ऎ वरदा ऎ सौभाग्य वती,
तेरे अपने घर मे
तेरा व्यपार्
तेरा व्यपार्
तेरा तिरस्कार्
तेरी पीडा बड्ती जा रही है.
मैं अपनी असमर्थता पर,
शर्मसार हूं,
लाचार हूं,
मैं तेरी कर्जदार हूं.
मुझे याद है वो दिन ,
जब इसी घर के रन बांकुरे,
तुझे पाने को
तेरा गौर्व बढाने को ,
बसन्ती चोले पहन
प्रतिश्ठा की पगडी बांध
सरफरोशी की तमन्ना लिये,
तुझे व्याह कर दुल्हन बना कर लाये थे
तेरी उपलब्धि अपनी सम्पदा पर,
सब कितना हुलसाये थे,
हर्शाये थे.
अपना कर्तव्य निभा,
तुझे लोकहित समर्पित कर ,
अपने शृ्द्धा-सुमन अर्पित कर
चले गये,
कभी ना आने के लिये.
मुझे याद है किस तरह तूने ,
परतन्त्रता की कालिमा को धोकर,
अपनी स्वर्णिम किरणे दे कर,
इस देश पर अन्न्त उपकार किया
अथाह प्यार दिया.
पर तेरा ये द्त्तक हुया पथभृ्श्ट,
जीवन मुल्यों से निर्वासित ,
बुभुक्शा
जिगीशा
लिप्सा
से क्षुधातुर,
दानव बना जा रहा है,
तुझे बोटी बोटी कर खा रहा है.
तुझे पतिता बना रहा है .
एक दुखद आभास,
तेरे व्यपार का
तेरे तिरस्कार का
मेरे अहं को
जड बना रहा है,
दानव का उन्मांद,
दूध के उफान सा
जब बह जायेगा
तेरा गौरवमई लाव्णय
क्या रह जायेगा
तेरी बली पर
बाइतबार,
तेरे शाप क हक् दार,
देख रही हू लोमहर्शक ,
दावानल हो उदभिज ,
इस देश को निगल जायेगा
तेरा अभिशाप नहीं विफल जायेगा
मैं जडमत लाचार हूं
शर्म सार हूं .
मैं अपनी असमर्थता पर,
शर्मसार हूं,
लाचार हूं,
मैं तेरी कर्जदार हूं.
मुझे याद है वो दिन ,
जब इसी घर के रन बांकुरे,
तुझे पाने को
तेरा गौर्व बढाने को ,
बसन्ती चोले पहन
प्रतिश्ठा की पगडी बांध
सरफरोशी की तमन्ना लिये,
तुझे व्याह कर दुल्हन बना कर लाये थे
तेरी उपलब्धि अपनी सम्पदा पर,
सब कितना हुलसाये थे,
हर्शाये थे.
अपना कर्तव्य निभा,
तुझे लोकहित समर्पित कर ,
अपने शृ्द्धा-सुमन अर्पित कर
चले गये,
कभी ना आने के लिये.
मुझे याद है किस तरह तूने ,
परतन्त्रता की कालिमा को धोकर,
अपनी स्वर्णिम किरणे दे कर,
इस देश पर अन्न्त उपकार किया
अथाह प्यार दिया.
पर तेरा ये द्त्तक हुया पथभृ्श्ट,
जीवन मुल्यों से निर्वासित ,
बुभुक्शा
जिगीशा
लिप्सा
से क्षुधातुर,
दानव बना जा रहा है,
तुझे बोटी बोटी कर खा रहा है.
तुझे पतिता बना रहा है .
एक दुखद आभास,
तेरे व्यपार का
तेरे तिरस्कार का
मेरे अहं को
जड बना रहा है,
दानव का उन्मांद,
दूध के उफान सा
जब बह जायेगा
तेरा गौरवमई लाव्णय
क्या रह जायेगा
तेरी बली पर
बाइतबार,
तेरे शाप क हक् दार,
देख रही हू लोमहर्शक ,
दावानल हो उदभिज ,
इस देश को निगल जायेगा
तेरा अभिशाप नहीं विफल जायेगा
मैं जडमत लाचार हूं
शर्म सार हूं .
shandar
ReplyDeletethanx harshvardhanji aise hi prerna dete rahen
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