24 December, 2010

गज़ल--- [gazal]

गज़ल

वो सब को ही लुभाना जानता है
सभी के दुख मिटाना जानता है

वो भोला बन रहा है पर जमाना
हरेक उसका फसाना जानता है

करो मत शक कोई नीयत पे उस की
वो सब वादे निभाना जानता है

नहीं दो वक्त की रोटी उसे पर
महल ऊँचे बनाना जानता है

पहल करता नही वो दुशमनी मे
उठी ऊँगली झुकाना जानता है

निकम्मा क्या करेगा काम प्यारे
महज बातें बनाना जानता है

चुराते लोग खुशियाँ हैं मगर वो
फकत आँसू चुराना जानता है

78 comments:

  1. गजब की बात कह दी आपने गजल के माध्यम से।

    शानदार गजल लिए आभार

    ReplyDelete
  2. नहीं दो वक़्त की रोटी उसे पर
    महल ऊंचे बनाना जानता है

    वाह ,बहुत उम्दा

    चुराते लोग ख़ुशियां हैं मगर वो
    फ़क़त आंसू चुराना जानता है

    क्या बात है !अगर सभी आंसू चोरी हो जाएं तो चारों ओर ख़ुशियां ही ख़ुशियां बिखर जाएं

    ReplyDelete
  3. उत्तम प्रस्तुति..
    मुझे पढते हुए ऐसा लग जैसे ईश्वर या सौभाग्य में किसी के बारे में ये गजल कही जा रही है ।

    ReplyDelete
  4. आखिरी शेर में बहुत वजन है। अच्‍छी गजल के लिए बधाई।

    ReplyDelete
  5. सभी शैर वजनदार हैं। आखिरी तो कमाल का है।

    चुराते लोग खुशियाँ हैं मगर वो
    फकत आँसू चुराना जानता है

    ReplyDelete
  6. इतनी सुन्दर कविता पढ़ आनन्द आ गया। भगवान करे सब चोर हो जायें, आँसुओं के।

    ReplyDelete
  7. बहुत शानदार गजल है। गम्भीर बातेँ कह दी आपने।
    इस प्यारी सी गजल के लिए आभार निर्मला जी ।

    ReplyDelete
  8. यह भक्ति ग़ज़ल पढ़कर निर्मल आनंद आ गया ।
    ऐसा तो इश्वर ही हो सकता है , किसी इंसान के बस का तो नहीं ।

    ReplyDelete
  9. "वो आंसू चुराना जानता है" बहुत खूब. मजा आ गया.

    ReplyDelete
  10. चुराते लोग खुशियां हैं मगर वो,

    फकत आंसू चुराना जानता है ..।

    बहुत ही सुन्‍दर भावमय करते शब्‍द ...।

    ReplyDelete
  11. बहुत सुन्दर ग़ज़ल, अगर मैं गलत नहीं हूँ तो यह बह्रे हजज मुसद्दस् महजूफ 'मफाईलून,मफाईलून,फऊलून' में लिखी गई है ...
    शायद आपने ये ग़ज़ल भगवान के बारे में लिखा है ... अंतिम शेर बहुत सुन्दर है ... बहुत गहरी बात है !

    ReplyDelete
  12. दो सिरे के विचारों के बीच मानवीयता की पुकार!

    ReplyDelete
  13. 'nahi do waqt ki roti use par
    mahal unche banana janta hai'
    mehnatkash ki yahi to jindgi hai.
    umda gazal.

    ReplyDelete
  14. अक्सर,जिन्हें कमज़ोर समझा जाता है,सबसे ज़्यादा खुद्दार और स्वाभिमानी वही होते हैं।

    ReplyDelete
  15. निम्मो दी! बेहतरीन गज़ल!! एक एक शेर इस तरह कहे गए हैं कि बस सीधा दिल की गहराइयों तक पहुचते हैं.
    ये दीदी है ही दुनियादार इतनी,
    उसे पढता है जो वह जानता है!

    ReplyDelete
  16. नहीं दो वक़्त की रोटी उसे पर
    महल ऊंचे बनाना जानता है!

    लेकिन क्या हम जानते है कि वह हम में से ही एक है?...बहुत सुंदर गजल!...बधाई!

    धन्यवाद निर्मलाजी!...हम भी आप को बहुत याद करते है...इस बार दिल्ली आने पर मेरे यहां जरुर आना है!

    ReplyDelete
  17. बहुत ही शानदार गज़ल्………सुन्दर प्रस्तुति।

    ReplyDelete
  18. नहीं दो वक़्त की रोटी उसे पर
    महल ऊंचे बनाना जानता है
    bahut hi adbhut , nasargik baat hai is gazal me

    ReplyDelete
  19. वाह...वाह...वाह...

    बेहतरीन शेर,लाजवाब ग़ज़ल !!!

    यूँ ,ऐसे ही लोगों की आज समाज में जरूरत है जो लोगों के आंसू चुरा पाए...

    ReplyDelete
  20. बहुत सुन्दर गज़ल..आखिरी शेर लाज़वाब..आभार

    ReplyDelete
  21. बहुत बढ़िया गजल प्रस्तुति...आभार

    ReplyDelete
  22. पहल करता नही वह दुश्मनी .... खुबसूरत शेर मुबारक हो

    ReplyDelete
  23. aadarniy mam,
    is gazal lki tarrif ke liye mere pass shabd nahi hain
    nahi karta vo dushmani kisi se
    uthi unagali girana janta hai.
    atulniy----------------
    poonam

    ReplyDelete
  24. बहुत ही शानदार गज़ल्

    ReplyDelete
  25. क्या कमाल की अभिव्यक्ति है!
    निकम्मा क्या करेगा काम प्यारे
    महज बातें बनाना जानता है
    खीं मेरे लिए तो नहीं है ...!
    और लाजवाब तो यह है ...
    फ़क़त आंसू चुराना जानता है।
    आभार दीदी।

    ReplyDelete
  26. वाह क्या बात कह दी..बेह्तारीन गज़ल बन पडी है.

    ReplyDelete
  27. दोनों मुबारक हों, आंसू और मुस्‍कान.

    ReplyDelete
  28. पहल करता नहीं वो दुश्मनी में
    उठी ऊँगली झुकना जानता है

    निर्मला जी कमाल कर दिया है आपने इस गज़ल में...सारे शेर एक से बढ़ कर एक...वाह...जिंदाबाद...मेरी तरफ से दाद कबूल करें

    नीरज

    ReplyDelete
  29. बहुत खूबसूरत गज़ल ...हर शेर अपने में उम्दा ....और आँसू चुराने वाला तो लाजवाब

    ReplyDelete
  30. जितनी खुबसुरत गजल है उतने ही खुबसुरत एहसास है।
    एक शेर मेरी तरफ से भी
    जिन्दगी उसकी होती है मुकम्मल
    जो दर्द में मुस्कुराना जानता है।

    ReplyDelete
  31. अक्सर गजलों में किसी से शिकायत देखने को मिलती है। लेकिन इस ग़ज़ल में प्रशंसा के भाव बहुत अच्छे लगे। उस आंसू चोर के लिए मन श्रद्धा से भर गया। प्रेरणादायी ग़ज़ल के लिए आभार निर्मला जी।

    ReplyDelete
  32. बहुत सुंदर गजल, हर शॆर एक चमकता हुआ हीरा लगा धन्यवाद

    ReplyDelete
  33. हर शेर एक से बढकर एक. सुन्दर!

    ReplyDelete
  34. pahal kartaa nahee wo dushmanee mei,
    uthee unglee jhukaanaa jaanataa hai.

    waah saahab ,ek yahee sher kah detey to bhee kafee thaa.

    wah wah.

    ReplyDelete
  35. निर्मल दी ! आज की गज़ल बहुत ही अच्छी लगी ! आख़िरी शेर
    चुराते लोग खुशियाँ हैं मगर वो
    आँसू चुराना जानता है !
    बहुत बहुत पसंद आया ! क्रिसमस और आगामी नये वर्ष की आपको हार्दिक शुभकामनाएं ! आप नेट पर कम समय दे पाएंगी सुन कर कुछ मायूसी हुई ! लेकिन आप तीनों बेटियों और बच्चों के साथ सपरिवार खूब आनंद मनाएं और आपका वक्त सुखपूर्वक बीते यही कामना है ! आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रियाओं को मैं निश्चित रूप से मिस करूँगी !

    ReplyDelete
  36. नहीं दो वक़्त की रोटी उसे पर
    महल ऊंचे बनाना जानता है

    वाह बहुत खूब बेहतरीन गज़ल

    ReplyDelete
  37. नए भावों वाली ग़ज़ल बुहत अच्छी लगी.
    आपको क्रिस्मस की हार्दिक शुभकामनाएँ!

    ReplyDelete
  38. आपको एवं आपके परिवार को क्रिसमस की हार्दिक शुभकामनायें !

    ReplyDelete
  39. क्रिसमस की शांति उल्लास और मेलप्रेम के
    आशीषमय उजास से
    आलोकित हो जीवन की हर दिशा
    क्रिसमस के आनंद से सुवासित हो
    जीवन का हर पथ.

    आपको सपरिवार क्रिसमस की ढेरों शुभ कामनाएं

    सादर
    डोरोथी

    ReplyDelete
  40. दीखता है नादान सा , मगर जाने क्या क्या करना जानता है ...
    बहुत खूब ..!

    ReplyDelete
  41. आंसू चुराना इस रचना को गहरे अर्थ दे गया ......

    ReplyDelete
  42. निर्मला जी बढ़िया ग़ज़ल कही है आपने.
    एक ग़ज़ल मैंने भी अपने ब्लॉग पर पोस्ट की है, देखिएगा जरूर:
    फिर सुनाओ यार वो लम्बी कहानी
    आभार

    ReplyDelete
  43. निर्मला जी बहुत प्‍यारी बातें कहीं है आपने। हार्दिक बधाई।

    ---------
    अंधविश्‍वासी तथा मूर्ख में फर्क।
    मासिक धर्म : एक कुदरती प्रक्रिया।

    ReplyDelete
  44. निर्मला जी,
    पहली बार आपकी ग़ज़ल पढने का मौका मिला ,बहुत अच्छी लगी!
    वो भोला बन रहा है पर ज़माना
    हर एक उसका फ़साना जानता है
    बहुत ही उम्दा शेर है !
    -ज्ञानचंद मर्मज्ञ

    ReplyDelete
  45. नहीं दो वक्त की रोटी उसे पर
    महल ऊँचे बनाना जानता है
    वाह...वाह
    पहल करता नही वो दुशमनी मे
    उठी ऊँगली झुकाना जानता है
    कमाल का शेर...
    बहुत उम्दा ग़ज़ल है.

    ReplyDelete
  46. चुराते लोग ख़ुशियां हैं मगर वो
    फ़क़त आंसू चुराना जानता है

    बहुत प्रभावशाली शे‘र। दूसरों के आंसू चुराने वाले बहुत कम ही होते हैं।

    बहुत बढ़िया ग़ज़ल।

    ReplyDelete
  47. बहुत ही सुन्दर गजल !

    ReplyDelete
  48. fakat aanshu churaanaa jaantaa hai .
    behtreen gazal .
    veerubhai .
    khushiyaan n churaaye koi kisi ki .

    ReplyDelete
  49. आदरणीया मौसी निर्मला कपिला जी
    प्रणाम !

    ग़ज़लें आपकी लगातार अच्छी बन रही हैं , सरस्वती माता को मनाया होगा

    पहल करता नहीं वो दुशमनी में
    उठी उंगली झुकाना जानता है

    वाह वाऽऽह ! क्या आत्माभिमानी शे'र है !


    नहीं दो वक़्त की रोटी उसे पर
    महल ऊंचे बनाना जानता है

    मज़्दूरों की ज़िंदगी का सच बयान करता यह शे'र भी बहुत पसंद आया ।

    निकम्मा क्या करेगा काम प्यारे
    महज बातें बनाना जानता है


    … कहीं हम जैसे ब्लॉगरों के लिए तो नहीं लिखा यह शे'र ? :)

    पूरी ग़ज़ल के लिए मुबारकबाद !


    ~*~नव वर्ष २०११ के लिए हार्दिक मंगलकामनाएं !~*~

    शुभकामनाओं सहित
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

    ReplyDelete
  50. jo aansu churana jaanta hai uski to sabko talaash hai.

    sunder gazal.

    ReplyDelete
  51. एक से बढ़कर एक गज़ल...
    मुझे अंतिम वाला बहुत ज्यादा पसंद आया
    :)

    ReplyDelete
  52. निर्मला जी,
    बहुत ही अच्छी गज़ल. उस्तादाना अंदाज़ में.

    ReplyDelete
  53. बहुत लाजवाब गजल| आभार|

    ReplyDelete
  54. उम्दा पोस्ट !
    सुन्दर प्रस्तुति..
    नव वर्ष(2011) की शुभकामनाएँ !

    ReplyDelete
  55. आप को नवबर्ष की हार्दिक शुभ-कामनाएं !
    आने बाला बर्ष आप के जीवन में नयी उमंग और ढेर सारी खुशियाँ लेकर आये ! आप परिवार सहित स्वस्थ्य रहें एवं सफलता के सबसे ऊंचे पायदान पर पहुंचे !

    नवबर्ष की शुभ-कामनाओं सहित

    संजय कुमार चौरसिया

    ReplyDelete
  56. बहुत बढ़िया गजल!

    नये साल की बहुत बहुत शुभकामनाएं।

    ReplyDelete
  57. बहुत सुंदर ग़ज़ल. आपको नववर्ष की ढेरों हार्दिक शुभभावनाएँ.

    ReplyDelete
  58. दिल की गहराईयों को छूने वाली एक खूबसूरत, संवेदनशील और मर्मस्पर्शी प्रस्तुति. आभार.

    अनगिन आशीषों के आलोकवृ्त में
    तय हो सफ़र इस नए बरस का
    प्रभु के अनुग्रह के परिमल से
    सुवासित हो हर पल जीवन का
    मंगलमय कल्याणकारी नव वर्ष
    करे आशीष वृ्ष्टि सुख समृद्धि
    शांति उल्लास की
    आप पर और आपके प्रियजनो पर.

    आप को सपरिवार नव वर्ष २०११ की ढेरों शुभकामनाएं.
    सादर,
    डोरोथी.

    ReplyDelete
  59. आप को सपरिवार नववर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनाएं .

    ReplyDelete
  60. आदरणीय निर्मला कपिला जी
    सादर प्रणाम
    आपको और आपके परिवार को नव वर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनायें , आशा है यह वर्ष आपके लिए नयी खुशियाँ लेकर आएगा,

    ReplyDelete
  61. सुदूर खूबसूरत लालिमा ने आकाशगंगा को ढक लिया है,
    यह हमारी आकाशगंगा है,
    सारे सितारे हैरत से पूछ रहे हैं,
    कहां से आ रही है आखिर यह खूबसूरत रोशनी,
    आकाशगंगा में हर कोई पूछ रहा है,
    किसने बिखरी ये रोशनी, कौन है वह,
    मेरे मित्रो, मैं जानता हूं उसे,
    आकाशगंगा के मेरे मित्रो, मैं सूर्य हूं,
    मेरी परिधि में आठ ग्रह लगा रहे हैं चक्कर,
    उनमें से एक है पृथ्वी,
    जिसमें रहते हैं छह अरब मनुष्य सैकड़ों देशों में,
    इन्हीं में एक है महान सभ्यता,
    भारत 2020 की ओर बढ़ते हुए,
    मना रहा है एक महान राष्ट्र के उदय का उत्सव,
    भारत से आकाशगंगा तक पहुंच रहा है रोशनी का उत्सव,
    एक ऐसा राष्ट्र, जिसमें नहीं होगा प्रदूषण,
    नहीं होगी गरीबी, होगा समृद्धि का विस्तार,
    शांति होगी, नहीं होगा युद्ध का कोई भय,
    यही वह जगह है, जहां बरसेंगी खुशियां...
    -डॉ एपीजे अब्दुल कलाम

    नववर्ष आपको बहुत बहुत शुभ हो...

    जय हिंद...

    ReplyDelete
  62. Nice ghazal .
    @ माननीया बहन ! आप को व दीगर सभी भाई बहनों को सादर प्रणाम ! आपको नए साल 2011 की नई सुबह मुबारक हो ।

    नववर्ष के अवसर पर एक विनती बराय चिंतन
    अपनी संस्कृति भूलने वालों को तो फिर भी माफ़ किया जा सकता है लेकिन जो लोग केंद्र में राष्ट्रीय संस्कृति वाहिनी सरकार लाना चाहते हैं वे भी आज अंग्रेजी नववर्ष का जश्न क्यों मना रहे हैं ?

    कृपया देखिये कि अब ये तत्व विदेशी सोच के प्रभाव में आकर बहन कहने पर भी पाबंदी लगा रहे हैं ।
    तीन अलग अलग जगहों पर मेरा एक विस्तृत लेख
    'देशभक्ति का दावा और उसकी हकीक़त'

    http://ahsaskiparten.blogspot.com/2010/12/patriot.html

    http://lucknowbloggersassociation.blogspot.com/2010/12/p

    http://blog-parliament.blogspot.com

    ReplyDelete
  63. चुराते लोग ख़ुशियां हैं मगर वो
    फ़क़त आंसू चुराना जानता है
    rachna bahut pasand aai ,naye barsh par aese vicharo ki jaroorat hai .sundar ,nutan barsh ki badhai aapko .

    ReplyDelete
  64. चुराते लोग खुशियां हैं मगर वो,

    फकत आंसू चुराना जानता है ..।


    बहुत सुंदर शेर ..........

    ReplyDelete
  65. लाजवाब ग़ज़ल ... बहुत ही सादगी से अपनी बात रख दी है आपने ... सार्थक प्रस्तुति है ..

    ReplyDelete
  66. duniya ke sabse samarth aadmi kee baaten kar di hain aapne....acchi ghazal hai... :)

    ReplyDelete

आपकी प्रतिक्रिया ही मेरी प्रेरणा है।