गजल
प्यार मे फकीर हूँ
वक्त की जंजीर हूँ
आत्मा तो मर गयी
सिर्फ इक शरीर हूँ
वश नहीं चला कहीं
हाथ की लकीर हूं
मांगता उधार जब
मारता जमीर हूँ
चार शब्द लिख लिये
सोचता कबीर हूँ
कुछ पता नहीं कि क्यों
आज मै अधीर हूँ
हूँ तो मै गरीब ही
दिल का पर अमीर हूँ
वक्त की जंजीर हूँ
आत्मा तो मर गयी
सिर्फ इक शरीर हूँ
वश नहीं चला कहीं
हाथ की लकीर हूं
मांगता उधार जब
मारता जमीर हूँ
चार शब्द लिख लिये
सोचता कबीर हूँ
कुछ पता नहीं कि क्यों
आज मै अधीर हूँ
हूँ तो मै गरीब ही
दिल का पर अमीर हूँ
मर्मस्पर्शी पंक्तियाँ
ReplyDeleteआप कैसी हैं...? सादर शुभकामनायें
अच्छी ग़ज़ल ...बड़े दिनों बाद नज़र आईं ..कैसी हैं आप ?/
ReplyDeleteकैसी हैं आप ... आशा है आपका स्वस्थ ठीक होगा ... ग़ज़ल के दौर में आपको कई दिनों बाद देख के अच्छा लग रहा है ...
ReplyDeleteअच्छी ग़ज़ल पढ़ने के साथ बहुत दिनो के बाद आपको यहाँ लिखते देखकर खुशी हुई। कैसी हैँ आप?
ReplyDeleteआजकल आपका आना दिखना कम हो गया है जी
ReplyDeleteकैसी हैं आप ? काफी समय बाद आपको पढ़ा, सकुशल रहें - यही कामना है
ReplyDeleteआपको फिर से यहाँ देखकर बहुत ख़ुशी हुई।
ReplyDeleteस्वागत है आपका और आपकी लाज़वाब ग़ज़ल का ...
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteमर्मस्पर्शी पंक्तियाँ बहुत दिनो के बाद आपको लिखते देखकर खुशी हुई।
ReplyDeleteवाह!
ReplyDeleteक्या बात है!
ReplyDeleteमाँ जी ! एक लम्बे अरसे बाद आपको पढ़कर मन को बहुत ख़ुशी हो रही है .... अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखियेगा..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर मर्मस्पर्शी गजल है ...
आ द र णी य नि र्म ला दी दी
ReplyDeleteमेरी ब्लॉग पोस्ट How to Resize Your All Post-Images in Blogger at a Time पर टिप्पणी लिखने के लिए आप का हार्दिक अभारी हूँ और भविष्य में भी आशीर्वाद जारी रखने के लिए प्रार्थी हूँ।
वाह!! बहुत सुन्दर :)
ReplyDeleteइससे भी ज्यादा सुन्दर लग रहा है आपके ब्लॉग का फिर से अपडेट देखना. कैसी हैं आप?
हर एक शेर के भाव बहुत गहरे हैं।
ReplyDeleteआभार, आ. निर्मला जी ।
बहुत सुन्दर और भावपूर्ण गजल
ReplyDeleteउत्कृष्ट प्रस्तुति
सादर -----
आग्रह है ------मेरे ब्लॉग में सम्मलित हों
आवाजें सुनना पड़ेंगी -----
http://jyoti-khare.blogspot.in
Respected nirmala didi,
ReplyDeleteI have not read the literature but the poem is really heart touching and your lucidity is appreciable
Jai Ho
ReplyDeleteSpeechless
ReplyDeleteSpeechless
ReplyDeleteबहुत ही उम्दा ग़ज़ल है माँ
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