29 August, 2014

दोहे

चलिये आज कुछ पुराने दोहे लिख कर काम चला लेते हैं

कौन  बिछाये बाजरा कौन चुगाये चोग
देख परिन्दा उड गया खुदगर्जी से लोग

इधर भिखारी भूख मे उधर बुतों पर भोग
कैसी है ये आस्था   भूले रस्ता लोग

सबकी करनी देख कर लिखता वो तकदीर
बिना बनाये मांगता क्यों कर मीठी खीर

लुप्त हुई खग जातियां छोड गयी कुछ देश
कहां बनायें घोंसले  पेड रहे ना  शेष