कविता----- अपनी बात
नया साल आप सब के लिये सुख समृ्द्धि, शान्ति ले कर आये। 7-8 दिन नेट से दूर रही। आज समझ नही आ रहा कि कहाँ से शुरू करूँ। बच्चों के साथ छुट्टियाँ चुटकियों मे बीत गयी,, लगता है जैसे वर्षों बाद ब्लागवुड मे प्रवेश किया है। सर्दी भी बहुत हैकम्प्यूटर पर बैठना भी एक समस्या से कम नही। पिछले दिनो जितना भी सब ने लिखा पढा नही जा सका। नया साल शुरू होते ही कम्प्यूटर की समस्या शुरू होने से मन परेशान सा हो गया। एक जनवरी को कुछ नववर्ष की शुभकामनायें ही भेजी थी कि कम्प्यूटर मे वाइरस आ गया।सारा दिन कुछ काम नही हो सका। आज आप सब को नये साल की हार्दिक शुभकामनायें।चुंकि मेरी तीनो बेटियाँ आपने परिवार समेत आयी थी इस लिये नेट पर आने का सवाल ही नही था। घर मे खूब चहल पहल रही। मै तो अपनी छोटी छोटी प्यारी सी नातिनों /नातिओं के साथ खूब खेली। बहुत अच्छा लगा लेकिन 7-8 दिन कैसे बीत गये पता ही नही चला। सब लोग 30 दि. सुबह चले गये आज घर मे भी सुनसान सा है कुछ लिखने का मन भी नही हो रहा इसलिये नये साल की शुरूआत एक पुरानी कविता से ही करती हूँ।
श्रम-मार्ग
श्रम और आत्मविश्वास का कर लो बस संकल्प
सफलता पाने के लिये नही कोई और विकल्प
जीवन को संघर्ष मान जो चल पडते हैं बाँध कफन,
नहीं डोलते हार जीत से,नहीं देखते शीत तपन.
न डरते कठिनाईयों से न दुश्मन से घबराते हैं,
वही पाते हैं मंजिल देश का गौरव बन जाते हैं
नन्हीं जलधारा जब अदम्य् साहस दिखलाती है,
चीर पर्वत की छाती वो अपनी राह बनाती है,
बहती धारा डर से रुक जाती तो दुर्गंध फैलाती,
पीने को न जल मिलता कितने रोग फैलाती
नन्हें बीज ने भेदी मिट्टी अपना पाँव जमाया,
पेड बना वो हरा भरा फल फूलों से लहराया.
न करता संघर्ष बीज तो मिट्टी मे मिट्टी बन जाता
कहाँ से मिलता अन्न शाक पर्यावरण कौन बचाता.
कुन्दन बनता सोना जब भट्ठी मे तपाया जाता है,
चमक दिखाता हीरा जब पत्थर से घिसाया जाता है,
श्रम मार्ग के पथिक बनो, अवरोधों से जा टकराओ,
मंजिल पर पहुंचोगे अवश्य बस रुको नहीं बढ्ते जाओ
"सच" उलझने सुलझ जाएँगी सारी,
ReplyDeleteआप बस रिश्ता इंसानियत का निभाते जाइए....
नव वर्ष आपके लिए जीवन के नयें आयाम लेकर आये..
सुन्दर कविता के लिए साधुवाद !
आशा है आप ब्लॉग पर पधारते रहेंगे.
अरविन्द जांगीड
निर्मला जी नव वर्ष पर आपको भी शुभकामनाएं। आप ऐसा ही लिखती रहे और हम पढ़ते रहें।
ReplyDeleteजीवन की दुर्गम राहों में मार्ग प्रशस्त करती उत्तम कविता.
ReplyDeleteनववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ...
जीवन में प्रगति और बदलाब लाजमी हैं ...आपकी कविता में जीवन संघर्ष और निरंतर आगे बढ़ते रहने की बहुत सुंदर अभिव्यक्ति हुई है ...बहुत दिनों बाद आपके दर्शन ब्लॉग पर हुए मन को प्रसन्नता हुई .....!
ReplyDeleteआपको और आपके परिवार को नव वर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनायें ...स्वीकार करें ...शुक्रिया
नववर्ष मंगलमय हो!
ReplyDeleteआप बहुत बहुत अच्छा लिखें, और हम पाठक लाभान्वित होते रहें।
कविता सुंदर है,
सारी दुनिया में जितना भी निर्माण है वह मनुष्य श्रम की ही उपज है। श्रम बिन सफलता कहाँ?
लेकिन मानव समाज में जिस तरीके से श्रम और श्रमिक को निम्नतर दृष्टि से देखा जाता है उस मूल्य को बदलना होगा। नए मूल्य स्थापित करने होंगे।
निम्मो दी!
ReplyDeleteबहुत मिस किया आपको... आप आ गईं,एक दूसरे परिवार में जहाँ आपकी प्रतीक्षा हो रही थी..
नये साल में आपका संदेश मिला. आपका कम्प्यूटर वायरस से मुक्त रहे यही कामना है!!
बहुत ही सुन्दर सन्देश देती हुई प्रेरणादायक कविता .
ReplyDelete.....
आप को और आप के परिवार में सभी को नववर्ष २०११ की हार्दिक शुभकामनाएँ.
...........
'सी.एम.ऑडियो क्विज़'
हर रविवार
सुंदर रचना.
ReplyDeleteजीवन भी 7-8 दिनों की ही तरह बीत जाता है एक दिन :)
सुन्दर कविता के लिए आभार।
ReplyDeleteआपका आशीर्वाद इसी तरह हम पर बना रहे।
नूतन वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।
बिल्कुल बढ़ेंगे..
ReplyDeleteसुन्दर सशक्त संदेश, बढ़ते जाने का।
ReplyDeletejaagran ke bij hain , hausla hai...
ReplyDeletenaye varsh ki shubhkamnayen
shram marg ke pathik bano ....
ReplyDeleteachha sandesh ,badhai
कविता के माध्यम से बहुत अच्छा सन्देश दिया है ...
ReplyDeleteनव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें !
आपको जन्मदिन और नये साल की हार्दिक शुभकामनायें।
ReplyDeleteआपकी कविता बढ़िया लगी
ReplyDelete, सुन्दर अभिव्यक्ति..........आभार निर्मला जी।
आपको एवं आपके परिवार को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायेँ।
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" खुदा से भी पहले हमेँ याद आयेगा कोई.........गजल "
बहुत सुन्दर पोस्ट !
ReplyDeleteनिर्मला जी, आपको और आपके परिवार को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं !
कंप्यूटर में जल्दी से एक अच्छा एंटी-वाइरस लगवा लीजिए ... क्यूंकि हम आपके रचनाओं से बंचित नहीं होना चाहते हैं ...
नव वर्ष आपके लिए जीवन के नयें आयाम लेकर आये.. बहुत खूब ।
ReplyDeleteसार्थक संदेश देती हुई एक सशक्त रचना।
ReplyDeleteआपकी रचनाओं से प्रेरणा मिलती ही है।
......
नव-वर्ष मंगलमय हो।
निर्मला जी, बहुत भावपूर्ण कविता लिखी है आपने। आप कभी स्वयं को अकेला महसूस न करें, आपका पूरी ब्लॉग परिवार सदा आपके साथ है। अगले पोस्ट में अपनी एक ग़ज़ल दें...निवेदन मानेंगी न!
ReplyDeleteआशा का उजास फ़ैलाती सुन्दर प्रस्तुति.
ReplyDeleteसादर,
डोरोथी.
नव ववर्ष की पूर्व संध्या और नव प्रभात बच्चों के साथ गुजरा , इसे बेहतर और क्या हो सकता है ।
ReplyDeleteआपको सपरिवार नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें निर्मला जी ।
आशावाद से प्रेरित एक सुंदर रचना,
ReplyDeleteआपको नव वर्ष की मंगल शुभकामनायें भी.
सुन्दर रचना । नया वर्ष आपके लिए मंगलमय हो।
ReplyDeleteप्रयाण-गीत की भाँति उत्साह देने वाली कविता है. बहुत अच्छी लगी.
ReplyDeleteनववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें!
कुछ अनावश्यक व्यस्तता के कारण कहानी "सुखांत दुखांत" भी आज ही पूरा पढ़ पाया. .......अब देर से लिखने का कोई औचित्य नहीं रह गया पर इतना अवश्य लिखूंगा कि आपकी कहानी तथ्यात्मक व शिक्षाप्रद है. ....पाठक को सोचने पर विवश करती है.....आपकी कहानी जहा मन को छूटी है वहीं आपकी ग़ज़ल काम शब्दों में अधिक कहने की क्षमता रखती है. ..
ReplyDeleteनया साल आपको मुबारक हो ... नया वर्ष आपके जीवन में सुख समृद्धि, और संतोष ले कर आये ....इन्ही शुभकामनाओं के साथ.
परिवार की खुशियां सबसे बढ़कर हैं...
ReplyDeleteबहुत अच्छी रचना लगी...
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं.
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteनववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं...
बहुत सुन्दर कविता. नये वर्ष की असीम शुभकामनाएं.
ReplyDeletenav varsh ki hardik shubhkaamnaaon ke saath ye bhi kaamna ki aap saal me 2-4 bar aise hi vyast ho jaya karen.
ReplyDelete:):):)
बहुत सुंदर संदेश मिला जी आप की रचना से.
ReplyDeleteआप ओर आप के परिवार को नव वर्ष की शुभकामनाएं।
नववर्ष पर श्रम की उपयोगिता को बताती कविता और सुन्दर लेख के लिए बधाई..आपकी इस सुन्दर रचना के नीचे मै आपको नववर्ष की शुभकामनाये दे रही हूँ .. आपको परिवार सहित नववर्ष खुशियाँ और अच्छा स्वस्थ लाए .. मंगलकामनाएं ...
ReplyDeleteनिर्मला माँ,
ReplyDeleteनमस्ते!
अच्छे लगे दोनों: आपकी व्यस्तता के कारण और कविता भी.
प्रेरक!
आप सभी को नए वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ!
आशीष
---
हमहूँ छोड़के सारी दुनिया पागल!!!
परिवार के साथ समय बिताना सबसे अच्छी बात है।
ReplyDeleteनये साल की शुभकामनायें।
बहुत सुंदर संदेश आप की रचना से.
ReplyDeleteआप ओर आप के परिवार को नव वर्ष की शुभकामनाएं।
zarur pahunchenge manzil pe!
ReplyDeletenaya saal mubarak aunty ji!
आदरणीय निर्मला जी
ReplyDeleteनमस्कार !
आपकी कविता बढ़िया लगी
आपको एवं आपके परिवार को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायेँ।
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें!
ReplyDeleteनए साल की शुरुआत अगर कोई आपकी इस सन्देश से शुरू करे तो वो कभी पीछे नहीं जा सकता ...
ReplyDeleteबहुत ही सार्थक सन्देश देती ये रचना .. आपको नया साल बहुत बहुत मुबारक ..
ऊर्जा और प्रेरणा से भरपूर..!!
ReplyDelete... umdaa ... behatreen !!
ReplyDeletebahut hee urza dene walee rachna...
ReplyDeletenavvaesh kee hardik shubhkamnayen
महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा के ब्लॉग हिन्दी विश्व पर राजकिशोर के ३१ डिसेंबर के 'एक सार्थक दिन' शीर्षक के एक पोस्ट से ऐसा लगता है कि प्रीति सागर की छीनाल सस्कृति के तहत दलाली का ठेका राजकिशोर ने ही ले लिया है !बहुत ही स्तरहीन , घटिया और बाजारू स्तर की पोस्ट की भाषा देखिए ..."पुरुष और स्त्रियाँ खूब सज-धज कर आए थे- मानो यहां स्वयंवर प्रतियोगिता होने वाली ..."यह किसी अंतरराष्ट्रीय स्तर के विश्वविद्यालय के औपचारिक कार्यक्रम की रिपोर्टिंग ना होकर किसी छीनाल संस्कृति के तहत चलाए जाने वाले कोठे की भाषा लगती है ! क्या राजकिशोर की माँ भी जब सज कर किसी कार्यक्रम में जाती हैं तो किसी स्वयंवर के लिए राजकिशोर का कोई नया बाप खोजने के लिए जाती हैं !
ReplyDeleteप्रत्येक पंक्ति में सुन्दर आह्वान
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना
सुन्दर आह्वान
ReplyDeleteआपको एवं आपके परिवार को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायेँ।
प्रेरणादायी पथप्रदर्शक सुन्दर रचना...
ReplyDeleteआपको भी सपरिवार शुभकामनाएं...
निर्मला जी नव वर्ष पर इस प्रेरक रचना के लिए बधाई और हाँ नव वर्ष की ढेरों शुभकामनाएं.
ReplyDeleteनीरज
वर्ष २०११ आपको एवं आपके सभी परिजनों को मंगलमय,सुखद और उन्नत्तिकारक हो.
ReplyDeleteखुशी हुयी यह जान कर -परिजनों के साथ आपका समय सुखद रहा.
श्रम के महत्त्व पर प्रकाश सम-सामयिक है.हमेशा श्रम की महत्ता बनी रहेगी,जो इसे समझेंगे सफल रहेंगे.
behad sunder aur mann mein nayi umang bharti rachana.nirmala ji aapko bhi sehparivaar naya saal bahut mubarak ho.sadar mehek.
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर सन्देश देती हुई प्रेरणादायक बहुत सुन्दर कविता. आपको एवं आपके परिवार को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायेँ।
ReplyDeleteखुशियों के दिन जल्दी बीत जाते हैं ।
ReplyDeletebhavpurn lekh k nliye badhai sweekar karein
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