25 April, 2011


 दोहे

सब धर्मों से ही  बडा देश प्रेम को मान
सोने की चिडिया बने भारत देश महान ।

शाम तुझे पुकार रही सखियाँ करें विलाप
पूछ रही रो रो सभी कहाँ शाम जी आप ।

दीप जलाये देखती रोज़ पिया की राह
साजन जब आये नही  मन से निकले आह

\लिये चलो मन वावरे प्रभु मिलन  की आस
छोड न उसका दर  कभी  बुझ जायेगी प्यास

तिनका तिनका जोड कर नीड बनाया आज
अब इसमे हर रोज़ ही बजें खुशी के साज

लूट लिया इस वक्त ने मेरे दिल का चैन
बिछुडे मीत मिले नही नीर बहें दिन  रैन

इस जोगन को छोड कर  कहाँ गये घनश्याम 
 तुझ दर्शन की प्यास मे  ढूँढे चारों धाम

सुगन्ध देखो फूल की  सब को रही सुहाय
सीरत हो इन्सान की  फूल सा हो  सुभाय

53 comments:

  1. सभी दोहे बहुत गहरे अर्थों को सामने लाते हैं .....बहुत सुंदर भाव है हर एक दोहे ...आपका आभार

    ReplyDelete
  2. आपके भक्ति भाव को प्रणाम,आपके देश प्रेम को प्रणाम,आपकी इस शानदार प्रस्तुति को प्रणाम.
    निर्मल आनंद मिला आपकी भावपूर्ण ,भक्तिमय
    अभिव्यक्ति को पढकर.
    आप मेरे ब्लॉग पर आईयेगा ,रामजन्म पर दूसरी पोस्ट जारी की है.आपके निर्मल सुविचारों से मै कृतार्थ हो जाता हूँ.भूलिएगा नहीं,प्लीज.

    ReplyDelete
  3. बेहतरीन दोहे रचे हैं .....बहुत सुंदर

    ReplyDelete
  4. निर्मला जी, बहुत अच्‍छे दोहे हैं, बधाई।

    ReplyDelete
  5. सुंदर दोहे हैं, गागर में सागर।

    आभार

    ReplyDelete
  6. जिस तरह के देश के हालात हैं, वहां इनसानों का रहना मुश्किल है तो घनश्याम यहां रहें तो रहें कैसे...

    जय हिंद...

    ReplyDelete
  7. सारे दोहे लाजबाब लगे ...

    ReplyDelete
  8. सुन्दर परिकल्पनाएँ खुबसूरत दोहों के रुप में...

    ReplyDelete
  9. निर्मला जी, बहुत अच्‍छे दोहे हैं,

    ReplyDelete
  10. गहन भावों को समेटे बहुत ही अनुपम प्रस्‍तुति ।

    ReplyDelete
  11. sajan ghar aaye nahi
    mann se nikle aah...
    mann se nikle aah
    sajan ji ghar aao ... nirmala ji , aapki gazal jabardast hoti hai

    ReplyDelete
  12. सभी दोहे शानदार लगे।

    ReplyDelete
  13. देश प्रेम और ईश्वर भक्ति के मिले जुले भाव लिए लाजवाब दोहे..

    ReplyDelete
  14. देश , प्रेम , प्रभु और प्रकृति का मिला जुला रस बरसाते दोहे ।
    बहुत बढ़िया निर्मला जी ।

    ReplyDelete
  15. अच्छे दोहे हैं। सहज,याद रखने योग्य। कहीं संदर्भ दें तो लोग ज़रूर पूछेंगे कि कहां पढ़ा।

    ReplyDelete
  16. बहुत बेहतरीन......

    ReplyDelete
  17. लम्बी प्रतीक्षा के बाद आपकी छोटी और सुन्दर रचना पढने को मिली. इस कोमल और भावमयी प्रस्तुति के लिए आभार निर्मला दी ! मै तो डर ही गया था, 12 अप्रैल की पोस्ट में मोहभंग होने के बारे में जो लिखा था आपने. भयभीत था कि आपकी रचनाओं से वंचित हो जायेंगे. पर खुदा का शुक्र कि आप ब्लॉग पर हैं, और इस वापसी के लिए आपका पुनः आभार निर्मला दी! ........शुभकामनायें.

    ReplyDelete
  18. bahut acchhe gyaanvardhak dohe...raskhan/rahim ke doho ki yaad aa gayi.

    ReplyDelete
  19. बहुत ही सुंदर लगे सभी दोहे जी, धन्यवद

    ReplyDelete
  20. bahut hi gahre bahut hi achchhe dohe..badhai!
    ---devendra gautam

    ReplyDelete
  21. बहुत ही सुंदर दोहे हैं..

    ReplyDelete
  22. सभी दोहे बहुत सार्थक बने हैं, जीवन का निचोड़।

    ReplyDelete
  23. क्या दोहे रचे हैं. सब एक से बढाकर एक. कुछ को उद्धरण के रूप में भी प्रयोग किया जा सकता है. आपकी सक्षम लेखनी को नमन.

    ReplyDelete
  24. छोड़ न उसका दर कभी बुझ जायेगी प्यास।
    ..मेरी समझ से जायेगी के स्थान पर पायेगी होता तो अच्छा होता।

    ReplyDelete
  25. आदरणीय दीदी प्रणाम
    क्या खूब दोहे कहे हैं आपने| आनंद आ गया|

    ReplyDelete
  26. सभी दोहे बहुत ही सारगर्भित अर्थ लिए हुए हैं...

    ReplyDelete
  27. बहुत सुन्दर, सार्थक एवं गहन भाव लिये सारगर्भित दोहे ! बधाई एवं आभार !

    ReplyDelete
  28. गहन भावों को समेटे बहुत ही अनुपम प्रस्‍तुति| आभार|

    ReplyDelete
  29. नमस्कार
    आठों दोहे भावपूर्ण है।

    ReplyDelete
  30. विरह की व्यथा , देश का मान और सार्थक सन्देश भी ...
    कम्प्लीट पैकेज!

    ReplyDelete
  31. बहुत सुन्दर, बहुत सार्थक


    विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

    ReplyDelete
  32. बहुत सुन्दर और सार्थक सन्देश देते दोहे ...

    ReplyDelete
  33. आद निर्मला जी बहुत दिनों से इधर आ नहीं पाई ...
    बहुत सुंदर दोहे लिखे हैं आपने .....
    सब धर्मों से ही बड़ा देश प्रेम को मान .....
    वाह ...
    सही कहा .....

    ReplyDelete
  34. Itne sundar dohe hain ki kya bataaon ... bahut hi lajawaab ... dil mein utar rahe hain ...

    ReplyDelete
  35. बेहद प्रभावशाली दोहे...

    ReplyDelete
  36. sargarbhit dohe sandesh dete hue badhai

    ReplyDelete
  37. aadarniy mam
    bahut bahut hi achhe lage aapke bhav -purn dohe .jisme badi hi sahjta ke saath aapne desh prem,priy milan aue bhakti bhav ki hriday se ukera hai .bahut hi gahn abhivykti liye hoti hai aapki har post .
    hardik badhai vsadar naman ke saath
    poonam

    ReplyDelete
  38. आह...मन शीतल निर्मल कर गई आपकी यह रचना...

    मर्मस्पर्शी...बहुत ही सुन्दर रचना....

    ReplyDelete
  39. खूबसूरत, शानदार, सुन्दर दोहे...

    दुनाली पर देखें
    चलने की ख्वाहिश...

    ReplyDelete
  40. देश प्रेम ही सवसे बडा धर्म है। दूसरा और तीसरा पद गोपियांे का मार्मिक विरह वर्णन। चौथे पद में प्रभुमिलन की उत्कंठा । जब ये उम्म्मीद जागी कि प्यास बुझेगी तो फिर घोैसला बनाने की इच्छा हुई लंेकिन फिर वही आंसुओं की धार । फिर दर्शन की प्यास में भटकता मन व दृग। और अन्त में मानवजीवन का लक्ष्य बता दिया कि फूल ज्ेौसा स्वभाव हो और सीरत हो। वरना आलम यह है कि -खूब सीरत लडकियां तो घर में बैठी रह गई
    -खूब सूरत लडकियों के हाथ पीले हो गये

    ReplyDelete
  41. आठों दोहे भावपूर्ण है।
    बहुत सुन्दर रचना....

    ReplyDelete
  42. आदरणीया ललित जी बहुत ही सुन्दर दोहे आप के -भाव पूर्ण -काश आप की निम्न बात पर सब मानव अमल करें तो ये जग सुन्दर हो जाये

    सीरत हो इंसान की फूल सा हो सुभाय

    शुक्ल भ्रमर ५

    ReplyDelete
  43. बेहतरीन सुन्दर खूबसूरत शानदार

    ReplyDelete
  44. बहुत उत्कृष्ट अभिव्यक्ति.हार्दिक बधाई और शुभकामनायें!
    कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |


    http://madan-saxena.blogspot.in/
    http://mmsaxena.blogspot.in/
    http://madanmohansaxena.blogspot.in/
    http://mmsaxena69.blogspot.in/

    ReplyDelete

आपकी प्रतिक्रिया ही मेरी प्रेरणा है।