दोहे
कौन बिछाये बाजरा कौन चुगाये चोग
देख परिन्दा उड गया खुदगर्जी से लोग
लुप्त हुयी कुछ जातियाँ छोड गयीं कुछ देश \
ठौर ठिकाना ना रहा पेड रहे ना शेष
कौन करेगा चाकरी कौन उठाये भार
खाने को देती नही कुलियों को सरकार
धन दौलत हो जेब मे ,हो जाते सब काम
कलयुग के इस दौर मे चुप बैठे हैं राम
जहाँ जिधर भी देख लो रहती भागम भाग
देख लगे जैसे सभी चले बुझाने आग
देख परिन्दा उड गया खुदगर्जी से लोग
लुप्त हुयी कुछ जातियाँ छोड गयीं कुछ देश \
ठौर ठिकाना ना रहा पेड रहे ना शेष
कौन करेगा चाकरी कौन उठाये भार
खाने को देती नही कुलियों को सरकार
धन दौलत हो जेब मे ,हो जाते सब काम
कलयुग के इस दौर मे चुप बैठे हैं राम
जहाँ जिधर भी देख लो रहती भागम भाग
देख लगे जैसे सभी चले बुझाने आग
62 comments:
कौन बिछाए बाजरा . ....
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सभी दोहे एक से बढ़ कर एक हैं,बहुत सुंदर ,आभार.
बड़े सटीक और प्रासंगिक विचार लिए दोहे..... बहुत सुंदर
धन दौलत हो जेब में,हो जाते सब काम
कल युग के इस दौर में, चुप बैठे हैं राम
आदरणीय निर्मला कपिला जी
सादर प्रणाम
दोहे सशक्त भावाभियक्ति का माध्यम है , आपके इन दोहों में जीवन के आन्तरिक और वाह्य पक्षों का बखूबी वर्णन हुआ है ....!
आज के मानव जीवन की विसंगतियों की सहज लेकिन सशक्त अभिव्यक्ति. आभार .
kya baat hai nirmala ji !is vidha ko bachane kaa zimma le kar ap ne sachchi kavitri hone ka suboot diya hai
badhai aur shubhkamnaen !
देखन में छोटन लगे घाव करे गंभीर
बहुत सुन्दर
मुझे तो तीसरा सबसे अच्छा लगा
Bahut sundar dohe likhe haae aapne badhai !
sabhi dohon ka purjor asar hai
कमाल के, बेहतरीन सन्देश देते दोहे लिख रहीं हैं आप ! हार्दिक शुभकामनायें !!
सभी दोहे एक से बढ़ कर एक हैं,बहुत सुंदर
bahut achhi baat kahi hai aapne nirmla aunty....
aaj ke vartmaan parideshya mein fit baithti hai :)
बहुत सुंदर!
वाह जी बहुत सुंदर.
सटीक दोहे ...सुन्दर प्रस्तुति
अच्छे दोहे हुए हैं.....बधाई!
आज के मानव जीवन की विसंगतियों की सशक्त अभिव्यक्ति....सटीक दोहे!!!
होली की अपार शुभ कामनाएं...बहुत ही सुन्दर ब्लॉग है आपका....मनभावन रंगों से सजा...
सजग और सामयिक दोहे सीधे मन में पैठ बनाते हैं।
आज के परिवेश में बहुत सटीक
प्रणाम स्वीकार करें
दीदी,
कमाल के दोहे हैं। सब एक से एक संदेश देते हुए।
सभी दोहे एक से बढ़ कर एक है……सुन्दर संदेश देते हैं।
धन दौलत हो जेब में,हो जाते सब काम
कल युग के इस दौर में, चुप बैठे हैं राम...
हर दोहे में एक गहरा भाव व सन्देश है.. सुन्दर रचना...
वाह जी वाह । बहुत सुन्दर दोहे लिखे हैं । बधाई ।
वाह निर्मला दी,
सभी दोहे खूबसूरत हैं, ’धन दौलत हो जेब में, हो जाते सब काम’ वाला ’द बैस्ट’ लगा।
शुभकामनायें।
पाचों दोहे समय की नब्ज टटोलते हुए बहुत सुन्दर.
बेहद सटीक अवलोकन। कलियुग का बेहतरीन चित्रण ।
बेहद सटीक और सामयिक, शुभकामनाएं.
रामराम.
Waah .. lajawab dohe hain sab ... sach mein aaj raam nazar nahi aate ..
सटीक व सामयिक दोहे।
निम्मो दी! अब तो आपके दोहे सुभाषित की श्रेणी में आते जा रहे हैं. प्रेरक दोहे!!
निम्मो दी! अब तो आपके दोहे सुभाषित की श्रेणी में आते जा रहे हैं. प्रेरक दोहे!!
..अंतिम दोहा बहुत अच्छा लगा।
..अंतिम दोहा बहुत अच्छा लगा।
वह वह वाह क्या दोहे हैं, अच्छे लगे!
धन दौलत हो जेब में,हो जाते सब काम
कल युग के इस दौर में, चुप बैठे हैं राम
आप की रचना आज के युग का सत्य हे जी, सभी दोहे बहुत अच्छे लगे धन्यवाद
बहुत सुन्दर और सार्थक दोहे, जीवन मूल्यों को समझाते से ! बधाई एवं आभार !
धन दौलत हो जेब में हो जाते सब काम
कलयुग के इस दौर में चुप बैठे है राम ...
अभी जापना की सुनामी के दौर से बाहर नहीं निकले ..कितनी जेबों में पैसे धरे ही रह गए होंगे ...
सभी दोहे एक से बढ़कर एक है !
सुन्दर भाव। एक ही बार में याद हो जाने योग्य।
धन दौलत हो जेब में, हो जाते सब काम।
कलियुग के इस दौर में, चुप बैठे हैं राम।
आजकल की परिस्थिति का बखूबी चित्रण है इन दोहों में।
धन दौलत जेब में हो जाते सब काम...
लेकिन कफ़न में तो जेब नहीं होती...
जय हिंद...
bahut manoranjak dhang se sach baat likh din....
बहुत बढ़िया दोहे, आज की हकीकत बयान करते..
वाह जी, बहुत बढ़िया दोहे सुनाये आपने.
व्यापक अर्थ लिए सभी दोहे . शुभकामना .
बहुत बढ़िया दोहे ...एक से बढ़कर एक ।
बहुत ही सार्थक दोहे है । विचारपरक भावाभिक्ति से सजे दोहे । आभार निर्मला जी ।
"दो पल ना रूके वो हमेँ मुदद्तोँ से इंतजार था "
वर्तमान को परिभाषित करते..... सभी दोहे समर्थ और सुन्दर
AAKHIRI KE DONO DOHE ..SHAANDAAR & ARTHPURN ...NAMASKAAR :)
aadarniy mam
aapki dohe ki har panktiyan sachhai se bharpur hain.ye bhi sach hai ki shayad bhagvaan bhi baithe -baithe is duniya ko tamashai banakar kalyug shabd ko charitarth karne ke liye chuuppi sadhe sab kuchh dekh kar bhi
anjaan se bane hain .
bahut hi yatharth-purn v- sateek abhivyakti
bahut bahut abhinandan
poonam
बहुत बहुत सही कहा...
सार्थक दोहे...
मारक दोहे ...
बहुत सही. बहुत सुन्दर.
घुघूती बासूती
vaah ji vaah... maja aa gaya
आपकी टिपण्णी और उत्साहवर्धन के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!
बहुत सुन्दर और शानदार दोहे! बेहतरीन प्रस्तुती!
सारे दोहे... एक से बढ़कर एक... एवं सटीक...
क्या शानदार अभिव्यक्ति है यथार्थ की .
कबीरदासजी ने शायद इसीलिये कहा होगा
"मन पाँचों के बस परा,मन के बस नहीं पांच
जित भागू तित दयों लगी,जित देखूं तित आग"
मेरे ब्लॉग 'मनसा वाचा कर्मणा'पर आपके आने का बहुत बहुत आभारी हूँ.होली की हार्दिक शुभकामनाएँ.
धन दौलत हो जेब में, हो जाते सब काम
कलयुग के इस दौर में चुप बैठे हैं राम...
वाह्! बेहतरीन...सब के सब एक से बढकर एक.. वर्तमान की हकीकत ब्याँ करते हुए.
आभार्!
धन दौलत हो जेब में,हो जाते सब काम
कल युग के इस दौर में, चुप बैठे हैं राम...
बहुत ही गहरे भाव लिए हैं सारे दोहे.
बहुत ही बढ़िया लिखा है आपने.
ख़ास कर
धन दौलत हो जेब में, हो जाते सब काम
कलयुग के इस दौर में चुप बैठे है राम
जितनी तारीफ़ करूँ, कम है.
आप हम जैसे लोगों के प्रेरणा स्त्रोत हैं.
ढेरों सलाम.
काम की व्यस्तता के चलते देर से पहुंचा .
मुआफी चाहूंगा.
वाह्! बेहतरीन...सब के सब एक से बढकर एक
'गागर में सागर' से लगे मोहे.
आपके ये सटीक व सुन्दर दोहे.
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