किन्हीं विरान खन्ढरों में तलाश खुद को
इस आबाद गुलशन में तेरी जरूरत नहीं
जो भूल जाते हैं रास्ता अपनी मंजिल का
उनके बसने की फिर कोई सूरत नहीं
वादा कर के मुकर जाते हैं अक्सर जो
उन में ईमान ढूंढ्ने की जरूरत नहीं
जिस बुत में तलाश है तुझे जिन्दगी की
वो पत्थेर है जज़्बातों की मूरत् नही
सिगरेट समझ जो फूँक देते हैं जज़्बात
उनमें जिन्दा इन्सानों की गरूरत नहीं
जब वज़ूद ही ना रहे तो जिन्दगी की तलाश क्यों
जीकर भी है मरा हुआ मौत ढंढने की जरूरत नही
wada kar ke mukar jate hai akshar jo....
ReplyDeleteNirmala ji,
bhut sundar rachana hai.
आपकी रचनाधर्मिता का कायल हूँ. कभी हमारे सामूहिक प्रयास 'युवा' को भी देखें और अपनी प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करें !!
ReplyDeleteजो भूल जाते हैं रास्ता अपनी मंजिल का
ReplyDeleteउनके बसने की फिर कोई सूरत नहीं
आप की गजल का हर शेर अमूल्य है, बहुत सुंदर भाव.
धन्यवाद
बहुत बढ़िया हृदय अभिव्यक्ति
ReplyDelete-----नयी प्रविष्टि
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सुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteRespected Nirmala ji
ReplyDeletebahut sundar ,saral,sahaj gazal hai apkee.Hardik badhai.
Hemant Kumar
सुंदर अभिव्यक्ति !
ReplyDeleteबहुत बढ़िया .................
ReplyDeleteआपको लोहडी और मकर संक्रान्ति की शुभकामनाएँ....
ReplyDeleteजीकर भी है मरा हुआ मौत ढंढने की जरूरत नही
ReplyDeletewah wah..
jeeker bhi hai jo mara hua ......maut dhundhne ki jaroorat nahi
ReplyDeleteBehad sunder abhivyakti .....badhai
पत्थेर है जज़्बातों की मूरत् नही
ReplyDeleteसिगरेट समझ जो फूँक देते हैं जज़्बात
उनमें जिन्दा इन्सानों की गरूरत नहीं
जब वज़ूद ही ना रहे तो जिन्दगी की तलाश क्यों
जीकर भी है मरा हुआ मौत ढंढने की जरूरत नही
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