थोडी सी मुस्कान चाहिये
चंद साँसें आसान चाहिये
नहीं और् कोइ भी चाहत
बस रोटी वस्त्र् मकान चाहिये
बन सकता है देश स्वर्ग
शासकों मे ईमान चाहिये
नेताओं की इस् भीड् मे
कोई तो इन्सान चाहिय
जो दे गरीब को रोटी
शासक वो भगवान चाहिये
हर ओर खुशी का आलम हो
हर घर में धन धान चाहिये
विश्व गुरु कहलाये भारत
और नहीं वरदान चाहिये
जिसे सोने की चिडिया कहते थे
फिर वैसा हिन्दोस्तान चाहिये !!
जिसे सोने की चिडिया कहते थे
ReplyDeleteफिर वैसा हिन्दोस्तान चाहिये
" वाह ! बात ये मुमकिन नही ...फ़िर भी न जाने मन को भा गयी सुंदर अभिव्यक्ति.."
Regards
"बन सकता है देश स्वर्ग
ReplyDeleteशासकों मे ईमान चाहिये"
अति सुंदर
देशभक्ति की भावना कूट कूट कर भरी है....इस कविता में...बहुत सुंदर लिखा।
ReplyDeleteछोटी बहर की खूबसूरत गजल। बधाई।
ReplyDeleteऔर नहीं वरदान चाहिये
ReplyDeleteजिसे सोने की चिडिया कहते थे
फिर वैसा हिन्दोस्तान चाहिये
सही कहा आपने ..सुंदर भाव .बढ़िया
और हमें आदरणीय निर्मला जी से सदा ऐसी सुन्दर रचना चाहिए
ReplyDelete---आपका हार्दिक स्वागत है
चाँद, बादल और शाम
tr'बस रोटी वस्त्र् मकान चाहिये
ReplyDeleteबन सकता है देश स्वर्ग
शासकों मे ईमान चाहिये
नेताओं की इस् भीड् मे
कोई तो इन्सान चाहिय
जो दे गरीब को रोटी
शासक वो भगवान चाहिये'
-आपका यह आह्वान जिन शासकों ने सुनना चाहिए वे सब बहरे हो चुके हैं.
बेहतरीन!!
ReplyDeletedeshbhakti ki kavita aapne bahut acchi likhi hai.
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर भाव लिए है आपकी ये रचना और शायद हरेक के दिल की चाहत भी ।
ReplyDeletebahut hi sundar....
ReplyDeleteआपकी चाहत अरमान भारत के लिए, अपने देश के लिए ऐसे विचार स्वागत योग्य है। लिखते रहें, खूब लिखें।
ReplyDeleteनहीं और् कोइ भी चाहत
ReplyDeleteबस रोटी वस्त्र् मकान चाहिये ...बहुत खूब ...उत्तम
अनिल कान्त
मेरा अपना जहान
जिसे सोने की चिडिया कहते थे
ReplyDeleteफिर वैसा हिन्दोस्तान चाहिये....
बन सकता है, आप का सपना सच हो सकता है.
बस हम सब को अपने अन्दर से लालची आदमी को निकालाना होगा. देश मै से बेईमानी, रिशवत खोरी मिटानी होगी जिस म्सि हम सब शामिल है.
धन्यवाद इस सुंदर कविता के लिये.
"जिसे सोने की चिडिया कहते थे
ReplyDeleteफिर वैसा हिन्दोस्तान चाहिये"
आपने तो करोड़ों दिलों की बात कह दी!
गणतंत्र दिवस पर आपको ढेर सारी शुभकामनाएं
ReplyDeleteनेताओं की इस् भीड् मे
ReplyDeleteकोई तो इन्सान चाहिय
आपकी प्रार्थना में मैं भी शामिल हूँ.
(Pls remove unnecessary word verification)
Respected Nirmala Ji,
ReplyDeleteJyadatar gazalon ka vishya prem hee rahta hai.apkee ye gazal ekdam alag hat kar hai.badhai.Blog par se word varification hata den to achchha rahega.
Poonam
उन्हें पुकारें किन नामों से,
ReplyDeleteजो डूबे रंगरलियों में।
मोटे अजगर छिपे हुए हैं,
खादी की केंचुलियों में।