07 January, 2010

कविता
 ऐसा पहली बार हुया है कि इतने दिनों बाद पोस्ट लिखी हो। बेटी और नातिन एक माह से  आयी हुये थीं,। उनके जाते ही घर मे उदासी सी छा गयी।  उनके जाने पर मन में कुछ भाव आये  कविता के रूप मे कह रही हूँ ।

ममता
कई दिनों से घर मे थी
रोनक सी एक आयी
हंसी ,ठहाके,खेल तमाशे,
घर मे मस्ती रहती छाई
जब चली गयी घर की खुश्बू
चली गयी सब खुशियाँ
पंम्ख लगा कर उड गयी
छोटी सी वो गुडिया
तितली सी वो उडती थी
फूलों सी मुस्काती
नानी-- नानी कहतीवो
मेरे कन्धों पर चढ जाती
चहक उसकी कानों मे गूँजे
देखूँ इधर उधर
पर घर का हर कोना सूना
झाँकूँ जिधर  जिधर
शरारतें उसकी याद आयें
आँखें भर भर रोऊँ
किसे सुनाऊँ अपनी लोरी
किसे दर्द मैं कहूँ
अपनी इस ममता को
कैसे मैं सहलाऊँ
इन खाली दिवारों से
कैसे मन बहलाऊँ
रुक नहीं सकते उडते पँछी
रुक नहीं सकती बहती धारा
कहीँ भी जाये कहीं  रहे वो
जीवन हो उसका उजियारा


55 comments:

  1. bahut pyaree rachana .betee to hava ka vo jhoka hai jo apane aangan padav nahee dalta .doosare ke aangan me hee shobha badata hai . mat bhooliye ki hum bhee aise hee doosare aangan aae the aur ab ye hee apana lagane laga .ha na ?

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  2. feelings from the depth of heart

    thanks

    i felt myself there

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  3. बहुत खूब, नानी के अन्दर के जज्बात और पोती को 'मिस' करने की बात समझी जा सकती है !

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  4. रुक नहीं सकते उड़ते पंछी , रुक नहीं सकती बहती धरा ...
    जहाँ भी रहे हो उनके जीवन में उजियारा ...
    हमारी भी शुभकामनाये ....बच्चों के जाने के बाद घर तो सुना हो ही जाता है ...मगर फिकर की क्या बात है ...ब्लोगिंग है ना ...!!

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  5. नानी का दोहती संग प्यार देख

    खुश हुआ दिल इजहार देख
    जैसे बच्चा खुश होता उपहार देख

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  6. bachche hi to ghar ki shobha hote hain , unki sharartein , meethi meethi bholi baatein hamari yadon mein rach bas jate hain aur phir ye yaadein hi hamare jeene ka sahara banti hain.

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  7. माँ जी चरण स्पर्श

    आपको देखना हमेशा एक सुखद एहसास देता है , लेकिन इस बार आपने बहुत दिंन लगा दिया , अब बढ़िया लगा आपको वापस देख कर । बहुत बढिया लगी , एहसास साफ झलक रहा हैं आप के शब्दो में ।

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  8. बहुत दिनों के बाद आपकी रचना पढ़ने को मिली । देरी का कारण भी समझ सकती हूँ । रचना पढ़ कर अपने दर्द याद आ गये । बच्चों के वापिस लौट जाने के बाद मैं भी इन्हीं अनुभूतियों की जीती हूँ और कानों में पोतों की बेहद प्यारी प्यारी आवाज़ें कई दिनों तक गूँजती रहती हैं और मुझे आलोड़ित करती रहती हैं । मुझे भी अपना हमसफ़र ही समझिये । बहुत ही हृदयग्राही रचना है । बधाई !

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  9. आपने तो सभी बुजुर्गों के मनोभाव व्यक्त कर दिये. सभी के साथ ही ऐसा होता है. बहुत शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  10. निर्मला जी,

    बहुत प्यारी रचना है....मन के भावों को खूबसूरती से बताती हुई....बधाई

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  11. आपने तो आज की कविता में प्रेम और ममता उडेल दी है ........ बहुत ही कमाल की रचना है सॅंजो कर रखने वाली .........

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  12. बच्चों के बिना रहना बहुत बड़ी शून्यता का आभास देता है। किन्तु जीवन चलता रहता है। आपकी कविता बहुत अच्छी लगी।
    घुघूती बासूती

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  13. इस सुन्दर, प्यारी सी कविता के लिये हार्दिक आभार
    बहुत खूबसूरती से आपने अपने भावों को व्यक्त किया है।

    प्रणाम स्वीकार करें

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  14. बहुत ही सुन्दर रचना!!
    प्रेम और वात्सल् का बहुत सुन्दर समावेश देखने को मिले आपकी इस प्यारी सी कविता में.....
    आभार्!

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  15. इस सुन्दर रचना के लिए
    बहुत बहुत आभार ..............
    एवं नव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनाएं .........

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  16. बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना है।सच है कभी कुछ रुकता नही.....

    रुक नहीं सकते उडते पँछी
    रुक नहीं सकती बहती धारा
    कहीँ भी जाये कहीं रहे वो
    जीवन हो उसका उजियारा

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  17. बच्चे होते ही ऐसे हैं. सबको मोहने वाले.

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  18. आशीष !जरूर फलीभूत होगा !

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  19. ममता से ओतप्रोत सुंदर भावनात्मक रचना

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  20. बहुत ही भावपूर्ण रचना है ...........सच बच्चों के जाने के बाद सूनापन बहुत कहलाता है !

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  21. aana sbka bahut khushi de jata hai .fir nnhi gudiya ki to bat hi kya ?udas n hoiye apni sundar rachnao se sbko dular dijiye .bitiya ko khoob pyar .

    nani teri morni to mor le gye baki jobcha tha kale chor legye .hahahah.

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  22. मन की उदासी को बताती सुन्दर रचना लिख दी है आपने ..यूँ ही होता है बच्चो का आना जाना ..

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  23. निर्मला कपिला जी
    सादर चरण स्पर्श
    आशीर्वाद के लिए आभार| बहुत अच्छा लग रहा हैं कि ब्लॉग शुरू करते ही बड़ो का स्नेह और आशीर्वाद मिला| बड़ो का आशीर्वाद जिंदगी के हर मोड़ पर रक्षा करता हैं| नन्हे बालक पर आपका स्नेह बरसता रहे यही कामना हैं|
    आपकी कविता बहुत सुन्दर हैं खासकर अंतिम ४ पंक्तिया दिल को छु गयी |

    साभार
    यशवंत मेहता

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  24. बहुत भावुक कर दिया आपने।

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  25. vvबहुत प्यारी रचना ,नानी का स्नेह कितना मुखर हो उठा ,आपके लिए ,आपके परिवार को नया साल मंगल मय हो प्रभु कृपा बनी रहे ।

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  26. बच्चों का आना, फिर बच्चों का जाना।

    आधुनिक युग की देन है।

    कुछ कीमत तो देनी ही पड़ती है।

    बहुत भावुक करती रचना।

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  27. मॉम.. आपने फीलिंग्स को बहुत खूबसूरती से लिखा है.....

    बहुत सुंदर....

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  28. बहुत सुन्दर शब्दों से बाँधी है आपने यह कविता!

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  29. निर्मला जी आप के संग हम भी उदास हो गये जेसे मेरी बेटी ओर नातिन गये हो, चलिये अब वापिस आये, वो अगले साल फ़िर आयेगे, कविता बहुत भावूक लगी.
    धन्यवाद

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  30. आज के भाग दौड़ की ज़िदगी में बहुत ही ऐसे कम समय आते है जब ऐसे अपने प्यारे लोग अपने साथ हो..हँसी और खुशी तो स्वाभाविक है और उनके जाने के बाद दुख भी..माता जी आपकी यह पोस्ट पढ़ कर दिल भर आया मुझे भी अपनी नानी जी की याद आ गयी हम लोगों के पहुँचने के बाद जो माहौल होता था सब याद आ आया..बहुत बढ़िया भाव से भरी कविता ...धन्यवाद और बस जल्दी से आप अपनी उदासी हटाइए क्योंकि यह सब होता है अभी फिर आएँगे और फिर वहीं दौर....प्रणाम स्वीकारें..

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  31. :) ..bahut achhi poem hai ..videsh mein baithhe baithhe ghar ki yaad aa gai :( ...

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  32. मेरे घर आई एक नन्ही परी
    एक नन्ही परी...
    चांदनी के रथ पे सवार
    उसकी बातों में शहद सी है मिठास

    मेरे घर आई एक नन्ही परी...

    जय हिंद...

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  33. नानी का मन बोल उठा..भावुक कर गया!!

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  34. कल ही पढा था .. पर टिप्‍पणियां नहीं कर पायी थी .. बहुत अच्‍छी लगी यह कविता .. पूरी ममता उडेल दी हैं आपने .. सचमुच किसी के जाने पर घर बहुत सूना लगता है .. पर सही कहा .. कहीं भी जाएं कहीं रहें वो .. जीवन उनका हो उजियारा !!

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  35. सच है नानी के लिये जितनी बेटी प्यारी होती है उससे कई गुना अधिक नातिन प्यारी होती है।

    कविता बहुत सुन्दर है!

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  36. bahut he sundar kavita hai aunty ji..

    ati uttam...

    cheers!
    surender

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  37. मन भीग आया,आपकी ये कविता पढ़.....हमारी माँ को भी ऐसा ही लगता होगा...जब हम गर्मी छुट्टियां बिता कर वापस आते हैं...बस आशीर्वाद ही निकलता है दिल से...जहाँ रहें खुश रहें....
    दिल को छू गयी ये रचना

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  38. प्रणाम माँ आप के ब्लॉग पर बहुत दिन बाद आ रहा हूँ इसके कई कारण थे जो मेरे व्यक्तिक थे , हर्दय की सम्बेदन शीलता औररिश्तो की घनिष्टता और था बिछुड़ने की पीड़ा और दर्द को समेटे एक ही कविता में कई भाव को लिए हुए बेहतरीन रचना
    सादर
    प्रवीण पथिक
    9971969084

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  39. वातसल्य और अपनों से बिछड़ने के दर्द का मनोहारी चित्रण, अंत में सच को कबूल करते हुए उनपर आशीर्वादों की ममतामई फुहार पढ़कर वीर बहूटी पर आना सार्थक हो गया. सादर.

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  40. इस सुरुचिपूर्ण ब्लॉग हेतु आपको साधुवाद। विविधताओं से भरा एक सराहनीय मंच है आपका।

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  41. बड़ो का साया ....विशुद्ध प्रेम का साया ....

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  42. फिर बुला लीजिये बिटिया को.

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  43. itne acchhe -2 rev.diye logo ne mere rev.ki jarurat to nahi.lekin apki rachna itni acchhi lagi ki bina haziri lagaye na raha gaya.

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  44. बहुत प्यारी, सुन्दर रचना.

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  45. आप की कविता मेरे दिल को छू गई।आप मेरे ब्लांक पर आई ओर टिप्पणी दी उसके लिऎ आप का बहुत धन्यवाद। आप के ब्लांक पर आकर ऎसा लगता है कि कही कोई रिश्ता है मेरा आप के साथ !!!

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  46. ममता
    कई दिनों से घर मे थी
    रोनक सी एक आयी
    behtreen pankitiyaa...

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आपकी प्रतिक्रिया ही मेरी प्रेरणा है।