02 December, 2010

आज की गज़ल [ http://aajkeeghazal.blogspot.com/2010/11/blog-post_25.html}  ब्लोग पर मुशायरा चल रहा है उस पर मेरी ये गज़ल लगी थी आखिरी दो शेर बाद मे ऎड किये हैं। पढिये-----
मन की मैल हटा कर देखो
सोच के दीप जला कर देखो

सुख में साथी सब बन जाते
दुख में साथ निभा कर देखो

राम खुदा का झगडा प्यारे
अब सडकों पर जा कर देखो

लडने से क्या हासिल होगा?
मिलजुल हाथ मिला कर देखो

औरों के घर रोज़ जलाते
अपना भी जलवा कर देखो

देता झोली भर कर सब को
द्वार ख़ुदा के जाकर देखो

बिन रोजी के जीना मुश्किल
रोटी दाल चला कर देखो

खोटे सिक्के रोज़ न चलते
सच को मात दिला कर देखो

नोटों पर पाबंदी हो गर 
फिर सरकार बचा कर देखो

68 comments:

  1. hehehe....
    bhaut hee khoobsurat gazal hai aunty ji...aap hamesha hee kamaal kartee hain!

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  2. हँसी में सीखो सब दुनियादारी,
    'निर्मला' से ग़ज़ल पढ़ा कर देखो !

    लिखते रहिये .....

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  3. निर्मलाजी गुस्‍ताखी कर रही हूँ, पहला शेर है उसमें यदि मैल के स्‍थान पर तमस कर दें तो। दीप और मैल का मेल नहीं बैठ रहा है।

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  4. निर्मला जी क्या बात कही है..

    खोटे सिक्के रोज़ ना चलते
    सच को मात दिला कर देखो.

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  5. लड़ने से क्या हासिल होगा , मिलकर हाथ मिलाकर देखो ...
    दूसरों के घर खूब जलाये ...अब अपना जलवा कर देखो ...
    लाजवाब ....कर के तो देखें लोंग ये ...
    दूसरों को खूब रुलाया ...अब अपनी पलकें भीगा का देखो ...!

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  6. दमदार वाक्य, कोई सरकार नहीं बचेगी।

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  7. बेहतरीन गजल...
    नोटों पर पाबंदी हो गर
    फिर सरकार बचा कर देखो.

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  8. kya baat... bohot hi badhiya,

    नोटों पर पाबंदी हो गर
    फिर सरकार बचा कर देखो.

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  9. आदरणीया निर्मला कपिला जी
    प्रणाम !


    मन का मैल हटा कर देखो
    सोच के दीप जला कर देखो


    बहुत शानदार मतला है ।

    …और मानवता का मूल मंत्र-

    लड़ने से क्या हासिल होगा?
    मिलजुल हाथ मिला कर देखो


    बहुत ख़ूब !

    और आख़िरी दोनों शे'र भी कमाल के हैं -

    खोटे सिक्के रोज़ न चलते
    सच को मात दिला कर देखो

    नोटों पर पाबंदी हो गर
    फिर सरकार बचा कर देखो


    पूरी ग़ज़ल के लिए मुबारकबाद !

    राजेन्द्र स्वर्णकार

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  10. नोटों पर पाबंदी हो गर
    फिर सरकार बचा कर देखो.
    ...vah...bahut sundar.

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  11. सुन्दर कविता..

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  12. औरों के घर रोज़ जलाते
    अपना भी जलवा कर देखो
    बिन रोजी के जीना मुश्किल
    रोटी दाल चला कर देखो

    खोटे सिक्के रोज़ न चलते
    सच को मात दिला कर देखो

    सच को आईना दिखा रही है आपकी ये गज़ल्……………हर शेर एक तीखी बात कहता है………………आज के हालात का सटीक चित्रण्।

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  13. औरों के घर रोज़ जलाते
    अपना भी जलवा कर देखो

    बहुत ही सुन्‍दर एवं बेहतरीन प्रस्‍तुति ...।

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  14. kisi ek khaas she'r ka zikra isliye nahin karunga kyonki mujhe sabhi she'r bahut hi pasand aaye aur aala darze ke lage

    aapka dhnyavaad !

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  15. इस पाबंदी से तो बहुत कुछ संभाला जा सकता है। सार्थक सुझाव के साथ उम्दा ग़ज़ल

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  16. निर्मला जी, हर शेर बहुत ही खूबसुरत और अर्थपूर्ण ।

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  17. सुख में साथी सब बन जाते
    दुःख में साथ निभा कर देखो ...

    बहुत ही सुंदर गजल . सभी शेर गहरे अर्थ लिए हैं. शुभकामना .

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  18. औरों के घर रोज़ जलाते
    अपना भी जलवा कर देखो

    वाह..! सही बात कही निर्मला जी .....

    बहुत खूब ....!!

    सभी शेर समय से जुड़े हुए .....

    बहुत सुंदर .....!!

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  19. नोटों पर पाबंदी हो गर
    फिर सरकार बचा कर देखो
    क्या बात है बहुत खूब.

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  20. सुन्दर और सार्थक सन्देश प्रसारित करती बहुत ही बेहतरीन गज़ल ! हर शेर लाजवाब है और हर भाव गहन ! बहुत बहुत बधाई आपको !

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  21. नोटों पर पाबंदी हो गर
    फिर सरकार बचा कर देखो
    ... behatreen ... shaandaar-jaandaar abhivyakti !!!

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  22. क्या कहने..............कहने को कुछ बाकी रहा नहीं, आत्मीय धन्यवाद.

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  23. खोटे सिक्के रोज़ ना चलते
    सच को मात दिला कर देखो.

    क्या बात कही है...बहुत खूब...पूरी ग़ज़ल ही शानदार है

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  24. खोटे सिक्के रोज़ ना चलते
    सच को मात दिला कर देखो.

    ek do dug to chal sakta hai , phir bhi ye kya kar sakta hai ...
    bahut badhiyaa nirmala ji

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  25. देता झोली भरकर सबको
    द्वार खुदा के जाकर देखो !

    बहुत खूब निर्मला जी !

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  26. बहुत सुन्दर व सामयिक गजल है बधाई स्वीकारें।

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  27. नोटों पर पावंदी हो गर ,
    फिर सरकार बचा कर देखो !

    कमाल की रचना लिखी है ! एक एक शेर कई कई बार पढ़ा और आनंद लिया !आपकी यह खासियत मालूम न थी, आपका आभार

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  28. सुख में साथी सब बन जाते
    दुख में साथ निभा कर देखो

    हमें तो यह शेर सबसे ज्यादा सामयिक लगा ।
    बढ़िया रचना है निर्मला जी ।

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  29. औरों का घर रोज जलाते , अपना भी जलवाकर देखो।
    बहुत अच्छे

    दुनिया चाहे चीखे चिल्लाती रहे
    बात सच्ची सामने आती रहे।

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  30. aaj ke lagbhag har mudde ko uthhati v har avyavastha ko chunauti deti kavita .

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  31. निम्मो दी! देर भले हो गयी हो पर तीन बातें कहना चाहता हूं:
    १. पहली बार आपकी ग़ज़ल कि प्रस्तावना में प्राण भाई साहब का ज़िक्र न पाकर सूना सूना लगा!
    २. छोटे बहर में ग़ज़ल कहने वालों से मुझे हमेशा जलन होती है कि मैं क्यों नहीं कह पाता छोटे बहर में कोई ग़ज़ल.
    ३. एक एक शेर लाजवाब... गहरी बातें,सन्देश,भक्ति और व्यंग्य सब एक साथ देखने को मिल गया.
    निम्मो दी! बहुत खूब!!

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  32. सुख में साथी सब बन जाते,
    दुख में साथ निभा कर देखो।

    जीवन की विसंगतियों को बयान करती एक सशक्त ग़ज़ल।

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  33. बहुत सुंदर सन्देश से पूर्ण एक उम्दा गज़ल .

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  34. निर्मला माँ,
    नमस्ते!
    बेहद सार्थक!
    सादर,
    आशीष
    --
    नौकरी इज़ नौकरी!

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  35. बहुत ही सुंदर और अर्थपुर्ण रचना. शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  36. कमाल के गज़ल हैं....
    और सन्देश है हर शेर पर...वाह लाजवाब..
    सबसे अच्छा वो वाला शेर लगा
    औरो के घर रोज जलाते
    अपना भी जलवा कर देखो
    .
    .
    और ये वाला
    नोटों पर पाबंदी हो गर
    फिर सरकार बचा कर देखो..

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  37. बेहतरीन गजल!
    सभी शेर बहुत बढ़िया हैं!

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  38. लडने से क्या हासिल होगा?
    मिलजुल हाथ मिला कर देखो
    बहुत अच्छा संदेश देता शेर...
    सभी अश’आर अच्छे लगे.

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  39. लडने से क्या हासिल होगा?
    मिलजुल हाथ मिला कर देखो
    बहुत अच्छा संदेश देता शेर...
    सभी अश’आर अच्छे लगे.

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  40. इतनी सहज भाषा में पूरी रवानगी के साथ अपनी बात कहना कठिन है । आपकी यह ग़ज़ल बोधगम्य होने के साथ-साथ गहरा सन्देश देती है।बहुत कूब है यह शेर- मन का मैल हटा कर देखो
    सोच के दीप जला कर देखो

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  41. निर्मला जी ग़ज़ल इतनी सरल और सहज रूप से लिखा जाता है , आपकी ग़ज़ल को पढ़ कर लगता है.. लेकिन सम्प्रेशानियता के मामले में आपकी ग़ज़ल बहुत ऊपर और उम्दा है.. कुछ शेर तो याद भी हो गया.. अंतिम शेर तो आज के हालत पर बढ़िया व्यंग्य है.. सादर

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  42. बहुत सुंदर ग़ज़ल विचारोत्तेजक और भावप्रवण। आभार आपका।

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  43. सही चुनौती है जी!

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  44. अच्छे सन्देश के साथ सुन्दर विचारशील ..रचना आपकी रचना बहुत अच्छी लगी .. आपकी रचना आज दिनाक ३ दिसंबर को चर्चामंच पर रखी गयी है ... http://charchamanch.blogspot.com

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  45. बहुत अच्छी गज़ल ...सन्देश के साथ सरकार पर कटाक्ष भी है ..

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  46. नए विचारों के साथ गुँथी कविता बहुत अच्छी लगी.

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  47. वाह वाह वाह....

    क्या बात कही है...

    जीवन को सुन्दर बनाने के गुर सिखाती,प्रेरणा देती अतिसुन्दर ग़ज़ल...

    हर शेर लाजवाब !!!

    पहले शेर में "मन 'की' मैल..." हो गया है...कृपया टंकण त्रुटि ठीक कर लें...

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  48. वाह वाह वाह....

    क्या बात कही है...

    जीवन को सुन्दर बनाने के गुर सिखाती,प्रेरणा देती अतिसुन्दर ग़ज़ल...

    हर शेर लाजवाब !!!

    पहले शेर में "मन 'की' मैल..." हो गया है...कृपया टंकण त्रुटि ठीक कर लें...

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  49. देता झोली भर कर सब को,
    द्वार ख़ुदा के जाकर देखो .
    क्या बात है,

    ॐ साईं नाथाय नमः

    सुन्दर भावाभिव्यक्ति

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  50. सुख में साथी सब बन जाते
    दुख में साथ निभा कर देखो
    इस गजल की हर एक पंक्ति अर्थपूर्ण है ...बहुत खूब लिखा है ...शुक्रिया

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  51. क्या ग़ज़ल कही है...और धारदार कटाक्ष....कमाल कर दिया

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  52. बेहतरीन गजल बहुत खूब लिखा है.

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  53. नोटों पर पाबंदी हो गर
    फिर सरकार बचा कर देखो
    यह व्यंग्य नहीं सच्चाई को वयां करती रचना , बधाई

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  54. वाह ... कमाल के शेर हैं सब ... कमाल की ग़ज़ल है ये ... ये शेर ख़ास कर पसंद आया मुझे .... बिन रोज़ी के जीना मुश्किल ... गहरी सूझ से मिक्ले हुवे शेर हैं सब ...

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  55. सुन्दर और बेहतरीन प्रस्तुति ...

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  56. नोटों पर जब पाबन्दी होगी तब सरकार बनाकर या बचाकर क्या करेंगे !!
    बेहतरीन गज़ल .. वाह

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  57. औरों के घर रोज़ जलाते
    अपना भी जलवा कर देखो

    बिन रोजी के जीना मुश्किल
    रोटी दाल चला कर देखो

    खोटे सिक्के रोज़ न चलते
    सच को मात दिला कर देखो

    बेहतरीन गज़ल...

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  58. वाह वाह!! बहुत उम्दा!

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  59. लड़ने से क्या हासिल होगा?
    मिलजुल हाथ मिला कर देखो

    बहुत ख़ूब !

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आपकी प्रतिक्रिया ही मेरी प्रेरणा है।