21 October, 2010

ापनी बात

सभी से क्षमा चाहती हूँ। लगभग एक सप्ताह से कम्प्यूटर खराब था। मोनीटर की सप्लाई जल गयी थी । किसी मेकेनिक से ठीक नही हुया। मुझे लगने लगा जैसे मै बीमार हो गयी हूँ। ये ब्लागिन्ग का बुखार था।मेरी परेशानी को देखते हुये मेरे छोटे दामाद प्रिय ललित सूरी को रहम आ गया और उसने ट्रेन के टी, टी के, हाथ मेरे लिये नई एल सी डी भेज दी। ललित जी का धन्यवाद करती हूँ भगवान ऐसे दामाद सब को दे। 8 बजे एल.सी डी मिला और 10 बजे आपके सामने हूँ। मेल बाक्स भरा पडा है। एक दो दिन मे सब कलीयर कर के सब के ब्लाग पर आती हूँ। इतने दिन मे बहुत से लोग मेरे ब्लाग पर आये उनका धन्यवाद करती हूँ। ललित को बहुत बहुत आशीर्वाद।

39 comments:

  1. चलिए, अब ये वाला संभाल के रखिएगा, अगर voltage की समस्या है, तो लाइन कंट्रोलर करके एक चीज़ आती है, उससे voltage fluctuation control हो जाता है, वो भी लगा लें ...

    सुस्वागतम ....

    ReplyDelete
  2. nirmala ji mai bhi kai baar aapke blog me aayi par aapki chuppi nahi jaan payi... ab santosh hai... intjaar rahega..

    ReplyDelete
  3. Lalit ji ko hamari or se bhi dhnyvaad.
    Ummeed hai ab aap jald hi kuchh naya likhengi.

    sadar
    Yashwant

    ReplyDelete
  4. Aapko dekh bada achha laga ! Miss to kar rahee thee,par samajh nahee paa rahee thee,ki, sampark karun to kaise?Kaash! Aapka mobile no mere paas hota!

    ReplyDelete
  5. ब्लॉग जगत में आपका फिर से स्वागत है। यह देखना शुभ है कि परिजन ब्लॉगिंग में सहायक बन रहे हैं।

    ReplyDelete
  6. mujhe laga aap fir betee ke paas to nahee chalee gayee..........
    ha ek parivar kee feeling aa gayee hai.........

    ReplyDelete
  7. welcome back ,
    lalit ji ko dhanyavaad aur meraa bhee aasheervaad deejiye .

    ReplyDelete
  8. निर्मला जी ये दामाद का रिश्‍ता होता है ना बहुत ही प्‍यारा होता है। पहले वाला जमाना गया जब उनके नखरे सहते-सहते सारी जिंदगी निकल जाती थी अब तो वे बेटों से भी ज्‍यादा अपने होते हैं। आपको नवीन एलसीडी मिला इसकी बधाई। मै भी चार दिनों के लिए भोपाल जा रही हूँ तो आपकी पोस्‍ट यदि कोई आयी तो आकर ही पढूंगी।

    ReplyDelete
  9. duniya me insaan kai tarah ke hote hai. bhagwan ka sukriya ada kare ki aapke saath ek achche insan hai. hamari ek choti si koshish ko aapne saraha. sukriya.

    ReplyDelete
  10. ब्लॉग परिवार भी आपको मिस कर रहा था। स्वागत है।

    ReplyDelete
  11. LCD के ’दीर्घायु और स्वस्थ’ रहने की शुभकामनाएं.

    ReplyDelete
  12. निर्मलाजी मैं आपके स्थिती अच्छी तरह से समझ सकती हूं |जब मेरा कम्पूटर खराब होजाता है
    मेरे मस्तिस्क में बहुत बेचैनी होती है |आपका
    कमेन्ट जब देखती हूं अपने को बहुत गौरान्वित अनुभव
    करती हूं |
    आशा

    ReplyDelete
  13. देखिये नुकसान तो हम लोगों का हो रहा था।

    ReplyDelete
  14. ब्लॉगिंग का नशा ही ऐसा है ...
    दामाद जी को धन्यवाद ....!

    ReplyDelete
  15. स्वागत है।
    आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (22/10/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा।
    http://charchamanch.blogspot.com

    ReplyDelete
  16. आपके दामाद जी को हमारी तरफ से भी धन्यवाद कहियेगा...
    हमें आपसे फिर मिला दिया...अब जल्दी से कहानियाँ ..गज़लें पोस्ट कीजिये.

    ReplyDelete
  17. स्वागत है...पुनर्वापसी पर! उम्मीद करता हूँ कि शीघ्र कुछ नया पोस्ट करेंगी। वैसे काफी करीने से सजा दिया है आपने यह ब्लॉग!

    ReplyDelete
  18. ओह ! ललित जी को हमारा भी धन्यवाद कि आपकी नेट पर वापसी में उन्होंने यूं सहयोग दिया. आपका यह कहना सही है कि सभी को ऐसे ही बच्चे मिलें. लेकिन नंगल इतनी भी तो छोटी जगह नहीं है कि ये काम भी नहीं हुआ... जब भी घर जाता हूं तो अक़्सर स्टेशन वाली सड़क से कुछ सब्ज़ी-फल लेना रहता है, इसी सड़क पर सुबह सब्ज़ी मंडी लगती है :)

    ReplyDelete
  19. AAPNE BILKUL SAHEE KAHA YE BHEE EK NASHA HE HAI ,MAN KE BHAWO SABADO KE MADHYAM SE NIKAL JATE HAI NHI TO VASTAW ME ULJHAN HONE LAGTEE HAI

    ReplyDelete
  20. सचमुच ब्लोगिंग से दूर रहना बड़ा मुश्किल काम है । ललित जी ने आपका मूढ़ सही पहचाना । बधाई ।

    ReplyDelete
  21. अरे इतना ठीक है ,कई मित्र महीने भर से नहीं दिख रहे !

    ReplyDelete
  22. निम्मो दी!
    बधाई नए मेहमान की (कम्प्यूटर) और पुराने मेहमान (दामाद जी,बिहार में दामाद को मेहमान ही कहते हैं)!!

    ReplyDelete
  23. chaliye...
    kisi bahaane ,,,
    vapisi to huee . . . !!
    hm sb ke liye bahut khushi ki baat hai ,, aapki nayi post ka inzaar rahegaa ...

    ReplyDelete
  24. चलो जी देर आये दुरुस्त आये.

    ReplyDelete
  25. चलिये समस्या का निदान तो हुआ...

    ReplyDelete
  26. आशा है एसा पुनः न होगा ।

    ReplyDelete
  27. चलिए, समस्या समाधान हुआ.

    इन्तजार करते हैं.

    ReplyDelete
  28. कुछ उपकरण तो जीवन का अभिन्न-सा अंग बन जाते हैं. जिस दिन नेट न चले बड़ी बेचैनी होती है....जी करता है कि सर्विस प्रोवाइडर को जा कर न....दो लगा दें.

    ReplyDelete
  29. bloging deewangi esi hi hai. Diwano ki madad ke liye koi na koi aa hi jata hai.

    ReplyDelete
  30. यह समस्या तो मेरे साथ भी कई बार आई है...कभी कम्प्यूटर खराब तो कभी बिजली गायब, कभी नेट की समस्या, कभी खुद समय का अभाव....मुझे तो तब हैरत होती है जब औरों को नियमित रूप से ब्लॉगिंग करते हुए पाता हूँ.
    ...सभी के सभी पोस्ट पर जाने के लिए तो आफिस से सन्यास लेना पड़ेगा।

    ReplyDelete
  31. यह समस्या तो मेरे साथ भी कई बार आई है...कभी कम्प्यूटर खराब तो कभी बिजली गायब, कभी नेट की समस्या, कभी खुद समय का अभाव....मुझे तो तब हैरत होती है जब औरों को नियमित रूप से ब्लॉगिंग करते हुए पाता हूँ.
    ...सभी के सभी पोस्ट पर जाने के लिए तो आफिस से सन्यास लेना पड़ेगा।

    ReplyDelete
  32. didi
    mai prveen ki bat se shmat hu nuksan to pathko ka hi hota hai .itna achchha munch , itni aatmiyta our kha milegi.

    ReplyDelete
  33. मैं भी हफ्ते से बाहर रहा ब्लॉगिंग से ऐसा लग रहा है जैसे कुछ खो गया था ....

    ReplyDelete

आपकी प्रतिक्रिया ही मेरी प्रेरणा है।