गज़ल
बेवफाई के नाम लिखती हूँ
आशिकी पर कलाम लिखती हूँ
खत में जब अपना नाम लिखती हूँ
मैं हूँ उसकी जिमाम लिखती हूँ
आँखों का रंग लाल देखूँ तो
उस नज़र को मैं खाम लिखती हूँ
ये मुहब्बत का ही नशा होगा
मैं सुबह को जो शाम लिखती हूँ
फाख्ता होश कौन करता है
जब जमी को भी बाम लिखती हूँ
है बदौलत उसी की ये साँसें
ये खुदा का ही काम लिखती हूँ
जो सदाकत में ज़िंदगी जीए
नाम उसका मैं राम लिखती हूँ
हौसला बा कमाल रखता है
वो नहीं शख्स आम लिखती हूँ
बादशाहत सी ज़िंदगी उसकी
महलों की ताम झाम लिखती हूँ
दोस्त, दुश्मन मेरा है रहबर भी
किस्से उसके तमाम लिखती
बेवफाई के नाम लिखती हूँ
आशिकी पर कलाम लिखती हूँ
खत में जब अपना नाम लिखती हूँ
मैं हूँ उसकी जिमाम लिखती हूँ
आँखों का रंग लाल देखूँ तो
उस नज़र को मैं खाम लिखती हूँ
ये मुहब्बत का ही नशा होगा
मैं सुबह को जो शाम लिखती हूँ
फाख्ता होश कौन करता है
जब जमी को भी बाम लिखती हूँ
है बदौलत उसी की ये साँसें
ये खुदा का ही काम लिखती हूँ
जो सदाकत में ज़िंदगी जीए
नाम उसका मैं राम लिखती हूँ
हौसला बा कमाल रखता है
वो नहीं शख्स आम लिखती हूँ
बादशाहत सी ज़िंदगी उसकी
महलों की ताम झाम लिखती हूँ
दोस्त, दुश्मन मेरा है रहबर भी
किस्से उसके तमाम लिखती
बहुत सुन्दर ...
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (27-09-2017) को
ReplyDeleteनिमंत्रण बिन गई मैके, करें मां बाप अन्देखी-; चर्चामंच 2740
पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
जन्मदिन की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं!
ReplyDeleteबहुत बढिया।
ReplyDeletebahut badiya information.
ReplyDeleteBahut hi sundar kavita. Badhayi.
ReplyDeleteWhatsapp plus vs gbwhatsapp & Games like stick war legacy