होली पर एक हास्य कविता
महमान
होली पर जब कभी
महमान घर आते
पत्नी खुश होती
पति मुँह फुलाते
पत्नी को उनका रुख
कभी न भाया
एक दिन उसने
पति को समझाया
एजी! अगर आप यूँ
मुँह फुलायोगे तो
मेरी होली कैसे मन पायेगी?
मेरी सहेलियों मे
मेरी इज्जत क्या रह जायेगी?
होली पर महमान
होते हैं भगवान
उन्हें देख मुँह नही फुलाते हैं
बल्कि हंस कर गले लगाते हैं
ये सुन पति मुस्कुराये
" रानी तेरा हुक्म बजाउँगा"
जब आयेगी तेरी सहेली
उसको गले लगाऊँगा
पर जब आयेगी मेरी माँ
तुझ से भी यही करवाऊँगा
महमान घर आते
पत्नी खुश होती
पति मुँह फुलाते
पत्नी को उनका रुख
कभी न भाया
एक दिन उसने
पति को समझाया
एजी! अगर आप यूँ
मुँह फुलायोगे तो
मेरी होली कैसे मन पायेगी?
मेरी सहेलियों मे
मेरी इज्जत क्या रह जायेगी?
होली पर महमान
होते हैं भगवान
उन्हें देख मुँह नही फुलाते हैं
बल्कि हंस कर गले लगाते हैं
ये सुन पति मुस्कुराये
" रानी तेरा हुक्म बजाउँगा"
जब आयेगी तेरी सहेली
उसको गले लगाऊँगा
पर जब आयेगी मेरी माँ
तुझ से भी यही करवाऊँगा
होली की आप सब को हार्दिक शुभकामनायें।
sundar kavita
ReplyDeleteहोली की बहुत बहुत शुभकामनाएं
हा हा पतिदेव बहुत चालू हैं..
ReplyDeleteपतिदेव को सिलसिला वाले गाने की पंक्तियां याद आ रही होंगी - ’सोने की थाली में..)
ReplyDeleteहा हा हा ... होली तक इसे क़ानून बना दिया जाना चाहिए... :)
ReplyDeleteहा हा हा
ReplyDeleteएक चुटकुला याद आया आज ही पढ़ा है
घर में मेहमान आने पर माँ ने खाना बनाया और सभी साथ में खाने बैठे
बेटा खाने ही वाला था तभी माँ बोली : बेटा, खाने से पहले भगवान की प्रार्थना करते हैं
बेटा: कौन सी प्रार्थना
माँ: वही जो मैं अधिकतर करती हूँ
बेटा: अच्छा, "हे भगवान! ये मुस्टंडे फिर से आ गए कब तक मैं इस सब का खाना बनाती रहूंगी"
:)
boht wadiyaa ji!!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया.... होली की हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeleteवाह, बहुत बढ़िया।
ReplyDeletehahaha bahut hi mazedaar .... holi ki shubhkamnayen
ReplyDelete.
ReplyDeleteआपकी नमकीन कविता बेहद अच्छी लगी.
आप भी एक गुजिया हमारी भी खाते जाएँ :
"भोले-भाले लिये रूप को
आई पिया लेकर टोली.
लज्जा से हो लाल स्वयं
कहती - मुझसे खेलो होली."
.
.
.
जो लाल खुद-ब-खुद हो जाये, उससे कैसे खेला जाये?
जो स्वयं कपिला कहलाये, उसपर कौन-सा रंग लगाएँ?
.
बहुत मजेदार व्यंग से भरी रचना.. होली की ढेरों शुभकामनायें...
ReplyDeleteहा हा हा बढ़िया जवाब... बढ़िया रचना...
ReplyDeleteबढ़िया है...
ReplyDeleteहास परिहास...होली के आस पास !
==============================
डॉ.चन्द्रकुमार जैन
दिलचस्प कविता. होली की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं .
ReplyDeleteवाह,अच्छी रही !
ReplyDeleteहोली की रंग भरी ढेरों शुभकामनाएँ !
उल्हास भर देनेवाला हास्य है!!
ReplyDeleteऔर मम्मी को गले लगानें में तो सीख छुपी है।
रंगो के पर्व पर शुभकामनाएँ
हा-हा-हा-हा ....इर्ष्या की हद देखो :)
ReplyDeleteहास्य के साथ संदेश भी
ReplyDeleteबहुत पसन्द आयी जी यह कविता
प्रणाम
पति ने अच्छा bargain किया है । दोनों हाथ में लड्डू । सहेलियों को गले भी लगाएगा और माँ के लिए भी स्थिति सुनिश्चित कर ली ...मजेदार कविता है।
ReplyDeletenahle pe dahla
ReplyDeleteबहुत सुंदर..!!!
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनाएँ..!!
बहुत सुन्दर कविता!
ReplyDeleteआपको एवं आपके परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनायें!
अरे वाह ! क्या कहने ? दोनों हाथों में लड्डू .पाँचों अंगुली घी में और सिर कढाई में .
ReplyDeleteहोली की आपको और सभी ब्लोगर जन को हार्दिक
शुभ कामनाएँ .
" रानी तेरा हुक्म बजाउँगा"
ReplyDeleteजब आयेगी तेरी सहेली
उसको गले लगाऊँगा..
काफी रंग में भंग मिल रही है ....:) :)
होली की शुभकामनायें
बहुत खूब ...होली की शुभकामनायें ।
ReplyDeletemai to apni patni ki sabhi saheliyon ko apna sahela bhi mantaa hun...
ReplyDeleteहाहाहा………मज़ा आ गया…………होली की हार्दिक शुभकामनायें।
ReplyDeleteपति देव के मज़े हो गए................हा हा हा.........
ReplyDeleteआदरणीय निर्मला कपिला जी
ReplyDeleteनमस्कार !
बहुत मजेदार बढ़िया जवाब... बढ़िया रचना..
बहुत पसन्द आयी कविता
ReplyDeleteरंगों का त्यौहार बहुत मुबारक हो आपको और आपके परिवार को|
ReplyDeleteकई दिनों व्यस्त होने के कारण ब्लॉग पर नहीं आ सका
बहुत देर से पहुँच पाया ....माफी चाहता हूँ..
वाह... आनन्द आ गया ।
ReplyDeleteहोली की हार्दिक शुभकामनाएँ...
बहुत सुन्दर..होली की हार्दिक शुभकामनायें!
ReplyDeleteहा हा हा सही है :)
ReplyDeleteहोली मुबारक जी !
achchha hai , holi mubaarak
ReplyDeletehappy holi didi........:)
ReplyDeleteha ha ha ha
:)) बहुत बढिया....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना!
ReplyDelete--
उनको रंग लगाएँ, जो भी खुश होकर लगवाएँ,
बूढ़ों और असहायों को हम, बिल्कुल नहीं सताएँ,
करें मर्यादित हँसी-ठिठोली।
आओ हम खेलें हिल-मिल होली।।
--
होलिकोत्सव की शुभकामनाएँ!
हा हा हा ! होली पर सभी मर्दों की यही इच्छा होती है ।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया ब्यंग| होली की हार्दिक शुभकामनायें|
ReplyDeleteसशक्त व्यंग्य ...आनंद आ गया पढ़कर ....पति और पत्नी का संवाद बहुत कुछ कह गया ...आपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeleteआप को और आप के परिवार को होली की बधाइयां और शुभकामनाएं
ReplyDeleteखामोशी भी और तकल्लुम भी ,
ReplyDeleteहर अदा एक क़यामत है जी
@ आप कितना अच्छा लिखती हैं ?
मुबारक हो आपको रंग बिरंग की खुशियाँ .
हा हा हा sss हा हा हा हा ssss
http://shekhchillykabaap.blogspot.com/2011/03/blog-post.html
बढ़िया कविता और होली के रंग के साथ. कपिला जी आपको बहुत बधाई.
ReplyDeleteआप सब को भी होली की हार्दिक मंगलकामनाएं.
ReplyDeleteहोली में रंगी बहुत बढ़िया रचना .
ReplyDeleteहोली की हार्दिक शुभकामनायें|
Ha,ha!
ReplyDeleteHolee kee dheron shubhkamnayen!
हा हा हा...हंसी रुक नहीं पा रही मेरी...अंतिम के चार लाईन पे :) :)
ReplyDelete"रानी तेरा हुक्म बजाऊंगा
जब आयेगी तेरी सहेली
उसको गले लगाऊंगा
पर जब आयेगी मेरी माँ
तुझ से भी यही करवाऊंगा
हा हा हा :) :) मस्त है ये
अब तक कविता थी, इसके आगे कहानी बन गई होगी.
ReplyDeleteवाह-वाह!
ReplyDeleteवाह-वाह!!
मन खुश हो गया।
उन्हें सुना कर आया हूं।
(मतलब अपना मुंह फुला कल लाया हूं)
हैप्पी होली दीदी!!
आप को भी होली की बहोत ढेर सारी शुभकामनाएँ
ReplyDeleteबहुत मज़ेदार ,
ReplyDeleteपति लोग तो हमेशा फ़ायदे में ही रहते हैं !
होली की शुभ-कामनाएं स्वीकार करें !
तन रंग लो जी आज मन रंग लो,
ReplyDeleteतन रंग लो,
खेलो,खेलो उमंग भरे रंग,
प्यार के ले लो...
खुशियों के रंगों से आपकी होली सराबोर रहे...
जय हिंद...
यह तो आपने आज होली पर छक्का मारा है सीधा बाउंड्री पार :-)
ReplyDeleteआनंद आ गया , शुभकामनायें स्वीकार करें और मीठा आशीर्वाद भी दें अभी !
भजन करो भोजन करो गाओ ताल तरंग।
ReplyDeleteमन मेरो लागे रहे सब ब्लोगर के संग॥
होलिका (अपने अंतर के कलुष) के दहन और वसन्तोसव पर्व की शुभकामनाएँ!
आप को सपरिवार होली की हार्दिक शुभ कामनाएं.
ReplyDeleteसादर
आपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनायें।
ReplyDeleteहोली के पर्व की अशेष मंगल कामनाएं। ईश्वर से यही कामना है कि यह पर्व आपके मन के अवगुणों को जला कर भस्म कर जाए और आपके जीवन में खुशियों के रंग बिखराए।
ReplyDeleteआइए इस शुभ अवसर पर वृक्षों को असामयिक मौत से बचाएं तथा अनजाने में होने वाले पाप से लोगों को अवगत कराएं।
बहुत सटीक.
ReplyDeleteहोली पर्व की घणी रामराम.
होली के पर्व की अशेष मंगल कामनाएं। ईश्वर से यही कामना है कि यह पर्व आपके मन के अवगुणों को जला कर भस्म कर जाए और आपके जीवन में खुशियों के रंग बिखराए।
ReplyDeleteआइए इस शुभ अवसर पर वृक्षों को असामयिक मौत से बचाएं तथा अनजाने में होने वाले पाप से लोगों को अवगत कराएं।
होली की आपको बहुत बहुत शुभकामनाएं....
ReplyDeletehaste haste kat jaaye raste jindagi yoon hi chalti rahe ,ye nok jhok bhi ek rang hai .jeene ka apna dhang hai .ati sundar ,dhero badhai le is rang parv par .
ReplyDeleteहोली पर बहुत ही सुंदर व्यंगात्मक कविता ...होली की हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeleteबहुत सुन्दर होली की रंगारंग प्रस्तुति
ReplyDeleteआपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनाएं
होली का त्यौहार आपके सुखद जीवन और सुखी परिवार में और भी रंग विरंगी खुशयां बिखेरे यही कामना
ReplyDeleteवाह ... क्या बात है हँसी नही रुक रही निर्मला जी ...
ReplyDeleteआपको और समस्त परिवार को होली की हार्दिक बधाई और मंगल कामनाएँ ....
ha ha ha bahut majedar .
ReplyDeleteआप को रंगों के पर्व होली की बहुत बहुत शुभकामनायें ..
रंगों का ये उत्सव आप के जीवन में अपार खुशियों के रंग भर दे..
नेह और अपनेपन के
ReplyDeleteइंद्रधनुषी रंगों से सजी होली
उमंग और उल्लास का गुलाल
हमारे जीवनों मे उंडेल दे.
आप को सपरिवार होली की ढेरों शुभकामनाएं.
सादर
डोरोथी.
बढ़िया हास्य कविता !
ReplyDeleteआपको और आपके परिवार को होली की शुभकामनायें !
रंग-पर्व पर हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeleteसमझदार दंपत्ति हैं
ReplyDeleteहा..हा..हा..
ReplyDeleteहोली के त्यौहार के अनुकूल हास्य-कविता.
ReplyDeleteहोली मुबारक .
बहुत मजेदार हास्य कविता ...होली का सारा फायदा पति देव ही उठाना चाह रहे हैं !
ReplyDeleteहोली की हार्दिक शुभकामनायें ..A
MAZEDAR...BAHUT KHOOB...HAPPY HOLI...
ReplyDeleteसावधान कुछ सोचना पड़ेगा
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया ! पढ़ कर आनंद आ गया ! होली की अशेष शुभकामनायें !
ReplyDeleteनिम्मो दी!
ReplyDeleteहोली गुज़रे देर हो गई, पर पैर छूने के लिए देर नहीं हुई..
जैसा कि मैं हमेशा कहता हूँ कि आपकी हर पोस्ट अनुभव का खज़ाना है. और यह तो खैर हास्य फुहार सी रचना थी.. मुस्कराहट बिखेर गई यह कविता...
वाह, बहुत बढ़िया।
ReplyDeleteनिर्मला जी,
ReplyDeleteबहुत अच्छी फुलझड़ी रही यह कविता होली के मूड में रची बसी।
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
aadarniy mam
ReplyDeletehaasy se paripurn rachna padhkar bahut hi aanand aaya .
shayad pati dev bhi isi mouke ki talaash me the.ab topatni ji pad gai sankat me. koi baat nahi .vo achhe se janti hain ki memaan bhagvaan hota hai so saasu maa ko hans kar gale lagayengi.
bahut hi majedaar lagiaapki yah post
hardik dhanyvaad
poonam
bahut sundar..
ReplyDeletebahut sundar..
ReplyDeleteIs bar to lagta hai patidew hee jeet gaye. Badhiya kawita holee par. Asha hai aapki holi rangeen rahee hogee.
ReplyDeleteha ha ha ..निर्मला जी... चुटकी अच्छी ली ..होली मे तो दिमाग शैतानी से भर जाता है... आपकी कविता भी खूब शैतान लगी... नटखट :))
ReplyDeleteहोली का खूबसूरत रंग !
ReplyDeleteaapko mera pranam
ReplyDeletemai aap logaon se bahuut din bad mukhatib ho raha hoon. mai kayi karyon me byast raha. mera pryas hai ki mai fir se blog par kuchh lekar aaoo. maine Museum ki website taiyar kar di hai aaplog mere museum ko www.meerutmuseum.com par dekh sakte hain.
आपको नवसंवत्सर की हार्दिक शुभकामनायें ...
ReplyDeleteहास्य व्यंग्य के रंगों से सराबोर उत्तम कविता|
ReplyDeleteप्रणाम निर्मला जी|
बहुत अच्छी फुलझड़ी रही यह कविता होली के मूड में रची बसी हास्य व्यंग्य के रंगों से सराबोर
ReplyDeletebahut achchi lagi.....
ReplyDeleteआदरणीया मौसी निर्मला कपिला जी
ReplyDeleteसादर प्रणाम !
आपकी यह रचना पढ़ तो कभी गया था … मस्ती में कमेंट पब्लिश करना भूल गया था शायद …:)
बहुत मज़ा आया आपकी यह रचना पढ़ कर …
बहुत दिन हो गए अब तो , पोस्ट बदलने का इंतज़ार है …
… सपरिवार स्वस्थ - सानन्द तो हैं न ?
नवरात्रि की शुभकामनाएं !
साथ ही…
नव संवत् का रवि नवल, दे स्नेहिल संस्पर्श !
पल प्रतिपल हो हर्षमय, पथ पथ पर उत्कर्ष !!
चैत्र शुक्ल शुभ प्रतिपदा, लाए शुभ संदेश !
संवत् मंगलमय ! रहे नित नव सुख उन्मेष !!
*नव संवत्सर की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !*
- राजेन्द्र स्वर्णकार
होली पर भले चूक गए,पर रंग का असर तो सालो भर रहता है।
ReplyDeleteरामनवमी के पावन पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग 'मनसा वाचा कर्मणा' पर आपका इंतजार है.
निर्मला जी, होलीसे राम नवमी आ गयी। आप कहां हैं।
ReplyDelete............
ब्लॉगिंग को प्रोत्साहन चाहिए?
लिंग से पत्थर उठाने का हठयोग।
bahut sundar
ReplyDeleteवाह, बहुत बढ़िया
ReplyDelete