10 March, 2009



महमान [व्यंग कविता ]


होली पर जब महमान घर आते
पतनी खुश होती पती मुँह फुलाते
पतनी को उनका ये रुख कभी ना भाया
एक दिन उसने पती को समझाया
ऎजी. अगर आप ऐसे मुंह फुलाओगे
तो होली कैसे मन पायेगी मेरी सहेलियों मे
मेरी क्या इज्ज़त रह जायेगी
महमान तो भगवान रूप होते हैं
उन्हें देख मुंह नहीं फुलाते
उनकी सेवा करते हैं और हंस कर गले लगाते हैं
ये सुन पती बोले
;रानी, तेरा हुकम बजाऊँगा
जब आयेगी तेरी सहेली
उसे गले लगाऊँगा
पर जब आयेगी मेरी माँ
तुझ से भी यही करवाऊँगा !!

17 comments:

  1. आपको तथा आपके पुरे परिवार को मेरे तरफ से रंगीन होली की ढेरो बधईयाँ और शुभकामनाएं..
    regards

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  2. इससे कहते हैं नहले पर दहला....

    apko aur apke pariwar ko holi ki shubhkamnaye....

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  3. आपको होली की ढेर सारी शुभकामनायें...

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  4. आपके और आपके पुरे परिवार को होली की बधाई.
    धन्यवाद

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  5. जब आयेगी तेरी सहेली
    उसे गले लगाऊँगा
    पर जब आयेगी मेरी माँ
    तुझ से भी यही करवाऊँगा

    वाह वा...अद्भुत हास्य रचा है आपने इस कविता के माध्यम से...बहुत बहुत बधाई...
    आपको रंग भरी होली की शुभकामनाएं.

    नीरज

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  6. होली के पावन त्योहार पर हार्दिक बधाई

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  7. क्या बात है मजेदार । बहुत अच्छा जी । होली मुबारक

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  8. बड़ी मजेदार रही. होली की शुभकामनायें.

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  9. बहुत सुंदर हास्य ,
    निर्मल श्लील हास्य ,
    होली की सुभ्काम्नाओ सहित

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  10. बडा सायाना पति है,दोनो हाथो मे लड्डू ले रहा है.
    आपको और आपके परिवार को होली की रंग-बिरंगी ओर बहुत बधाई।बुरा न मानो होली है। होली है जी होली है

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  11. मजेदार कविता पढ़ कर तुंरत जो प्रतिक्रिया उपजी उसे शोभित जैन पहले ही टिप्पणिरूप दे चुके हैं.

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  12. बहुत खूब।

    होली की हार्दिक शुभकामनाऍं।

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  13. मजेदार कविता, होली की ढेरो शुभकामनाएं..

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  14. wah , kya baat hai, jawab hi lajawaab hai. jab aayegi teri saheli gale lagaunga..............sunder

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  15. जहाँ तक मेरा ख्याल है पति लोग मुंह नहीं फुलाया करते

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आपकी प्रतिक्रिया ही मेरी प्रेरणा है।