13 September, 2009

गीत
मेरा दूसरा गीत भी मेरे गुरूदेव श्रद्धेय प्राण जी को समर्पित है।जिसे उन्हों ने गलतियां ठीक करके प्रस्तुत करने लायक बनाया।

कंचन जैसा सब का हो मन
खुशियों से महका हो जीवन

धोवो इस को यूँ ही मल मल
उजला सा हो मन का दर्पण

नाथ मुझे अब शरण लगाओ
मेरा तन मन तुझ को अर्पण

पर्यावरण बचाओ बँधू
मत काटो सारे जंगल बन

दुनिया सेक्या ले जाना है
रहना है भाई भाई बन

मुरली धुन सुन मीरा नाची
जन्मों से उसक वो जोगन

मुझ पर भी उपकार करो माँ
करती हूँ तेरा पद वंदन

प्यासी धरा की प्यास बुझे अब
रिमझिम रिमझिम बरसो आ घन

35 comments:

  1. बहुत ही सुन्दर गीत। आप शब्दो की धनी है। लाजवाब । बहुत-बहुत बधाई.......

    ReplyDelete
  2. बहुत सुंदर गीत.

    रामराम.

    ReplyDelete
  3. इस सुन्दर से गीत के लिए आपका धन्यवाद्!!!!!!!!!!!

    ReplyDelete
  4. खूबसूरत गीत..बधाई

    ReplyDelete
  5. कविता मधुर और प्रवाहमयी है

    ReplyDelete
  6. बहुत ही सुन्दर गीत । बहुत-बहुत बधाई......

    ReplyDelete
  7. बहुत ही सुंदर गीत, मीठा भी , मीठा इस लिये की इस गीत का पहला शव्द हमारी बीबी का नाम है है जी.

    ReplyDelete
  8. waah.............prarthna ka ek divya roop..............badhayi

    ReplyDelete
  9. कंचन जैसा सब का हो मन
    खुशियों से महका हो जीवन

    बहुत सुन्दर ।

    ReplyDelete
  10. आज दिनों बाद आ रहा हूँ मैम....

    बहुत ही सुंदर रचना और क्यों न हो जब आपकी जबरदस्त लेखनी और श्रद्धेय प्राण साब का आशिर्वाद जुड़ जाये तो उस रचना को तो कमाल का होना ही पड़ेगा..!

    ReplyDelete
  11. बहुत सुन्दर गीत है.
    आपके गुरू जी को नमन।
    आपको बधाई!

    ReplyDelete
  12. 'प्यासी धरा की प्यास बुझे अब
    रिमझिम रिमझिम बरसो आ घन'

    - सुन्दर.

    ReplyDelete
  13. रिमझिम रिमझिम बरसो आ घन'mangal kamna ka sunder geet....

    ReplyDelete
  14. एक बेहद सुन्दर गीत जिसमे रचना अपने भावो को बडी ही खुबसूरती से दर्शाया है ..........बहुत बहुत बधाई.

    ReplyDelete
  15. कंचन जैसा सब का हो मन
    खुशियों से महका हो जीवन

    धोवो इस को यूँ ही मल मल
    उजला सा हो मन का दर्पण

    बहुत सुन्दर मनभावन रचना ....

    ReplyDelete
  16. Bahut hee sunder Nirmala jee. Aapke geet me to aapne sare wishay bandh liye. Abhar.

    ReplyDelete
  17. sunder prastuti, aapke lekhan men bahut nikhaar aa gaya hai,

    kuchh aapke giru ji ka ashirwaad.

    kul mila ka bahut achcha.

    ReplyDelete
  18. सात्विक सुन्दर अभिव्यक्ति !

    ReplyDelete
  19. सुन्दर गीत है Nirmala ji ....!!

    ReplyDelete
  20. सुन्दर मधुर गीत ... बधाई ..!!

    ReplyDelete
  21. बहुत ही मधुर और ख़ूबसूरत गीत लिखा है आपने!

    ReplyDelete
  22. बहुत ही बेहतरीन रचना, आभार

    ReplyDelete
  23. आप जो भी likhti हैं वो लाजवाब होता है ........... गीत, kahaani, gazal सब पर आपकी pakad लाजवाब है ........... aadarniy praan जी ने इस fool में khushboo भर दी है ........... लाजवाब ..........

    ReplyDelete
  24. बहुत ही सुन्दर गीत

    ReplyDelete
  25. आपका निर्मल मन और पावन भाव सहज ही अपने सम्मुख नतमस्तक करा लेते हैं...

    बहुत ही सुन्दर रचना....मन अभिभूत हो गया...

    ReplyDelete
  26. इस सुमधुर गीत पर आपको हार्दिक बधाई.

    चन्द्र मोहन गुप्त
    जयपुर
    www.cmgupta.blogspot.com

    ReplyDelete
  27. भक्ति भावना और देश भक्ति से पूर्ण रचना ,पर्यावरण के प्रति सजग करती हुई

    ReplyDelete
  28. हिन्दी हर भारतीय का गौरव है
    उज्जवल भविष्य के लिए प्रयास जारी रहें
    इसी तरह सुन्दर गीत ,
    लिखते रहें ........

    ReplyDelete
  29. वाह वाह !
    गुरु जी को समर्पित यह भी बहुत ही निर्मल भक्ति गीत है

    ReplyDelete
  30. मुझ पर भी उपकार करो माँ
    करती हूँ तेरा पद वंदन

    प्यासी धरा की प्यास बुझे अब
    रिमझिम रिमझिम बरसो आ घन
    महादेवी वर्मा जी की याद दिला रहीं हैं ये पंक्तिया

    आप और आप की कलम कुछ भी लिख पाने की सामर्थ्य लिए ...

    मेरा नमन है निर्मला जी

    सादर !!

    ReplyDelete
  31. Lagta hai ki meri anupasthiti main geet nirjhar apne poore veg se baha...

    :)

    Dil ko chu gayi ye line...

    मुझ पर भी उपकार करो माँ
    करती हूँ तेरा पद वंदन.

    ReplyDelete

आपकी प्रतिक्रिया ही मेरी प्रेरणा है।