27 October, 2010

यादें ।

 यादें
बीस वर्ष का समय किसी की ज़िन्दगी मे कम नही होता मगर फिर भी कुछ यादें ऐसी होती हैं जिन्हें इन्सान एक पल को भी नही भूल सकता। आज 20 वर्ष हो गये बेटे को भगवान के पास गये मगर शायद ही कभी ऐसा दिन आया हो कि उसकी याद किसी न किसी बहाने न आयी हो। आज करवा चौथ का व्रत उसी दिन आया जिस रात को उसकी मौत हुयी थी। सोचा था कि आज उसे बिलकुल याद नही करेंगे। सुबह से ही नेट पर बैठ गयी। बेशक दिल के किसी कोने मे वो रहा । शाम को इन्हें किसी से बात करते सुना तो बाद मे पूछ लिया कि किस से इतनी लम्बी देर बात कर रहे थे तो बोले कि 'अर्श' से,समझ गयी कि बेटे की याद आ रही है। मन उदास हो गया उसके बाद चाँद निकला अर्ध्य दे कर जैसे तैसे दो कौर नम आखों से खाये।आऔर फिर याद करने लगी उस रात को। हमे पता चल चुका था कि वो अपनी आखिरी साँसें ले रहा है फिर भी मै उसका हाथ जोर से पकडे बैठी थी और जोर जोर से रो रही थी--- काश आज भगवान सुन ले मेरी जान ले ले मगर इस होनहार बेटे को बचा ले मगर भगवान कहाँ सुनता है,बस अपनी मर्जी किये जाता है और वो हमारे देखते देखते हाथों से फिसल गया। 28 वर्ष का हृष्ट पुष्ट जवान बेटा। लगता है जैसे ये आज की ही बात हो। जयप्रकाश नारायण का वो वार्ड किसी नर्क से कम नही था गन्द और बदबू आज भी नथुनो मे जैसे समाई हो। सब से कचोटने वाली बात वहाँ के स्टाफ का अमानवीय,असंवेदनशील व्यवहार।त्यौहार आते रहेंगे मनाते भी रहेंगे मगर वो खुशी और वो उल्लास शायद जीवन मे कभी नही आयेंगे।

47 comments:

  1. man padkar dukhee huaa........kalpana kar saktee hoo aap par kya beetee hogee............Nirmala jee niytee ke aage hum sabhee lachar hee hai.............
    ye yade to maran tak sath chalne hee walee hai............
    dhairy aur vyastta hee iseke tod hai...........

    ReplyDelete
  2. आज आंख में आंसू आ गए ...इतने ही बड़े बेटे का बाप हूँ मैं ! इस कष्ट से बड़ा कष्ट और कौन सा होगा ? काश हमारी उम्र उसे लग जाती ....मगर अब तो वह नहीं है ...भूत को याद करके आप उन सबके साथ अन्याय करोगी जिन्हें आपकी जरूरत हैं ! पोंछ लें आंसू......

    ReplyDelete
  3. निर्मला जी, अपने के जाने का दुख जिन्‍दगी भर नहीं भुलाया जाता चाहे बीस वर्ष बीते हों या पचास। मैं तो यही कहूंगी कि भगवान ने आपसे एक को छीन लिया था लेकिन इस बात का भगवान को भी अहसास हुआ और उसने आपको दामाद के रूप में तीन बेटे दे दिए। बस अब वे ही आपकी सम्‍पदा हैं। काश मैं आज आपके पास होती?

    ReplyDelete
  4. कुछ यादें भूले भी भुँलाई नहीं जा सकती. बेटे को खोने के धक्के को झेल लेने की हिम्मत हर माँ में नहीं होती. इसके लिए आपके प्रति सम्मान और बढ़ गया. हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं!

    http://draashu.blogspot.com/2010/10/blog-post_25.html

    ReplyDelete
  5. क्या कहूँ, ऑंखें नम हैं और दिल व्यथित, आपके दुःख को समझ सकती हूँ.....दुःख को कम नहीं कर सकती बस ये कह सकती हूँ हौंसला रखिये ..........

    regards

    ReplyDelete
  6. वाकई भगवान कभी कभी बहुत निर्दयी हो जाता है. आपका दुःख समझ सकती हूँ.यादें तो कभी नहीं जाएँगी.आपकी हिम्मत बनी रहे बस. आँखें भीग गईं हैं.

    ReplyDelete
  7. अजीत जी की बात से मैं भी सहमत हूँ.बस यही कहूँगा कि अपनों से हमेशा के लिए बिछड़ना और इस दुःख को झेलना बहुत कठिन होता है.भगवान् से प्रार्थना है कि आप कि हिम्मत बनी रहे.

    ReplyDelete
  8. kyaa kahoon nirmalaa jee ,man atyant dukhee ho gayaa ,bachchon ki zara si takleef maata pitaa ko vyathit kar deti hai jabki aap ne itanaa badaa dukh sahaa ,saantwana ke shabd bhee khokhle lagne lagte hain ,
    lekin sac yahee hai to sweekaar karnaa hee padta hai us ki leela to wahi jaane ,
    Allah se dua hai ki wo aap donon ko sabr ataa kare.

    ReplyDelete
  9. अजीत गुप्ता जी सही कह रही हैं। हौसला रखिये।

    ReplyDelete
  10. कुछ भी कहने मे खुद को असमर्थ पा रही हूँ पढते पढते ही आंख मे आंसू आ गये……………सिर्फ़ इतना ही कह सकती हूं हौसला बनाये रखिये।

    ReplyDelete
  11. एक माता-पिता का अपनी औलाद को खो देना, शायद ही इससे बडा कोई दुख होता होगा। और यादें ही तो हैं जो हमें हमारे अपनों से और बीते समय से जोडे रखती हैं।
    यादों को आने से रोकने की कोशिश मत कीजिये।

    प्रणाम

    ReplyDelete
  12. आपनो के इस तरह दूर होजाने का दर्द बहुत भारी है ....ज़िन्दगी तो किसी न किसी तरह चलती ही रहती है लेकिन उनकी याद सदा साथ होती है . सचमुच ये पहाड़ के जैसा दुःख है लेकिन मेरा फिर भी ये विश्वास है कि वो जहाँ कही है आपके सुख दुःख महसूस कर सकते है ......इसीलिए आपको दुखी नहीं होना है. बहुत कष्ट हुआ ये जान कर . सच्चाई यही है कि हिम्मत दिलाना और तखलीफ़ को सहन करना , बहुत फर्क है दोनों बातों में लेकिन आप धीरज और हिम्मत धारण करें .

    ReplyDelete
  13. जननी का ऐसा दुख सबसे बड़ा दुख होता है. इसे सहने की शक्ति ईश्वर ही देता है. उसी पर ध्यान रखना चाहिए.

    ReplyDelete
  14. संवेदना का हर शब्द छोटा है.
    बेटे की यादों को साकार रूप प्रदान करें.
    उसकी स्मृति में कुछ पेड़ लगाएं. किसी निर्धन बच्चे की शिक्षा का दायित्व उठायें. इस तरह के अनेक ऐसे कार्य हैं जिन्हें करके आपको भी ख़ुशी होगी और बेटे की आत्मा को भी शान्ति मिलेगी.

    ReplyDelete
  15. man dravit ho gaya.aapko shanti mile yahi kamna hai.

    ReplyDelete
  16. त्यौहार आते रहेंगे मनाते भी रहेंगे मगर वो खुशी और वो उल्लास शायद जीवन मे कभी नही आयेंगे।
    बहुत सही कह रही हैं आप .. पर आज के लिए और आनेवाले कल के लिए बीते कल को भूलना ही पडता है !!

    ReplyDelete
  17. main apko gale se laga lun yaa aap laga len ...... kuch hichkiyon me baat ker len

    ReplyDelete
  18. आँखें नम हो गयीं,
    असामर्थ हूँ कुछ भी लिखने में...
    बस आपके दर्द को दिल की गहराइयों से महसूस किया

    ReplyDelete
  19. bahut hi dardanaak our maarmik.

    ReplyDelete
  20. .

    निर्मला जी,

    आज आपके जीवन के इतने बड़े दुःख के बारे में पता चला। जानकार मन बहुत उदास हो गया। बच्चे के चले जाने का दुःख भुलाया भी नहीं जा सकता। हर ख़ुशी और गम में आपको उनकी याद आएगी ही। इतना बड़ा दुःख ह्रदय में रख कर भी आप इतनी हिम्मत से अपने परिवार और ब्लॉग परिवार के बीच हैं, और हम सभी को हिम्मत देती हैं , ये हम लोगों के लिए सौभाग्य हैं । इश्वर से प्रार्थना है कि आपको हिम्मत दे । आप के दुःख में मैं भी बहुत दुखी हूँ।

    .

    ReplyDelete
  21. मेरे पास तो कोई शव्द ही नही बचे, एक दम से सुन्न हो गया यह सब पढ कर क्या कहुं.....

    ReplyDelete
  22. Maa ji padhkar bahut dukh hua man mein ek bijli see kaundh gayee.. kisi bhi maa-baap ke liye jawan bete kee maut main samjh sakti hun ki duniya ka sabse bada dukh hai... abhi pichle saptah hi mere jija ji ke beta jo 31 varsh ka tha aur unki patni matra 27 varsh ke hai aur unki beti abhi 1.5 varsh kee hai jab 68 saal ke jija ji ko roti bilkhte bahut kareeb se dekha to gahri vedana huee... abhi bhi wah gambhara drashya aankhon mein kaundh uthta hai... par kya karen vidhi ke vidhan ke aage sab bewas hai... aapne hospital ka jo nazara dikhaya hai wah aaj bhi bahut kuch nahi badalna dukhad hai
    aapko ishwar sambal den yahi kah sakti hun

    ReplyDelete
  23. दीदी आपका दर्द महसूस कर रहा हूं। आज मुझे सामझ में आया कि जब मैंने आपसे कहा था कि मैं आपको दीदी कहकर संबोधित करना चाहता हूं तो आपका जवाब था कि ‘मां क्यों नहीं!’
    इतने बड़े दुख को सहने वाली मां का हृदय कितना विशाल है। आंखें नम हैं। इससे ज़्यादा कुछ नहीं कह पाऊंगा।

    ReplyDelete
  24. क्या कहें, क्या कहा जा सकता है ... शान्ति ....

    ReplyDelete
  25. निम्मो दी! यह वो अवसर है और वो पीड़ा जो उसी को सहनी पड़ती है जिसपर गुज़रती है... पीड़ा कोई भी बाँट नहीं सकता, किंतु इतने सारे लोगों का ढाढस आपको निश्चित तौर पर सम्बल प्रदान करेगा...

    ReplyDelete
  26. निर्मला जी , बहुत दुःख हुआ जानकर । हमारे भी एक करीबी रिश्तेदार के साथ ऐसा ही हुआ था करीब बीस साल पहले ही । वह भी एल एन जे पी में भर्ती था ।
    लेकिन आखिर में मन को ही समझाना पड़ता है ।

    ReplyDelete
  27. इस दर्द और पीड़ा के बारे में शायद कुछ कह ना पाऊं... आगे कुछ लिख भी नहीं पा रहा ...

    आपका
    अर्श

    ReplyDelete
  28. निर्मलाजी
    आज आपका दुःख पढके पता नहीं बहुत बुरा लग रह है! मै बहुत छोटी हू उम्र और तजुर्बा दोनों में बस इश्वर से प्रार्थना है कि आपको हिम्मत दे ।

    ReplyDelete
  29. ओह कितना दुखदायी है ये सब...
    और हर समय याद आने वाले प्रियजन के विछोह का दर्द खुशियों के मौके पर और भी ज़्यादा होता है...
    निर्मला जी, ये भी सच है कि इसमें कुछ किया भी नहीं जा सकता...लेकिन दर्द तो दर्द है...होता ज़रूर है...
    बस कोशिश हो सकती है खुद को बहलाने की, वो आप कर ही रही हैं.

    ReplyDelete
  30. Bahut bada dukh uthaya hai apne....padh kar man bahut dukhi aur ashant ho gaya...par ham sabhi majboor hain us param pita parmeshvar ke age....vahi apko age bhi is dukh ko sahne ki shakti dega.....

    ReplyDelete
  31. उफ्फ़ ..क्या कहूँ निर्मला जी मन भर आया कुछ न कह सकुंगी. आपके इस दुःख में मैं आपके साथ हूँ

    ReplyDelete
  32. माता जी..बहुत दुखद घटना थी जिसे शायद ही कभी भुलायी जा सकती पर मैं इतना ही कहूँगा अब तो जाने वाला चला ही गया बस सब्र रखें ..जैसा अजीत जी ने कहा आपके ३-३ बेटे आपके पास हैं..और हम सब भी तो आपके बेटे के जैसे ही हैं..

    दुखी मत होइए हम सब के भी आँखे नम हो जाती है......प्रणाम माता जी

    ReplyDelete
  33. आँखें भर आयीं..... शब्द ही नहीं हैं क्या कहूँ ....आपसे बहुत छोटी हूँ कुछ समझ ही नहीं आ रहा
    --------------------------------------आपके उस ममतामयी रूप की कायल हूँ ....जहाँ
    ब्लॉग जगत में भी सब बच्चों को आप बेहद प्यार करती हैं...नानी माँ... ना जाने क्यों हमेशा से ही
    आपके शब्दों में बच्चों के लिए स्नेह और प्रोत्साहन ही देखा है...आपको दिल से सभी बच्चों को आशीष देते देखा है...आज यह बात जानकर मन बहुत दुखी है...

    ReplyDelete
  34. aunty ji...
    subah subah aankhein namm ho gayi meri aaj....aisa laga jaise main aapke saath hoon aur aap mujhe apni aap beetis suna rahi hai!
    ishwar bicchhdi aatma ko apne charno mein niwaas bakhshay!

    ReplyDelete
  35. ,,इस पोस्ट ने तो रूला ही दिया। इसे पढ़ना जब इतना भाउक बना देता है तो लिखना कितना कष्टप्रद रहा होगा!अब मैं आपको क्या नसीहत दूं ,बस इतना ही कह सकता हूँ कि ईश्वर आपको इस कष्ट को सहने की ताकत देता रहे।

    ReplyDelete
  36. निर्मला जी ,
    गहरे संवेदित कर गयी यह घटना -निर्मला जी ,हम सभी इस संसार रूपी मंच के पात्र हैं कुछ देर सवेर के लिए अभिनय के लिए आये हैं ,आपके बेटे का पार्ट पूरा हो गया था ,हम सभी का भी एक दिन पूरा होना है ...यह मृत्युलोक है ,यहाँ जो जन्मा है वह जायेगा भी ...इसलिए मन को स्थिर कीजिये ...दीवाली की तैयारियां कीजिये ..मेरे एक स्वजन कल ही दिवंगत हुए हैं हम दिवाली उनके शोक में इस बार नहीं मन सकेगें !
    यह जीवन अल्पकालिक है ..चिंता नहीं धैर्य से इसे जियें !

    ReplyDelete
  37. कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं हूँ...मन पहुँचे आप तक!!

    ReplyDelete
  38. उफ़ !! निर्मला दी, जिंदगी के ऐसे कुरूप चेहरे को भी आपने देख रखा है, पता न था.......:(
    पर जिंदगी तो जिंदगी है, और मेरे को लगता है, आपको बखूबी जीने आता है.....
    दिल के किसी कोने से आवाज आ रही है, निर्मला दी, आप खुश रहो.......भगवन ने अगर आपके दिल के tukre को छिना है तो और जितनी खुशियाँ दे सके दे .......God bless di.....

    ReplyDelete
  39. अत्यंत मार्मिक ...कुछ दुःख ऐसे होते हैं जो सारी उम्र बने रहते हैं ..आपके दर्द को केवल महसूस किया जा सकता है ..शब्द नहीं दिए जा सकते ..

    ReplyDelete
  40. निर्मला दी बहुत शर्मिन्दा हूँ इस पोस्ट को इतनी देर से पढ़ पाई और संवेदना और सहानुभूति के जिन महत्वपूर्ण पलों में मुझे आपके साथ होना चाहिए था मैं नहीं पहुँच पाई ! आपका यह दर्द भरा संस्मरण पढ़ कर मन कितना द्रवित और विचलित हो गया है इसे शब्दों में बतला पाना असंभव है मेरे लिये ! बस यही कह सकती हूँ आप माँ हैं और माँ का हृदय धरती की तरह विशाल और सहनशील होता है ! बीस वर्ष से आप इतने बड़े दर्द को मन में छिपाये जी रही हैं और सारे ब्लॉग जगत को अपने स्नेह से सींच रही हैं ! आपके आगे नत मस्तक होने को जी चाहता है ! देर से ही सही मेरी विनती है हर दुःख की घड़ी में सदा मुझे अपने साथ ही समझियेगा ! मेरा प्रणाम स्वीकार करें !

    ReplyDelete
  41. अपनों का दुःख भुलाना आसान नहीं होता .... समय बस मरहम ही लगाता है घाव भरता नहीं है कभी भी ... इश्वर आपको मजबूती प्रदान करे और हिमत दे .....

    ReplyDelete
  42. उसकी याद को ही संबल बना रखिये।

    ReplyDelete
  43. निर्मला जी, आपका यह दुःख जानकर आँखें भर आई,
    मेरी बेटी की तब्यत खराब हो जाय तो मुझे इतना बुरा लगता है ... और आप दोनों ने वो सहा है जो किसी माँ-बाप को कभी सहना न पड़े ...

    ReplyDelete
  44. माता-पिता के कांधे पर बच्चे की लाश क्या होती है,जिस पर गुज़रती है वही जानता है।

    ReplyDelete
  45. इस दु:खद हादसे के बारे में जानकर तो कहने को कुछ शेष रह ही नहीं गया. सिर्फ इतना कह सकता हूँ कि ईश्वर ऎसी पीडा किसी शत्रु को भी न दे..
    उफ्!

    ReplyDelete

आपकी प्रतिक्रिया ही मेरी प्रेरणा है।