आजकल जी. मेल मे पता नही क्या प्राबलम आ गयी है। सिर्फ 4-5 मेल ही दिखाता है । कर्सर आगे जाता ही नही न ही मेल भेजी जा रही है। एक साइबर कैफे वाले से पूछा वो कहता है कि पीछे से ही ये प्राबलम ुसके कैफे मे भी नही खुल रही जी मेल्\ मैने अपनी बेटी को दिल्ली मे अपनी मेल खोलने को कहा तो वहाँ खुल गयी। जो लोग मेल भेज रहे हैं उनसे क्षमा चाहती हूँ। अभी कहते हैं कि एक हफ्ता लगेगा इसे सही होने मे । क्या कोई बता सकता है कि और किसी के साथ भी ऐसे हो रहा है? तो चलिये इसी बहाने एक गज़ल हो जाये-=--
गज़ल
आज तक उसने मुझे अपने ख्यालों मे रखा है
हाशिये पर हूँ. बडे मुश्किल सवालों मे रखा है
मर नही सकती मुहब्बत हीर राझें की कभी भी
पाक वो जज़्बा मुहब्बत की मशालों मे रखा है
टूट जायेगा मनोबल गर निराशा यूँ रही तो
आस के कुछ जुग्नुओं को दिल के आलों मे रखा है
आ रही खुश्बू कहीं चम्पा चटक कर हो खिली ज्यों
गुलबदन ने फूल कोई टांक बालों मे रखा है
ज़िन्दगानी के अंधेरों से गिला शिकवा न कर के
हौसले से हर क़दम अपना उजालों मे रखा है
आस्था मे आदमी क्या क्या नही करता है देखो
पूजने के वास्ते पत्थर शिवालों मे रखा है
ज़िन्दगी की अड़चनों ने तोड दी हिम्मत हमारी
बांध कर तकदीर ने अपनी कुचालों मे रखा है
गज़ल
आज तक उसने मुझे अपने ख्यालों मे रखा है
हाशिये पर हूँ. बडे मुश्किल सवालों मे रखा है
मर नही सकती मुहब्बत हीर राझें की कभी भी
पाक वो जज़्बा मुहब्बत की मशालों मे रखा है
टूट जायेगा मनोबल गर निराशा यूँ रही तो
आस के कुछ जुग्नुओं को दिल के आलों मे रखा है
आ रही खुश्बू कहीं चम्पा चटक कर हो खिली ज्यों
गुलबदन ने फूल कोई टांक बालों मे रखा है
ज़िन्दगानी के अंधेरों से गिला शिकवा न कर के
हौसले से हर क़दम अपना उजालों मे रखा है
आस्था मे आदमी क्या क्या नही करता है देखो
पूजने के वास्ते पत्थर शिवालों मे रखा है
ज़िन्दगी की अड़चनों ने तोड दी हिम्मत हमारी
बांध कर तकदीर ने अपनी कुचालों मे रखा है
behtreen gazal
ReplyDeletewaah...achchhi gazal ke liye badhai.....
ReplyDeleteबेहतरीन शब्द रचना ...जी मेल की जिस समस्या के बारे में आपने कहा है फिलहाल मुझे इस समस्या से जूझना नहीं पड़ रहा है ...! सब सही चल रहा है .....!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया गज़ल...
ReplyDeleteआस्था मे आदमी क्या क्या नही करता है देखो
पूजने के वास्ते पत्थर शिवालों मे रखा है
कमाल के शेर.....
आशा है आपकी समस्या का शीघ्र निदान होगा..
सादर
अनु
आस्था मे आदमी क्या क्या नही करता है देखो
ReplyDeleteपूजने के वास्ते पत्थर शिवालों मे रखा है
बहुत ही बढ़िया ग़ज़ल कही है. बेहतरीन.
बहुत ही अच्छा, हर एक छन्द..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर गजल |
ReplyDeleteबधाई दीदी ||
मर नही सकती मुहब्बत हीर राझें की कभी भी
ReplyDeleteपाक वो जज़्बा मुहब्बत की मशालों मे रखा है
आस्था मे आदमी क्या क्या नही करता है देखो
पूजने के वास्ते पत्थर शिवालों मे रखा है
वाह ... बहुत खूब कहा है आपने ...आभार
बहुत सुंदर, मनमोहक!
ReplyDeleteवाह: बहुत ही बढ़िया ग़ज़ल ....आभार
ReplyDeleteज़िन्दगी की अड़चनों ने तोड दी हिम्मत हमारी
ReplyDeleteबांध कर तकदीर ने अपनी कुचालों मे रखा है,,,,
वा ,,,,, बहुत बढ़िया प्रस्तुती, सुंदर गजल ,,,,
RECENT POST काव्यान्जलि ...: आदर्शवादी नेता,
badhiya gazal
ReplyDeleteज़िन्दगानी के अंधेरों से गिला शिकवा न कर के
ReplyDeleteहौसले से हर क़दम अपना उजालों मे रखा है
बहुत सुन्दर ग़ज़ल...शुभकामनायें
बेहद सकारात्मक अशआर आखिर आखिर में भाग्य वादी दर्शन की और ले जातें हैं यह नहीं होना था .कह दो ऐसा नहीं है ... . कृपया यहाँ भी दस्तक देवें -
ReplyDeleteram ram bhai
सोमवार, 23 जुलाई 2012
कैसे बचा जाए मधुमेह में नर्व डेमेज से
कैसे बचा जाए मधुमेह में नर्व डेमेज से
http://veerubhai1947.blogspot.de/
हर पंक्ति अर्थपूर्ण ...बेहतरीन ग़ज़ल
ReplyDeleteसार्थक बात कही है आपने .आभार
ReplyDeleteज़िन्दगानी के अंधेरों से गिला शिकवा न कर के
ReplyDeleteहौसले से हर क़दम अपना उजालों मे रखा है
.....बहुत बढ़िया सुन्दर ग़ज़ल...शुभकामनायें
सुंदर रचना।
ReplyDeleteसुन्दर रचना,आभार.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और बेहतरीन गजल सर जी...
ReplyDelete:-)
निर्मला जी, हमेशा की तरह सुंदर गजल कही है आपने। बधाई।
ReplyDelete............
International Bloggers Conference!
bahut badhiya gazal
ReplyDeleteGMAIL problem ka solution aapko mail mein bhej diya hai!
NIRMLA JI , KYAA KHOOB GAZAL KAHEE
ReplyDeleteHAI AAPNE ! BADHAAEE AUR SHUBH KAMNA.
बहुत खूब ....
ReplyDeleteकाफी सुंदर गजल
सादर !
सुन्दर गजल। मुझे जी मेल से कोई समस्या नहीं हो रही।
ReplyDeleteघुघूती बासूती
मर नही सकती मुहब्बत हीर राझें की कभी भी
ReplyDeleteपाक वो जज़्बा मुहब्बत की मशालों मे रखा है
लीजिये आपने हमें याद किया और हम हाजिर ....:))
कैसी हैं ....?
आस्था मे आदमी क्या क्या नही करता है देखो
पूजने के वास्ते पत्थर शिवालों मे रखा है
क्या बात है ....
आपके शब्दों में हमेशा ही वाजत होता है ...!!
बहुत ही सुंदर गजल..अर्थपूर्ण..
ReplyDeleteकरे तारीफ हीर भी कही ग़ज़ल खूब है आपने
ReplyDeleteयूँ ही लिखते रहिये ,पढ़-पढ़ मुस्कुराते रहिये
बहुत सुंदर रचना , बधाई !
ReplyDeleteटूट जायेगा मनोबल गर निराशा यूँ रही तो
ReplyDeleteआस के कुछ जुग्नुओं को दिल के आलों मे रखा है
बहुत बहुत सुन्दर लिखा है निर्मला दी ! गज़ल का हर शेर मन पर गहरा असर छोड़ता है ! किसी एक की तारीफ़ दूसरे के साथ नाइंसाफी होगी ! बहुत दिनों के बाद आपको पढ़ना बहुत सुखकारी अनुभव है ! शुभकामनायें !
जिन्दगी की अडचनो ने तोड दी हिम्मत हमारी
ReplyDeleteबांधकर तकदीर ने अपने कुचालो में रखा है ।
लडते लडते आदमी थक जाता है तो ऐसा ही महसूस होता है ।
बहुत खूबसूरत गज़ल ।
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल है
ReplyDeleteनिम्मो दी,
ReplyDeleteबहुत सुन्दर गज़ल.. आपकी तरह हौसला देने वाली और हमेशा की तरह एक पैगाम!!
उम्मीद है आप सेहतमंद होंगी!!
सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
ReplyDeleteवाह :) :)
ReplyDeleteकमाल की ग़ज़ल है!!!
मर नही सकती मुहब्बत हीर राझें की कभी भी
ReplyDeleteपाक वो जज़्बा मुहब्बत की मशालों मे रखा है
wah sunder kaha aapne
rachana
वाह बहुत सुंदर
ReplyDeleteक्या कहने
आस्था मे आदमी क्या क्या नही करता है देखो
ReplyDeleteपूजने के वास्ते पत्थर शिवालों मे रखा है
सुन्दर भावपूर्ण ग़ज़ल !
हम जैसे नए लोगो के लिए बहुत कुछ सीख देती है . सादर प्रणाम
बहुत सुन्दर गजल |
ReplyDeleteOnly one Word fantastic..!
हर शेर दिलकश, लाजवाब...
ReplyDeleteसुगठित ग़ज़ल..
बहुत ही बेहतरीन ! बार बार पढने को मन करता है .
ReplyDeleteबहुत गहरे भावों में लिखी गजल
बहुत बढ़िया प्रभावशाली गजल प्रस्तुति ..आभार
ReplyDeleteVery Nice....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (06-01-2013) के चर्चा मंच-1116 (जनवरी की ठण्ड) पर भी होगी!
--
कभी-कभी मैं सोचता हूँ कि चर्चा में स्थान पाने वाले ब्लॉगर्स को मैं सूचना क्यों भेजता हूँ कि उनकी प्रविष्टि की चर्चा चर्चा मंच पर है। लेकिन तभी अन्तर्मन से आवाज आती है कि मैं जो कुछ कर रहा हूँ वह सही कर रहा हूँ। क्योंकि इसका एक कारण तो यह है कि इससे लिंक सत्यापित हो जाते हैं और दूसरा कारण यह है कि किसी पत्रिका या साइट पर यदि किसी का लिंक लिया जाता है उसको सूचित करना व्यवस्थापक का कर्तव्य होता है।
सादर...!
नववर्ष की मंगलकामनाओं के साथ-
सूचनार्थ!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
.बहुत सुन्दर ग़ज़ल
ReplyDeleteनई पोस्ट :" अहंकार " http://kpk-vichar.blogspot.in
मुबारकबाद ऐसी सुन्दर ग़ज़ल कहने के लिए | आभार
ReplyDeleteTamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
सभी पन्तियाँ बेहद लाजवाब और उम्दा हैं....
ReplyDeleteनिर्मला जी क्या अब ब्लॉग पर नही लिखेंगी ।
ReplyDeleteफिर कह दें...वाह!
ReplyDeletebadhia gazal
ReplyDeleteआनंद दायक ग़ज़ल है ..
ReplyDeleteबहुत दिन बाद आ सका क्षमा प्रार्थी हूँ , लिखना कम क्यों कर रखा है आपने ?
मंगलकामनाएं !