09 June, 2009

गताँक से आगे----------प्रेम सेतु

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हेडन तो खुश था -मगर टास कुछ सोच समझ नहीं पा रहा था1 असमंजस की स्थिति मे कुछ बोला नहीं1 अमेरिकन लोग दूसरों पर आश्रित होना अपना अपमान समझते हैंदादी ये जानती थीइस लिये उस ने टास को कहा कि वो ऐस कुछ भी महसूस ना करे ये गिव एन्ड टेक समझ ले1 हेडन हमरे बेटे जैसा है और विदेश मे हमारा है भी कौन्1 फिर हमारे बुरे वक्त मे तुम ने भी तो हमारी सहायता की थी1 टास ने भी साधिकार कह दिया कि ठीक है1 मै भी सुगम को अपनी बेटी जेसी मानता हूँ1 आज से इसकी पढाई लिखाई का पूरा दायित्व मेरा होगा1 आब दोनो परिवारों के प्यार और सौहार्द्रसे दोनो के बुरे दिन कट चुके थे1 ये भारतीय संस्कारों की ही सुगँध थी जो महक रही थी !

टास सुबह खुद नाश्ता बना लेता फिर शाम को सीधािआफिस से सुगम के घर आ जाता वहीं दोनो बच्चों को पढाता और फिर सब इकठे खाना खाते1 टास फिर दोनो बच्चों को पढाता और रात को हेडन के साथ अपने घर चला जाता1
अब टास को भी जीने का बहाना मिल गया था1 इस प्रेम सेतु ने दो घरों की दूरियाँ स्माप्त कर दी थी1 वो मैगी को दोबारा अपने जीवन मे लाना नहीं चाहता था1इस लिये उसने तलाक का फैसला कर लिया था1 उसने भी सुगम से हिन्दी सीख ली थी और अपने बीच भाषा की इस अडचन को भी दूर कर दिया था !

दिन पँख लगा कर उडने लगे 1हेडन और सुगम को मेडिकल मे दाखिला मिल गया ! वृ्न्दा और शालिनी टास की कृ्तग्य थीं उनमे सुगम को इस मुकाम पर पहुँचाने की सामर्थ्य नहीं थी ! पूरी काऊँटी मे दोनो परिवारों का आपसी सेहयोग और प्यार मिसाल बन गया था ! डिगरी के बाद दोनो ने मास्टर डिगरी मे दाखिला ले लिया था1 अब तक दोनो समझ गये थे कि वो दोनो एक दूसरे के लिये बने हैं और प्यार करने लगे हैं !

इधर कुछ दिनो से टास की तबियत ठीक नहीं रहती थी1 जब पेट दर्द बढ गया तो उसे अस्पताल मे भरती करवाना पडा ! वहाँ पता चला कि उसे कैंसर है1मगर अभी पहली स्टेज़ है ! ठीक हो सकता है1 सब घबरा गये थे पर हेडन और सुगम ने हिम्मत नहीं हारी थी !

टास हैरान होता कि ये लोग इतने अच्छे कैसे हैं उनके देश मे तो माँेअपने बच्चों को नहीं पूछती1 पर यहाँ तो सब उसे खुश रखने की कोशिश मे लगे रहते हैं !
टास चाहता था कि अब हेडन और सुगम की शादी हो जाये1एक दिन जब सभी बैठे थे तो उसने कह दिया कि
मै मरने से पहले दोनो को पती पत्नी के रूप मे देखना चाहता हूँ !--
डैड अगर आप ऐसी बात करेंगे तो मै आप से नहीं बोलूँगी-------सुगम नाराज़ होते हुये बोली1 आप ऐसा क्यों सोचते हैं मुझे पूरा विश्वास है कि आप जल्दी ठीक हो जायेंगे !
तो तुम मेरी इच्छा पूरी करना नहीं चाहती------
डैड आप जानते हैं न कि मै आपसे और हेडन से कितना प्यार करती हूँ अगर ना भी करती होती तो अपने प्यारे डैड के लिये फिर भी उसी से शादी करती1---
----तो ठीक है मै तभी ठीक होऊँगा जब तुम दोनो शादी कर लोगे1---
सब झट से मान गये1 टास और हेडन चाहते थे कि शादी भारतीय रिती रिवाज़ से हो1 सब खुश थे1
शादी के मँडप पर वो बडे ध्यान से दोनो को अग्नि के चारो ओर फेरे लेते हुये देख रहा था1 टास की आँखों मे आँसू आ गये1अज उसे अपनी पहली पत्नी की याद आ रही थ मगर् इस एक पल ने उसके जीवन की सारी खुशियाँ लौटा दी थीं1
सुगम की विदाई हो गयी1 टास खुद गाडी चला रहा था1 जैसे ही गाडी एक बडे से घर के सामने जा कर रुकी सुगम और हेडन के आश्चर्य का ठिकाना ना रहा1 वो गाडी से उतरे-------
---सुगम दिस इस युअर पैराडाईज़ --अ गिफ्ट् फ्रोम युअर फादर------टास ने दुलहन की तरह सजे घर की ओर इशारा करते हुये कहा1
---ओ पापा यू आर ग्रेट-----लेकिन मेरा स्वर्ग तो आपकेचरणों मे है1
---बेटा अमेरिका मे जब बच्चे बडे हो जाते हैँ तो अपना अलग घर बसा लेते हैं1 माँ बाप के पास कहाँ रहते हैँ---
---पर पापा मै भारतीय हूँ ना इस लिये हम लोग आपके पास रहेंगे1 आपको अकेला नहीं रहने देंगे-------
----अगर् तुम दोनो कहो तो मै एक फैसला करूँ--------हेडन जो चुप खडा था बोल उठा-------हम दोनो परिवार ही इकठे रहेंगे-------------
-------मगर दादी माँ नहीं मानेंगी-----हमारे यहाँ लडकियों के ससुराल का पानी भी नहीं पीते----- सुगम ने हेडन की ओर देखते हुये कहा---
------वो सब मेरा जिम्मा------जब मैने अपने देश के रिती रिवाज़ को नहीं माना तो जो मुझे वहाँ का अच्छा नहीं लगेगा वो भी नही मानूँगा-----मै तो एक बात मानता हूँ कि जो चीज़ मानवता के मापदंम्ड पर खरी उतरती है अच्छी है वो चाहे किसी देश या धर्म की है उसे अपना लो बाकी भूल जाओ1ाउर मै कल ही जा कर उन लोगों को ले आऊँगा1--------
पाँच वर्ष हो गये हैं----सब को एक घर मे रहते---टास की बिमारी आश्चर्यजनक रूप से ठीक हो चुकी है--हेडन के एक बेटा हो गया है 1ापने परिवार की खुशियाँ देख कर अक्सर सोचता है कि अगर ऐसा ही प्रेम सेतु हर घर मे निर्मित हो सके तो सारी दुनिया एक हो जाये-----नस्ल जाति-पाति--हर भेद भाव मित जाये उन दोनो परिवरों के प्रेम से उसे लगता कि दोनो देशों की दूरियां कितनी सिमट गयी थीं---ाब उसे दोनो की छुट्टियों का इन्तज़ार रहता भारत जाने के लिये ---जेसे वो भी उसका अपना देश हो----कितना आसान है सारी दुनिया को एक करने का ये रास्ता ------ये प्रेम सेतु----1

14 comments:

  1. "----कितना आसान है सारी दुनिया को एक करने का ये रास्ता ------ये प्रेम सेतु----"
    विदेशी बात्रों के माध्यम से
    अभिनव सन्देश देती कथा।
    सुन्दर प्रस्तुति।

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  2. sach yeh prem setu ka hi to kamaal hai...

    mujhe kahani bahut pasand aayi

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  3. sundartam se sundartam chaah..

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  4. बहुत ही भावोक............. दिल में उतरने वाली कहानी.........भारतीय संस्कारों की गरिमा का सुन्दर मिश्रण ........... सच लिखा है जिन रिश्तों में प्यार की खुशबू नहीं होती वो रिश्ते नहीं होते .............. भूत ही अच्छी से सहेजा है रिश्तों को ...... लाजवाब

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  5. आपके ब्लॉग पर आया, पढ़ा और पढ़ता ही चला गया.. आपका आभार

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  6. prem setu aisa hi hota hai.......kash ye sabki samajh aa jaye.lajawab likha hai aapne.

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  7. Aaj hi sari kariya pari aur bahut achhi lagi...

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  8. बहुत ही प्रेरक रचना है। बधाई।/

    -Zakir Ali ‘Rajnish’
    { Secretary-TSALIIM & SBAI }

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  9. बहुत बढिया रचना।बधाई।

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  10. कहानी में जिस तरह से आपने भारतीय संस्कृति को समाहित किया है इसके अदाकारों के साथ वो काबिले तारीफ़ है ... सच में ये लाइन बहोत ही नजदीक से रही के मैं भारतीय हूँ और मेरा स्वर्ग तो आपके चरणों में है .... बहोत ही सुन्दरता से आपने सिख्षा दी है ....
    के बच्चों का स्वर्ग उनके माता पिता के चरणों में हो होता है..

    अर्श

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  11. सारी दुनिया ऎसी हो जाये तो किअतना अच्छा हो, बहुत सुंदर लगी आप की यह कहानी.
    धन्यवाद

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  12. अरे हां आप ने जो शिकायत की थी चेक कर के बताये दुर हुयी या नही नही तो मै नया टेमपेट ही बदल लूंगा,ओर कोन से ब्लांग पर है यह दिक्कत? जरुर लिखे

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  13. सचमुच पूरा संसार जो ऐसा हो जाये..
    दोनों किश्त आज फुरसत से पढ़ा...
    बहुत उम्दा लेखन और अंदाज़

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