24 September, 2016

गज़ल 


वक्त से थोडा प्यार कर लेना
आदतों में सुधार कर लेना

बात हो सिर्फ प्यार की जानम
आज शिकवे उधार कर लेना

जो जहां ने दिए हैं खंजर वो
सुन तू सब्रो करार कर लेना

मत खुशी में बुलाना  चाहे तू
गम में मुझ को शुमार कर लेना

रोज तकरार से तो अच्छा है
फैसला आरपार कर लेना

देश के वास्ते अगर हो सके
तो दिलो जां निसार कर लेना

6 comments:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि- आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल रविवार (25-09-2016) के चर्चा मंच "शिकारी और शिकार" (चर्चा अंक-2476) पर भी होगी!
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ-
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

Onkar said...

सुन्दर ग़ज़ल

कविता रावत said...

बहुत सुन्दर गजल .....फेसबुक की तरह ही यूँ ही ब्लॉग पर भी लिखते रहें, अच्छा लगता है .

Unknown said...

बहुत सुन्दर गजल है | -khayalrakhe.com

Manoj kumar said...

bahut sundar gajal.

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

बहुत शानदार गजल है।

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