सभी से क्षमा चाहती हूँ। लगभग एक सप्ताह से कम्प्यूटर खराब था। मोनीटर की सप्लाई जल गयी थी । किसी मेकेनिक से ठीक नही हुया। मुझे लगने लगा जैसे मै बीमार हो गयी हूँ। ये ब्लागिन्ग का बुखार था।मेरी परेशानी को देखते हुये मेरे छोटे दामाद प्रिय ललित सूरी को रहम आ गया और उसने ट्रेन के टी, टी के, हाथ मेरे लिये नई एल सी डी भेज दी। ललित जी का धन्यवाद करती हूँ भगवान ऐसे दामाद सब को दे। 8 बजे एल.सी डी मिला और 10 बजे आपके सामने हूँ। मेल बाक्स भरा पडा है। एक दो दिन मे सब कलीयर कर के सब के ब्लाग पर आती हूँ। इतने दिन मे बहुत से लोग मेरे ब्लाग पर आये उनका धन्यवाद करती हूँ। ललित को बहुत बहुत आशीर्वाद।
चलिए, अब ये वाला संभाल के रखिएगा, अगर voltage की समस्या है, तो लाइन कंट्रोलर करके एक चीज़ आती है, उससे voltage fluctuation control हो जाता है, वो भी लगा लें ...
ReplyDeleteसुस्वागतम ....
nirmala ji mai bhi kai baar aapke blog me aayi par aapki chuppi nahi jaan payi... ab santosh hai... intjaar rahega..
ReplyDeleteLalit ji ko hamari or se bhi dhnyvaad.
ReplyDeleteUmmeed hai ab aap jald hi kuchh naya likhengi.
sadar
Yashwant
नया एल.सी.डी. मुबारक हो!
ReplyDeleteAapko dekh bada achha laga ! Miss to kar rahee thee,par samajh nahee paa rahee thee,ki, sampark karun to kaise?Kaash! Aapka mobile no mere paas hota!
ReplyDeleteब्लॉग जगत में आपका फिर से स्वागत है। यह देखना शुभ है कि परिजन ब्लॉगिंग में सहायक बन रहे हैं।
ReplyDeletemujhe laga aap fir betee ke paas to nahee chalee gayee..........
ReplyDeleteha ek parivar kee feeling aa gayee hai.........
welcome back ,
ReplyDeletelalit ji ko dhanyavaad aur meraa bhee aasheervaad deejiye .
निर्मला जी ये दामाद का रिश्ता होता है ना बहुत ही प्यारा होता है। पहले वाला जमाना गया जब उनके नखरे सहते-सहते सारी जिंदगी निकल जाती थी अब तो वे बेटों से भी ज्यादा अपने होते हैं। आपको नवीन एलसीडी मिला इसकी बधाई। मै भी चार दिनों के लिए भोपाल जा रही हूँ तो आपकी पोस्ट यदि कोई आयी तो आकर ही पढूंगी।
ReplyDeleteWelcome back.
ReplyDeleteduniya me insaan kai tarah ke hote hai. bhagwan ka sukriya ada kare ki aapke saath ek achche insan hai. hamari ek choti si koshish ko aapne saraha. sukriya.
ReplyDeleteब्लॉग परिवार भी आपको मिस कर रहा था। स्वागत है।
ReplyDeletesuswaagatam...welcome back.
ReplyDeleteLCD के ’दीर्घायु और स्वस्थ’ रहने की शुभकामनाएं.
ReplyDeleteनिर्मलाजी मैं आपके स्थिती अच्छी तरह से समझ सकती हूं |जब मेरा कम्पूटर खराब होजाता है
ReplyDeleteमेरे मस्तिस्क में बहुत बेचैनी होती है |आपका
कमेन्ट जब देखती हूं अपने को बहुत गौरान्वित अनुभव
करती हूं |
आशा
देखिये नुकसान तो हम लोगों का हो रहा था।
ReplyDeleteब्लॉगिंग का नशा ही ऐसा है ...
ReplyDeleteदामाद जी को धन्यवाद ....!
स्वागत है।
ReplyDeleteआपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (22/10/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com
आपके दामाद जी को हमारी तरफ से भी धन्यवाद कहियेगा...
ReplyDeleteहमें आपसे फिर मिला दिया...अब जल्दी से कहानियाँ ..गज़लें पोस्ट कीजिये.
स्वागत है...पुनर्वापसी पर! उम्मीद करता हूँ कि शीघ्र कुछ नया पोस्ट करेंगी। वैसे काफी करीने से सजा दिया है आपने यह ब्लॉग!
ReplyDeleteवेलकम बैक।
ReplyDeleteओह ! ललित जी को हमारा भी धन्यवाद कि आपकी नेट पर वापसी में उन्होंने यूं सहयोग दिया. आपका यह कहना सही है कि सभी को ऐसे ही बच्चे मिलें. लेकिन नंगल इतनी भी तो छोटी जगह नहीं है कि ये काम भी नहीं हुआ... जब भी घर जाता हूं तो अक़्सर स्टेशन वाली सड़क से कुछ सब्ज़ी-फल लेना रहता है, इसी सड़क पर सुबह सब्ज़ी मंडी लगती है :)
ReplyDeleteAAPNE BILKUL SAHEE KAHA YE BHEE EK NASHA HE HAI ,MAN KE BHAWO SABADO KE MADHYAM SE NIKAL JATE HAI NHI TO VASTAW ME ULJHAN HONE LAGTEE HAI
ReplyDeleteसचमुच ब्लोगिंग से दूर रहना बड़ा मुश्किल काम है । ललित जी ने आपका मूढ़ सही पहचाना । बधाई ।
ReplyDeleteअरे इतना ठीक है ,कई मित्र महीने भर से नहीं दिख रहे !
ReplyDeleteनिम्मो दी!
ReplyDeleteबधाई नए मेहमान की (कम्प्यूटर) और पुराने मेहमान (दामाद जी,बिहार में दामाद को मेहमान ही कहते हैं)!!
chalo acha hai isi bahaane naya LCD mila...!
ReplyDeletechaliye...
ReplyDeletekisi bahaane ,,,
vapisi to huee . . . !!
hm sb ke liye bahut khushi ki baat hai ,, aapki nayi post ka inzaar rahegaa ...
चलो जी देर आये दुरुस्त आये.
ReplyDeleteचलिये समस्या का निदान तो हुआ...
ReplyDeleteआशा है एसा पुनः न होगा ।
ReplyDeleteचलिए, समस्या समाधान हुआ.
ReplyDeleteइन्तजार करते हैं.
कुछ उपकरण तो जीवन का अभिन्न-सा अंग बन जाते हैं. जिस दिन नेट न चले बड़ी बेचैनी होती है....जी करता है कि सर्विस प्रोवाइडर को जा कर न....दो लगा दें.
ReplyDeletebloging deewangi esi hi hai. Diwano ki madad ke liye koi na koi aa hi jata hai.
ReplyDeleteयह समस्या तो मेरे साथ भी कई बार आई है...कभी कम्प्यूटर खराब तो कभी बिजली गायब, कभी नेट की समस्या, कभी खुद समय का अभाव....मुझे तो तब हैरत होती है जब औरों को नियमित रूप से ब्लॉगिंग करते हुए पाता हूँ.
ReplyDelete...सभी के सभी पोस्ट पर जाने के लिए तो आफिस से सन्यास लेना पड़ेगा।
यह समस्या तो मेरे साथ भी कई बार आई है...कभी कम्प्यूटर खराब तो कभी बिजली गायब, कभी नेट की समस्या, कभी खुद समय का अभाव....मुझे तो तब हैरत होती है जब औरों को नियमित रूप से ब्लॉगिंग करते हुए पाता हूँ.
ReplyDelete...सभी के सभी पोस्ट पर जाने के लिए तो आफिस से सन्यास लेना पड़ेगा।
didi
ReplyDeletemai prveen ki bat se shmat hu nuksan to pathko ka hi hota hai .itna achchha munch , itni aatmiyta our kha milegi.
दामाद हो तो ऐसा ......
ReplyDeleteमैं भी हफ्ते से बाहर रहा ब्लॉगिंग से ऐसा लग रहा है जैसे कुछ खो गया था ....
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