मेरे रहनुमां
दुनिअ के तमाम रिश्ते
मेरे लिये गुमनाम बन गये
ये चँद कागज़ के टुकडे
दिल के राज़दान बन गये
जो कह सके ना अपनों से बात
उसकी ये दास्तान बन गये
अब ना किसी दोस्त न हमदम की तमन्ना
ये मेरी तमन्नाओं के चाहवान बन गये
ये चुभायेंगे ना तीर अपनी जफा का ज़िगर में
ये मेरे दर्दे ज़िगर क हम नाम बन गये
चीरते हैं कलम से इनका दिल तो उफ नहीं करते
ये कागज़ मेरे कितने मेहरवान बन गये
आये हैं इनकी बदौलत आपकी महफिल में
शुक्रिया इनका हम इस महफिल के कद्र्दान बन गये !!
11 comments:
चीरते हैं कलम से इनका दिल तो उफ नहीं करते
ये कागज़ मेरे कितने मेहरवान बन गये
गज़ब का लेखन परिचय बहोत ही उम्दा लिखा है आपने बेहतरीन .... ढेरो बधाई आपको..
अर्श
बहुत ही मोहक है ...
चीरते हैं कलम से इनका दिल तो उफ नहीं करते
ये कागज़ मेरे कितने मेहरवान बन गये
बहुत सुंदर।
khoobsurat rachna hai. badhai.
चीरते हैं कलम से इनका दिल तो उफ नहीं करते
ये कागज़ मेरे कितने मेहरवान बन गये
आये हैं इनकी बदौलत आपकी महफिल में
शुक्रिया इनका हम इस महफिल के कद्र्दान बन गये
- बहुत सुंदर.
क्या लिखा है आपने ...बहुत खूब
चीरते हैं कलम से इनका दिल तो उफ नहीं करते
ये कागज़ मेरे कितने मेहरवान बन गये
....
जितनी भी तारीफ़ की जाए कम है
अनिल कान्त
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
बहुत ही सुंदर आप की यह कविता, जब प्यार होता है तो सही हाल होता है.
धन्यवाद
kavita bahut hi sundar hai..aakhiri do panktiyon ne to dil mein ghur kar liya..
Nirmala ji aapke blog ka header jahaan aapke blog ka naam likha hai uska aakaar zarurat se zyada bada hai, main uska aakaar sudhaar kar aapko mail kar rahi hoon , aap email se download kar ke laga lijiyega. aapse anjaane mein hi ek judaav sa ho gaya .. kuchh karne ka dil kiya ...socha yahi sahi...
aapki profile mein jo email address hai us par bhej dungi .
likhte rahiye..
सुन्दर है, बधाइयाँ
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गुलाबी कोंपलें
चीरते हैं कलम से इनका दिल तो उफ नहीं करते
ये कागज़ मेरे कितने मेहरवान बन गये
आये हैं इनकी बदौलत आपकी महफिल में
शुक्रिया इनका हम इस महफिल के कद्र्दान बन गये
bahut khub likha hai ||||
अब ना किसी दोस्त न हमदम की तमन्ना
ये मेरी तमन्नाओं के चाहवान बन गये
Bahut hi sundar panktiyan.
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