tag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post6644440319187304996..comments2024-03-19T14:53:12.000+05:30Comments on वीर बहुटी: निर्मला कपिलाhttp://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-21635236619778516362009-08-31T15:52:07.218+05:302009-08-31T15:52:07.218+05:30Appki ye khanai kahi na kahi se har aurat ki kahan...Appki ye khanai kahi na kahi se har aurat ki kahani he .......Humari aur purush samaj ki mansikta me bahut antar he .Mera anurodh he har un aurto se jo dard sahti he kirpya aapne aapko pahchane aur rashta banaye abhi bhi der nahi hui he..Archanahttps://www.blogger.com/profile/08556649778238966680noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-5804052661147885482009-07-18T04:58:39.909+05:302009-07-18T04:58:39.909+05:30बहुत मार्मिक कहानी रही...बहुत मार्मिक कहानी रही...स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-51596663043103075272009-07-17T17:01:55.292+05:302009-07-17T17:01:55.292+05:30माँ आज ही आप की कहानी पढ़नी सुरु की थी पर जबसे सुर...माँ आज ही आप की कहानी पढ़नी सुरु की थी पर जबसे सुरु की हटने का मन ही नहीं कर रहा था और पूरी ख़तम करके ही कमेन्ट कर रहा हूँ कितना दर्द है पूरी कहानी मेंमें स्त्री मन की अंतर्दासा को आप ने कितनी अच्छी तरह से दर्शाया है और साथ मेंमें पुरुष के झूठे अंहकार और उसके आत्म गर्विता को भी कहानी मेंमें कही भी ये रसता ख़त्म नहीं हुई मैं तो बस नत मस्तक हूँ और सोचता हूँ क्या मैं भी येसा लिख सकूँगा <br />मेरा प्रणाम स्वीकार करे <br />सादर<br />प्रवीण पथिक<br />9971969084प्रवीण शुक्ल (प्रार्थी)https://www.blogger.com/profile/01003828983693551057noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-92066910623846978982009-07-17T12:13:40.535+05:302009-07-17T12:13:40.535+05:30आपकी कहानी इतनी अच्छी लगी कि मै मौन मे पहुंच गया.....आपकी कहानी इतनी अच्छी लगी कि मै मौन मे पहुंच गया....सबसे पहले मै यह कहना चहुंगा की आपने जो भी किया वो बिल्कुल सही किया ......इन परिस्थितियो मे अगर आप अलग नही होती तो शायद आप वो संस्कार नही दे पाती आपनी बेटियो जो भी आपने दिया है ...क्योकि दूषित माहौल मे हमेशा ही बच्चो को पीडा मिलती है चाहे वह शरीर का हो या मन का दोनो ही स्थितियो मे बच्चे ही दुखी ज्यादा तो होते ही है साथ मे वह कलह प्रतिदिन के संस्कार के रुप मे न चाहते हुये मिल जाते है उन्हे.....ऐसी हालत मे दुषित सस्ंकार नसिर्फ वर्तमान को बल्कि भविष्य को खा जाते है ......नसिर्फ भविष्य बल्कि दुसरी पीढि को भी .........एक इंसान का बुरा सोच चाहे वह पति हो या पत्नि पुरे घर के भविश्य को अन्धकार मय बना देता है ....<br />और पुरे घर यानि खुबसूरत घर की परिभाषा बिगड जाती है........जो एक जिन्दगी के लिये घातक नही पर पुरे घर के लिये घातक होती है ........कई जीवन ऐसे मे तबाह हो जाते है ........इस मायने से आप जो भी करी वह बहुत ही सही करी.ओम आर्यhttps://www.blogger.com/profile/05608555899968867999noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-27788625006715608502009-07-16T22:37:26.513+05:302009-07-16T22:37:26.513+05:30बहुत मार्मिक कहानी लगी . आप का धन्यवादबहुत मार्मिक कहानी लगी . आप का धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-50435468802004307532009-07-16T17:47:55.307+05:302009-07-16T17:47:55.307+05:30बहुत ही सुन्दर नारी के मर्म को उकेरती कथा .बहुत ही सुन्दर नारी के मर्म को उकेरती कथा .anilhttps://www.blogger.com/profile/16782475492940797688noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-46154239810249025722009-07-16T17:08:20.036+05:302009-07-16T17:08:20.036+05:30बेहद रोचक और सुन्दर कहानी आपने लिखी है । दोनो पोस्...बेहद रोचक और सुन्दर कहानी आपने लिखी है । दोनो पोस् पढ़ने के बाद लगा किस आपने बेहतर तरीके से इसे लिखा है शु्क्रियाkumar Dheerajhttps://www.blogger.com/profile/03306032809666851912noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-1499033744131922272009-07-16T16:41:33.761+05:302009-07-16T16:41:33.761+05:30आपकी कहानी में लिखे पात्र अक्सर हमारे आस पास...आपकी कहानी में लिखे पात्र अक्सर हमारे आस पास ही बखरे रहते हैं............. और अक्सर देखा है जो पुरुष अपनी दोहरी मानसिकता में जीते हैं वो अपने परिवार , प्रेम से बसे संसार का अंत इसी मानसिक सोच के तहत कर लेते हैं............... मेरे विचार से किसी भी इंसान को अपने आत्म सम्मान को बचा कर रखने का पूरा हक़ है.......... और सबको सबका उचित सम्मान मिलना ही चाहिए............ वैसे तो अपने आप को घर का स्वामी समझता है पुरुष पर विपरीत परिस्थिति आने पर उसको सहन नहीं कर पाता.............उचित fainsla है ...........दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-431177405171427192009-07-16T14:00:16.544+05:302009-07-16T14:00:16.544+05:30मेरे संस्कार समर्पण त्याग और कर्तव्य सब विद्रोह कर...मेरे संस्कार समर्पण त्याग और कर्तव्य सब विद्रोह कर उठे-..<br />आखिर कब तक अन्याय सहन किया जाय...धैयॅ भी जवाब दे जाता है ...मार्मिक लेकिन ज़िन्दगी को सर उठाकर जीने का हौसला देती शानदार कहानी !! Ria Sharmahttps://www.blogger.com/profile/07417119595865188451noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-62716520660157514472009-07-16T13:51:17.737+05:302009-07-16T13:51:17.737+05:30हृदय को भा गयी
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गुलाबी कोंपलें · चाँद, ...हृदय को भा गयी<br />-----------<br /><a href="http://pinkbuds.blogspot.com" rel="nofollow">गुलाबी कोंपलें</a> · <a href="http://prajapativinay.blogspot.com" rel="nofollow">चाँद, बादल और शाम</a>Vinayhttps://www.blogger.com/profile/08734830206267994994noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-83827034671968825552009-07-16T13:41:08.774+05:302009-07-16T13:41:08.774+05:30बहुत अच्छा प्लाट तैयार किया आपने..बहुत अच्छा प्लाट तैयार किया आपने..रंजन (Ranjan)https://www.blogger.com/profile/04299961494103397424noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-74679975275038595682009-07-16T13:20:16.147+05:302009-07-16T13:20:16.147+05:30sahi waqt par sahi nirnay ki bahut jaroorat hoti h...sahi waqt par sahi nirnay ki bahut jaroorat hoti hai aur wo hi is kahaani ki nayika ne kiya aur ye hi aaj shayad har nari ki jaroorat hai...........aakhir kab tak sahegi pratadna........aur kyun sahe........kya nari hona gunaah hai.......kahaani bahut hi marmsparshi hai dil ko choo gayi.vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-74636674307626093612009-07-16T12:06:51.918+05:302009-07-16T12:06:51.918+05:30बहुत मार्मिक कहानी रही.
रामरामबहुत मार्मिक कहानी रही. <br /><br />रामरामताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-29143658949150335242009-07-16T11:56:40.311+05:302009-07-16T11:56:40.311+05:30निर्मला दी
"चिंगारी "कहानी कि नायिका का...निर्मला दी<br />"चिंगारी "कहानी कि नायिका का निर्णय बिलकुल उपयुक्त है और सही समय पर लिया गया है ,और कहानी कहाँ कहानीईय लग रही है आज हरेक दूसरे तीसरे मध्यम vrgeey privaर कि यही स्थिति है |<br />एक अलग मोड़ देना जरुरी है जीवन को इसमें भी badhaye है पर apno से दिन रात apman और prtadna jhelna samrpan nhi khlata .<br />बधाईशोभना चौरेhttps://www.blogger.com/profile/03043712108344046108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-2734174303730972702009-07-16T11:53:06.220+05:302009-07-16T11:53:06.220+05:30कुल मिलाकर बहुत सुन्दर और मार्मिक
कहानी लगी।
बधाई...कुल मिलाकर बहुत सुन्दर और मार्मिक <br />कहानी लगी।<br />बधाई!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-86952443900068826172009-07-16T10:44:34.993+05:302009-07-16T10:44:34.993+05:30चिंगारी अगर उठे तो उसे दबाना नहीं चाहिए...और वैसे ...चिंगारी अगर उठे तो उसे दबाना नहीं चाहिए...और वैसे भी इंसान अगर अपने वजूद को ना पा सके तो वो दुखी और परेशान रहता है.<br />कहानी में जो नायिका है उसने फिर भी कम ही किया....वरना ऐसे इंसान से तलक ले लेना चाहिए...लेकिन उसमें भी फिर ये समाज ना जाने क्या क्या बकता...<br /><br />मुझे कहानी बहुत पसंद आई...एक स्त्री के मन की व्यथा आपने यहाँ रखीअनिल कान्तhttps://www.blogger.com/profile/12193317881098358725noreply@blogger.com