31 December, 2008


नासमझों को समझाना क्यों है
आजमाये को आजमाना क्यों है
जाने दो रूठ्ने वालों को
बंद दरवाजे पे जाना क्यों है
तकरार सदा दुख देती है
बीती बातों को दोहराना क्यों है
जिस्के जीवन मे सुरताल नहीं
उसे संगीत सुनाना क्यों है
जीत तुम्हारे दुआर खडी है
नींद का फिर बहाना क्यों ह
माना जीवन् कठिन डगर है
चुनौतियों से घबराना क्यों है
नववर्ष सौगातें लाया है
इस उत्सव को गंवाना क्यों है
ये जीवन अद्भुत सुन्दर है
इसको व्यर्थ गंवाना क्यों है



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नववर्ष के लिये सब को मंगलकामनायें
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9 comments:

hem pandey said...

'माना जीवन् कठिन डगर है
चुनौतियों से घबराना क्यों है' -स्वाभिमान से भरी कविता. साधुवाद.

Himanshu Pandey said...

नये वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें.

shelley said...

achchhi gajal hai. naye sal ki badhaiyan

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

बहुत सुन्दर कविता, बधाई स्वीकार करें
आप को भी नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाऎं

Arvind Gaurav said...

AAPKI SABHI RACHNAYEN ACCHI LAGI..NAYA SAAL AAPKE LIYE,AAPKE PARIWAAR KE LIYE,AAPKE DOSTO KE LIYE AUR AAPKE CHAHNE WAALO KE LIYE DHER SAARI KHUSHIYA LEKAR AAYE.....
YUVA JOSH

shivraj gujar said...

तकरार सदा दुख देती है
बीती बातों को दोहराना क्यों है
bahut hi khoobsoorat shabd rachana. badhai.
naya saal aapko bahut bahut mubarak.
mere blog (meridayari.blogspot.com) par bhi visit karen.

sarita argarey said...

बीती बातों को दोहराना क्यों है । मुश्किल है सफ़र फ़िर भी दामन को बचाना क्यों है \ नए साल का दिलखोल कर इस्तकबाल कीजिए । शुभकामनाएं ।

daanish said...

"..jeet tumhare duaar kharhi hai
neend ka phir bahaana kyu hai.."
bahot hi achhi aur asar.daar ghazal
kahee hai aapne !
mubaarakbaad qubool kareiN...!!
---MUFLIS---

महावीर said...

आपको नव वर्ष की हार्दिक मंगलकामानाएं।

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