23 July, 2012

गज़ल

आजकल जी. मेल मे पता नही क्या प्राबलम आ गयी है। सिर्फ 4-5 मेल ही दिखाता है । कर्सर आगे जाता ही नही न ही मेल भेजी जा रही है। एक साइबर कैफे वाले से पूछा वो कहता है कि पीछे से ही ये प्राबलम ुसके कैफे मे भी नही खुल रही जी मेल्\ मैने अपनी बेटी को दिल्ली मे अपनी मेल खोलने को कहा तो वहाँ खुल गयी। जो लोग मेल भेज रहे हैं उनसे क्षमा चाहती हूँ। अभी कहते हैं कि एक हफ्ता लगेगा इसे सही होने मे । क्या कोई बता सकता है कि और किसी के साथ भी ऐसे हो रहा है? तो चलिये इसी बहाने एक गज़ल हो जाये-=--
गज़ल

आज तक उसने मुझे अपने ख्यालों मे रखा है
हाशिये पर हूँ. बडे मुश्किल सवालों मे रखा है

मर नही सकती मुहब्बत हीर राझें की कभी भी
पाक वो जज़्बा मुहब्बत की मशालों मे रखा है

टूट जायेगा मनोबल गर निराशा यूँ रही तो
आस के कुछ जुग्नुओं को दिल के आलों मे रखा है

आ रही खुश्बू कहीं चम्पा चटक कर हो खिली ज्यों
गुलबदन ने फूल कोई टांक बालों मे रखा है

ज़िन्दगानी के अंधेरों से गिला शिकवा न कर के
हौसले से हर क़दम अपना उजालों मे रखा है

आस्था मे आदमी क्या क्या नही करता है देखो
पूजने के वास्ते पत्थर शिवालों मे रखा है

ज़िन्दगी की अड़चनों ने तोड दी हिम्मत हमारी
बांध कर तकदीर ने अपनी कुचालों मे रखा है