बहुत बहुत बधाई।
सरल शब्दों में सुंदर रचना।
---------
बाबूजी, न लो इतने मज़े...
चलते-चलते बात कहे वह खरी-खरी।
सरल शब्दों में सुंदर रचना।
---------
बाबूजी, न लो इतने मज़े...
चलते-चलते बात कहे वह खरी-खरी।
स्वास्थय का ध्यान रखिये..गज़ल उम्दा है.
bahut hi sundar gajar hai aapki !mere blog par bhi aaye !aane ke liye yaha click kare- "samrat bundelkhand"
न वो इकरार करता है न वो इनकार करता है,
मुझे कैसे यकीं आये वो मुझसे प्यार करता है !
इस खूबसूरत मतले ने दिल जीत लिया !
आपकी पोस्ट चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
कृपया पधारें
चर्चा मंच
निर्मला जी,
आप हमारे पोस्ट पर आई और अपनी उंगलियों में तकलीफ होने के बाद भी आपने ‘‘बाबा जी आप जान बचाकर भागे क्यों...? का इतनी गंभीरता से मनन किया, हमारी हौसला अफजाई की इसके लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद। आपके पोस्ट पर आकर, एक प्यारी सी गजल न वो इकरार करता है पढ़कर कालेज के दिनों की यादें ताजा हो गई। आपका प्रेम हमेशा हमें प्राप्त होता रहे वहीं ईश्वर से भी हमारी प्रार्थना है कि आपकी उंगलियों की तकलीफ जल्द से जल्द ठीक हो जाए जिससे हमें भी आपके सुंदर सुंदर पोस्ट जल्दी जल्दी पढ़ने को मिलते रहे।
बहुत ही बढ़िया गज़ल है,
साभार- विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
बहुत ही बढ़िया गज़ल है,
साभार- विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
aap bahut nek dil insan hain.aap ka bura kabhi bhi nahi hoga /ham sabhi ki duaayen aap ke sath hain.
aapne ye gazal bahut sunder likhi hai aap ki lekhni chalti rahe
इक ईमारत खुद बनाई और खुद ढाई गयी.
फिर वही पिछले दिनों की भूल दुहराई गयी.
हर कोई दुहरा रहा था अहदे-माजी की खताएं
ताक पर अगले जमने का सबक रक्खा हुआ था.
saader
rachana
उपेन्द्र जी आपका ब्लाग खुल नही रहा।
अपनी ग़जल पढवाने का शुक्रिया. शीघ स्वास्थ्यलाभ की शुभकामनाएं.
... खूबसूरत.... बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल है...
Adarniya Mam,
bahut khubsurati se apne apni is gazal men prem,darshan aur adhyatma ko sanjoya hai....sach kaha hai apne.....bade budhe hi akele ho gaye hain kis kadar nirmal,nahin parvah kuchh bhi unka hi parivar karta hai....ek katu yatharth aj ke samaj ka.....
shubhkamnayen.
Poonam
मेरे खानामसाला ब्लॉग पर आपकी टिप्पणी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!
बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल लिखा है आपने! हमेशा की तरह उम्दा प्रस्तुती!
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।
bahut sundar...
SAARTHAK sheron se saji saarthak aur behad umda gajal pasand aayi.
Isiliye aapko bdhaai!
kya baat hai!!!
bahut khoobsoorat gazal.....
vaise gazal ka bhaaw aur hai lekin pehle sher sabse jayada pasand aaya..
na ikraar na inkaar.....ye dard sabhi ne bhugta hai......
chhupana bhi nahi aata, bataana bhi nahi aata, hame unse mohabbat hai jataana bhi nahi aata....
gazal bahut hi achchhi hai ,aakhri ki panktiyaan shaandaar lagi
इतनी लम्बी गज़ल के हर शेर को उम्दा बनाये रखना कमाल की बात है!
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ।
आपको फिर से सक्रिय देखना एक सुखद अनुभव है।
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।
मैं तो कहूँगा, बड़ी मादक लगी.
Bahut satik va sundar gajal...aabhar...
Bahut satik va sundar gajal...aabhar...
bahut khub likha hai...mujhe pahle 4 sher sabse zyada achchhe lage..
aur ...sab kartaar karta hai... ye bahut pasand aayi..
badhaaii... :)
बहुत सुन्दर और मर्मस्पर्शी गजल
Nirmala ji, बहुत ही खूबसूरत !!
Check my hindi poems about Love at :
http://www.belovedlife-santosh.blogspot.com.
स्मार्ट इंडियन की एक पोस्ट पर आपके बारे में जान कर चिंतित हूँ , आप अपने संक्रमण लक्षणों के बारे में लिखें ...होमिओपैथी में उपचार आसानी से संभव है, कई हाथ आगे आयेंगे !
शुभकामनायें !
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