गज़ल
एक और कोशिश की है सही या गलत आप बतायें
सपने सुन्दर उजियारे देख
मौसम के अजब नज़ारे देख
देख घटा शरमाये उसको
नैना उस के कजरारे देख
चोर उच्चकों की दुनिया है
संसद के गलियारे देख
मजहब का ओढ नकाब रहे
मानवता के हत्यारे देख
जूतमजूत चले संसद मे
अब मुफतो मुफत नज़ारे देख
रक्षक,भक्षक जब बन बैठे
तो इन को कौन सुधारे देख
गीत गज़ल लिख वक्त गुजारें
सब तन्हाई के मारे देख
आँखों मे जिसको रखते थे
बह गए बन आँसू खारे देख
उसकी यादें रोज़ रुलायें बस
दर्द-ए-दिल के मारे देख
सब तन्हाई के मारे देख। सत्य है निर्मला जी। इस ब्लागिंग की दुनिया में हम सक तन्हाई से ही पीडित हैं तभी तो एक दूसरे का सहारा बन रहे हैं। अच्छी रचना के लिए बधाई।
ReplyDelete"चोर उचक्कों की दुनिया है
ReplyDeleteसंसद के गलियारे देख"
अच्छी और सफल कोशिश!
चोर उच्चको की दुनिया है,
ReplyDeleteसंसद के गलियारे देख !
मजहब का ओढ़ नकाब रहे,
मानवता के हत्यारे देख !!
बहुत ही सुन्दर, निर्मला जी, बहुत प्यारी गजल ! आपको दीपावली की हार्दिक शुभकामनाये !
सब तन्हाई के मारे देखआँखों मे जिसको रखते थेबह गए बन आँसू खारे देखउसकी यादें रोज़ रुलायेंबस दर्द-ए-दिल के मारे देख.........
ReplyDeletebahut achchi lagi yeh gazal..........
aapko deepawali ki haardik shubhkaamnayen..........
बहुत ही सुंदर रचना लिखा है आपने ! आपको और आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें !
ReplyDeleteरचना बहुत अच्छी है। ग़ज़ल की शर्तें पूरी करती है या नहीं यह तो कोई उस्ताद ही बता सकता है।
ReplyDeleteआपको और आपके परिवार दीपावली की शुभकामना ......
ReplyDeleteपंकज मिश्रा
जूतमजूत चले संसद मे
ReplyDeleteअब मुफतो मुफत नज़ारे देख
रक्षक,भक्षक जब बन बैठे जब
तो इन को कौन सुधारे देख
जुतमजुत नजारे एक बार देखे थे संसद के आज आपने उसकी याद ताजा करवा दी।
आपको दीवाली की बधाई,
bahut achhe madam ji,
ReplyDeleteaapko diwali ki bahut- bahut badahi
बढ़ा दो अपनी लौ
ReplyDeleteकि पकड़ लूँ उसे मैं अपनी लौ से,
इससे पहले कि फकफका कर
बुझ जाए ये रिश्ता
आओ मिल के फ़िर से मना लें दिवाली !
दीपावली की हार्दिक शुभकामना के साथ
ओम आर्य
ग़ज़ल तो एक नाम है,
ReplyDeleteवास्तव में एक सच्चा पैगाम है,
नेताओं और धर्म-जाति के ठेकेदारों,
कुछ तो खुद को सुधारो,
बहुत बढ़िया रचना....बधाई....साथ ही साथ दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएँ!!!
Nirmala ji,bahut achchhee gazal..
ReplyDeleteaap to har vidha mein likhti hain..dekh kar achchha lagta hai.
आप सहित पूरे परिवार को दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएँ.
चोर उच्चको की दुनिया है,
ReplyDeleteसंसद के गलियारे देख !
मजहब का ओढ़ नकाब रहे,
मानवता के हत्यारे देख !!
waah bahut khub,diwali mubarak
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति आभार के साथ दीपावली की शुभकामनाएं ।
ReplyDeletesafal aur bhaavpoorn rachna .bahut bahut badhayi
ReplyDeleteचोर उच्चको की दुनिया है,
ReplyDeleteसंसद के गलियारे देख !
मजहब का ओढ़ नकाब रहे,
मानवता के हत्यारे देख !!
बहुत बढिया लगी ये रचना......
आपको सपरिवार दीपावली की हार्दिक शुभकामनाऎँ!!!!
बहुत ही सुंदर रचना
ReplyDeleteबधाई
सुख, समृद्धि और शान्ति का आगमन हो
जीवन प्रकाश से आलोकित हो !
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दीपावली की हार्दिक शुभकामनाए
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चोर उच्चको की दुनिया है,
ReplyDeleteसंसद के गलियारे देख !
मजहब का ओढ़ नकाब रहे,
मानवता के हत्यारे देख !!
सभी लाइन सार्थक. यह ग़ज़ल हीट है.
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आप को दीपावली की शुभकामनायें !!
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और साथ में दिवाली में साम्य(क्षणिकाएं)
व्यंग्यात्मक अभिव्यक्ति..
ReplyDeleteसच्चा , खरा खरा ..
सादर !!
बहुतं. सटीक रचना, दीपावली की हार्दिक शुभकामनाए.
ReplyDeleteरामराम.
Baut khub gazal hai
ReplyDeleteआप को ओर आप के परिवार को दिपावली की शुभकामनाये
ReplyDeleteअरे वाह बहुत सुन्दर रचना.
ReplyDeleteदीपावली की बहुत-बहुत शुभकामनायें
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं!
ReplyDeleteबेहतरीन एवं सटीक!
ReplyDeleteसुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!
-समीर लाल ’समीर’
जो चषक हाथ धन्वन्तरि के थमा, नीर उसका सदा आप पाते रहें
ReplyDeleteशारदा के करों में जो वीणा बजी, तान उसकी सदा गुनगुनाते रहें
क्षीर के सिन्धु में रक्त शतदल कमल पर विराजी हुई विष्णु की जो प्रिया
के करों से बिखरते हुए गीत का आप आशीष हर रोज पाते रहें
राकेश
ग़ज़ल में गज़ब..गज़ब की ग़ज़ल !
ReplyDeleteअभिनन्दन !
आपको और आपके परिवारजन को
दीपोत्सव की हार्दिक बधाइयां
एवं मंगल कामनायें.......
सुन्दर गज़ल है।
ReplyDeleteआज खुशियों से धरा को जगमगाएँ!
दीप-उत्सव पर बहुत शुभ-कामनाएँ!!
आपकी व्यावहारिक सूझ-बूझ की दाद देनी पड़ेगी, यह रचना आम लोगों के साथ-साथ खास लोगों में भी जगह बना लेगी।
ReplyDeletebehatareen/lajawaab, nirmala ji badhai.......
ReplyDeletediwali ki shubhkaamnaaonke saath.
बहुत सुन्दर लगी आपकी ग़ज़ल
ReplyDeleteस स्नेह दीपावली की शुभकामनाएं
आपके परिवार के सभी के लिए
- लावण्या
कपिला जी ने काव्य सजाया
ReplyDeleteउसके नये नजारे देख।।
जगमग दीप जले घर आँगन आपस में हो प्यार।
चाह सुमन की घर घर खुशियाँ नित नूतन संसार।।
सादर
श्यामल सुमन
www.manoramsuman.blogspot.com
तीखी गजल. सीधी चोट करती.
ReplyDeleteदिवाली की हार्दिक मंगलकामना
गज़ल लिख वक्त गुजारें
ReplyDeleteसब तन्हाई के मारे देख....
सच लिखा है ........ छोटे छोटे पर लाजवाब शेर हैं सब ..........
आपको और आपके परिवार में सभी को दीपावली की शुभकामनाएं ...............
बेहतरीन.
ReplyDeleteआपको और आपके परिवार को दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएं.
यह दिया है ज्ञान का, जलता रहेगा।
ReplyDeleteयुग सदा विज्ञान का, चलता रहेगा।।
रोशनी से इस धरा को जगमगाएँ!
दीप-उत्सव पर बहुत शुभ-कामनाएँ!!
दीप की स्वर्णिम आभा
ReplyDeleteआपके भाग्य की और कर्म
की द्विआभा.....
युग की सफ़लता की
त्रिवेणी
आपके जीवन से आरम्भ हो
मंगल कामना के साथ
Diwali bhai dooj evm dhanteras ki aapko haardik shubhkamnaiyen !!
ReplyDeletePranam.
दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeleteबढिया समयानुकूल गज़ल । आजके यथार्त को कहती हुई ।
ReplyDelete"चोर उचक्कों की दुनिया है
संसद के गलियारे देख"
ये चोर उचकके मानवता के और मानव के दोनों के हत्यारे हैं ।
गज़ल तो है लेकिन कही कही पहले दूसरे मिसरे मे वज़न गडबड़ा रहा है सस्वर पाठ कीजिये ,पता चल जायेगा ।
ReplyDeleteचोर उचक्कों की दुनिया है,
ReplyDeleteसंसद के गलियारे देख !
मजहब का ओढ़ नकाब रहे,
मानवता के हत्यारे देख !! ....
बढ़िया ग़ज़ल प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई.
दीपावली और भाई-दूज पर आपको और आपके परिवार को अनंत हार्दिक शुभकामनाएं.
चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com
बेहतरीन शेर बुने हैं मैम...एकदम कसी हुई।
ReplyDelete" देख घटा शरमाये उसको/ नैना उस के कजरारे देख" बहुत भाया...
कहीं एक जगह लय टूट रहा है। ऊपर शरद जी की टिप्पणी ध्यान देने योग्य है। तरही लाजवाब बनी थी मैम!