गज़ल
कुछ पा लिया कुछ खो लिया
फिर बेतहाशा रो लिया
आंखों से जब आंसू गिरे
तो ज़ख्म दिल का धो लिया
फिर भी हुयी मुश्किल अगर
आँचल मे माँ की सो लिया
दुश्वारियों का बोझ भी
जैसे हुया बस ढो लिया
जिसने बुलाया प्यार से
मै तो उसी का हो लिया
बेकार कर दी ज़िन्दगी
बस खा लिया और सो लिया
करते मुहब्बत सब मुझे
जो प्यार बाँटा वो लिया
104 comments:
बढ़िया अशआरों से सजी हुई खूबसूरत ग़ज़ल!
jisne aapki lekhnee padhi...
bas aapka mureed ho liyaa....
aap aashirvaad dene aayee nahee kaafi dino se apne bete ke blog pe....
http://raaz-o-niyaaz.blogspot.com/
बहुत सुन्दर भावों की अदभुत व अनुपम प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार.
पढकर आनंद आ गया.
मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.
आप यूँ मुहँ न मोड़ियेगा.
बहुत सटीक और खूबसूरत गज़ल ..
bahut hi badhiya gazal
बहुत ही भावयुक्त गजल!!
बस यही स्थिति है!!
आँखों से जब आँसू गिरे
तो ज़ख़्म दिल का धो लिया
खूबसूरत ग़ज़ल.
जो भी प्यार से मिला हम उसी के हो लिए - अगर यही हम सोच लें तो फिर दुनियाँ स्वर्ग का एक रूप हो जाये. बहुत सुंदर ग़ज़ल .
बहुत सही, यह तो शाश्वत सत्य है -
जिसने बुलाया प्यार से
मै तो उसी का हो लिया
बहुत सटीक बहुत सही !!
सुन्दर भावो से सजी शानदार गज़ल्…………इसे पढकर ये गाना याद आ गया
मै ज़िन्दगी का साथ निभाता चला गया
हर फ़िक्र को धुयें मे उडाता चला गया
बेकार कर ली जिन्दगी ,
बस खा लिए और सो लिए ....................
आम आदमी (मैंगो मैन) की भाषा में उपरोक्त सुंदर रचना हेतु आभार..........
पी. एस. भाकुनी
बहुत ही सुंदर गजल..बेहतरीन।
Nirmalaji,bahut,bahut sundar! Aapne kaafee dinon baad likha hai!
बेकार कर दी जिंदगी
बस खा लिया और सो लिया .
सुन्दर अशआर से सुसज्जित बढ़िया ग़ज़ल .
खुबसुरत शे'र ..क्या बात हैं ???
अच्छा संदेश है। प्यार दो,प्यार लो।
वाह ! एक सुंदर ग़ज़ल.
सुन्दर भावो से सजी शानदार गज़ल्…
फिर भी हुई मुश्किल अगर,
आँचल में माँ की सो लिया...
अदभुत...अनुपम...बेहतरीन...
बेहद खूबसूरत गजल. आभार.
सादर,
डोरोथी.
खूबसूरत ग़ज़ल,आभार.
बहुत सुंदर ग़ज़ल .
खूबसूरत गज़ल, दार्शनिक अंदाज। बहुत खूब। बधाई।
bahut achchhi gazal...
"दुश्वारियों का बोझ भी जैसे हुआ बस ढो लिया ...."
ग़ज़ल आपकी पसंदीदा विधा है और ग़ज़ल का हर शेर एक रोमांच पैदा करता है. फिर-फिर पढने को मन करता है. बहुत आभार निर्मला दी !
(विशेष- दी से अभिप्राय दीदी से है न कि पंजाबी 'दी' से. जिस 'दी' का अर्थ 'की' होता है. )
बहुत ही खूबसूरत...
bahut badhiya likha hai
फिर भी हुई मुश्किल अगर,
आँचल में माँ की सो लिया..
isse jyada rahat aur kahan ?
बहुत ख़ूब दीदी, इस ग़ज़ल में तो आपने मेरे मन की बातें बयान कर दी है। हम बस जब भी कोई विकट परिस्थिति आती है तो रो-धो लेते हैं और उसके भी पार जगत-जननी की गोद में सर रख देते हैंं कि अब सब तेरे हाथ।
और उन लोगों का क्या कहना जो खाए-पिए और निश्चिंत हो लिए।
खूबसूरत ग़ज़ल
बहुत ही संवादपूर्ण गजल, पढ़ने में आनन्द आ गया।
bahut pyaari ghazal
बहुत ख़ूबसूरत और उम्दा ग़ज़ल लिखा है आपने! हर एक शेर लाजवाब है!
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
http://seawave-babli.blogspot.com
bahut pasand aayee......
khoobsoorat gazal
दुश्वारियों का बोझ भी
जैसे हुआ बस ढो लिया
जिसने बुलाया प्यार से
मैं भी उसी का हो लिया..
..बिलकुल सच कहा प्यार में बहुत ताकत होती है और यह प्यार वह बखूबी समझता है जो प्यार करना जानता हो..
माँ जी बहुत प्यारी गजल लगी ...आभार
Awesome creation ! Quite realistic !
निम्मो दी!!
छोटी बहर की बड़ी गज़ल... बहुत सुन्दर!!
निर्मला कपिला जी हार्दिक अभिवादन -मन को छू जाने वाली निम्न पंक्तियाँ -हम सहज ही सब कुछ सह कर करते चले जाते हैं अगर हम में सूझ बूझ है -यही है जिन्दगी
सुन्दर भाव -बधाई
शुक्ल भ्रमर ५
भ्रमर का दर्द और दर्पण
दुश्वारियों का बोझ भी
जैसे हुआ बस ढो लिया
जिसने बुलाया प्यार से
मैं भी उसी का हो लिया.
वाह....बहुत अच्छी रचना....
जिसने बुलाया प्यार से... :)
बहुत ही अच्छी गजल!!!
ला ला ल ला ला ला ल ला
ला ला ल ला ला ला ल ला
क्या प्रवाह है इस ग़ज़ल का दीदी, दिल खुश हो गया| जस्ट लाइक नॉन स्टॉप राजधानी एक्स्प्रेस| बहुत ही सुंदर और ताज़गी भरी ग़ज़ल| आपकी जय हो|
घनाक्षरी समापन पोस्ट - १० कवि, २३ भाषा-बोली, २५ छन्द
अरे वाह, मानो जीवन परिभाषित किया हो!
आज बड़े दिनों के बाद आपको ब्लॉग पर देख कर बहुत खुशी हो रही है ! बहुत खूबसूरत गज़ल के साथ आई हैं आप आज ! आशा है पूर्णत: स्वस्थ व सानंद होंगी !
जिन्दगी को खुद में समेटे हुए
बहुत ही खूब सूरत एहसासों की ग़ज़ल .......आभार
लंबे समय बाद आज आपको दुबारा पढ़ा है ... कुछ उदासी लिए गहरी गज़ल के साथ ... आशा है आपका स्वस्थ ठीक होगा ...
बेहतरीन ग़ज़ल.....
बहुत सुन्दर बढ़िया गजल हैं...आभार
सहज अनुभूति की स्वस्फूर्त ग़ज़ल .
सहज अनुभूति की स्वस्फूर्त ग़ज़ल .
bahut dino baad aap ka likha kuchh padhne ko mila aur vo bhi itna dhamakedar. wah kya baat hai...umda gazal.
बहुत सुन्दर बढ़िया गजल हैं.कल की चर्चा मंच पे इसका ज़िक्र करूँगा
वाह जी,
क्या बात है,
बातों को कहने का ये भी अंदाज है।
बहुत सुंदर
कल ,शनिवार (३०-७-११)को आपकी किसी पोस्ट की चर्चा है ,नई -पुराणी हलचल पर ...कृपया अवश्य पधारें...!!
खूबसूरत गजल. आभार.
जो भी प्यार से मिला हम उसी के हो लिए ....
आपको हरियाली अमावस्या की ढेर सारी बधाइयाँ एवं शुभकामनाएं .
सुन्दर प्रस्तुति |
बधाई ||
व्यक्ति अपनी मौलिकता में ऐसा ही जीवन जीता है।
are wah! kya baat hai---badhaee
जिसने बुलाया प्यार से
मैं तो उसी का हो लिया
.............उम्दा शेर
.........बेहतरीन ग़ज़ल
dil ko choo lene wali ghazal..aapka margdarsh ham naye logon ko bhi mile isi akankcha aur apne blog pe amantran ke sath
sacchi anubhutiyon ko piro dala hai!
regards,
बहुत भावपूर्ण गजल |आप बहुत दिन बाद आई हैं ब्लॉग पर |
आज की रचना के लिए बधाई
आशा
बेकार कर दी ज़िन्दगी ,बस खा लिया और सो लिया ,आज चर्चा मंच पर दोबारा बांचा, गुना ,इस ग़ज़ल को और खुद को ये गीत गुनगुनाते पाया -उठ जाग मुसाफिर भोर भई ,अब रैन कहाँ जो सोवत है ,जो सोवत है सो खोवत है ,जो जागत है सो पावत है .
सरल शब्दों में भावों को सार्थक अभिव्यक्ति दी है आपने.
बहुत खूब. "बेकार कर दी ज़िन्दगी बाद खा लिया और सो लिया" मैं अपने मन को टटोल रहा हूँ.
सरल शब्दों में भावों को सार्थक अभिव्यक्ति....
aankhon se jab aansu dire to zakhm dil.....................
bahut khub
gazal me ek ravani hai
bahut hi pyari gazal
saader
rachana
SUNDAR SHERON SE SAJEE HAI GAZAL.
MEREE BADHAAEE AUR SHUBH KAMNA .
हाँ जी.. यह तो बिलकुल उस गाने का प्रतिबिम्ब है..
मैं ज़िन्दगी का साथ निभाता चला गया.. हर फ़िक्र को धुंए में उडाता चला गया!
और एक गीत...
हम हैं राही प्यार के हमसे कुछ न बोलिए, जो भी प्यार से मिला, हम उसी के हो लिए...
बेमिसाल गज़ल.खूबसूरत शेरो से सजी
आभार
करते मुहब्बत सब मुझे जो प्यार बाँटा वो लिया ।
सुंदर ।
बहुत दिनों बाद आ रहा हूँ , निर्मला जी , माफ़ी चाहूँगा
आप कैसी है , आपकी health कैसी है ..
गज़ल बहुत अच्छी लिखी है आपने /
हर शेर कुछ न कुछ कह रहा है ... दिल से बधाई आपको
आभार
विजय
कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html
हमेशा की तरह दिलकश गजल कही है आपने।
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कम्प्यूटर से तेज़!
इस दर्द की दवा क्या है....
फ़िर से एक खूबसूरत गजल ।
धन्यवाद निर्मला जी
निर्मला जी -
बहुत सार्थक भावों को इस ग़ज़ल के माध्यम से अभिव्यक्त किया है .आपके ब्लॉग का परिचय श्री राजीव कुलश्रेष्ठ जी ने ''ये ब्लॉग अच्छा लगा '' व् ''भारतीय नारी '' पर दिया है .आप इन दोनों ब्लोग्स पर aayen व् अपने विचारों से हम सभी को अवगत कराएँ .इन ब्लोग्स का URL इस प्रकार है -''http ://yeblogachchhalaga.blogspot .com '' व् ''http ://bhartiynari .blogspot .com ''. आभार
निर्मला जी आपकी रचनाएँ बहुत बार पढ़ी हैं और बहुत बार चाहा है कि आपके ब्लॉग पर आकर टिपण्णी करूं और आपके ब्लॉग से निरंतर जुडी रहूँ किन्तु इसे आप मेरा दुर्भाग्य ही कहिये कि मैं ऐसा करने में असफल rahee आज राजीव जी ने आपके ब्लॉग को ये ब्लॉग अच्छा लगा पर और भारतीय नारी पर लिया और हमने ये ठान ही लिया की आज आपके ब्लॉग से ज़रूर जुड़ना है और आज हम इससे जुड़ रहे हैं और ब्लॉग जगत में अपने सौभाग्य को बढ़ा रहे हैं .आप भी भारतीय नारी से जुड़ें तो हम सभी को प्रसन्नता होगी.
kahin dard hai, kahin haar hai, par jindagi issi ko kehte hain. Love it very much.
rochak aur manoram gazal
badhi.
वाह, बहुत सुन्दर ग़ज़ल !
माँ जी को सपरिवार जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें
जन लोकपाल के पहले चरण की सफलता पर बधाई.
Maa ji ko Ganesh chaturthi kee bahut bahut haardik shubkamnayen..
ਨਿਰਮਲਾ ਮਾ,
ਸਤ ਸ੍ਰੀ ਅਕਾਲ!
ਉਮਦਾ ਨਜ਼ਰਿਯਾ ਜਿੰਦੜੀ ਦਾ!
ਆਸ਼ੀਸ਼
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ਮੈੰਗੋ ਸ਼ੇਕ!!!
I feel like each and every 'sher' is my story. Really very meaningful Gazal! I like it very much. Congrats on such a nice Gazal!
नई ब्रिटेन से 2011 में तेजी से बढ़ता निवेश
एक वैध पता और एक प्रमाण पत्र के साथ
एमएलएम प्रणाली के साथ निवेश
नेटवर्क खोज के बिना अभी भी लाभ मिलता है
अपने शहर में पहले व्यक्ति बनें
अधिक जानकारी के लिए कृपया मेरे ब्लॉग पर जाएँ:
http://en-lexusventure.blogspot.com
ब्लॉगिंग से आपकी लंबी चु्प्पी अखर रही है. आप कब लौट रही हैं.
Maa ko spariwar MAA shardiya NAVRATRI kee bahut bahut haardik shubhkamnayen!
आप सब को विजयदशमी पर्व शुभ एवं मंगलमय हो।
बढ़िया भाव पूर्ण रचना
काबिले तारीफ
आदरणीय निर्मला जी,
लम्बे समय से आपकी कुशलता की कोई सूचना नहीं है। कृपया एक माइक्रोपोस्ट लिखकर अपनी खैरियत का सन्देश दीजिये।
आदरणीय निर्मला जी ,
आज अपनी पोस्ट पर आपका कमेन्ट देखकर बहुत अच्छा लगा। आप ज्यादा दिनों तक दूर मत रहा कीजिये। ईश्वर से प्रार्थना है आप सपरिवार स्वस्थ एवं सानंद रहे। जल्दी ही सक्रीय होइए। हम सभी आपके इंतज़ार में हैं।
बहुत सुन्दर रचना
बधाई हो ..
मेरे ब्लॉग पे आपका स्वागत है ..
बहुत ही सुन्दर और दिल को छूने वाली रचना !
very nice expression.
आप को जन्मदिन की हार्दिक मंगल् कामनाएँ ।
्निर्मला जी नमस्कार, दुश्वारियो का बोझ------------- बहुत खूब कहा । मेरे ब्लाग पर आपका हार्दिक स्वागत है।
बढ़िया अशआरों से सजी हुई खूबसूरत
asha karta hu ki ap bhi mere sahyogi banege or apne vicharo se mujhe mere blog pe avghat karwayenge
वाह...आज पहली बार आपका ब्लॉग देखा..
दिल आ गया..
सादर.
बहुत ही खूबसूरत.....दार्शनिक अंदाज.....
कृपया इसे भी पढ़े-
नेता- कुत्ता और वेश्या (भाग-2)
अच्छी गजल ...
सुंदर भाव सुंदर प्रस्तुति.
बहुत खूब!
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