12 June, 2009

छोटी सी बात (कविता )

कई बार
जब हो जाते हैं
हम
मैं और तू
छोटी छौटी बातों पर
कर देते हैं रिश्ते
कचरा कचरा
तर्क---वितर्क
तकरारें--
आरोप--प्रत्यारोप
छिड जाता है
महाँसंग्राम
अतीत की डोर से
कटने लगती है
भविश्य की पतंग
और खडा रह जाता है
वर्तमान
मौन निशब्द
पसर जाता है
एक सन्नाटा
उस सन्नाटे मे
कराहते हैं
छटपटाते हैं
और दम तोड देते हैं
जीवन के मायने
ओह!
रह जाते हैं
इन छोटी छौटी बातों से
जीने से
जीवन के बडे बडे पल



22 comments:

  1. waah
    waah bahut khoob kaha....
    anand aagaya...........

    ReplyDelete
  2. छोटी किन्तु गहरी बात। वाह निर्मला जी। हमारे मित्र रघुनाथ प्रसाद जी कहते हैं कि-

    जिस दिन से हो गयी परायी रिश्तों की पहचान।
    रोते रोते विदा हो गयी होठों से मुस्कान।।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com
    shyamalsuman@gmail.

    ReplyDelete
  3. अच्छी रचना..... बधाई स्वीकारें...

    ReplyDelete
  4. puri tarah se yatharth se judi kawitaa....waah ....waah....waah

    ReplyDelete
  5. कपिला जी।
    आपका कथन सत्य है।
    बहुत गूढ़ बात कही है आपने।

    ReplyDelete
  6. सच कहा निर्मला जी..छोटे छोटे झगडों में कई बार हम जिन्दगी के सुन्दर पल जीने से वंचित रह जाते हैं....बहुत ही सुन्दर रचना....

    ReplyDelete
  7. bahut sahi baat keh di nirmalaji,jhagde mein jeevan ki madhurta nirav ho jati hai.chote anand ke pal ghumshuda.sunder rachana.

    ReplyDelete
  8. बहुत सुन्दर रचना है।बधाई।

    ReplyDelete
  9. aapki har rachna jeevan se judi hoti hai ...jo kuchh na kuchh achchhi seekh deti hai

    ReplyDelete
  10. आज की सचाई.
    धन्यवाद

    ReplyDelete
  11. कितना सही कहा आपने.....एकदम सच....

    बहुत ही खूबसूरती से आपने भावों को अभिव्यक्ति दी है...मैं कायल हो गयी....वाह !!

    ReplyDelete
  12. choti baatein hi jeene ka mazaa deti hain aur kabhi kabhi choti baatein hi zindagi ki sazaa ban jati hain.........bahut badhiya rachna

    ReplyDelete
  13. wah nirmala ji, bilkul practical sthitiyon ko sunder bhavnatmak roop diya hai.

    ReplyDelete
  14. सुन्दर कविता....

    ... नानी जी मैंने आपसे नाराज़ नहीं हूँ. वो तो मैं पिछले दिनों कुछ बीमार थी इसलिए नहीं आ पायी.

    ... और आप मेरे ब्लॉग पर आये या ना आये पर मुझे पता है की आपका आर्शीवाद हमेशा मेरे साथ रहेगा...

    थैंक्स नानी जी.

    ReplyDelete
  15. WAAH KITANI BEBAAKI SE AAPNE IS SHIKAYAT KO SABKE SAAMNE RAKHAA HAI ... YE HAUSALAA UFFFFF KYA BAAT KAHI HAI AAPNE AUR WO SATYA WACHAN HAI HAM AKSHAR BADI BADI KHUSHIYA CHOTE CHOTE JHAGADON ME KHO DETE HAI JISKAA EHSAS TANIK BAHI NAHI HOTA HAI
    ... IS KHUBSURAT KAVITA KE LIYE KYA KAHUN NISHABD HUN....


    ARSH

    ReplyDelete
  16. कितनी खूबसूरत बात कह दी. आभार.

    ReplyDelete
  17. छोटी-छोटी बातें अगर हम छोटी मानकर छोड़ दें तो रिश्तों के दरमियाँ एक बहुत बड़ी खाई बनने से बच सकती है......
    रहीमदास जी ने कहा है:
    रहिमन धागा प्रेम का, मत तोरो चटकाय.
    जोरे से फिर ना जुरे, जुरे गाँठ पड़ जाय.

    रिश्तों पर आधारित आपकी यह कविता और कथा-श्रृंखला प्रेम-सेतु दिल को छू गयी......सुंदर....

    साभार
    हमसफ़र यादों का.......

    ReplyDelete
  18. Adarneeya Nirmala Ji,
    apane jeevan ke katu yatharth ko bahut sundar shabdon men abhivyakt kiya hai badhai.
    Poonam

    ReplyDelete
  19. सत्य लिखा...........मैं और तू...जब जब ऐसा होता है.....सचमुच, सन्नाटा छा जाता है........... सुन्दर रचना

    ReplyDelete
  20. सत्य सुन्दर रचना.धन्यवाद!!

    ReplyDelete

आपकी प्रतिक्रिया ही मेरी प्रेरणा है।