12 March, 2011

 दोहे

कौन बिछाये बाजरा कौन चुगाये चोग
 देख परिन्दा उड गया खुदगर्जी से लोग

लुप्त हुयी कुछ जातियाँ छोड गयीं कुछ देश \
ठौर ठिकाना ना रहा पेड रहे ना शेष

कौन करेगा चाकरी कौन उठाये भार
खाने को देती नही कुलियों को सरकार

धन दौलत हो जेब मे ,हो जाते सब काम
कलयुग के इस दौर मे  चुप बैठे हैं राम

जहाँ जिधर भी देख लो रहती भागम भाग
 देख लगे जैसे सभी चले बुझाने आग

62 comments:

  1. कौन बिछाए बाजरा . ....
    ------------

    सभी दोहे एक से बढ़ कर एक हैं,बहुत सुंदर ,आभार.

    ReplyDelete
  2. बड़े सटीक और प्रासंगिक विचार लिए दोहे..... बहुत सुंदर

    ReplyDelete
  3. धन दौलत हो जेब में,हो जाते सब काम
    कल युग के इस दौर में, चुप बैठे हैं राम

    आदरणीय निर्मला कपिला जी

    सादर प्रणाम
    दोहे सशक्त भावाभियक्ति का माध्यम है , आपके इन दोहों में जीवन के आन्तरिक और वाह्य पक्षों का बखूबी वर्णन हुआ है ....!

    ReplyDelete
  4. आज के मानव जीवन की विसंगतियों की सहज लेकिन सशक्त अभिव्यक्ति. आभार .

    ReplyDelete
  5. kya baat hai nirmala ji !is vidha ko bachane kaa zimma le kar ap ne sachchi kavitri hone ka suboot diya hai
    badhai aur shubhkamnaen !

    ReplyDelete
  6. देखन में छोटन लगे घाव करे गंभीर
    बहुत सुन्दर

    ReplyDelete
  7. मुझे तो तीसरा सबसे अच्छा लगा

    ReplyDelete
  8. कमाल के, बेहतरीन सन्देश देते दोहे लिख रहीं हैं आप ! हार्दिक शुभकामनायें !!

    ReplyDelete
  9. सभी दोहे एक से बढ़ कर एक हैं,बहुत सुंदर

    ReplyDelete
  10. bahut achhi baat kahi hai aapne nirmla aunty....
    aaj ke vartmaan parideshya mein fit baithti hai :)

    ReplyDelete
  11. सटीक दोहे ...सुन्दर प्रस्तुति

    ReplyDelete
  12. अच्छे दोहे हुए हैं.....बधाई!

    ReplyDelete
  13. आज के मानव जीवन की विसंगतियों की सशक्त अभिव्यक्ति....सटीक दोहे!!!

    ReplyDelete
  14. होली की अपार शुभ कामनाएं...बहुत ही सुन्दर ब्लॉग है आपका....मनभावन रंगों से सजा...

    ReplyDelete
  15. सजग और सामयिक दोहे सीधे मन में पैठ बनाते हैं।

    ReplyDelete
  16. आज के परिवेश में बहुत सटीक

    प्रणाम स्वीकार करें

    ReplyDelete
  17. दीदी,
    कमाल के दोहे हैं। सब एक से एक संदेश देते हुए।

    ReplyDelete
  18. सभी दोहे एक से बढ़ कर एक है……सुन्दर संदेश देते हैं।

    ReplyDelete
  19. धन दौलत हो जेब में,हो जाते सब काम
    कल युग के इस दौर में, चुप बैठे हैं राम...

    हर दोहे में एक गहरा भाव व सन्देश है.. सुन्दर रचना...

    ReplyDelete
  20. वाह जी वाह । बहुत सुन्दर दोहे लिखे हैं । बधाई ।

    ReplyDelete
  21. वाह निर्मला दी,
    सभी दोहे खूबसूरत हैं, ’धन दौलत हो जेब में, हो जाते सब काम’ वाला ’द बैस्ट’ लगा।
    शुभकामनायें।

    ReplyDelete
  22. पाचों दोहे समय की नब्ज टटोलते हुए बहुत सुन्दर.

    ReplyDelete
  23. बेहद सटीक अवलोकन। कलियुग का बेहतरीन चित्रण ।

    ReplyDelete
  24. बेहद सटीक और सामयिक, शुभकामनाएं.

    रामराम.

    ReplyDelete
  25. Waah .. lajawab dohe hain sab ... sach mein aaj raam nazar nahi aate ..

    ReplyDelete
  26. निम्मो दी! अब तो आपके दोहे सुभाषित की श्रेणी में आते जा रहे हैं. प्रेरक दोहे!!

    ReplyDelete
  27. निम्मो दी! अब तो आपके दोहे सुभाषित की श्रेणी में आते जा रहे हैं. प्रेरक दोहे!!

    ReplyDelete
  28. ..अंतिम दोहा बहुत अच्छा लगा।

    ReplyDelete
  29. ..अंतिम दोहा बहुत अच्छा लगा।

    ReplyDelete
  30. वह वह वाह क्या दोहे हैं, अच्छे लगे!

    ReplyDelete
  31. धन दौलत हो जेब में,हो जाते सब काम
    कल युग के इस दौर में, चुप बैठे हैं राम
    आप की रचना आज के युग का सत्य हे जी, सभी दोहे बहुत अच्छे लगे धन्यवाद

    ReplyDelete
  32. बहुत सुन्दर और सार्थक दोहे, जीवन मूल्यों को समझाते से ! बधाई एवं आभार !

    ReplyDelete
  33. धन दौलत हो जेब में हो जाते सब काम
    कलयुग के इस दौर में चुप बैठे है राम ...
    अभी जापना की सुनामी के दौर से बाहर नहीं निकले ..कितनी जेबों में पैसे धरे ही रह गए होंगे ...
    सभी दोहे एक से बढ़कर एक है !

    ReplyDelete
  34. सुन्दर भाव। एक ही बार में याद हो जाने योग्य।

    ReplyDelete
  35. धन दौलत हो जेब में, हो जाते सब काम।
    कलियुग के इस दौर में, चुप बैठे हैं राम।

    आजकल की परिस्थिति का बखूबी चित्रण है इन दोहों में।

    ReplyDelete
  36. धन दौलत जेब में हो जाते सब काम...

    लेकिन कफ़न में तो जेब नहीं होती...

    जय हिंद...

    ReplyDelete
  37. bahut manoranjak dhang se sach baat likh din....

    ReplyDelete
  38. बहुत बढ़िया दोहे, आज की हकीकत बयान करते..

    ReplyDelete
  39. वाह जी, बहुत बढ़िया दोहे सुनाये आपने.

    ReplyDelete
  40. व्यापक अर्थ लिए सभी दोहे . शुभकामना .

    ReplyDelete
  41. बहुत बढ़िया दोहे ...एक से बढ़कर एक ।

    ReplyDelete
  42. बहुत ही सार्थक दोहे है । विचारपरक भावाभिक्ति से सजे दोहे । आभार निर्मला जी ।

    "दो पल ना रूके वो हमेँ मुदद्तोँ से इंतजार था "

    ReplyDelete
  43. वर्तमान को परिभाषित करते..... सभी दोहे समर्थ और सुन्दर

    ReplyDelete
  44. AAKHIRI KE DONO DOHE ..SHAANDAAR & ARTHPURN ...NAMASKAAR :)

    ReplyDelete
  45. aadarniy mam
    aapki dohe ki har panktiyan sachhai se bharpur hain.ye bhi sach hai ki shayad bhagvaan bhi baithe -baithe is duniya ko tamashai banakar kalyug shabd ko charitarth karne ke liye chuuppi sadhe sab kuchh dekh kar bhi
    anjaan se bane hain .
    bahut hi yatharth-purn v- sateek abhivyakti
    bahut bahut abhinandan
    poonam

    ReplyDelete
  46. बहुत बहुत सही कहा...

    सार्थक दोहे...

    ReplyDelete
  47. बहुत सही. बहुत सुन्दर.
    घुघूती बासूती

    ReplyDelete
  48. आपकी टिपण्णी और उत्साहवर्धन के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!
    बहुत सुन्दर और शानदार दोहे! बेहतरीन प्रस्तुती!

    ReplyDelete
  49. सारे दोहे... एक से बढ़कर एक... एवं सटीक...

    ReplyDelete
  50. क्या शानदार अभिव्यक्ति है यथार्थ की .
    कबीरदासजी ने शायद इसीलिये कहा होगा
    "मन पाँचों के बस परा,मन के बस नहीं पांच
    जित भागू तित दयों लगी,जित देखूं तित आग"
    मेरे ब्लॉग 'मनसा वाचा कर्मणा'पर आपके आने का बहुत बहुत आभारी हूँ.होली की हार्दिक शुभकामनाएँ.

    ReplyDelete
  51. धन दौलत हो जेब में, हो जाते सब काम
    कलयुग के इस दौर में चुप बैठे हैं राम...

    वाह्! बेहतरीन...सब के सब एक से बढकर एक.. वर्तमान की हकीकत ब्याँ करते हुए.
    आभार्!

    ReplyDelete
  52. धन दौलत हो जेब में,हो जाते सब काम
    कल युग के इस दौर में, चुप बैठे हैं राम...

    बहुत ही गहरे भाव लिए हैं सारे दोहे.

    ReplyDelete
  53. बहुत ही बढ़िया लिखा है आपने.

    ख़ास कर

    धन दौलत हो जेब में, हो जाते सब काम
    कलयुग के इस दौर में चुप बैठे है राम

    जितनी तारीफ़ करूँ, कम है.
    आप हम जैसे लोगों के प्रेरणा स्त्रोत हैं.
    ढेरों सलाम.
    काम की व्यस्तता के चलते देर से पहुंचा .
    मुआफी चाहूंगा.

    ReplyDelete
  54. वाह्! बेहतरीन...सब के सब एक से बढकर एक

    ReplyDelete
  55. 'गागर में सागर' से लगे मोहे.
    आपके ये सटीक व सुन्दर दोहे.

    ReplyDelete

आपकी प्रतिक्रिया ही मेरी प्रेरणा है।