गीत
आज ये मेरी 150 वीं पोस्ट जो मेरे श्रद्धेय दुरूदेव श्री प्राण शर्मा जी को समर्पित है
मेरा ये गीत मेरे गुरूदेव श्रद्धेय प्राण शर्मा जी को समर्पित है। गुरू जी ने लिखने के लिये तो गज़लें दी थी मगर मुझ अल्पग्य ने गीत रच दियेौर गुरू जी ने इन्हें संवार कर और मेरी गलतियाँ निकाल कर इन्हें भी सुन्दर बना दिया । उनमे से ये पहला गीत अपके सामने प्रस्तुत करने का आदेश दिया।
मैं गिरधर के घर जाऊँगी
उसकी जोगन बन जाऊँगी
मैं तेरे नाम की प्यासी कृ्ष्णा
अब अपनी प्यास बुझाऊँगी
मन मे मेरे तू ही तू है
तेरे दर्शन को आऊँगी
तू मेरी अर्ज़ सुने न अगर
प्राणों का भोग लगाऊँगी
अब कर लो मेरा वरन प्रभू
मै भटक भटक मर जाऊँगी
तुझ बिन मुझ को ना भावे कुछ्
हर पल ही तुझ को ध्याऊँगी
ये मेरा वादा रहा तुझ से
इक पल न तुझे विसराऊँगी
मुरली को बजाओ फिर कान्हा
मै मीरा बन कर गाऊँगी
तेरे बिन कोई ना मेरा
मै किस घर को जाऊँगी
आज ये मेरी 150 वीं पोस्ट जो मेरे श्रद्धेय दुरूदेव श्री प्राण शर्मा जी को समर्पित है
मेरा ये गीत मेरे गुरूदेव श्रद्धेय प्राण शर्मा जी को समर्पित है। गुरू जी ने लिखने के लिये तो गज़लें दी थी मगर मुझ अल्पग्य ने गीत रच दियेौर गुरू जी ने इन्हें संवार कर और मेरी गलतियाँ निकाल कर इन्हें भी सुन्दर बना दिया । उनमे से ये पहला गीत अपके सामने प्रस्तुत करने का आदेश दिया।
मैं गिरधर के घर जाऊँगी
उसकी जोगन बन जाऊँगी
मैं तेरे नाम की प्यासी कृ्ष्णा
अब अपनी प्यास बुझाऊँगी
मन मे मेरे तू ही तू है
तेरे दर्शन को आऊँगी
तू मेरी अर्ज़ सुने न अगर
प्राणों का भोग लगाऊँगी
अब कर लो मेरा वरन प्रभू
मै भटक भटक मर जाऊँगी
तुझ बिन मुझ को ना भावे कुछ्
हर पल ही तुझ को ध्याऊँगी
ये मेरा वादा रहा तुझ से
इक पल न तुझे विसराऊँगी
मुरली को बजाओ फिर कान्हा
मै मीरा बन कर गाऊँगी
तेरे बिन कोई ना मेरा
मै किस घर को जाऊँगी
आपको बहुत-बहुत बधाई 150 वी पोस्ट के लिए। आपकी रचना हमेशा की तरह इस भी बार लाजवाब रही। आपकी इस रचना मे गजब का समर्पण दिखा। बहुत खुब।
ReplyDeleteतुझ बिन मुझ को ना भावे कुछ्
ReplyDeleteहर पल ही तुझ को ध्याऊँगी
ये मेरा वादा रहा तुझ से
इक पल न तुझे विसराऊँगी....
150 वी पोस्ट के लिए आपको बहुत-बहुत बधाई!!
लाजवाब रचना!!!
150 वी पोस्ट के लिए आपको बहुत-बहुत बधाई!!
ReplyDeleteलाजवाब रचना!
बुल्ले शाह को भी आपनी भावनाओं ने पीछे छोड़ दिया। अद्भुत रचना थी, 150वीं पोस्ट के लिए बधाई हो जी
ReplyDeleteगीत बहुत सुंदर है.. 150वीं पोस्ट की बधाई स्वीकारें.. हैपी ब्लॉगिंग
ReplyDelete150 वीं की पोस्ट की हार्दिक बधाई.
ReplyDeleteरामराम.
krishana ki lagan kuchh aisi hi hoti
ReplyDelete......purn samarpan bhakti me hi hota hai .......RADHEKRISHAN
150th post par dhero badhayi
१५० वी पोस्ट के लिए मेरी ढेर सारी बधाइयाँ और शुभकामनायें! बहुत ही सुंदर रचना लिखा है आपने! आपका हर एक पोस्ट शानदार है और मुझे पढ़ने में बहुत अच्छा लगता है!
ReplyDeletekanha ko samarpit ye sunder geet aur 150post dono ke liye bahut badhai
ReplyDeleteनिर्मला जी, 150...1500...15,000...1,50,000...कामना है कि ये सिलसिला यूहीं अनवरत चलता रहे
ReplyDeleteआपको बहुत-बहुत बधाई 150 वी पोस्ट के लिए। आपकी रचना लाजवाब रही।
ReplyDeletecongratulations!!!
ReplyDeletethe great power in ur pen...
meet
150 वी पोस्ट के लिये बधायी।
ReplyDeleteप्रभु प्रेम को समर्पित गीत्………………………अत्यन्त सुन्दर्।
समर्पण का सुन्दर भाव।
तुझ बिन मुझ को ना भावे कुछ्
ReplyDeleteहर पल ही तुझ को ध्याऊँगी||
प्रभु चरणों में स्व का समर्पण!! बेहतरीन भक्तिमय रचना!!
आभार्! साथ ही आपको 150वें आंकडें तक पहुंचने की बधाई.......
बहुत-बहुत बधाई आपको 150 वी पोस्ट के लिए।
ReplyDeleteभक्तिमय समर्पण का सुन्दर भाव लिए अद्भुत रचना मन मोह गयी...
जय श्री कृष्ण
ReplyDelete---
तकनीक दृष्टा
१५०वी पोस्ट के मुकाम तक पहुँचने के लिए बहुत बधाई.
ReplyDeleteप्रभु प्रेम से ओ़त प्रोत ये गीत बड़ा प्यारा लगा.
150 vi post k liye hardik shubhkamnaey......amarjeet
ReplyDeleteबहुत सुन्दर गीत/भजन, डेढ़ सौ पूरे करने की बधाई बोनस में. [श्रद्धेय प्राण शर्मा जी के नाम से पहले टाइपिंग में कुछ गलती रह गयी है, कृपया जांच लें.]
ReplyDeletenirmalaji, aaj aapka bhakti geet padh kar anand aa gaya,
ReplyDeletebahut hi achcha likha hai aapne , bhavishya men aur bhi likhen , shubhkaamnayen. badhaai.
सुंदर रचना के लिए बधाई!
ReplyDeleteहमेशा की तरह शानदार रचना।
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
"मुरली को बजाओ फिर कान्हा
ReplyDeleteमै मीरा बन कर गाऊँगी"
निर्मला कपिला जी!
150वीं पोस्ट के रूप में आपने भक्तिरस की सुन्दर
कविता प्रस्तुत की है।
बहुत-बहुत बधाई!
बधाई । सातत्य बना रहे ।
ReplyDeleteआदरणीया निर्मला जी ,
ReplyDeleteआपका गीत पढ़कर भक्ति काल की याद आ गयी
बहुत सुन्दर रचना .
हेमंत कुमार
150 वी पोस्ट के लिए बधाई, सुन्दर भावो से भरा भक्ति गीत
ReplyDelete-150 vin post ke liye bahut bahut badhaayee!
ReplyDeletebhakti geet lajawab hai!
-aap ke गुरूदेव श्रद्धेय प्राण शर्मा जी ko hamara bhi naman swikaar ho.
150 VI POST VO BHI ITNI SUNDAR PRARTHNA GEET KE SAATH .... KAMAAL KA LIKHA HAI .... ITNI JALDI AAPKI RACHNAAON SE AAPKI KAHAANIYON SE AATMIYTA HO JAAYEGI PATA NAHI THAA .... BAHOOT SUNDAR ...
ReplyDelete१५० वीं पोस्ट की बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाऐं....रचना तो गज़ब की बन पड़ी है...वाह!!
ReplyDeleteअब कर लो मेरा वरण प्रभू
ReplyDeleteमै भटक भटक मर जाऊँगी
वाह क्या बात हैं! अत्यंत प्रभावी एवं सुन्दर अभिव्यक्ति...आपको १५० पोस्ट की हार्दिक बधाई.
आप जैसी समर्थ, परिपक्व, अनुभवी, स्थापित रचनाकार को कमेन्ट देना बड़ी टेढी खीर है. हमेशा एक ही विचार आता है, अब क्या कहा जाये? एक भय बना रहता है, कहीं दुहराव न हो जाये. आप के लिए कविता बाएँ हाथ का खेल है, क्यों, है ना!!
ReplyDeleteनिर्मला जी,
ReplyDelete१५०वीं पोस्ट पर दिल से बधाई, इतना लिखना और लोगों से बाँटना ही आपके समर्पण को बताता है। आगे भी आप लिखती रहें इन्ही कामनाओं के साथ।
ईश आराधना और वह भी भगवान श्रीकृष्ण की तो प्रेम में डूबी हुई ही होती है, अच्छा लगा यह गीत।
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
150 वी पोस्ट के लिए आपको बहुत-बहुत बधाई!!
ReplyDelete"शब्द सृजन की ओर" पर क्रमवार देखें- "हिंदी का सफरनामा"
१५० वी पोस्ट ओर वो भी एक भजन के रुप मै आप को बधाई, ओर आप का धन्यवाद इस सुंदर भजन रुपी गीत के लिये, बहुत अच्छा लगा, इसे मै यहां अपनी भजन मंडली को दुंगा,( जो भारतीया लोग यहां भजन करते है, शोकिया) छाप कर.
ReplyDeleteवाह अम्मा.....
ReplyDelete१५०वीं रचना को क्या खूब संजोया आपने......
3-4 din se na aa pane ke karan kshama prarthi hoon...
ReplyDeleteaapka sneh comment ke madhyaam se mujhe milta raha dhanyavaad...
aapke teeno geet acche lage har ek main individual comment kar raha hoon....
...jaiase is geet ki ye do line dil ko choo gayi....
"मन मे मेरे तू ही तू है
तेरे दर्शन को आऊँगी"
&
"मुरली को बजाओ फिर कान्हा
मै मीरा बन कर गाऊँगी"
Pranam