tag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post2800489812611254460..comments2024-03-19T14:53:12.000+05:30Comments on वीर बहुटी: निर्मला कपिलाhttp://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comBlogger50125tag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-5062298925057646772011-05-10T21:52:46.882+05:302011-05-10T21:52:46.882+05:30तारीफ किसी भी रुप में हो पाने वाले का उत्साह तो बढ...तारीफ किसी भी रुप में हो पाने वाले का उत्साह तो बढाती ही है ।Sushil Bakliwalhttps://www.blogger.com/profile/08655314038738415438noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-48879937196924425122011-05-10T18:03:55.791+05:302011-05-10T18:03:55.791+05:30प्रशंसा जरूरी है इससे अगली पोस्ट लिखने की ऊर्जा मि...प्रशंसा जरूरी है इससे अगली पोस्ट लिखने की ऊर्जा मिलती है । इसके साथ साथ सुझाव भी आवश्यक हैं खास कर हम जैसों के लिये ताकि हिंदी ब्लॉगिंग का दर्जा भी बढे ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-35568606819747878102011-05-10T16:05:00.339+05:302011-05-10T16:05:00.339+05:30इस आलेख में कहे गए बातों से शब्दशः सहमत हूँ...
प्...इस आलेख में कहे गए बातों से शब्दशः सहमत हूँ...<br /><br />प्रशंसा जहाँ एक और सकारात्मक दृष्टिकोण देती है, वहीँ प्रतिभाओं के विकास में सहायक भी होती हैं...<br /><br />इसलिए किसी भी अच्छी बात की प्रशंसा अवश्य करनी चाहिए...रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-19402092648451421332011-05-10T12:10:22.764+05:302011-05-10T12:10:22.764+05:30बिल्कुल सही कहा है आपने ... ।बिल्कुल सही कहा है आपने ... ।सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-5184394797378408182011-05-10T10:54:07.328+05:302011-05-10T10:54:07.328+05:30प्रशंसकों को अपना काम करने देना चाहिए। लेखक से बस ...प्रशंसकों को अपना काम करने देना चाहिए। लेखक से बस इतने विवेक की उम्मीद की जाती है कि वह "सावधान" रहे!शिक्षामित्रhttps://www.blogger.com/profile/15212660335550760085noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-56823549136945758112011-05-10T10:00:52.646+05:302011-05-10T10:00:52.646+05:30बहुत सुन्दर और विचारणीय प्रस्तुती! प्रशंग्सा करने ...बहुत सुन्दर और विचारणीय प्रस्तुती! प्रशंग्सा करने से ख़ुशी मिलती है और लिखने का उत्साह दुगना हो जाता है पर अगर कहीं गलती हो तो झूठी प्रशंग्सा करना भी ठीक नहीं!Urmihttps://www.blogger.com/profile/11444733179920713322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-90753466919223067482011-05-09T23:54:43.962+05:302011-05-09T23:54:43.962+05:30यूँ तो सब पहले ही लिख चुके हैं और मै भी लिखूंगा तो...यूँ तो सब पहले ही लिख चुके हैं और मै भी लिखूंगा तो वही लिखूंगा <br /><br />लेकिन एक बात और भी है वो ये की मानव सिर्फ अपनी तारीफ सुनना चाहता है और बुराइ करे तो दुश्मन हो जाये जैसी बाते भी होती है <br /><br />लेकिन ब्लागर का धर्म ही ये होना चाहिए की जो लिखे खरी खरी लिखे अगर अच्छा लगा तो खरी खरी तारीफ और बुरा लगा तो खरी खरी बुराई(कुंदन)https://www.blogger.com/profile/13462446613490816500noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-28390279799172529052011-05-09T23:20:17.432+05:302011-05-09T23:20:17.432+05:30बढ़िया प्रस्तुति. परंतु Font size थोड़ा बड़ा कर दें त...बढ़िया प्रस्तुति. परंतु Font size थोड़ा बड़ा कर दें तो वाले High resolution स्क्रीन पर भी अच्छा लगेगा<br /><a href="http://vivj2000.blogspot.com/" rel="nofollow"><b> विवेक जैन </b><i>vivj2000.blogspot.com</i></a>Vivek Jainhttps://www.blogger.com/profile/06451362299284545765noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-27820907531790804252011-05-09T15:41:51.551+05:302011-05-09T15:41:51.551+05:30tippani ka bahut mahatv hai vyaktitv ke nirmaan ke...tippani ka bahut mahatv hai vyaktitv ke nirmaan ke liye....<br /><br />good wishes to all...<br /><br />ye alag hai ki 100 tippani yaa 1 tippani ke baad ham samajh paate hain iska mahatv..नीलांशhttps://www.blogger.com/profile/06348811803233978822noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-63773794556408174942011-05-09T15:00:11.151+05:302011-05-09T15:00:11.151+05:30प्रसंसा तो वो फुल है जो चारो तरफ खुशबु फेलाता रहता...प्रसंसा तो वो फुल है जो चारो तरफ खुशबु फेलाता रहता है --और हम उसी खुशबु रूपी फुल से खिल जाते है ..हम यानी --हम ब्लोगर लोग !<br />बहुत बढिया --वेसे कोई सब्जेक्ट मुझे पसंद न ही आता है तो मै उसका विरोध भी करती हूँ ~~`धन्यवाददर्शन कौर धनोयhttps://www.blogger.com/profile/06042751859429906396noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-8485456119145508872011-05-09T13:38:38.133+05:302011-05-09T13:38:38.133+05:30प्रशंसा उत्साहवर्धन का ही एक माध्यम है . होनी ही ...प्रशंसा उत्साहवर्धन का ही एक माध्यम है . होनी ही चाहिए. वैसे तो अपनी क्षमताओं का हमें पता ही होता है. अधिक टिपण्णी आने से लेखन में कान्फिडेंस बढ़ता है . सामयिक आलेख .मेरे भावhttps://www.blogger.com/profile/16447582860551511850noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-60144538868102812722011-05-09T10:55:16.874+05:302011-05-09T10:55:16.874+05:30विचारणीय आलेख के लिए रजनीश जी को और प्रस्तुति के ल...विचारणीय आलेख के लिए रजनीश जी को और प्रस्तुति के लिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद . मुझे लगता है कि ब्लॉग-पोस्टों में टिप्पणियाँ समीक्षात्मक और संतुलित होनी चाहिए .Swarajya karunhttps://www.blogger.com/profile/03476570544953277105noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-68446594205550447072011-05-09T09:59:34.694+05:302011-05-09T09:59:34.694+05:30मुझे प्रशंसा करना अच्छा लगता है। और प्रशंसा को चा...मुझे प्रशंसा करना अच्छा लगता है। और प्रशंसा को चाटुकारिता कहना बेवकूफी है। कुछ लोग आलोचना के बहाने 'भड़ास' ज्यादा निकालते हैं। ऐसे आलोचकों से हज़ार गुना बेहतर हैं 'प्रशंसक'।ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-37040618470906053222011-05-09T08:05:06.225+05:302011-05-09T08:05:06.225+05:30प्रशंसा ज़रूरी है ...पर झूठी प्रशंसा का कोई अर्थ न...प्रशंसा ज़रूरी है ...पर झूठी प्रशंसा का कोई अर्थ नहीं है ....समय की बर्बादी है -पाठक ,लेखक दोनों के लिए ...बिना प्रशंसा के भी टिपण्णी की जा सकती है ...!!Anupama Tripathihttps://www.blogger.com/profile/06478292826729436760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-87262004481290483912011-05-09T07:12:51.002+05:302011-05-09T07:12:51.002+05:30प्रोत्साहन के लिए प्रशंसा के शब्द ज़रूरी हैं ........प्रोत्साहन के लिए प्रशंसा के शब्द ज़रूरी हैं ..... पर इनमे सुझाव भी शमिल हों तो अच्छा रहेगा ..... प्रोत्साहन अगर लेखन के स्तर को सुधारे तो ज्यादा अच्छा है .... डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-31902209319023726042011-05-09T06:58:13.196+05:302011-05-09T06:58:13.196+05:30निर्मला दी, रजनीश जी की बात से सहमत हूँ ! प्रशंसा ...निर्मला दी, रजनीश जी की बात से सहमत हूँ ! प्रशंसा के शब्द नये लेखक का उत्साह बढ़ाते हैं और उसके अंदर एक सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है ! लेकिन उसकी बड़ी गलतियों के प्रति यदि प्यार के साथ संकेत किया जाये और हतोत्साहित ना करते हुए उसे एक मार्गदर्शक की तरह सही दिशा दिखा दी जाये तो यह भी उसके लेखन में उत्तरोत्तर निखार ही लाएगा ! सुझाव, मार्गदर्शन, आलोचना एवं अपमान में जो अंतर है उसका ध्यान रखना आवश्यक है ! बहुत सार्थक आलेख !Sadhana Vaidhttps://www.blogger.com/profile/09242428126153386601noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-30767696763724217182011-05-09T05:39:31.847+05:302011-05-09T05:39:31.847+05:30no comments.no comments.Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-66907943758169372382011-05-09T00:46:15.385+05:302011-05-09T00:46:15.385+05:30अब हम क्या कहें..हम तो हमेशा से ही प्रोत्साहन के प...अब हम क्या कहें..हम तो हमेशा से ही प्रोत्साहन के पक्षधर रहे हैं. भरसक प्रयास करते हैं कि कोई हताश हो लिखना न बंद कर दे.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-4995813583951845582011-05-08T23:45:41.001+05:302011-05-08T23:45:41.001+05:30निर्मला जी आप ने इस लेख को अपने ब्लॉग पर लगाकर &qu...निर्मला जी आप ने इस लेख को अपने ब्लॉग पर लगाकर "रजनीश" जी की चिंता को आगे बढ़ाने का प्रशंसनीय प्रयास किया है ! हालाँकि ऐसे प्रयासों की तारीफ ही की जा सकती है ! समाज में अगर किसी की तारीफ करने से उसका उत्साहवर्धन होता है और यदि ब्यक्ति कुछ सर्जनाएं करता है तो स्वयं ऐसी टिप्पणियों की सार्थकता सिद्ध हो जाती है ! मेरे ब्लॉग पर प्रशंसात्मक टिप्पणी लिखकर मेरा उत्साह बढ़ाने के लिए आभार !शिवम मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/05735837563611848231noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-79072039202312094312011-05-08T23:16:31.834+05:302011-05-08T23:16:31.834+05:30उत्साह बढ़ाने के लिये बड़ों की उपस्थिति होना भी बह...उत्साह बढ़ाने के लिये बड़ों की उपस्थिति होना भी बहुत आवश्यक है हम नवोदितों के लिये।अरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-25304345756037023052011-05-08T23:08:04.126+05:302011-05-08T23:08:04.126+05:30विचारनीय प्रस्तुति...
हार्दिक शुभकामनायेंविचारनीय प्रस्तुति...<br /><br />हार्दिक शुभकामनायेंKavita Prasadhttps://www.blogger.com/profile/15387681420571525202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-66578427435676251322011-05-08T21:34:30.842+05:302011-05-08T21:34:30.842+05:30निम्मो दी!
अव्वल तो टिप्पणियाँ सिर्फ टिप्पणियाँ कर...निम्मो दी!<br />अव्वल तो टिप्पणियाँ सिर्फ टिप्पणियाँ करनी हैं इसलिए की जाती हैं, और कई लोगों को कई जगह जाकर करनी होती है इसलिए दायित्वा निर्वाह जैसी ही होती हैं.. प्रशंसा की बाद तो उसके बाद आती है. सरिता दी ने बहुत व्यथित होकर एक पोस्ट अपनी सहेली की मृत्यु पर लिखी थी और एक महाशया वहां "मजेदार लेख" जैसा कुछ लिख आईं और साथ ही यह भी बता आईं कि उनके न्लोग से आप गाने डाउनलोड कर सकते हैं.. ऐसे में तारीफों की क्या बात, क्या औकात! वैसे अपनी रचना के बारे में लिखने वाले को पता होता है, इसलिए वो खुद समझता है कि तारीफ़ कितनी सच है कितनी झूठ. <br />एक फिल्म में जब हीरो ने कादर खान की बहुत तारीफ कर दी तो वो कहता है कि यार ये तारीफ कर रहा है कि बुराई!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-70976120143213545842011-05-08T20:06:31.984+05:302011-05-08T20:06:31.984+05:30आप सही कह रही हैं लेकिन बिना सुर-ताल की प्रशंसा कई...आप सही कह रही हैं लेकिन बिना सुर-ताल की प्रशंसा कई बार नकारात्मक प्रभाव भी छोड़ जाती है.डॉ. मनोज मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-53766703982809417012011-05-08T19:33:56.367+05:302011-05-08T19:33:56.367+05:30निर्मला जी आप की बात से सहमत हुं, हम अगर प्रशंसा न...निर्मला जी आप की बात से सहमत हुं, हम अगर प्रशंसा ना करे तो ९९% लोगो का मुंह सुज जाता हे, बहुत कम लोग हे जो अलोचना को सही समझते हे, मै खुद कई बार आलिचना करता हुं तो कुछ समय बाद ही मुझे सजा मिल जाती हे, जब्कि आलोचना से कलम ओर निखरती हेराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-71457969118393377122011-05-08T17:45:01.074+05:302011-05-08T17:45:01.074+05:30सच कहा .. प्रशानशा हमेशा काम करती है ... वो बस चाप...सच कहा .. प्रशानशा हमेशा काम करती है ... वो बस चापलूसी नही होनी चाहिए ... और एक बात अपनों की तो प्रशंसा ज़रूर करनी चाहिए ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.com