14 October, 2009

कविता-- जीने का ढंग
कल से मन कुछ उदास सा था । हिमांशी की गज़ल तरही मुशायरे मे सुबीर जी के ब्लाग पर पढी तो जरा मनोबल बना। इस बार घर मे दिवाली भी नहीं मनेगी फिर सभी बच्चे भी अपने अपने घर हैं तो अकेले मे कुछ अच्छा नहीं लग रहा था।अज नेट पर आते ही सुबीर जी की मेल मिली। लिखा था * निर्मला दी*। बस और क्या चाहिये था बुलबुले सी फिर उठ गयी। आज एक कविता सुबीर जी को समर्पित कए लिख रही हूं।मैं सुबीर जी की धन्यवादी हूँ और उनके बडप्पन के आगे नत्मस्तक हूँ कि दीपावली पर एक छोटे भाई का ये तोहफा मेरे लिये यादगार रहेगा। कल बडे भाई साहिब आदरणीय प्राण जी की भी दिवाली पर बधाई मिली । मेरी दिवाली मेरे भाईयों और बेटों ने खुश नुमा कर दी । धन्यवाद नहीं कहूँगी। सुबीर जी को ढेरों आशीर्वाद और शुभकामनायें। बडे भाई साहिब को भी ढेरों शुभकामनायें। और अपने बेटों को भी आशीर्वाद ।बाकी सब का भी धन्यवाद कि इस ब्लागजगत के कारण मैं दिवाली पर कुछ हादसों को भूल सकूँगी।


जीने का ढंग (कविता )

अपनी विजय गाथा के
तुम खुद ही गीत बनाओ
श्रम और आत्मविश्वास की
ऐसी धुन सजओ
अपने आप सुर बन जाते हैं
जो बस विजय गीत सुनाते हैं

मज़िल आती नहीं खुद चल कर
जाना पडेगा हर सीढी चढ कर
सकारात्मक सोच से राह बनाओ
खुद मे इक उत्साह जगाओ
बस बढते जाओ बढते जाओ

निराशा का एक भी पल
कर देता है पथ से विचलित
बुराई से करो किनारा
इस मे है तुम्हारा हित
व्यवस्थित करो जीवन शैली
अपनी ऊर्जा को न व्यर्थ गंवाओ
जीवन है कितना अद्भुत सुन्दर
सोचो जीनी का ढंग अपनाओ


ये नहीं केवल किताबी फलसफा
अपनाओ निश्चित है तुम्हारी सफलता




27 comments:

  1. सचमुच किताबी फलसफा नहीं .. जमीनी हकीकत है ये .. अच्‍छे विचारों से युक्‍त रचना के लिए बधाई .. आपका धन्‍यवाद भी !!

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  2. निर्मला जी कविता मन को छु गयी खाश कर ये लाइन
    सोचो जीनी का ढंग अपनाओ
    ये नहीं केवल किताबी फलसफाअपनाओ निश्चित है तुम्हारी सफलता

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  3. सकारात्मक विचारों से युक्त रचना पढ़कर अच्छा लगा

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  4. मंजिल आती नहीं खुद चलकर
    जाना पडेगा हर सीढ़ी चदकर
    सकारात्मक सोच से राह बनाओ.......

    और आपसे कहूंगा निर्मला जी कि
    धूम-धाम से जम के दीपावली मनाओ

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  5. निर्मला दी,

    कविता पढ़कर ऐसा लगा मानो आप काव्य नहीं, फलसफा नहीं बल्कि दीवाली पर आशीष दे रही हों. बहुत ही अच्छा लगा यह रचना (आशीष) पढ़ कर....

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  6. कितना अद्भुत सुन्दर
    सोचो जीनी का ढंग अपनाओ
    ये नहीं केवल किताबी फलसफा अपनाओ
    निश्चित है तुम्हारी सफलता

    बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है।
    बधाई!

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  7. मंजिल आती नहीं खुद चल कर
    जाना पड़ेगा हर सीढ़ी चढ़कर
    बहुत खूब...बड़े पते कि बात कही है...प्रेरनाशील कविता है
    एक नज़र इधर भी डालें..एक ज्वलंत विषय पे कुछ लिखा है...

    http://mankapakhi.blogspot.com/

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  8. बहुत ही सुन्‍दर दिल को छूते हुये शब्‍दों के साथ भावमय रचना आभार, मुझे याद है मेरे शुरूआती दिनों में भी आपने बहुत प्रोत्‍साहित किया था और आज आपकी टिप्‍पणी से जो स्‍नेह मिला उसके लिये मैं इतना ही कहना चाहूंगी कि पहले तो आप अपने स्‍वास्‍थ्‍य पर ध्‍यान दें आपका स्‍नेह जरूरी है मां को तो बहुत सारे काम होते हैं उसे सबका ध्‍यान रखना पड़ता है पर वह अपना ध्‍यान रखना भूल जाती है जब भी समय मिले अपना स्‍नेह और आशीर्वाद अवश्‍य दें ।

    आभार सहित सदा

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  9. jeevan sundar hai ,agar uske jeene ka tareeka sundar ho

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  10. प्रेरक रचना।
    दीपवली की शुभकामनाएं।

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  11. jeene kaa dhang dil ko choo gayaa,jeene ke dhang ka sahee racnatmak citran. deewali ki subhkaamnayen.

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  12. बहुत ही नेक और खुबसूरत सलाह है ....हम जैसो को काम आ जाये अतिसुन्दर!

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  13. निर्मला जी

    "इस बार दीवाली नहीं मनेगी" वाक्‍य दिल में जा लगा। कारण नहीं पूछ रही, बस चाहती हूँ कि आप अंधेरे को दीपक के प्रकाश से बुझाने का प्रयास करें और एक फूलझड़ी जलाकर सतरंगी दुनिया बना दे। दीवाली की शुभकामनाएं।

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  14. SACH MEIN JEEVAN JAMEEN SE JUDI SACCHAI HAI ..... KITAABI BAAT NAHI .... AASHA KA SANCHAAR KARTI SUNDAR KAVITA ....

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  15. jeene ki raah dikhati sundar kavita.........badhayi

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  16. बहुत सुंदर कविता धन्यवाद
    आप को ओर आप के परिवार को दीपावली की शुभ कामनायें

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  17. sach men ashawadi, pranon ka sanchaar karti rachna.safalta nishchit. badhai sweekaren.

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  18. Subir ji ko samrpit kavita ke liye hamari taraf se bhi badhai sweekarein....

    "निराशा का एक भी पल
    कर देता है पथ से विचलित
    बुराई से करो किनारा
    इस मे है तुम्हारा हित
    व्यवस्थित करो जीवन शैली
    अपनी ऊर्जा को न व्यर्थ गंवाओ
    जीवन है कितना अद्भुत सुन्दर
    सोचो जीनी का ढंग अपनाओ"

    ....aashavad ki nahi paribhasha gadti hui si lagi ye kavita !!

    bus yahi jeene ka dhang aa laiye to kuch baat bane !!
    Pranam.

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  19. "बस बढते जाओ बढते जाओ"
    बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति! दीपावली की शुभकामनायें!

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  20. एक उत्कृष्ठ रचना मैम ये जीने का ढ़ंग....आपको जब-जब पढ़ता हूँ औत आपकी टिप्पणियां देखता हूँ, सोचता हूँ कि कोई इतना विनम्र कैसे हो सकता है। खुद आपकी लेखनी तो आये दिन चम्तकार करती रही हैं और फिर भी आप हम सब को...

    दीपावली की समस्त शुभकामनायें!!!

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  21. आदरणीय माता जी को सादर चरण स्पर्श,
    बमुश्किल ही ऐसी कवितायेँ पढ़ने को मिलती हैं , मन जैसे तरस जाता है ऐसी कवितायेँ पढ़ने को , आज आपके ब्लॉग पे पढ़ कर एक तस्कीं मिली मुझे , गुरु देव के लिए समर्पित यह कविता मनोबल को वाकई बल देने के हिसाब से है ,, आपकी कहानिओं के चर्चे दूर दूर से आ रहे हैं... बहुत बहुत बधाई

    आपका
    अर्श

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  22. व्यक्ति को बेहतर जीवन का सन्देश देती एक आशावादी कविता के लिये हार्दिक बधाई।
    पूनम

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  23. आप ने तो सफलता का सारा राज संक्षेप में सामने रख दिया है।

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  24. जज़्बा कोई अख़लाक से बेहतर नहीं होता।
    कुछ भी यहां इंसान से बढ़कर नहीं होता।
    कोशिश से ही इंसान को मिलती है मंजिलें,
    मुट्ठी में कभी बंद मुक़द्दर नहीं होता।
    सकारात्मक सोच से राह बनाओ
    खुद मे इक उत्साह जगाओ
    बस बढते जाओ
    आपकी ये प्रेरणादायी बातें निश्चित रूप से एक नयी ऊर्जा का संचार करेगी.

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  25. आनन्द आ गया इस सकारात्मक्ता पर...बधाई इस बेहतरीन अभिव्यक्ति पर.

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  26. निर्मला दी
    आपने बहुत सार्थक बात कही इन पंक्तियों में, सारे जीवन का निचोड़ है ये सकारात्मकता |

    एक नन्हा दिया अपने आप को जलाकर अमावस कि रात को प्रकाशवान करता है |
    दीपावली मंगलमय हो |
    शुभकामनाये बधाई

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  27. आपको और आपके सम्पूर्ण परिवार की दिवाली की हार्दिक शुभ कामनाएं

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आपकी प्रतिक्रिया ही मेरी प्रेरणा है।