18 September, 2009

गज़ल
श्री प्राण जी कब से मेरे बडे भाई बने हुये थे । जब से गज़ल सीखने लगी मैने गुरू जी कहना शुरू कर दिया। शायद इसी वज़ह से वो नाराज़् हं कि मुझे ब्लाग पर आ कर आशीर्वाद नहीं दिया । इस लिये आज से मैं उन्हें भाई साहिब ही कहूँगी क्यों की इस रिश्ते को वो बहुत पवित्र और महत्वपूर्ण मानते हैं। तो मैं भी उन्हें छोटी बहन के स्नेह से वंचित नहीं करूँगी ये गज़ल भी उनके आशीर्वाद से ही लिखी है । उन्हों ने इसकी गलतियां सही कर इसे संवारा है। ये गज़ल अपने बडे भाई साहिब श्री प्राण शर्मा जी को समर्पित है आशा है कि वो अपनी छोटी बहन को जरूर आशीर्वाद देंगे।


महक उठा हर कोना तन का
फूल खिला क्या मेरे मन का

भारत माँ की बेटी रहूँ मैं
ख्वाब यही मेरे जीवन का

पल पल रूप तू अपना बदले
फिर क्यों दोश कहे दरपन का

मन मे है पापों की दुरगंध्
तिलक लगाये है चंदन का

माली ही तोडे फूलों को
हाल कहें क्या उस गुलशन का

जीवन है सब खेल तमाशा
कोई हल ना इस उलझन का

पहरे दारो आँखें खोलो
मत इतबार करो दुश्मन का

लोग सभी घायल दिखते हैं
शोर सुने कोई क्रंदन का

35 comments:

  1. बहुत सुंदर भाव युक्‍त रचना .. माली ही तोडे फूलों को .. सही कहा !!

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  2. बहुत सुंदर रचना है। पर क्या बात है? जहाँ आप के गद्य में सामाजिक यथार्थ प्रमुखता से आता है वहाँ इन पद्य रचनाओं में केवल आदर्श सामने आ रहा है। लगता है आप अभी इस के शिल्प से बाहर नहीं निकल पा रही हैं।

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  3. जोहार ले मयारू संगवारी,बने सुग्घर बने हे जोग,

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  4. प्रणाम , छोटी-छोटी बड़े अर्थों वाली बातें .................लोग सभी घायल दिखते हैं
    शोर सुने कोई क्रंदन का...............और आपके मन के ख्वाब को नमन .......................भारत माँ की बेटी रहूँ मैं
    ख्वाब यही मेरे जीवन का........

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  5. प्रणाम , छोटी-छोटी बड़े अर्थों वाली बातें .................लोग सभी घायल दिखते हैं
    शोर सुने कोई क्रंदन का...............और आपके मन के ख्वाब को नमन .......................भारत माँ की बेटी रहूँ मैं
    ख्वाब यही मेरे जीवन का........

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  6. जीवन है सब खेल तमाशा
    कोई हल ना इस उलझन का

    लोग सभी घायल दिखते हैं
    शोर सुने कोई क्रंदन का
    जी निर्मला जी ..इस तेज दौड़ती ज़िन्दगी में कहाँ फुर्सत क्रंदन सुनने की ..अर्थपूर्ण संवेदनाओं को भी दर्शाती

    गज़ब शेर !!

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  7. महक उठा हर कोना तन का
    फूल खिला क्या मेरे मन का

    क्या बात है............आप जो भी लिखते हो ......उसमे एक ऐसा भाव होता है जो मन को तरंगित करता है ..........शब्द और भाव दोनो ही बेहतरीन होता है ........विस्तृत भाव लिये हुये कविता.............आभार

    ओम आर्य

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  8. प्रणाम निर्मला जी
    फिर से एक अच्छी ग़ज़ल वाह!!!!
    हालांकि सारे शेर अच्छे हैं लेकिन
    पल-पल रूप.............ये शेर तो गज़ब का है.
    ये आपने ब्लाग को सुरक्षित क्यों कर रखा है शेर कोट करने में मुश्किल होती है. अरे रचनाएं तो कोई हाथ से लिखकर भी कापी कर सकता है. कृपया विचार कर देखें

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  9. बहुत खुब, हर एक पंक्ति लाजवाब है। इस बेहतरिन भावपुर्ण रचना के लिए बहुत-बहुत बधाई..................

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  10. जीवन है सब खेल तमाशा
    कोई हल ना इस उलझन का;
    एक एक शब्द बेहतरीन है..आपकी रचना के..
    ग़ज़ल बहुत अच्छी लगी....बहुत बहुत बधाई....

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  11. प्राण साब का आशिर्वाद हो तो ग़ज़ल ने तो निखरना ही है।
    गज़ल यकीनन बहुत अच्छी बन पड़ी है।

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  12. ग़ज़ल बहुत ही जानदार है जो अपना असर छोड़ती हैं

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  13. लोग सभी घायल दिखते हैं
    शोर सुने कोई क्रंदन का ।।

    रचना बहुत ही सुन्दर एवं भावपूर्ण बन पडी है...जिसका कि हर शेर उम्दा!!!

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  14. सही लिखा है आपने जीवन है सब खेल तमसा

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  15. बहुत सुंदर रचना है। जीवन के रुप दर्शाति.
    धन्यवाद

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  16. बहुत ही भावमय प्रस्‍तुति, आभार ।

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  17. sundar bhavon se bharpoor rachna............bahut hi pravah mein likhi gayi hai............badhayi

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  18. wah nirmala ji , gazal kahne men praveen hoti jaa rahi hain, ya kahen praveenta hasil kar li hi. badhaai.

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  19. KAHTE HAIN KI INSAAN CHAAHE TO
    KYAA KUCHH HAASIL NAHIN KAR SAKTA
    HAI? HAASIL KARNE KAA ZAZBA CHAAHIYE BAS.GAZAL KAHNE AUR SEEKHNE
    KAA ZAZBAA MUJHE NIRMLA JEE MEIN
    DIKHAYEE DIYAA.GAZAL KAHNE KAA UNKA
    PRARAMBHIK DAUR HAI.
    CHUNKI NIRMLA JEE UTSAAHEE HAIN
    ISLIYE BHAVIHYA MEIN VE ACHCHHEE SE
    ACHCHHEE GAZAL KAHENGEE,MUJHE POORA
    VISHWAS HAI.

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  20. पहरे दारो आँखें खोलो
    मत इतबार करो दुश्मन का
    लोग सभी घायल दिखते हैं
    शोर सुने कोई क्रंदन का------

    आदरणीया निर्मला जी,
    पूरी गज़ल ही बहुत सुन्दर भावों को अभिव्यक्त कर रही है---पर इन पन्क्तियों ने मन को छू लिया।शुभकमनायें।
    हेमन्त कुमार

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  21. मैंने आपकी गजल को पढा, नहीं सच मुच। गाया..बुरा था या अच्छा इसका पता नहीं क्योंकि मैं एकेला था कमरे में...

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  22. बहुत लाजवाब और असरकारक रचना.

    रामराम.

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  23. jeeven khel to hai par khel me khwab bhi hai or khwab achhe hai..ek khoobsurat kavita padne ko mili...

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  24. भाई साहिब आपका बहुत बहुत धन्यवाद जो मुझे आशीर्वाद दिया । ये आपका ही मार्ग दर्शन है कोशिश करूँगी कि आपकी कसौटी पर खरी उतरूँ ताकि । अपमा ये स्नेह अपनी छोटी बहन पर बनाये रखें धन्यवाद । बाकी सब की भी आभारी हूँ कि अपना कीमती समय निकाल कर मुझे प्रोत्साहन देते है । आभार्

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  25. वाह.....!
    बहुत ही सुन्दर गज़ल पेश की है आज आपने।
    बधाई!

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  26. Ghazal ka har ek sher pasand aaiya....

    kis ki taarif karoon kiski nahi?

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  27. निर्मला जी,

    मन मे है पापों की दुरगंध्
    तिलक लगाये है चंदन का

    पल पल रूप तू अपना बदले
    फिर क्यों दोश कहे दरपन का

    बहुत पसंद आये यह दोनें अशआर, और आदरणीय प्राण साहिब का आशीर्वाद भी मिला। बहुत प्यारी बात कही है इस गज़ल के बहाने।

    सादर,

    मुकेश कुमार तिवारी

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  28. बहुत ही सुंदर और शानदार ग़ज़ल लिखा है आपने! इस लाजवाब और भावपूर्ण ग़ज़ल के लिए ढेर सारी बधाइयाँ !

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  29. waah waah waah !!! lajawaab...sachmuch lajawaab...

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  30. जीवन है सब खेल तमाशा
    कोई हल ना इस उलझन का
    पहरे दारो आँखें खोलो
    मत इतबार करो दुश्मन का

    आदरणीया निर्मला जी,
    बहुत सुन्दर और अर्थपूर्ण गजल है आपकी।
    पूनम

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  31. मन मे है पापों की दुरगंध्
    तिलक लगाये है चंदन का

    माली ही तोडे फूलों को
    हाल कहें क्या उस गुलशन का

    vah nirmla di bhut hi sttek bat khi hai gjal ke madhyam se .bahut khoob
    aaj ke jeevan ka ktu saty.
    abhar
    nv ratri ka abhinndan

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  32. nirmalaji
    bahut hi achi shelly hai aapki
    hindi gazal ke naam se bahut dur sa baith jata hai ...wo aapki gazal padhne per dur hota pratit hota hai ...sahaj v sunder prastutii ke liye aapko badhai

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  33. भारत माँ की बेटी रहूँ मैं
    ख्वाब यही मेरे जीवन का

    एक एक शेर कमाल का .... लाजवाब ग़ज़ल है ...... ....... कमाल की ग़ज़ल है .......

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आपकी प्रतिक्रिया ही मेरी प्रेरणा है।