02 December, 2010

आज की गज़ल [ http://aajkeeghazal.blogspot.com/2010/11/blog-post_25.html}  ब्लोग पर मुशायरा चल रहा है उस पर मेरी ये गज़ल लगी थी आखिरी दो शेर बाद मे ऎड किये हैं। पढिये-----
मन की मैल हटा कर देखो
सोच के दीप जला कर देखो

सुख में साथी सब बन जाते
दुख में साथ निभा कर देखो

राम खुदा का झगडा प्यारे
अब सडकों पर जा कर देखो

लडने से क्या हासिल होगा?
मिलजुल हाथ मिला कर देखो

औरों के घर रोज़ जलाते
अपना भी जलवा कर देखो

देता झोली भर कर सब को
द्वार ख़ुदा के जाकर देखो

बिन रोजी के जीना मुश्किल
रोटी दाल चला कर देखो

खोटे सिक्के रोज़ न चलते
सच को मात दिला कर देखो

नोटों पर पाबंदी हो गर 
फिर सरकार बचा कर देखो