दोहे
चलिये आज कुछ पुराने दोहे लिख कर काम चला लेते हैं
कौन बिछाये बाजरा कौन चुगाये चोग
देख परिन्दा उड गया खुदगर्जी से लोग
इधर भिखारी भूख मे उधर बुतों पर भोग
कैसी है ये आस्था भूले रस्ता लोग
सबकी करनी देख कर लिखता वो तकदीर
बिना बनाये मांगता क्यों कर मीठी खीर
लुप्त हुई खग जातियां छोड गयी कुछ देश
कहां बनायें घोंसले पेड रहे ना शेष
चलिये आज कुछ पुराने दोहे लिख कर काम चला लेते हैं
कौन बिछाये बाजरा कौन चुगाये चोग
देख परिन्दा उड गया खुदगर्जी से लोग
इधर भिखारी भूख मे उधर बुतों पर भोग
कैसी है ये आस्था भूले रस्ता लोग
सबकी करनी देख कर लिखता वो तकदीर
बिना बनाये मांगता क्यों कर मीठी खीर
लुप्त हुई खग जातियां छोड गयी कुछ देश
कहां बनायें घोंसले पेड रहे ना शेष