जब उनके जीने का हम मकसद हुआ करते थे
हर खुशी के मेरे दर पे दस्तक हुआ करते थे
लोग देते थे मिसाल हमारी दोस्ती की अक्सर
हमारी दोस्ती लोगों के सबक हुआ करते थे
पीने का कोइ ना कोइ सबब आ ही जाता था
जब सीधे मयखानेमे हमकदम हुआ करते थे
कितनी सहज हो जाती थी राहें अपनी
उनकी उल्झन का हम हल हुआ करते थे
वो दिन भी क्या दिन थे बहारें ही बहारें थी
उनके साथ गली कूचे गुलशन हुआ करते थे
फिर उन वफाओं को किस की नजर लग गयी
क्यों दुश्मन बन गये जो दोस्त हुआ करते थे
मुझे सामने देख कर भी अजनबी बने रहते हैं
जो लाखों मे मुझ से हमनजर हुआ करते थे
इन बादलों के बरसने अर भी नजर नहींेआते
जो बहक जते थे जैसे बादल हुआ करते थे
पाक दोस्ती का तकाज़ा है वो आयेंगे कभी जरूर
अभी सितारे गर्दिश मे हैं जो रहमते नजर हुआ करते थे !!
बहुत ही सुन्दर रचना
ReplyDelete---मेरे पृष्ठ
गुलाबी कोंपलें | चाँद, बादल और शाम | तकनीक दृष्टा/Tech Prevue | आनंद बक्षी | तख़लीक़-ए-नज़र
कितनी सहज हो जाती थी राहें अपनी
ReplyDeleteउनकी उल्झन का हम हल हुआ करते थे
" वाह कितने सुकून भरी हैं ये पंक्तियाँ....किसी की उलझन का हल बन जाना सच मे कितना मुश्किल भी है मगर कितना दिलकश भी है.."
Regards
इन बादलों के बरसने अर भी नजर नहींेआते
ReplyDeleteजो बहक जते थे जैसे बादल हुआ करते थे
bahut hi khubsurat panktiyan hain.
poori rachna pasand aayi-
[kripya word verification hata lijeeye..comment post karne mein bahut tang karta hai]
अच्छे उपमानों से सजी हुई गजल। आभार।
ReplyDeleteमुझे सामने देख कर भी अजनबी बने रहते हैं
ReplyDeleteजो लाखों मे मुझ से हमनजर हुआ करते थे
बहुत सुंदर लगी यह पंक्तियाँ
bouth he aache gazal the good going
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गजल का अंदाजे बयां बहुत खूबसूरत है ।
ReplyDeleteआप की रचना में बहुत खूबसूरत भावः पिरोये गए हैं लेकिन इसे ग़ज़ल कहना ठीक नहीं क्यूँ की ग़ज़ल के लिए जरूरी काफिये का इसमें अभाव है आपने रदीफ़ तो "हुआ करते थे" चुना है लेकिन काफिये ग़लत हो गए हैं... रदीफ़ से पहले काफिया आता है जो की एक तुक में शब्द होने चाहियें...लिखती रहें ये सब धीरे धीरे आ जाएगा...मेरी बात बुरी लगी हो तो क्षमा करें...
ReplyDeleteनीरज
कितनी सहज हो जाती थी राहें अपनी
ReplyDeleteउनकी उल्झन का हम हल हुआ करते थे
वो दिन भी क्या दिन थे बहारें ही बहारें थी
उनके साथ गली कूचे गुलशन हुआ करते थे
bas achchi lagi .badhai
सुन्दर रचना बधाई
ReplyDeletebehad khubsurat gazal tarashi hai alfazon se sundar
ReplyDeleteफिर उन वफाओं को किस की नजर लग गयी
ReplyDeleteक्यों दुश्मन बन गये जो दोस्त हुआ करते थे
bahut hi sundar gazal hai..
bahut-2 badhayi........
बहुत ही सुन्दर रचना
ReplyDeleteRespected Nirmala ji,
ReplyDeleteBahut bhav poorna rachna ke liye badhai sveekar karen.
Poonam