गज़ल
कुछ पा लिया कुछ खो लिया
फिर बेतहाशा रो लिया
आंखों से जब आंसू गिरे
तो ज़ख्म दिल का धो लिया
फिर भी हुयी मुश्किल अगर
आँचल मे माँ की सो लिया
दुश्वारियों का बोझ भी
जैसे हुया बस ढो लिया
जिसने बुलाया प्यार से
मै तो उसी का हो लिया
बेकार कर दी ज़िन्दगी
बस खा लिया और सो लिया
करते मुहब्बत सब मुझे
जो प्यार बाँटा वो लिया
बढ़िया अशआरों से सजी हुई खूबसूरत ग़ज़ल!
ReplyDeletejisne aapki lekhnee padhi...
ReplyDeletebas aapka mureed ho liyaa....
aap aashirvaad dene aayee nahee kaafi dino se apne bete ke blog pe....
http://raaz-o-niyaaz.blogspot.com/
बहुत सुन्दर भावों की अदभुत व अनुपम प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार.
ReplyDeleteपढकर आनंद आ गया.
मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.
आप यूँ मुहँ न मोड़ियेगा.
बहुत सटीक और खूबसूरत गज़ल ..
ReplyDeletebahut hi badhiya gazal
ReplyDeleteबहुत ही भावयुक्त गजल!!
ReplyDeleteबस यही स्थिति है!!
आँखों से जब आँसू गिरे
ReplyDeleteतो ज़ख़्म दिल का धो लिया
खूबसूरत ग़ज़ल.
जो भी प्यार से मिला हम उसी के हो लिए - अगर यही हम सोच लें तो फिर दुनियाँ स्वर्ग का एक रूप हो जाये. बहुत सुंदर ग़ज़ल .
ReplyDeleteबहुत सही, यह तो शाश्वत सत्य है -
ReplyDeleteजिसने बुलाया प्यार से
मै तो उसी का हो लिया
बहुत सटीक बहुत सही !!
ReplyDeleteसुन्दर भावो से सजी शानदार गज़ल्…………इसे पढकर ये गाना याद आ गया
ReplyDeleteमै ज़िन्दगी का साथ निभाता चला गया
हर फ़िक्र को धुयें मे उडाता चला गया
बेकार कर ली जिन्दगी ,
ReplyDeleteबस खा लिए और सो लिए ....................
आम आदमी (मैंगो मैन) की भाषा में उपरोक्त सुंदर रचना हेतु आभार..........
पी. एस. भाकुनी
बहुत ही सुंदर गजल..बेहतरीन।
ReplyDeleteNirmalaji,bahut,bahut sundar! Aapne kaafee dinon baad likha hai!
ReplyDeleteबेकार कर दी जिंदगी
ReplyDeleteबस खा लिया और सो लिया .
सुन्दर अशआर से सुसज्जित बढ़िया ग़ज़ल .
खुबसुरत शे'र ..क्या बात हैं ???
ReplyDeleteअच्छा संदेश है। प्यार दो,प्यार लो।
ReplyDeleteवाह ! एक सुंदर ग़ज़ल.
ReplyDeleteसुन्दर भावो से सजी शानदार गज़ल्…
ReplyDeleteफिर भी हुई मुश्किल अगर,
ReplyDeleteआँचल में माँ की सो लिया...
अदभुत...अनुपम...बेहतरीन...
बेहद खूबसूरत गजल. आभार.
ReplyDeleteसादर,
डोरोथी.
खूबसूरत ग़ज़ल,आभार.
ReplyDeleteबहुत सुंदर ग़ज़ल .
ReplyDeleteखूबसूरत गज़ल, दार्शनिक अंदाज। बहुत खूब। बधाई।
ReplyDeletebahut achchhi gazal...
ReplyDelete"दुश्वारियों का बोझ भी जैसे हुआ बस ढो लिया ...."
ReplyDeleteग़ज़ल आपकी पसंदीदा विधा है और ग़ज़ल का हर शेर एक रोमांच पैदा करता है. फिर-फिर पढने को मन करता है. बहुत आभार निर्मला दी !
(विशेष- दी से अभिप्राय दीदी से है न कि पंजाबी 'दी' से. जिस 'दी' का अर्थ 'की' होता है. )
बहुत ही खूबसूरत...
ReplyDeletebahut badhiya likha hai
ReplyDeleteफिर भी हुई मुश्किल अगर,
आँचल में माँ की सो लिया..
isse jyada rahat aur kahan ?
बहुत ख़ूब दीदी, इस ग़ज़ल में तो आपने मेरे मन की बातें बयान कर दी है। हम बस जब भी कोई विकट परिस्थिति आती है तो रो-धो लेते हैं और उसके भी पार जगत-जननी की गोद में सर रख देते हैंं कि अब सब तेरे हाथ।
ReplyDeleteऔर उन लोगों का क्या कहना जो खाए-पिए और निश्चिंत हो लिए।
खूबसूरत ग़ज़ल
ReplyDeleteबहुत ही संवादपूर्ण गजल, पढ़ने में आनन्द आ गया।
ReplyDeletebahut pyaari ghazal
ReplyDeleteबहुत ख़ूबसूरत और उम्दा ग़ज़ल लिखा है आपने! हर एक शेर लाजवाब है!
ReplyDeleteमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
http://seawave-babli.blogspot.com
bahut pasand aayee......
ReplyDeletekhoobsoorat gazal
ReplyDeleteदुश्वारियों का बोझ भी
ReplyDeleteजैसे हुआ बस ढो लिया
जिसने बुलाया प्यार से
मैं भी उसी का हो लिया..
..बिलकुल सच कहा प्यार में बहुत ताकत होती है और यह प्यार वह बखूबी समझता है जो प्यार करना जानता हो..
माँ जी बहुत प्यारी गजल लगी ...आभार
Awesome creation ! Quite realistic !
ReplyDeleteनिम्मो दी!!
ReplyDeleteछोटी बहर की बड़ी गज़ल... बहुत सुन्दर!!
निर्मला कपिला जी हार्दिक अभिवादन -मन को छू जाने वाली निम्न पंक्तियाँ -हम सहज ही सब कुछ सह कर करते चले जाते हैं अगर हम में सूझ बूझ है -यही है जिन्दगी
ReplyDeleteसुन्दर भाव -बधाई
शुक्ल भ्रमर ५
भ्रमर का दर्द और दर्पण
दुश्वारियों का बोझ भी
जैसे हुआ बस ढो लिया
जिसने बुलाया प्यार से
मैं भी उसी का हो लिया.
वाह....बहुत अच्छी रचना....
ReplyDeleteजिसने बुलाया प्यार से... :)
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी गजल!!!
ला ला ल ला ला ला ल ला
ReplyDeleteला ला ल ला ला ला ल ला
क्या प्रवाह है इस ग़ज़ल का दीदी, दिल खुश हो गया| जस्ट लाइक नॉन स्टॉप राजधानी एक्स्प्रेस| बहुत ही सुंदर और ताज़गी भरी ग़ज़ल| आपकी जय हो|
घनाक्षरी समापन पोस्ट - १० कवि, २३ भाषा-बोली, २५ छन्द
अरे वाह, मानो जीवन परिभाषित किया हो!
ReplyDeleteआज बड़े दिनों के बाद आपको ब्लॉग पर देख कर बहुत खुशी हो रही है ! बहुत खूबसूरत गज़ल के साथ आई हैं आप आज ! आशा है पूर्णत: स्वस्थ व सानंद होंगी !
ReplyDeleteजिन्दगी को खुद में समेटे हुए
ReplyDeleteबहुत ही खूब सूरत एहसासों की ग़ज़ल .......आभार
लंबे समय बाद आज आपको दुबारा पढ़ा है ... कुछ उदासी लिए गहरी गज़ल के साथ ... आशा है आपका स्वस्थ ठीक होगा ...
ReplyDeleteबेहतरीन ग़ज़ल.....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर बढ़िया गजल हैं...आभार
ReplyDeleteसहज अनुभूति की स्वस्फूर्त ग़ज़ल .
ReplyDeleteसहज अनुभूति की स्वस्फूर्त ग़ज़ल .
ReplyDeletebahut dino baad aap ka likha kuchh padhne ko mila aur vo bhi itna dhamakedar. wah kya baat hai...umda gazal.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर बढ़िया गजल हैं.कल की चर्चा मंच पे इसका ज़िक्र करूँगा
ReplyDeleteवाह जी,
ReplyDeleteक्या बात है,
बातों को कहने का ये भी अंदाज है।
बहुत सुंदर
कल ,शनिवार (३०-७-११)को आपकी किसी पोस्ट की चर्चा है ,नई -पुराणी हलचल पर ...कृपया अवश्य पधारें...!!
ReplyDeleteखूबसूरत गजल. आभार.
ReplyDeleteजो भी प्यार से मिला हम उसी के हो लिए ....
आपको हरियाली अमावस्या की ढेर सारी बधाइयाँ एवं शुभकामनाएं .
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति |
ReplyDeleteबधाई ||
व्यक्ति अपनी मौलिकता में ऐसा ही जीवन जीता है।
ReplyDeleteare wah! kya baat hai---badhaee
ReplyDeleteजिसने बुलाया प्यार से
ReplyDeleteमैं तो उसी का हो लिया
.............उम्दा शेर
.........बेहतरीन ग़ज़ल
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ReplyDeletedil ko choo lene wali ghazal..aapka margdarsh ham naye logon ko bhi mile isi akankcha aur apne blog pe amantran ke sath
ReplyDeletesacchi anubhutiyon ko piro dala hai!
ReplyDeleteregards,
बहुत भावपूर्ण गजल |आप बहुत दिन बाद आई हैं ब्लॉग पर |
ReplyDeleteआज की रचना के लिए बधाई
आशा
बेकार कर दी ज़िन्दगी ,बस खा लिया और सो लिया ,आज चर्चा मंच पर दोबारा बांचा, गुना ,इस ग़ज़ल को और खुद को ये गीत गुनगुनाते पाया -उठ जाग मुसाफिर भोर भई ,अब रैन कहाँ जो सोवत है ,जो सोवत है सो खोवत है ,जो जागत है सो पावत है .
ReplyDeleteसरल शब्दों में भावों को सार्थक अभिव्यक्ति दी है आपने.
ReplyDeleteबहुत खूब. "बेकार कर दी ज़िन्दगी बाद खा लिया और सो लिया" मैं अपने मन को टटोल रहा हूँ.
ReplyDeleteसरल शब्दों में भावों को सार्थक अभिव्यक्ति....
ReplyDeleteaankhon se jab aansu dire to zakhm dil.....................
ReplyDeletebahut khub
gazal me ek ravani hai
bahut hi pyari gazal
saader
rachana
SUNDAR SHERON SE SAJEE HAI GAZAL.
ReplyDeleteMEREE BADHAAEE AUR SHUBH KAMNA .
हाँ जी.. यह तो बिलकुल उस गाने का प्रतिबिम्ब है..
ReplyDeleteमैं ज़िन्दगी का साथ निभाता चला गया.. हर फ़िक्र को धुंए में उडाता चला गया!
और एक गीत...
हम हैं राही प्यार के हमसे कुछ न बोलिए, जो भी प्यार से मिला, हम उसी के हो लिए...
बेमिसाल गज़ल.खूबसूरत शेरो से सजी
ReplyDeleteआभार
करते मुहब्बत सब मुझे जो प्यार बाँटा वो लिया ।
ReplyDeleteसुंदर ।
बहुत दिनों बाद आ रहा हूँ , निर्मला जी , माफ़ी चाहूँगा
ReplyDeleteआप कैसी है , आपकी health कैसी है ..
गज़ल बहुत अच्छी लिखी है आपने /
हर शेर कुछ न कुछ कह रहा है ... दिल से बधाई आपको
आभार
विजय
कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html
हमेशा की तरह दिलकश गजल कही है आपने।
ReplyDelete------
कम्प्यूटर से तेज़!
इस दर्द की दवा क्या है....
फ़िर से एक खूबसूरत गजल ।
ReplyDeleteधन्यवाद निर्मला जी
निर्मला जी -
ReplyDeleteबहुत सार्थक भावों को इस ग़ज़ल के माध्यम से अभिव्यक्त किया है .आपके ब्लॉग का परिचय श्री राजीव कुलश्रेष्ठ जी ने ''ये ब्लॉग अच्छा लगा '' व् ''भारतीय नारी '' पर दिया है .आप इन दोनों ब्लोग्स पर aayen व् अपने विचारों से हम सभी को अवगत कराएँ .इन ब्लोग्स का URL इस प्रकार है -''http ://yeblogachchhalaga.blogspot .com '' व् ''http ://bhartiynari .blogspot .com ''. आभार
निर्मला जी आपकी रचनाएँ बहुत बार पढ़ी हैं और बहुत बार चाहा है कि आपके ब्लॉग पर आकर टिपण्णी करूं और आपके ब्लॉग से निरंतर जुडी रहूँ किन्तु इसे आप मेरा दुर्भाग्य ही कहिये कि मैं ऐसा करने में असफल rahee आज राजीव जी ने आपके ब्लॉग को ये ब्लॉग अच्छा लगा पर और भारतीय नारी पर लिया और हमने ये ठान ही लिया की आज आपके ब्लॉग से ज़रूर जुड़ना है और आज हम इससे जुड़ रहे हैं और ब्लॉग जगत में अपने सौभाग्य को बढ़ा रहे हैं .आप भी भारतीय नारी से जुड़ें तो हम सभी को प्रसन्नता होगी.
ReplyDeletekahin dard hai, kahin haar hai, par jindagi issi ko kehte hain. Love it very much.
ReplyDeleterochak aur manoram gazal
ReplyDeletebadhi.
वाह, बहुत सुन्दर ग़ज़ल !
ReplyDeleteमाँ जी को सपरिवार जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeleteजन लोकपाल के पहले चरण की सफलता पर बधाई.
ReplyDeleteMaa ji ko Ganesh chaturthi kee bahut bahut haardik shubkamnayen..
ReplyDeleteਨਿਰਮਲਾ ਮਾ,
ReplyDeleteਸਤ ਸ੍ਰੀ ਅਕਾਲ!
ਉਮਦਾ ਨਜ਼ਰਿਯਾ ਜਿੰਦੜੀ ਦਾ!
ਆਸ਼ੀਸ਼
--
ਮੈੰਗੋ ਸ਼ੇਕ!!!
I feel like each and every 'sher' is my story. Really very meaningful Gazal! I like it very much. Congrats on such a nice Gazal!
ReplyDeleteनई ब्रिटेन से 2011 में तेजी से बढ़ता निवेश
ReplyDeleteएक वैध पता और एक प्रमाण पत्र के साथ
एमएलएम प्रणाली के साथ निवेश
नेटवर्क खोज के बिना अभी भी लाभ मिलता है
अपने शहर में पहले व्यक्ति बनें
अधिक जानकारी के लिए कृपया मेरे ब्लॉग पर जाएँ:
http://en-lexusventure.blogspot.com
ब्लॉगिंग से आपकी लंबी चु्प्पी अखर रही है. आप कब लौट रही हैं.
ReplyDeleteMaa ko spariwar MAA shardiya NAVRATRI kee bahut bahut haardik shubhkamnayen!
ReplyDeleteबहुत समय के पश्चात इतनी अच्छी गज़ल पढने का मौका मिला. आपकी लाइन "बेकार कर दी जिंदगी बस खा लिया और सो लिया" बहुत ही अच्छी लगी | ईश्वर से कामना है की आप दीर्घ आयु हों और हमें इसी तरह आपका साहित्य रूपी स्नेह मिलता रहे.
ReplyDeleteआप सब को विजयदशमी पर्व शुभ एवं मंगलमय हो।
ReplyDeleteबढ़िया भाव पूर्ण रचना
ReplyDeleteकाबिले तारीफ
आदरणीय निर्मला जी,
ReplyDeleteलम्बे समय से आपकी कुशलता की कोई सूचना नहीं है। कृपया एक माइक्रोपोस्ट लिखकर अपनी खैरियत का सन्देश दीजिये।
आदरणीय निर्मला जी ,
ReplyDeleteआज अपनी पोस्ट पर आपका कमेन्ट देखकर बहुत अच्छा लगा। आप ज्यादा दिनों तक दूर मत रहा कीजिये। ईश्वर से प्रार्थना है आप सपरिवार स्वस्थ एवं सानंद रहे। जल्दी ही सक्रीय होइए। हम सभी आपके इंतज़ार में हैं।
बहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteबधाई हो ..
मेरे ब्लॉग पे आपका स्वागत है ..
बहुत ही सुन्दर और दिल को छूने वाली रचना !
ReplyDeletevery nice expression.
ReplyDeleteआप को जन्मदिन की हार्दिक मंगल् कामनाएँ ।
ReplyDelete्निर्मला जी नमस्कार, दुश्वारियो का बोझ------------- बहुत खूब कहा । मेरे ब्लाग पर आपका हार्दिक स्वागत है।
ReplyDeleteबढ़िया अशआरों से सजी हुई खूबसूरत
ReplyDeleteasha karta hu ki ap bhi mere sahyogi banege or apne vicharo se mujhe mere blog pe avghat karwayenge
वाह...आज पहली बार आपका ब्लॉग देखा..
ReplyDeleteदिल आ गया..
सादर.
बहुत ही खूबसूरत.....दार्शनिक अंदाज.....
ReplyDeleteकृपया इसे भी पढ़े-
नेता- कुत्ता और वेश्या (भाग-2)
अच्छी गजल ...
ReplyDeleteसुंदर भाव सुंदर प्रस्तुति.
ReplyDeleteबहुत खूब!
ReplyDelete