17 February, 2009



साली


दुल्हे की बेचैनी भाँप कर
बोले एक सज्जन
"दुल्हे राजा पत्नी बैठी बगल में-
फिर क्यों नज़रें इधर उधर"
दुल्हा बोले
"भई पत्नी तो मेरी हो गई
अब कहाँ जायेगी
साली होती आधी घर वाली
वो नज़र कब आयेगी?"
ये सुन सज्जन ने सोचा
दुल्हे को छकाया जाये
इसी की बात पर
इसे उल्लू बनाया जाये
वो कुछ चहके
"देख तुम्हारी जिन्दादिली
अपने कदम भी बहके
ऐसा करो अपनी साली ले लो पूरी
मुझ को दे दो मेरी आधी वाली
जो तेरी बगल मे दुल्हन
है वो है मेरी साली !!


21 comments:

  1. वाह-वाह, ख़ूब छकाया! बहुत अच्छा

    ---
    गुलाबी कोंपलें

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  2. ऐसा करो अपनी साली ले लो पूरी
    मुझ को दे दो मेरी आधी वाली

    वाह! वाह! पढ़ के मज़ा आया.
    धन्यवाद

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  3. "देख तुम्हारी जिन्दादिली
    अपने कदम भी बहके
    ऐसा करो अपनी साली ले लो पूरी
    मुझ को दे दो मेरी आधी वाली
    जो तेरी बगल मे दुल्हन
    है वो है मेरी साली
    बहुत अच्छा

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  4. ha ha ha .....maja aa gaya ...sher par sawa sher

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  5. ऐसा करो अपनी साली ले लो पूरी
    मुझ को दे दो मेरी आधी वाली
    जो तेरी बगल मे दुल्हन
    है वो है मेरी साली

    " ha ha ha ha ha ha ha ha mind blowing.."

    Regards

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  6. विशुद्ध हास्य. .

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  7. वाह...ईंट का जवाब पत्थर से...मजा आ गया...चेहरे पर मुस्कराहट लाने का शुक्रिया...

    नीरज

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  8. वाह जी वाह्! क्या खूब लिखा है.उस समय बेचारे दूल्हे की हालत देखने वाली होगी.

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  9. मजेदार कविता है, शुक्रिया।

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  10. सही-नहले पर दहला!! बहुत खूब!

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  11. बहुत खूब

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  12. इसी को न कहते हैं मियां की जूती मियां के सर पर. मजा आया. आभार.

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  13. मजा आ गया जी , सही दिखाया आईना, बहुत सुंदर कविता.
    धन्यवाद

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  14. प्रस्ताव तो अच्छा था. उन्होंने माना कि नहीं?

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  15. क्या टिप्पणी है ....आपने जीजा औऱ साली के रिश्तों को बेजोड़ तरीके से लिखा है । रिश्ते की हकीकत भी यही है ..रिश्ते को मजबूत बनाती है जीजा साली के रिश्ते । आभार

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  16. बहुत अच्छा लगा हास्य आपके शब्दों में.

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  17. adarneeya Nirmalaji,
    bahut achchha vyangya..vo bhee gharvalee ,saalee aur patidev ke trikon ko lekar..badhai.
    HemantKumar

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  18. दूल्हे राजा चाहते, मिले असल संग ब्याज.
    उल्टा पांसा पड़ गया, लुटा असल भी आज.
    चौबे जी थे चाहते छब्बे बन मुस्कांय.
    नहले पर दहला पड़ा, दुबे हुए घबरांय.
    लगा नहीं छक्का मगर छूटे छक्के मीत.
    'सलिल' न ज्यादा बोलिए, चुप्प निभाएं रीत.

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