08 June, 2009

गताँक से आगे------------------------------------प्रेम सेतु
सुगम की मम्मी ने सब के लिये गर्म गर्म पकौडे बनाये1 हेडन ने बडे स्वाद से खाये1 फिर वो सुगम से बातें करने लगा1 उसे उस घर मे आ कर बहुत अच्छा लग रहा था1 रात का खाना भी उसने उनके साथ ही खाया1 हेदन के लिये ये सब अनोखा स था1 सुगम के पापा ने भी हेदन को प्यार किया मगर उनके यहाँ तो कोई अपने बच्चों से भी इतना प्यार नहिं करता1 वो लोग बातें कर ही रहे थे कि काल बेल बज उठी1 सामने टास खडा था1 हेडन ने उसे सब कुछ बता दिया1 टास शर्मिन्दा भी था-कि उसे बच्चे को इतनी देर अकेला छोड कर नहीं जाना चाहिये था1 उसने पटेल परिवार का धन्यवाद किया और हेडन को घर ले आया1
देर रात तक हेडन टास को पटेल परिवार के बारे मे बताता रहा1 कैसे दादी माँ ने उसे गोद ले कर चुप कराया और क्या क्या खिलाया 1 टास ने महसूस किया किहेडन आज बहुत खुश था उसे अपनी चोट भी भूल गयी थी1 अपनी माँ की मौत के बाद वो पहली बार इतना खुश दिखा था1 अब वो रोज़ शाम को गार्डन मे जाता सुगम से खेलता मगर दादी माँ से चाहते हुये भीभाषा कि वजह से बात नहीं कर सकता था1उसने सुगम से कहा कि मुझे हिन्दी सीखनी है1 दादी माँ बहुत खुश हुई1 अब वो रोज़ एक घँटा वो दोनो को हिन्दी पढाने लगी1 हेडन मेधावी था बहुत जल्दी ही वो काफी कुछ सीख गया1
अब हेडन खुश रहता था 1 मैगी की डाँट खा कर भी1 उदास नहीं होता था1 जब टास अकेला होता तो उस से दादी माँ और सुगम की बातें करता रहता1 टास हैरान था कि छ महीने मे ही हेडन हिन्दी भी काफी सीख गया था1 सुगम और हेडनीक ही स्कूल मे पढते थे1 हेडन उसके साथ ही उसके घर आ जाता दोनो वहीं पे होम वर्क करते1 अब वो भी दादी से कहानियाँ सुनने लगा था1 जब दादी श्री राम कृ्ष्ण और गणेशजी की कहानियाँ सुनाती तो वो बडी उत्सुकता से सुनता1 जो उसे समझ ना आता वो सुगम समझा देती1 इस तरह हेडन अब खुश था1 मन लगा कर पढने भी लगा था1
उधर टास और मैगी मे अक्सर झगडा रहने लगा था1मैगी आज़ाद पँछी थी1 और टास सँज़ीदा-सीधा सादा इन्सान था1 मैगी अक्सर अपने दोस्तों के साथ होटल कल्बों मे व्यस्त रहती1 एक छत के नीचे रहते हुये भी वो दोनो अलग अलग जीवन जी रहे थे1 दो साल मे ही दोनो ने जान लिया था कि वो दोनो एक दूसरे के लिये बने ही नहीं1 अब हेडन भी मैगी की परवाह नहीं करता1सुगम और हेडन ने अब तक तीसरी क्लास पास कर ली थी1
अगली क्लास मे अभी दाखिला ही लिया था किसुगम के पिता दिल का दौरा पडने से चल बसे1
कैसे टूटा दुखों का पहाड 1घर मे वो ही कमाने वले थे1 विदेश मे उनका कोई भी नहीं था1
यूँ तो भारतीय वहाँ एक दूसरे की सहायता करते हैं1 मगर ये तो सारी उम्र का रोना पड गया था 1 दादी माँ बडे जीवट से सब को सहारा देती1
सब से दुखी तो हेडन था1 सब को रोते देख वो भी रो देता1 वो भी स्कूल नहीं जा रहा था1 कभी दादी के तो क्भी सुगम की माँ के आँसू पोँछता रहता था1 उनसब की बातें सुन कर वो सम्झ रहा था कि चुँकि घर मे कोई कमाने वाला नहीं रहा तो शायद वो लोग वापिस भारत चले जायें1 ये सोचते वो और भी उदास हो जाता1 उसका पटेल परिवार के प्रति ऐसा अनुराग देख कर उसके अमेरिकन दोस्त उसका मजाक उडाते1 मगर उसे किसी की परवाह नहीं थी1 उसे पता था कि इस परिवार ने उसे वो प्यार दिया है जो उसकी माँ के बाद किसी ने नहीं दिया1मगर ये लोग कैसे समझ सकते हैं1ागर उस प्यार की फुहार का एक छीँटा भी इन पर पड जाता तो वो भी हेडन की तरह इनके रँग मे रँग जाते1ुस जेसे लावरिस के लिये जाति धर्म या देश के क्या मायने हैं 1उसे तो जो जिन्दगी दे रहा है वही उसका अपना है1
हेडन का दुख देख कर टास भी दुखी था1वो ये सोच कर भी चिन्तित हो जाता कि अगर वो लोग भारत वापिस चले गयी तो हेडन सह नहीं पायेगा1 बडी मुश्किल से वो हंसने लगा है1 उसने सोच लिया था कि चो पटेल परिवार की सहायता करेगा1 सुगम की मम्मी को कहीं नौकरी दिलवा देगा ताकी वो परिवार का पेट पाल सके और वो भारत जाने का विचार त्याग दें1
एक दिन उसने अवसर देख कर दादी माँ से बात की उसे हिन्दी नहीं आती थी मगर हेडन था उसका ट्राँसलेटर1 वैसे सुगम की मम्मी पढी लिखी थी वो इन्गलिश जानती थी1 टास ने उस से कहा कि वो मुझे अपने भाई की तरह ही समझे1 आप ये मत समझें कि यहाँ आप अकेले हैँ मै आपकी कहीँ न कहीं नौकरी भी लगवा दूँगा ये सही है कि मै मि- पटेल को तो वापिस नहीं ला सकता मगर और जिस भी सहायता की आपको जरूरत होगी वो मै जरूर करूँ
दादी भी जानती थी कि भारत जा कर भी उन्हें कौन पूछेगा रोटी कौन देग1 अगर यहाँ ही रोटी रोज़ी का प्रबन्ध हो जाये तो ठीक रहेगा1 फिर हेडन रोज़ उनको यही कहता कि मै आप लोगोँ को नहीं जाने दूँगा1
दो महीने बाद ही टास ने सुगम के मम्मी शालिनी की नौकरी एक बडे शो रूम मे लगवा दी1 पगार भी अच्छी थी घर की गाडी चल सकती थी1 अब दोनो बच्चे भी स्कूल जाने लगे थे1 टास की चिन्ता कुछ कम हो गयी थी1 वो जानता था कि हेडन उस परिवार से कितना प्यार करता हैअगर वो लोग चले जाते तो वो जी ना सकता 1इस परिवार ने उसे इतना प्यार दिया था कि हेडन एक समझदार बच्चा बन गया था अमेरिकन बच्चों की तरह लापरवाह और असभ्य नहीं था 1 शायद अपने माहौल मे वो उसे इतना अच्छा ना बना पाता1 भारतीय सँस्कृ्ति के प्रति उसके मन मे भी लगाव सा उत्पन हो गया था1
अब तो हेड्न को यही लगने लगा था कि वो इसी परिवार का अँग है1वो भारर्तिय रहन सहन ्रीति रिवाज़ सब जान गया था1 वो अक्सर सोचता कि काश! वो किसी भारतीय माँ की कोख से जन्म लेता1 पटेल परिवार भी उसे अपने बेटे की तरह चाहता था1 हेडन को तो अब अपने घर जाना भी अच्छा नहीं लगता था मगर अपने पिता की खातिर वो रात को घर जाता था1
टास मैगी के आवारा दोस्तों व उसके शराब पीने से बहुत दुखी था1उस दिन मैगी घर मे ही अपने दोस्तों को ले आयी1 सब ने जम कर शराब पी और हँगामा करने लगे1 टास ने गुस्से मे आ कर उन्हें -गेट आउट- कह दिया1 मैगी को गुस्सा आ गया और वो अपना अटैची ले कर दोस्तों के साथ ही घर से चली गयी1 टास ने भी उसे रोकने की कोशिश नहीं की1
ज़िन्दगी के भी अजीब खेल हैँ! कुछ लोग एक ज़िन्दगी भी पूरी तरह नहीं जी पाते और कुछ लोग एक ही जीवन मे कितनी ज़िन्दगियाँ जी लेते हैं1 वो पल पल मे घटित सुख दुख मे अपनी सूझबूझ और सँवेदनायों से जीवन के अर्थ खोज लेते हैं1 टास जीवन से हार गया था1 पर पटेल परिवर के प्यार और परिस्थितियों से जूझने की कला ने दोनो के जीवन को बदल दिया था दादी माँ के वात्सल्य् और हेडन के बाल सुलभ प्रेम ने दो परिवारोम के बीच देश धर्म जाति की दिवार को तोड दिया था1
उस दिन हेडन स्कूल नहीं आया था1 सुगम के घर खेलने भी नहीं आया तो दादी माँ को चिन्ता हो गयी1 वो शाम को ही सुगम के साथ हेडन के घर गयी1 हेडन ने दरवाज़ा खोला------
दादी माँ आप------कम इन----
-हेडन क्या बात आज तुम स्कूल नहीं गये1 और घर भी नहीं आये!-----दादी ने पूछा
वो कुछ नहीं बोला उसकी आँखें भर आयी---दादी ने उसे अपनी बाहोँ मे ले कर प्यार से पूछा तो हेडन ने बताया कि पापा को रात से पेट दर्द था और वोमिट आ रही थी1 मम्मी भी के हफ्ते से घर नहीं आयी1--- दादी माँ एक दम दूसरे कमरे मे गयी तो टास निश्चेष्ट सा बिस्तर पर लेटा था नीचे फर्श की मैट पर उल्टी के निशान थे1 हेडन बेचारे से जितना साफ हो सका था कर दिया था मगर पूरी तरह नहीं कर पाया था1
---बेटा भी कहते को और दुख भी नहीं बताते-----दादी ने प्यार भरी झिडकी दी1जो हेडन ने इन्गलिश मे उसे समझा दी1दादी ने जल्दी से शालिनि को गाडी लाने के लिये कहा1 टास के मना करने पर भी वो उसे डाक्टर को दिख कर लायी -उसके लिये खिचडी बनायी फिर हेडन के साथ मिल कर सारा घर साफ किया और हफ्ते भर के कपडे लाँड्री मे साफ करवाये1 और रात को वो अपने घर लौटी
टास हैरान तोथा ही कृ्तग्य भी था1 अपने भाई बहनों और रिश्तेदारों को उसकी बिल्कुल चिन्ता नहीं थी1उसने अपने भाई बहन को फोन भी किया था पर उनके पास समय ही कहाँ था 1
यूँ भी अमेरिकन लोग केवल अपने लिये ही जीते हैं जब कि भारतीय पूरा जीवन ही रिश्तेनातों के नाम कर देते हैं1लेकिन अमेरिकन रिश्तों का बोझ ढोने मे विश्वास नहीं करते1 लेकिन पटेल परिवार ने कोई रिश्ता ना होते हुये भी टास और हेडन को अपना बना लिया था1 इस लिये उसे ये सब अजीब भी लगता था 1
दादी माँ सुबह भी नाश्ता ले कर आ गयी1 और साथ हे ऐलान भी कर दिया कि अब रोज़ उनका खाना वही बनायेगी1
क्रमश:

9 comments:

  1. कथा के गुणों से भरपूर,
    इस सशक्त कहानी के लिए,
    धन्यवाद।

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  2. रोचकता का समावेश लिए हुए आपकी कहानी का यह अंक भी पसंद आया....आगे देखते हैं क्या होना शेष है....अगले अंक की प्रतीक्षा में......

    साभार
    हमसफ़र यादों का.......

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  3. अमरीकी संस्कृति भूत की तरह हम लोगों के पीछे भी पड़ी हुई है. प्राप्ति बनी हुई है. आगे का इंतज़ार है

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  4. अमरीकी संस्कृति भूत की तरह हम लोगों के पीछे भी पड़ी हुई है. प्राप्ति बनी हुई है. आगे का इंतज़ार है

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  5. अपनी संस्कृति को रोचक और गर्वोचित तरीके से पेश करती हुयी कहाई आगे बढ़ रही है...........भावना पक्ष बहुत ही मजबूत है...........आगे भी इंतज़ार रहेगा

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  6. bahut bahut bahut achchhi kahani hai ...mujhe bahut pasand aayi ...khaskar ismein base gud..

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  7. निर्मला जी बहुत सुंदर कहानी लिखी है लगता है यह सची हो मेरा दिल कहता है,यह गोरे भी प्यार के भुखे है मन भर आया.
    धन्यवाद

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  8. वाह कहानी पूरी तरीके से अपने जवानी की तरफ बढ़ते हुए... बहोत ही खूबसूरती से कहानी दुरुस्तगी से आगे बढाती हुई ... दादी माँ की जीवटता से सबको सहारा देना एक सिख है जिसे सहेज के रख लेनी चाहिए ... बहोत बहोत बधाई....


    अर्श

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  9. हौसला-अफ़्ज़ाई का
    बहुत-बहुत शुक्रिया

    ---मुफलिस---

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