गज़ल
गज़ल से पहले एक सूचना देना चाहती हूँ
क्यों सिर्फ दौलू है, हिन्दी विज्ञान कथा लेखक?
[कल्किआन् हिंदी मे प्रकाशित ] गॉवों में एक कहावत प्रचलित है, "माया तेरे तीन नाम, दौलू, दौलत, दौलत राम", यानि कि किसी के स्टेट्स के साथ उसका नाम भी बदलता जाता है। आज हिन्दी विज्ञान कथा के लेखकों पर विचार करते समय अनायास ही ये बात मुझे याद आई। ---डा. अरविन्द दुबे {पूरा आलेख हिन्दी कल्किआन ब्लोग पर पढें}
कल हिन्दी कल्कियान ब्लोग पर ये आलेख पढ रही थी तो विग्यान कथा मे रुची जागी। यहाँ तक मुझे लगता है कि बहु गिनती के लेखक इस बारे मे अधिक सचेत नहीं हैं । न ही पत्र पत्रिकाओं मे इसके बारे मे अधिक प्रचार प्रसार होता है। अगर कोई नया लेखक लिखने की कोशिश भी करता होगा तो पत्रिकाओं मे छपना बहुत कठिन है । अगर आप लोग विग्यान मे रुची रखते हैं और विग्यान पर साहित्य सृजन करना चाहते हैं तो आप कल्कियोन ब्लोग के लिये लिखें और वहाँ आपका मार्ग दर्शन करने के लिये और विग्यान साहित्य को नयी दिशा देने के लिये एक प्रयासरत टीम है। आप नीचे दिये गये लिन्क पर देख सकते हैं। और वहाँ से पूरी जानकारी ले सकते हैं।
इस आलेख को भी इसी ब्लोग पर पढें।
http://hindi.kalkion.com/articles
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क्यों सिर्फ दौलू है, हिन्दी विज्ञान कथा लेखक?
[कल्किआन् हिंदी मे प्रकाशित ] गॉवों में एक कहावत प्रचलित है, "माया तेरे तीन नाम, दौलू, दौलत, दौलत राम", यानि कि किसी के स्टेट्स के साथ उसका नाम भी बदलता जाता है। आज हिन्दी विज्ञान कथा के लेखकों पर विचार करते समय अनायास ही ये बात मुझे याद आई। ---डा. अरविन्द दुबे {पूरा आलेख हिन्दी कल्किआन ब्लोग पर पढें}
कल हिन्दी कल्कियान ब्लोग पर ये आलेख पढ रही थी तो विग्यान कथा मे रुची जागी। यहाँ तक मुझे लगता है कि बहु गिनती के लेखक इस बारे मे अधिक सचेत नहीं हैं । न ही पत्र पत्रिकाओं मे इसके बारे मे अधिक प्रचार प्रसार होता है। अगर कोई नया लेखक लिखने की कोशिश भी करता होगा तो पत्रिकाओं मे छपना बहुत कठिन है । अगर आप लोग विग्यान मे रुची रखते हैं और विग्यान पर साहित्य सृजन करना चाहते हैं तो आप कल्कियोन ब्लोग के लिये लिखें और वहाँ आपका मार्ग दर्शन करने के लिये और विग्यान साहित्य को नयी दिशा देने के लिये एक प्रयासरत टीम है। आप नीचे दिये गये लिन्क पर देख सकते हैं। और वहाँ से पूरी जानकारी ले सकते हैं।
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गज़ल
मेहरबानी का इजहार न कर
यूँ महफिल मे तु शर्मसार न कर
दोस्त को कुछ भी कह ले मगर
दोस्ती पर भूले से वार न कर
प्यार अगर तू जाने ही नहीं क्या है
यूँ बढ चढ के तो तकरार न कर्
जो *निर्मल * वक्त पे काम न आये
ऐसे दोस्त पर एतबार न कर
जो इन्साँ को हैवान बना दे खुद मे
तू आदत वो शुमार न कर
कौन किसी का साथ निभाए सदा
जाने वाले का इन्तज़ार न कर
इन्साँ है तो इन्सानियत निभा
महरूम वफा से संसार न कर
34 comments:
मेहरबानी का इजहार न कर
यूँ महफिल मे तु शर्मसार न कर
दोस्त को कुछ भी कह ले मगर
दोस्ती पर भूले से वार न कर
सुन्दर गजल !!!
जो इन्साँ को हैवान बना दे खुद मे
तू आदत वो शुमार न कर
बहुत खूब सुन्दर शेर
यह ग़ज़ल जिन्दगी को एक नए नज़रिए से देखने की ताक़त देती है।
दोस्त को कुछ भी कहले मगर
दोस्ती पर भूले से वार न कर
बहुत सुन्दर गजल !
इन्सां है तो इंसानियत निभा
महरूम वफ़ा से संसार न कर...
इंसानियत ही सबसे बड़ा धर्म है...
जय हिंद...
"माया तेरे तीन नाम, दौलू, दौलत, दौलतराम"
यही तो ध्रुव सत्य है! रुपये से नाम होता है पर नाम से रुपया नहीं कमाया जा सकता।
गज़ल बहुत खूबसूरत है!!
प्यार अगर तू जाने ही नहीं क्या है
यूँ बढ चढ के तो तकरार न कर्
सुन्दर अभिव्यक्ति
बधाई
बहुत सुंदर ग़ज़ल है, एक एक शैर कीमती है।
अच्छी गज़ल है यह तो।
भइया-दूज की शुभकामनाएँ!
bahut hi sunder abhivyakti ke saath ek bahut hi sunder ghazal........
JAI HIND
bahut sundar gazal kahi hai.
bhaidooj ki shubhkamnayein.
जो इन्साँ को हैवान बना दे खुद मे
तू आदत वो शुमार न कर ।।
सुन्दर गजल!!
कल्किआन के लिए हम भी कोई लेख भेजने की कौशिश करते हैं ।
"दोस्त को कुछ भी कह ले मगरदोस्ती पर भूले से वार न कर"
गजल जब आम जनों की भाषा में लिखी जाती है तो कितनी अपनी सी लगती है ना...एक शब्द में..."सुन्दर"
दोस्त को कुछ भी कह ले मगर
दोस्ती पर भूले से वार न कर
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति हर शब्द दिल के बेहद करीब आभार के साथ शुभकामनायें ।
जो इन्साँ को हैवान बना दे खुद मे
तू आदत वो शुमार न कर ।।
जबाब नही जी, बहुत सुंदर गजल.
धन्यवाद
बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल है.
हिन्दीकुंज
एक प्रभावशाली रचना......बधाई!
प्यार अगर तू जाने ही न क्या है
यूँ बढ़ चढ़ कर तकरार न क
कौन किसी का साथ निभाये सदा
जाने वाले का इंतज़ार न कर
बड़े पते की बात कह दी आपने इन पंक्तियों में...
जीवन का सत्य, छोटी छोटी बातें ..... आपने ग़ज़ल को आम इंसान से जोड़ कर लिखा है
प्यार अगर तू जाने ही नहीं क्या है
यूँ बढ़-चढ़ के तो तकरार न कर
बहुत खूब, सुन्दर ग़ज़ल का बढ़िया शेर.
दीपावली और भाई-दूज पर आपको हमारी अनंत हार्दिक शुभकामनाएं
चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com
निर्मल * वक्त पे काम न आये
ऐसे दोस्त पर एतबार न कर
वाह, बहुत सुन्दर ग़ज़ल.
..
मगर दीप की दीप्ति से सिर्फ जग में ,नहीं मिट सका है धरा का अँधेरा
उतर क्यों न आयें नखत सब गगन के,नहीं कर सकेंगे ह्रदय में उजेरा
कटेगी तभी ये अंधेरी घिरी जब ,स्वयं धर मनुज दीप का रूप आये
दीवाली मुबारक
माफ़ कीजियेगा ,सबने तारीफ़ की है किन्तु मुझे तीसरे शेर प्यार........ में मात्राएँ ज्यादा नजर आ रही हैं , वैसे ग़ज़लें मेरा विषय नहीं है न ही मैं ज्यादा जानती हूँ मगर मेरे पति शायर हैं तो ज़रा सा ज्ञान है मुझे भी
क्यों सिर्फ दौलू है हिंदी विज्ञान कथा लेखक ....वाह बहुत खूब कहा आपने ....!!
ग़ज़ल का भी हर शे'र लाजवाब है......
मेहरबानी का इजहार न कर
यूँ महफिल मे तु शर्मसार न कर
बहुत खूब ....!!
जो इन्साँ को हैवान बना दे खुद मे
तू आदत वो शुमार न कर
बहुत सुन्दर ....!!
बहुत सुंदर रचना, शुभकामनाएं.
रामराम.
वक़्त पे काम ना आये ...ऐसे दोस्त पर ऐतबार ना कर ...
इस वक़्त सच बहुत मुश्किल है किसी पर ऐतबार करना ...!!
बहुत ही सुंदर गजल, बधाई।
( Treasurer-S. T. )
जो *निर्मल * वक्त पे काम न आये
ऐसे दोस्त पर एतबार न कर,
WAH POORI RACHNA HI BEHATAREEN. BADHAI.
जिंदगी का फलसफा समझाती हुई, सरल शब्दों में गहरे अर्थ रखती हुई खूबसूरत गज़ल । भाई दूज पर यह सुंदर प्रस्तुति पढ कर बहुत आनंद मिला ।
मेहरबानी का इजहार न कर
यूँ महफिल मे तु शर्मसार न कर
ये शेर बहुत पसंद आया ....
badi pyari si gajal hai
abhar
badi pyari si gajal hai
abhar
भाई दूज की हार्दिक शुभकामनायें!
बहुत ही सुंदर और प्यारी ग़ज़ल है! बहुत अच्छा लगा! हमेशा की तरह एक बेहतरीन और शानदार पोस्ट!
आपकी गज़ल तो अच्छी है ही लेकिन आपकी अपील मे एक महत्वपूर्ण बात है ।
matle kaa se'r kyaa 4th sthaan par jaan boojh kar rakhaa hai ?
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