गज़ल
सितम सहने की आदत डाल ली
कुछ ना कहने की आदत डाल ली
दुनिया आग को हवा देती है
दरिया सी बहने की आदत डाल ली
तकरार से फासले नहीं मिटते
खामोश सहने की आदत डाल ली
ज़िन्दगी की हर डगर पर यारो
चलते रहने की आदत डाल ली
दिल में छुपाये फिरते हैं दर्द हम
पर हंसते रहने की आदत दाल ली
कौन किसी का हमदर्द है जहाँ मे
दिल की दिल से कहने की आदत डाल ली
16 comments:
तकरार से फासले नहीं मिटते
खामोश सहने की आदत डाल ली
बेहतरीन ग़ज़ल...बधाई....
नीरज
बहुत अच्छे ख्यालात का मुजाहरा किया है आपने अपनी गजल मैं
दुनिया आग को हवा देती है
दरिया सी बहने की आदत डाल ली
तकरार से फासले नहीं मिटते
खामोश सहने की आदत डाल ली
दिल में छुपाये फिरते हैं दर्द हम
पर हंसते रहने की आदत दाल ली
जिन्दगी में सकूं के लिये यह जरूरी है..
दुनिया आग को हवा देती है
दरिया सी बहने की आदत डाल ली
bahut achchhe....!
ek behtarin gazal waah lajawaab sher hai saare ,aafrin
अच्छा लिखा है लेकिन शायद इक जगह डाल का दाल हो गया, सही कर लें!
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गुलाबी कोंपलें
"दिल से कहने की आदत डाल दी" तसल्ली तो इसी में है. बहुत बढ़िया लिखा है. आभार.
सितम सहने की आदत डाल ली
कुछ ना कहने की आदत डाल ली
दिल को छूने वाला ग़ज़ल, एक सुंदर और सफल प्रयास के लिए बधाई.
धन्यवाद
http://avinash-theparaiah.blogspot.com/
दुनिया आग को हवा देती है
दरिया सी बहने की आदत डाल ली..bahut khuub
bahut sundar gazal hai.........har sher dil ko chhone wala aur aakhiri sher to gazal ki jaan ban gaya hai.
तकरार से फासले नहीं मिटते
खामोश सहने की आदत डाल ली
बहुत सही बात.
बहुत लाजवाब ....बेहतरीन ग़ज़ल है...बधाई....
बेहतरीन ग़ज़ल के िलए बधाई
तकरार से फासले नहीं मिटते
खामोश सहने की आदत डाल ली...
वाह वाह,
हमारी तारीफ को रसम-ऐ-टिपण्णी न समझो...
लिखते लिखते आपने अच्छा लिखने की आदत डाल ली.....
दिल में छुपाये फिरते हैं दर्द हम
पर हंसते रहने की आदत डाल ली.
बेहतरीन !!!
●๋• लविज़ा ●๋•
तकरार से फासले नहीं मिटते
खामोश सहने की आदत डाल ली
बहुत खुब, अति सुंदर लगी आप की यह गजल.
धन्यवाद
Respected Nirmalaji,
vaise to pooree gazal hee umda hai ..par ye line
दुनिया आग को हवा देती है
दरिया सी बहने की आदत डाल ली
bahut jyada arthpoorna hain.badhai.
Poonam
ek sundar saral bhaavpoorn
purmaani rachna
yakinan kabil-e-tariif
bandhaii swikaren
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