13 July, 2014

गजल 

प्यार मे फकीर हूँ
वक्त की जंजीर हूँ

आत्मा तो मर गयी
सिर्फ इक शरीर हूँ

वश नहीं चला कहीं
हाथ की लकीर हूं

मांगता उधार जब
मारता जमीर हूँ

चार शब्द लिख लिये
सोचता  कबीर हूँ

कुछ पता नहीं कि क्यों
 आज मै अधीर हूँ

हूँ तो मै गरीब ही
दिल का पर अमीर हूँ