21 January, 2009


थोडी सी मुस्कान चाहिये
चंद साँसें आसान चाहिये
नहीं और् कोइ भी चाहत
बस रोटी वस्त्र् मकान चाहिये
बन सकता है देश स्वर्ग
शासकों मे ईमान चाहिये
नेताओं की इस् भीड् मे
कोई तो इन्सान चाहिय
जो दे गरीब को रोटी
शासक वो भगवान चाहिये
हर ओर खुशी का आलम हो
हर घर में धन धान चाहिये
विश्व गुरु कहलाये भारत
और नहीं वरदान चाहिये
जिसे सोने की चिडिया कहते थे
फिर वैसा हिन्दोस्तान चाहिये !!

19 comments:

  1. जिसे सोने की चिडिया कहते थे
    फिर वैसा हिन्दोस्तान चाहिये
    " वाह ! बात ये मुमकिन नही ...फ़िर भी न जाने मन को भा गयी सुंदर अभिव्यक्ति.."

    Regards

    ReplyDelete
  2. "बन सकता है देश स्वर्ग
    शासकों मे ईमान चाहिये"
    अति सुंदर

    ReplyDelete
  3. देशभक्ति की भावना कूट कूट कर भरी है....इस कविता में...बहुत सुंदर लिखा।

    ReplyDelete
  4. छोटी बहर की खूबसूरत गजल। बधाई।

    ReplyDelete
  5. और नहीं वरदान चाहिये
    जिसे सोने की चिडिया कहते थे
    फिर वैसा हिन्दोस्तान चाहिये

    सही कहा आपने ..सुंदर भाव .बढ़िया

    ReplyDelete
  6. और हमें आदरणीय निर्मला जी से सदा ऐसी सुन्दर रचना चाहिए

    ---आपका हार्दिक स्वागत है
    चाँद, बादल और शाम

    ReplyDelete
  7. tr'बस रोटी वस्त्र् मकान चाहिये
    बन सकता है देश स्वर्ग
    शासकों मे ईमान चाहिये
    नेताओं की इस् भीड् मे
    कोई तो इन्सान चाहिय
    जो दे गरीब को रोटी
    शासक वो भगवान चाहिये'

    -आपका यह आह्वान जिन शासकों ने सुनना चाहिए वे सब बहरे हो चुके हैं.

    ReplyDelete
  8. deshbhakti ki kavita aapne bahut acchi likhi hai.

    ReplyDelete
  9. बहुत ही सुंदर भाव लिए है आपकी ये रचना और शायद हरेक के दिल की चाहत भी ।

    ReplyDelete
  10. आपकी चाहत अरमान भारत के लिए, अपने देश के लिए ऐसे विचार स्वागत योग्य है। लिखते रहें, खूब लिखें।

    ReplyDelete
  11. नहीं और् कोइ भी चाहत
    बस रोटी वस्त्र् मकान चाहिये ...बहुत खूब ...उत्तम

    अनिल कान्त
    मेरा अपना जहान

    ReplyDelete
  12. जिसे सोने की चिडिया कहते थे
    फिर वैसा हिन्दोस्तान चाहिये....
    बन सकता है, आप का सपना सच हो सकता है.
    बस हम सब को अपने अन्दर से लालची आदमी को निकालाना होगा. देश मै से बेईमानी, रिशवत खोरी मिटानी होगी जिस म्सि हम सब शामिल है.
    धन्यवाद इस सुंदर कविता के लिये.

    ReplyDelete
  13. "जिसे सोने की चिडिया कहते थे
    फिर वैसा हिन्दोस्तान चाहिये"
    आपने तो करोड़ों दिलों की बात कह दी!

    ReplyDelete
  14. गणतंत्र दिवस पर आपको ढेर सारी शुभकामनाएं

    ReplyDelete
  15. नेताओं की इस् भीड् मे
    कोई तो इन्सान चाहिय
    आपकी प्रार्थना में मैं भी शामिल हूँ.
    (Pls remove unnecessary word verification)

    ReplyDelete
  16. Respected Nirmala Ji,
    Jyadatar gazalon ka vishya prem hee rahta hai.apkee ye gazal ekdam alag hat kar hai.badhai.Blog par se word varification hata den to achchha rahega.
    Poonam

    ReplyDelete
  17. उन्हें पुकारें किन नामों से,
    जो डूबे रंगरलियों में।
    मोटे अजगर छिपे हुए हैं,
    खादी की केंचुलियों में।

    ReplyDelete

आपकी प्रतिक्रिया ही मेरी प्रेरणा है।